Author : Don McLain Gill

Published on Feb 03, 2024 Updated 0 Hours ago
फिलीपींस: बदलते भू-राजनीतिक वातावरण में एक ठोस “लुक वेस्ट” नीति ज़रूरी

5 जनवरी 2024 को भारतीय नौसेना ने पश्चिमी हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) के अरब सागर में लाइबेरिया के झंडे वाले जहाज़ एमवी लीला नॉरफोक को अगवा करने के समुद्री लुटेरों के प्रयासों को नाकाम कर दिया. इस व्यापारिक जहाज़ के चालक दल के 21 सदस्यों में से 6 फिलीपींस के नागरिक थे. वैसे तो समंदर में होने वाली लूटपाट पश्चिमी हिंद महासागर क्षेत्र में वास्तविक और ज्वलंत समस्या रही है, लेकिन हूती विद्रोहियों द्वारा लाल सागर में बहुराष्ट्रीय व्यापारिक जहाज़ों पर लगातार हो रहे हमलों से IOR के सुरक्षा हालातों का और बिगड़ना तय है. ऐसे वक़्त में जब हिंद महासागर क्षेत्र की सुरक्षा के सामने कई उल्लेखनीय चुनौतियां खड़ी हैं, फिलीपींस के लिए पूर्व-सक्रियता भरी और पश्चिम की ओर रुख़ रखने वाली विदेश नीति तैयार करना और उसे ज़मीन पर उतारना सबसे महत्वपूर्ण होगा.  

जब हिंद महासागर क्षेत्र की सुरक्षा के सामने कई उल्लेखनीय चुनौतियां खड़ी हैं, फिलीपींस के लिए पूर्व-सक्रियता भरी और पश्चिम की ओर रुख़ रखने वाली विदेश नीति तैयार करना और उसे ज़मीन पर उतारना सबसे महत्वपूर्ण होगा.  

1946 में अपनी आज़ादी के बाद से फिलीपींस की राष्ट्रीय सुरक्षा धारणा में महत्वपूर्ण बदलाव हो रहे हैं. सबसे उल्लेखनीय परिवर्तनों में से एक 2010 में हुआ, जिसके तहत समुद्री सुरक्षा पर ज़ोर के साथ आंतरिक सुरक्षा की बजाए बाहरी ख़तरों पर ध्यान मोड़ा गया. दक्षिण चीन सागर में विस्तारवादी मंसूबों के साथ उभरते चीन की ओर से पेश स्पष्ट ख़तरा इस बदलाव के सबसे शक्तिशाली उत्प्रेरकों में से एक था. चीन, समुद्र के क़ानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCLOS) और पश्चिमी फिलीपीन सागर में चीन के व्यापक दावों को रद्द करने वाले 2016 के मध्यस्थता फ़ैसले की अवहेलना करने के साथ-साथ विवादित जल-क्षेत्र का सैन्यीकरण कर रहा है. ग़ौरतलब है कि पश्चिमी फिलीपीन सागर, दक्षिण चीन सागर का वो हिस्सा है जो फिलीपींस के प्रादेशिक समुद्र और 200 नॉटिकल मील विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) के तहत आता है.  

ख़तरे की धारणा और विदेश नीति के बीच अंतर-संबंध को देखते हुए पश्चिमी फिलीपीन सागर की सुरक्षा गतिशीलता के साथ-साथ अमेरिका और चीन के बीच अपना दबदबा जमाने को लेकर तेज़ होती प्रतिस्पर्धा ने फिलीपींस को बाहरी जुड़ाव में मुख्य रूप से पश्चिमी प्रशांत केंद्रित नीति को प्राथमिकता देने के लिए प्रेरित किया है. भले ही पश्चिमी फिलीपीन सागर की स्थिरता ने निश्चित तौर पर फिलीपींस को पश्चिमी प्रशांत-चालित विदेश और सुरक्षा नीति को प्राथमिकता देने की प्रेरणा दी है, लेकिन हिंद महासागर क्षेत्र में देश की बढ़ती हिस्सेदारी की पहचान करना भी उतना ही ज़रूरी है. इस वास्तविकता के मद्देनज़र, इस तर्क को आगे बढ़ाने के लिए तीन अहम कारकों पर निश्चित रूप से विचार किया जाना चाहिए. 

