Published on Mar 30, 2021 Updated 0 Hours ago

इससे पहले कभी भी किसी अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा अपने दफ़्तर और संविधान के शपथ की ऐसी धज्जियां नहीं उड़ाई गईं थीं

दो बार महाभियोग का सामना करने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप, क्या इससे सबक लेंगे?

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप अकेले एक ऐसे राष्ट्रपति हुए जिन्हें अमेरिका के 244 साल के राजनीतिक इतिहास में दो बार महाभियोग का सामना करना पड़ा. यह घटना लगभग ढाई महीने पहले 13 जनवरी 2021 की थी जब अमेरिका के लोकतंत्र के मंदिर कैपिटल हिल पर प्रदर्शनकारियों ने कब्ज़ा कर लिया और इस घटना के लिए प्रदर्शनकारियों को उकसाने का आरोप अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर लगा. हालांकि इस पूरी प्रक्रिया में कई ऐसी बातें हुईं जो अमेरिका के राजनीतिक इतिहास में पहली बार हुई थी लेकिन इस घटना को तीन प्रमुख नज़रिये से देखने की ज़रूरत है.

आख़िरी टैली: 232-197

हालांकि, यह हैरान करने वाली बात है कि 211 रिपब्लिकन सांसदों में से महज़ 10 सांसदों ने ही ट्रंप के ख़िलाफ़ महाभियोग चलाने के प्रस्ताव का समर्थन किया था. एक तरह से यह इस बात का संकेत था कि ट्रंप की उनकी पार्टी पर प्रभाव कम नहीं हुआ था तो दूसरी ओर यह इस बात की ओर इशारा भी कर रहा था कि डोनाल्ड ट्रंप को लेकर लोगों का धैर्य जवाब दे चुका था. क्योंकि सदन में मौजूद सबसे ज़्यादा पेशेवर रिपब्लिकन सांसद मिच मैककॉनेल ने तब ऐलान किया था कि वो महाभियोग प्रस्ताव से बेहद खुश हैं. इस बयान से साफ हो चुका था कि जो एक साल पहले तक नामुमकिन लगता था वह मुमकिन लगने लगा था – कि ज़्यादा से ज़्यादा रिपब्लिकन सांसद ट्रंप का साथ छोड़ सकते हैं और महाभियोग के दौरान उन्हें सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है. ये महज़ असाधारण बात नहीं थी कि, जिन रिपब्लिकन सांसदों ने ट्रंप के ख़िलाफ़ वोट किया था उनमें लिज चेनी जैसे राजनीतिक दिग्गज शामिल रहे  – जिनके पिता डिक चेनी ने जॉर्ज डब्ल्यु बुश के राष्ट्रपति शासन काल में बतौर उप-राष्ट्रपति काम किया था. चेनी ने कहा कि “इससे पहले कभी भी किसी अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा अपने दफ़्तर और संविधान के शपथ की ऐसी धज्जियां नहीं उड़ाई गईं थीं.” महाभियोग के बाद हुई वोटिंग की आख़िरी टैली 232-197 ने ये तो स्पष्ट कर दिया था कि ट्रंप के ख़िलाफ़ लाए गए पहले महाभियोग के दौरान पक्षधर राजनीति ने अमेरिकी सियासत में एक नई करवट ली थी. इस बार पूरा ध्यान संसद पर केंद्रित होना था हालांकि, इसमें इतनी जल्दी नहीं थी. मैककॉनेल जिन्होंने ऐसी तमाम सियासी चीजें जिन्हें उन्होंने मुमकिन कर दिखाया था उसके लिए उन्हें ट्रंप के काफी नखरे उठाने पड़े थे, मैककॉनेल के बारे में कहा जाता है कि वो ट्रंप से बेहद ख़फा थे और उन्हें सत्ता से किनारा करने के लिए बेहद उत्सुक थे. यही वज़ह थी कि राजनीतिक जानकार ये मान रहे थे कि अगर संसद में उन्होंने ट्रंप के ख़िलाफ़ जाकर वोटिंग की तो ट्रंप के ट्रायल को कामयाब बनाने के लिए ज़रूरी दो तिहाई वोट एक संभावना बन सकती थी. कहा तो ये भी जा रहा था कि जब तक ट्रंप राष्ट्रपति पद छोड़ते नहीं तब तक उनके ख़िलाफ़ ट्रायल चल नहीं सकता था और इस लिहाज़ से इसके नतीज़े जो भी आते लेकिन उसके चलते ट्रंप दोबारा राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार नहीं बन सकते थे.

जिन रिपब्लिकन सांसदों ने ट्रंप के ख़िलाफ़ वोट किया था उनमें लिज चेनी जैसे राजनीतिक दिग्गज शामिल रहे  – जिनके पिता डिक चेनी ने जॉर्ज डब्ल्यु बुश के राष्ट्रपति शासन काल में बतौर उप-राष्ट्रपति काम किया था.

