Published on Aug 05, 2023 Updated 0 Hours ago

एक तरफ जहां इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर सफलता की बदलती डिग्री के साथ निपटा जा रहा है तो ऐसे में , G20 इन महिलाओं के स्वामित्व वाली MSMEs के बहुआयामी समर्थन के लिए आवश्यक ढांचा प्रदान कर सकती हैं.

महिलाओं के नेतृत्व में आर्थिक पुनः प्राप्ति: जी-20 के लिए एक एजेंडा
महिलाओं के नेतृत्व में आर्थिक पुनः प्राप्ति: जी-20 के लिए एक एजेंडा

ये लेख हमारी—रायसीना एडिट 2022 सीरीज़ का हिस्सा है.


राजनीतिक और सैन्य असुरक्षा, बढ़ती भू राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता, आर्थिक मंदी और सामाजिक असमानता, जलवायु परिवर्तन, और विकसित होती ऊर्जा संकट, जैसी पहले से स्थित परेशानियों के अलावा, कोविड-19 महामारी ने विश्व की स्थिति को और भी बदहाल कर दिया है. महिलाओं की भूमिका पर चल रहे विचार विमर्श के बावजूद, ये दुनिया काफी हद तक पुरुषों के नेतृत्व में बनी हैं. विश्व बैंक द्वारा किए गए शोध में यह सलाह दी गई है कि काम करने की उम्र के 2.4 बिलियन महिलायें अब भी समान आर्थिक अधिकारों से वंचित हैं. रिव्यू किए गए कुल 190 देशों में से, 178 पर अब भी कानूनी बाधायें है जो महिलाओं को आर्थिक गतिविधियों में पूर्णरूपेण भागीदारी से रोकता है, और 86 देश महिलाओं को दिये जाने कामों के संदर्भ में एक प्रकार की सीमाओं से बंध जाते हैं. 95 देश पुरुषों एवं महिलाओं के लिए समान देय मजदूरी की वैद्य गारंटी नहीं लेते हैं, जबकि 76 राष्ट्रों के पास ऐसे कानून हैं जो महिलाओं का ज़मीन के ऊपर के अधिकार को सीमित करता है. जो कि ग़रीबी दूर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. 

महिलाओं की भूमिका पर चल रहे विचार विमर्श के बावजूद, ये दुनिया काफी हद तक पुरुषों के नेतृत्व में बनी हैं. विश्व बैंक द्वारा किए गए शोध में यह सलाह दी गई है कि काम करने की उम्र के 2.4 बिलियन महिलायें अब भी समान आर्थिक अधिकारों से वंचित हैं

उसी वक्त में, उद्देश्यपरक डेटा दिखाता है कि महिलाओं को राजनीति और आर्थिक प्रोसेस आदि में सम्मिलित करना समग्र परिणाम में सुधार लाता है. उनमें से कुछ का उल्लेख अगर किया जाये तो पिछले पाँच वर्षों में, जहां 14 प्रतिशत महिलाओं ने शांति समझौतों का हिस्सा रहीं, वहीं ये भी सच है कि महिला भागीदारी शांति समझौतों के जोख़िम को 64 प्रतिशत कम कर सकती है. मेकिन्से ग्लोबल इंस्टीट्यूट द्वारा किए गए एक शोध के अनुसार, आर्थिक प्रक्रिया में महिलाओं का पूर्ण समावेश विश्व इकोनॉमी को 2025 तक अतिरिक्त अमेरिकी डॉलर 12 ट्रिलियन तक बढ़ा सकता है. मेकिनसे एण्ड कंपनी डेटा दिखाती है कि लिंग विविधता कंपनी को उनके गतिविधियों का कम से कम 15 प्रतिशत वित्तीय रिटर्न मिलने की संभावना है. और महिलाओं के नेतृत्व वाले देशों ने कोविड -19 महामारी से दो चार करने के लिए बने राष्ट्रीय नीति का सफल प्रदर्शन किया है. 