फिलीपींस की स्थिति

सर्वप्रथम, फिलीपींस दुनिया में नाविकों का अग्रणी आपूर्तिकर्ता है. फिलीपींस के अनुमानित 380,000 नाविक (या विश्व में व्यापारिक जहाज़ों के चालक दल के कुल सदस्यों का एक चौथाई से ज़्यादा हिस्सा) घरेलू या विदेशी झंडों वाले समुद्री जहाज़ों पर तैनात हैं. चूंकि हिंद महासागर का कुल वार्षिक व्यापार 6 खरब अमेरिकी डॉलर से ज़्यादा है, लिहाज़ा अनिवार्य रूप से फिलीपींस के नाविकों का एक बड़ा हिस्सा निरंतर इन जल-क्षेत्रों के ज़रिए आवाजाही करता है. इसी के चलते हिंद महासागर अनेक ग़ैर-पारंपरिक सुरक्षा ख़तरों का केंद्र रहा है, जिनमें समुद्री डकैती और सामुद्रिक आतंकवाद से लेकर नशीले पदार्थों और हथियारों का अवैध व्यापार और मानव तस्करी शामिल है. हाल ही में लाइबेरियाई झंडे वाले जहाज़ के अपहरण की कोशिश समुद्र में ऐसे ख़तरों का पुख्ता प्रमाण है. हक़ीक़त ये है कि सोमाली समुद्री लुटेरों द्वारा बंधक बनाए गए आधे से भी ज़्यादा लोग फिलीपींस के नागरिक हैं. इसके अलावा, हूती विद्रोहियों की ओर से हमलों के जारी रहते ऐसी आशंका है कि फिलीपींस के नाविकों को हिंद महासागर क्षेत्र में ज़्यादा ख़तरनाक यात्राओं का सामना करना पड़ेगा. 

हिंद महासागर का कुल वार्षिक व्यापार 6 खरब अमेरिकी डॉलर से ज़्यादा है, लिहाज़ा अनिवार्य रूप से फिलीपींस के नाविकों का एक बड़ा हिस्सा निरंतर इन जल-क्षेत्रों के ज़रिए आवाजाही करता है.

दूसरा, और इसी तर्ज पर, फिलीपींस की 10 फ़ीसदी से ज़्यादा आबादी विदेशों में काम करती है, और विभिन्न व्यवसायों से जुड़ी है. फिलीपीन सांख्यिकी प्राधिकरण के मुताबिक, अप्रैल से सितंबर 2022 तक विदेशों में अनुमानित 19.6 लाख प्रवासी फिलीपीनो कामगार (OFW) थे. फिलीपींस के ज़्यादातर प्रवासी कामगार सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), और ओमान जैसे खाड़ी देशों में काम करते हैं. साथ ही फिलीपींस के तक़रीबन 1 प्रतिशत प्रवासी अफ्रीका में रहते हैं- जिसमें एक बड़ा आबादी अफ्रीका महादेश के पूर्वी तट पर रह रही है. चूंकि मध्य पूर्व के पहले से ही उथल-पुथल भरे ढांचे को इज़रायल और हमास के बीच का युद्ध और भड़का रहा है, लिहाज़ा फिलीपींस के प्रवासी कामगारों की सुरक्षा से जुड़ी चिंताएं और बढ़ गई हैं. 

तीसरा, समुद्र के रास्ते विश्व में होने वाले तेल के कुल व्यापार में हिंद महासागर क्षेत्र का हिस्सा तक़रीबन 80 प्रतिशत है, जबकि सालाना 9.84 अरब टन कार्गो यहां के जल-क्षेत्र से होकर गुज़रता है. इसी के अनुसार, प्रशांत क्षेत्र के विकासशील देश मध्य पूर्व के कच्चे तेल पर निर्भर हैं जिसका आयात हिंद महासागर के ज़रिए किया जाता है. दक्षिण पूर्व एशिया के अन्य देशों की तुलना में कम खपत के बावजूद फिलीपींस ऊर्जा का शुद्ध आयातक है- उसने 2023 में अपनी कुल तेल खपत का 70 प्रतिशत से भी ज़्यादा हिस्सा आयात किया था. ये स्पष्ट करता है कि हिंद महासागर क्षेत्र में बेहद महत्वपूर्ण संचार की समुद्री श्रृंखला (SLOCs) की सुरक्षा पर फिलीपींस किस हद तक निर्भर करता है. ऐसा इसलिए है कि उसके शीर्ष आयात स्रोत सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), क़तर और ओमान हैं. 