ट्रंप की असली कहानी

एक और चीज जो अमेरिकी राजनीति में पहली बार हो रहा था वह यह कि पहली बार बीते चार वर्षों में पहली बार ट्रंप की उंगलियां टीवी रिमोट पर थमी हुई थीं क्योंकि संसद भवन से एक मील की दूरी पर जब उनके ख़िलाफ़ महाभियोग चलाया जा रहा था तब वो टीवी पर इसका लाइव प्रसारण देखने को मज़बूर थे. उनके ट्विटर मेगाफोन पर पाबंदी लगी हुई थी लिहाज़ा अपने निजी डाइनिंग रूम में बैठकर ट्रंप दुनिया भर के टीवी चैनलों की स्क्रीन पर अमेरिकी सियासत की एक महत्वपूर्ण इतिहास को बनते हुए देखने पर मज़बूर थे. एक ऐसा अमेरिकी राष्ट्रपति जो तमाम डिजिटल प्लेटफॉर्म से कंटेंट में बदलाव का सुझाव देने में संकोच नहीं करता था वो खुद सारे डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल नहीं कर पा रहा था. इतना ही नहीं, इस महत्वपूर्ण बदलाव ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के तमाम श्रोतों जैसे टेक इंडस्ट्री, डिजिटल पब्लिक स्क्वायर और प्रतिक्रियावादी सार्वजनिक नीतियों के साथ एक नए संबंध को भी जन्म दिया, जो इससे पहले कभी नहीं महसूस किया गया था. हालात तो ऐसे हो गए थे कि जब वोटिंग के कई घंटों बाद ट्रंप एक वीडियो में दिखे, तो उनकी आवाज को म्यूट कर दिया गया. ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि ट्रंप पर कैपिटल हिल बिल्डिंग पर कब्ज़ा करने के लिए उन्मादी भीड़ को उकसाने का आरोप था. संसद भवन की बिल्डिंग पर कब्ज़ा करने से पहले ट्रंप की कानूनी मुश्किलें न्यूयॉर्क तक सीमित थी लेकिन एक सप्ताह के अंदर उन्होंने अपने लिए तमाम कानूनी उलझनें पैदा कर ली थी. फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन ने उनके ख़िलाफ़ करीब 170 केस की जांच शुरू कर दी थी तो उन्होंने 100 के करीब दूसरे मामलों में उनकी संलिप्तता की जांच करने की चेतावनी दे डाली थी. हालांकि, उन्होंने ट्रंप का नाम तो स्पष्ट तौर पर नहीं लिया था लेकिन जांच एजेंसी का कहना था कि वो पूरे घटनाक्रम को जोड़ने के लिए करीब 1 लाख से ज़्यादा डिजिटल मीडिया के कंटेंट की समीक्षा कर रहे हैं जो बेहद ख़तरनाक थीं.

इस महत्वपूर्ण बदलाव ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के तमाम श्रोतों जैसे टेक इंडस्ट्री, डिजिटल पब्लिक स्क्वायर और प्रतिक्रियावादी सार्वजनिक नीतियों के साथ एक नए संबंध को भी जन्म दिया, जो इससे पहले कभी नहीं महसूस किया गया था

चारों तरफ सैनिक

आख़िरकार, ट्रंप के ख़िलाफ़ दूसरे महाभियोग से संबंधित जो दृश्य सामने आए वो ट्रंप युग की ऐसी घटना की ओर इशारा करते हैं जिन्हें भूलना कभी मुमकिन नहीं. कैपिटल हिल बिल्डिंग के विशाल मार्बल वाले चबूतरे पर चारों तरफ सैकड़ों नेशनल गार्ड के जवान सोए हुए थे. जहां कभी लोगों की हलचल हुआ करती थी वहां एक रात के दौरान ही कैपिटल हिल बिल्डिंग के परिसर में चारों तरफ सात फीट लंबी फेन्सिंग कर दी गई थी और ऐसा लगता था मानो यह किसी शहरी जंग का मैदान हो. ट्रंप ने हमेशा से अपनी सैन्य-शक्ति की नुमाइश की. चाहे वो बड़ी और सुंदर दीवार का निर्माण कराना  हो या फिर अपने अधिकारियों से सड़क पर प्रदर्शन को सख़्ती से कुचलने के लिए कहना हो. यहां तक कि व्हाइट हाउस के बाहर शांति से प्रदर्शन कर रहे लोगों पर उन्होंने आंसू गैस के गोले तक चलवाए तो व्हाइट हाउस की अतिरिक्त घेराबंदी से भी उन्हें परहेज़ नहीं दिखा.

ट्रंप ने अपने समर्थकों से कहा कि वो अंतिम सांस तक लड़ते रहें वरना उनसे उनका देश कोई दूसरा वापस ले लेगा. 

ट्रंप ने अपने समर्थकों से कहा कि वो अंतिम सांस तक लड़ते रहें वरना उनसे उनका देश कोई दूसरा वापस ले लेगा. ऐसी अपील का ही नतीज़ा था कि इसके एक सप्ताह बाद ही ट्रंप समर्थित हुड़दंगियों के प्रदर्शन में 5 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों की संख्या में सुरक्षा बल ट्रंप द्वारा भड़काए गए समर्थकों के हिंसात्मक प्रदर्शन से अमेरिकी नागरिकों को बचाने में जुटे रहे. और इन सबके बीच ट्रंप टीवी स्क्रीन पर अमेरिकी सियासत के एक काल खंड को बीतते हुए देख रहे थे.

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