महिलाओं को स्वतंत्र बनाने की प्रक्रिया 

पुरुष और महिलाओं के बीच सुनिश्चित करती समानता के अवसर एवं महिला सशक्तिकरण ने G20 के एजेंडे में एक ठोस स्थान बना रखा हैं.  G20 – आर्थिक और वित्तीय शासन संबंधी एक प्रीमियर फोरम है जो कि प्रमुख विकास और उभरती अर्थव्यवस्था को जोड़ता है – “ भविष्य के वैश्विक आर्थिक विकास और समृद्धि को सुरक्षित रखने का रोल अदा करती हैं.” एक तरफ जहां इस कार्य के सफलता की प्राप्ति काफी दूर है,  वहीं G-20 से जुड़ी विभिन्न सोसायटी के अलग-अलग आउटरीच प्रक्रियाओं के, विचार-विमर्श प्रक्रियाओं में सक्षमता से शामिल होने को व्यापक पैमाने पर देखा जा सकता है. (वर्तमान में लगभग 12), साथ में वुमन 20 और महिला सशक्तिकरण आधिकारिक G20 प्रोसेस को स्ट्रीमलाइन करने के लिए ज़रूरी प्रतिबद्धता हेतु, महिला सशक्तिकरण इनिशियेटिव, को सुरक्षित करने की दिशा में लगातार प्रयासरत है. 

लॉस काबोस मेक्सिको में सन 2012 में हुए समिट में सहायक देशों द्वारा महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक प्रक्रिया में पूर्ण रूप से भाग लेने में बाधक स्थिति पर कोई ठोस उपाय लेने हेतु प्रतिबद्धता के साथ, ही एक दशक पूर्व से महिला सशक्तिकरण मुद्दों पर G20 ने ध्यान देना शुरू किया था. महिलाओं का वित्तीय सेवाओं तक की पहुँच के महत्व को स्वीकारते हुए, उसके अगले ही साल (2013) में, G20 संयुक्त रूप से इंटरनेश्नल फाइनेंशियल कॉरपोरेशन के साथ “महिलाओं के लिए वित्तीय प्रावधान” पोर्टल तैयार करने के लिए तैयार हो गया. 2014 में, उस तथाकथित ब्रिस्बेन समझौते पर सहमति जतायी, जो पुरुषों और महिलाओं के बीच रोज़गार के अंतर को 2025 तक 25 प्रतिशत तक कम करने की प्रतिबद्धता दिखा रहा था. इस समझौते को G20 के नेताओं ने अपनी सहमति दी. इस प्रतिबद्धता से शुरुआती अपेक्षा ये थी की कि वैश्विक आर्थिक बढ़त में तेज़ी लाते हुए और ग़रीबी और असमानता में कमी लाते हुए (हालांकि, ये संभावनाएं कोविड-19 की वजह से काफी प्रभावित हुई हैं), 100 मिलियन महिलायें, रोज़गार  बाजार में दाखिला लेंगी. इन निर्णयों ने महिला 20 इनिशियेटिव के मुद्दे को एक मंच प्रदान किया है, जो कि G-20 का सबसे सक्रिय एवं कुशल डायलॉग है. 

2014 में, उस तथाकथित ब्रिस्बेन समझौते पर सहमति जतायी, जो पुरुषों और महिलाओं के बीच रोज़गार के अंतर को 2025 तक 25 प्रतिशत तक कम करने की प्रतिबद्धता दिखा रहा था. इस समझौते को G20 के नेताओं ने अपनी सहमति दी. इस प्रतिबद्धता से शुरुआती अपेक्षा ये थी की कि वैश्विक आर्थिक बढ़त में तेज़ी लाते हुए और ग़रीबी और असमानता में कमी लाते हुए  100 मिलियन महिलायें, रोज़गार  बाजार में दाखिला लेंगी.

अपने निर्माण के बाद से, प्रति वर्ष, women 20 ने G20 दस्तावेज़ों में उल्लेखनीय स्थान बनायी है, एक तरफ जहां ये सत्य है कि जो कुछ भी थोड़ा बहुत हुआ है वो बहुत ही धीमी गति से हुआ हैं, साथ ही वुमन 20 ने समानता की वैश्विक समझ को—और इसमें पुरुषों एवं महिलाओं के अवसरों की समानता को काफी प्रोत्साहित किया है – उसने बेहतर प्रयोगों के प्रैक्टिकल एक्सचेंज को अनुमति प्रदान की, राष्ट्रीय नज़रिए में बाधक, कमजोर कड़ी को विशेष रूप से रेखांकित किया और महिला सशक्तिकरण के ऊपर सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों के प्रति उच्च जागरूकता की नींव रखी. 