फिलीपींस की विदेश नीति के तीन प्रमुख स्तंभों में से दो हैं विदेशों में काम कर रहे फिलीपींस के प्रवासियों की सुरक्षा और आर्थिक सुरक्षा की प्राप्ति. लिहाज़ा, फिलीपींस के लिए हिंद महासागर क्षेत्र की अहमियत को रेखांकित करते हुए ठोस और दूरदर्शिता भरी विदेश नीति तैयार करना अहम होगा. वैसे तो ये बात समझी जा सकती है कि इस क्षेत्र में फिलीपींस की परंपरागत रूप से सीमित कूटनीतिक मौजूदगी उसके भूगोल और पश्चिमी प्रशांत के साथ उसके क़रीबी आर्थिक और सुरक्षा जुड़ावों की वजह से थी, लेकिन हिंद-प्रशांत भू-राजनीतिक बनावट का उदय फिलीपींस को अपनी स्थिति का लाभ उठाने के लिए एक आवश्यक अवसर उपलब्ध कराता है. इस प्रकार वो ना सिर्फ़ दक्षिण पूर्वी एशियाई देश के रूप में अपने रुतबे का भरपूर लाभ उठा सकता है बल्कि हिंद-प्रशांत के मध्यवर्ती ताक़त के तौर पर भी ख़ुद को आगे बढ़ा सकता है. 

अंतरराष्ट्रीय राजनीति में बढ़ती अनिश्चितताओं के चलते फिलीपींस ने 2016 से रणनीतिक साझेदारों के विविधीकरण को प्राथमिकता दी है. राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर के मौजूदा प्रशासन के तहत फिलीपींस ने ग़ैर-पारंपरिक साझेदारों के साथ सुरक्षा और आर्थिक संबंधों में मज़बूती लाने पर ख़ासा ज़ोर दिया है. इस मौजूदा क़वायद के बीच फिलीपींस ने अपने पश्चिमी पड़ोसियों के साथ क़रीबी साझेदारियां बनाई हैं. इस कड़ी में सबसे उल्लेखनीय घटनाक्रमों से एक है फिलीपींस और भारत के बीच सुरक्षा साझेदारी की मज़बूती. ब्रह्मोस सौदे से लेकर फिलीपींस और भारतीय तट रक्षक बलों के बीच समझौता ज्ञापन (MoU) पर दस्तख़त किए जाने तक, दोनों देश, ख़ासतौर से सामुद्रिक सुरक्षा में अपने संबंधों में गहराई लाने और उनके दायरों को विस्तृत करने की निरंतर कोशिश कर रहे हैं. फिलीपींस अपने तट रक्षक बल के लिए सात हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति को लेकर भी भारत के साथ वार्ताएं कर रहा है. दोनों देश संयुक्त समुद्री अभ्यासों की संख्या बढ़ाने की गुंजाइश भी तलाश रहे हैं.  

लाइबेरियाई झंडे वाले जहाज़ को बचाने और सुरक्षित निकालने में भारतीय नौसेना की हालिया कामयाबी इस इलाक़े में प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता के तौर पर भारत की नई भूमिका का प्रमाण है.

बढ़ते द्विपक्षीय रिश्तों से फिलीपींस के लिए हिंद महासागर क्षेत्र में अपने हितों को बेहतर ढंग से सुरक्षित करने के लिए ज़्यादा अवसर खुल सकते हैं. अपनी आज़ादी के बाद से भारत हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा के शुद्ध प्रदाता के तौर पर सेवा करने में दृढ़ रहा है. लाइबेरियाई झंडे वाले जहाज़ को बचाने और सुरक्षित निकालने में भारतीय नौसेना की हालिया कामयाबी इस इलाक़े में प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता के तौर पर भारत की नई भूमिका का प्रमाण है. फिलीपींस के नाविकों द्वारा लगातार बढ़ते ख़तरों का सामना किए जाने के मद्देनज़र फिलीपींस को भारत के साथ ख़ुफ़िया सूचनाओं को आदान-प्रदान करने और नौसैनिक इंटर-ऑपरेबिलिटी सहयोग को बढ़ाने का भारी लाभ होगा. कूटनीतिक मोर्चे पर, हिंद महासागर क्षेत्र के संस्थानों के साथ जुड़ाव बनाना फिलीपींस के सर्वोत्तम हित में होना चाहिए. इनमें इंडियन ओशियन रिम एसोसिएशन (IORA) शामिल है जहां सिंगापुर, इंडोनेशिया और थाईलैंड सदस्य हैं, जबकि चीन, जापान और दक्षिण कोरिया संवाद भागीदार हैं. जैसे फ्रांस को संस्थागत सदस्यता दिलाने में भारत की अहम भूमिका रही थी, फिलीपींस को भी संभावित रूप से IORA में संवाद भागीदार के तौर पर शामिल कराने में भारत एक आवश्यक सेतु के तौर पर काम कर सकता है. IORA में जुड़ाव बनाने से फिलीपींस को सदस्य और संवाद भागीदार देशों के साथ सहयोग करने, हिंद महासागर और वहां संचार की समुद्री श्रृंखला की स्थिरता की ओर ज़्यादा सक्रिय रूप से योगदान देने और हिंद महासागर क्षेत्र में अपने कूटनीतिक पद्चिन्हों और गहरा करने का मौक़ा मिलेगा.  

आगे की राह

भारत के साथ-साथ फिलीपींस भी UAE के साथ अपने सुरक्षा संबंधों को मज़बूत करने के प्रयास कर रहा है, जिसके तहत दोनों पक्ष जल्द ही रक्षा सहयोग पर एक समझौता ज्ञापन को औपचारिक रूप देने की उम्मीद कर रहे हैं. अगर ये क़वायद ज़मीन पर उतर जाए तो ये किसी खाड़ी देश के साथ फिलीपींस की पहली रक्षा क़वायद होगी. अक्टूबर 2023 में मार्कोस जूनियर ने पहली बार आयोजित दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (ASEAN) और खाड़ी सहयोग परिषद के पहले शिखर सम्मेलन में भी हिस्सा लिया थाUAE और सऊदी अरब, हिंद महासागर क्षेत्र और ऊर्जा से जुड़ी भू-राजनीति में प्रभावशाली खिलाड़ी हैं. लिहाज़ा, संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब के साथ रिश्तों में मज़बूती लाने से फिलीपींस को ऊर्जा सुरक्षा और फिलीपींस के प्रवासी कामगारों की सुरक्षा के लिए सहयोग बढ़ाने के और ज़्यादा रास्ते मिलेंगे. वैसे तो खाड़ी के दोनों देशों के साथ फिलीपींस का रणनीतिक सहयोग अभी इसकी बहु-आयामी ख़ासियतों को दर्शाने की महज़ शुरुआत भर है, लिहाज़ा फिलीपींस के लिए इस बढ़ती रफ़्तार को बरक़रार रखना और आख़िरकार अन्य क्षेत्रीय राष्ट्रों के साथ जुड़ाव के दायरे को व्यापक बनाना आवश्यक होगा. 

वैसे तो हिंद महासागर क्षेत्र में परंपरागत रूप से फिलीपींस उतना मुखर नहीं रहा है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीति में हो रहे बदलावों के चलते राष्ट्रों के लिए इन परिवर्तनों के हिसाब से पूर्व-सक्रियता से अनुकूलित होने और ढलने की आवश्यकता है. चूंकि हिंद-प्रशांत अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा विमर्श के केंद्र में उभर रहा है, इसलिए फिलीपींस के लिए हिंद-प्रशांत देश के रूप में अपनी भूमिका को आगे बढ़ाकर और फिलीपींस के रणनीतिक आकलन में हिंद महासागर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व बढ़ाकर इस अवसर को अधिकतम स्तर पर लाना अहम होगा. सौ बात की एक बात ये है कि ना केवल अपने पूर्व बल्कि अपने पश्चिम में भी निर्विवाद रूप से फिलीपींस के हित छिपे हैं.


डॉन मैक्लेन गिल फिलीपींस स्थित भूराजनीतिक विश्लेषक, लेखक और डी ला सैले यूनिवर्सिटी (DLSU) के अंतरराष्ट्रीय अध्ययन विभाग में व्याख्याता हैं. 

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