G20 की प्राथमिकताएं

वर्तमान इंडोनेशियाई राष्ट्रपति काल के अंतर्गत, वुमन 20, मुख्य रूप से चार प्रमुख मुद्दों पर अपना ध्यान केंद्रित करेगी – नीतिगत भेदभाव उन्मूलन, महिलाओं के स्वामित्व एवं प्रबंधित – माइक्रो, लघु और मध्यम इंटरप्राइजेज (MSMEs), ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाली किशोरियों एवं महिलाओं एवं दिव्यांगों, के सशक्तिकरण, और लैंगिक समृद्धि हेतु स्वास्थ्य में वृद्धि. इस थीम के अंतर्गत, समानता और अवसर की समानता के प्रमुख मुद्दों, महिला उद्यमिता, वित्तीय समावेशन और रोज़गार बाजार आदि प्रमुख मुद्दों को समान रूप से कवर किया गया है. महिला आर्थिक सहभागिता के सामाजिक पहलू के प्रति सजगता, और ग्लोबल अस्थिरता से निपटने और महिलाओं और लड़कियों पर इनकी वजह से होने वाले प्रभाव से उबरने हेतु ज़रूरी कदम उठाने के लिए, कम लाभप्रद समूह की हाल के संदर्भ में चिंतन करना, वैश्विक ज़िम्मेदारी की महत्ता को दर्शाता है. 

ग्लोबल डेवलपमेंट और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था MSMEs में निवेश के दायरे में ख़ासकर उनमें जो कि महिलाओं के स्वामित्व में है, कि दिशा में एक कदम है. अशांत समय, जैसे की महामारी के वक्त़, MSMEs के अंधकार में डूबने का रिस्क ज़्यादा हो जाता है, जबकि बड़े बड़े निगम को राज्य के सहयोग से सीधे और चुनौतियों का सामना करने की अंतर्निहित क्षमता हेतु सीधे-सीधे सहायता मिलने की संभावना है. 

कानूनी ज़रूरतों में रियायत और कर प्रोत्साहन की पेशकश, नरम क्रेडिट लाइन को प्राथमिकता पहुँच प्रदान करना, और महिलाओं के लिए राज्य प्रायोजित शैक्षिक पुनःकौशल अवसर प्रदान करना, G20 देशों और उनसे आगे भी, आर्थिक रिकवरी के लिए एक मज़बूत आधार का निर्माण करेगी.

ऐसी स्थिति महिलाओं को एक कमज़ोर स्थिति में ला खड़ी करती है, चूंकि- बड़ी-बड़ी कंपनियों में पुरुषों की तुलना में, महिलाओं का एक छोटा सा हिस्सा ही पद हासिल कर पाता है. उदाहरण के लिए,  रूस में, हालांकि, कंपनियों के 20 प्रतिशत हिस्सों पर महिलायें प्रतिनिधित्व करती हैं, परंतु यही प्रतिशत कंपनियों के साइज़ और आकार के बढ़ने के क्रम में घटती जाती है. रूसी फ़र्मों में, जिनका नेट सेल अमेरिकी डॉलर 10 मिलियन के अंदर है, बहुसंख्यक महिलायें सीईओ के पद पर आसीन हैं, जबकि देश की टॉप 200 कंपनियों में मात्र 6.5 प्रतिशत महिलायें ही प्रतिनिधित्व कर रही हैं. MSMEs की बात करें तो उसमें, एक तिहाई से ज़्यादा कंपनियां महिलाओं के स्वामित्व वाली हैं, जिनमें से 90 प्रतिशत, सामाजिक रूप से उन्मुख व्यवसाय है. चूंकि संभावना है कि महिलायें अपने आय, मुनाफा और संपत्ति को स्वास्थ्य, शिक्षा और समुदाय के कुशल मंगल में पुनः निवेश करेंगी, इनमें निवेश करना और ऐसे व्यवसायों को सहयोग करने से एक सशक्त आर्थिक प्रभाव पड़ेगा और वो सामाजिक लाभांश उत्पन्न करेंगे.

कानूनी ज़रूरतों में रियायत और कर प्रोत्साहन की पेशकश, नरम क्रेडिट लाइन को प्राथमिकता पहुँच प्रदान करना, और महिलाओं के लिए राज्य प्रायोजित शैक्षिक पुनःकौशल अवसर प्रदान करना, G20 देशों और उनसे आगे भी, आर्थिक रिकवरी के लिए एक मज़बूत आधार का निर्माण करेगी. एक तरफ जहां इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर, अलग-अलग श्रेणी में सफ़लता के साथ निपटा जा रहा है, तो ऐसे में G20 इन महिलाओं के स्वामित्व वाली MSMEs को बहुआयामी समर्थन के लिए आवश्यक ढांचा प्रदान कर महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है. 

ओआरएफ हिन्दी के साथ अब आप FacebookTwitter के माध्यम से भी जुड़ सकते हैं. नए अपडेट के लिए ट्विटर और फेसबुक पर हमें फॉलो करें और हमारे YouTube चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें. हमारी आधिकारिक मेल आईडी [email protected] के माध्यम से आप संपर्क कर सकते हैं.


The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.