25 सितंबर को रूस की सुरक्षा परिषद में परमाणु रोकथाम (डिटरेंस) पर द्विवार्षिक स्थायी सम्मेलन में राष्ट्रपति पुतिन ने “परमाणु रोकथाम के क्षेत्र में रूसी फेडरेशन की राज्य नीति की बुनियादी बातों” या रूस की परमाणु डॉक्ट्रिन (सिद्धांत) में बदलाव का प्रस्ताव पेश किया. परमाणु डॉक्ट्रिन के साथ सैन्य डॉक्ट्रिन में भी बदलाव का प्रस्ताव रखा गया. इस प्रस्तावित परिवर्तन के पीछे सैन्य-राजनीतिक क्षेत्र में नए बदलावों की दलील दी गई जिसके तहत रूस और उसके सहयोगी देशों के लिए नए ख़तरों को ध्यान में रखा गया यानी रूसी ज़मीन पर यूक्रेन के हमलों की तीव्रता में बढ़ोतरी और हाल के दिनों में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदीमीर ज़ेलेंस्की की तरफ से लंबी दूरी की मिसाइल का उपयोग करके रूस के भीतरी क्षेत्रों में हमले के लिए अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम (UK) से अनुरोध.
ये नया सिद्धांत रूसी क्षेत्रों के भीतर हमला करने के यूक्रेन के विकल्पों को और सीमित करने की रूस की लक्ष्मण रेखा पर ज़ोर देता है.
पिछले साल से रूस के रक्षा मंत्रालय, विदेश मामलों के मंत्रालय और सुरक्षा परिषद के कार्यालय के विशेषज्ञों के बीच रूस की परमाणु डॉक्ट्रिन में संशोधन करने को लेकर बातचीत हुई है. ये नया सिद्धांत रूसी क्षेत्रों के भीतर हमला करने के यूक्रेन के विकल्पों को और सीमित करने की रूस की लक्ष्मण रेखा पर ज़ोर देता है. ये यूक्रेन के क्षेत्र के भीतर यूक्रेन के जवाबी हमले को सीमित करके नेटो देशों के द्वारा यूक्रेन के लिए समर्थन में संयम बरतने का संकेत भी है.
नए प्रस्तावित बदलाव क्या हैं?
प्रस्तावित बदलाव के तहत 2020 की परमाणु डॉक्ट्रिन में अपडेट किया जाएगा और इनका लक्ष्य उन देशों और गठबंधनों की सूची का विस्तार करना है जिनके ख़िलाफ़ परमाणु डिटरेंस को अंजाम दिया जाएगा. डॉक्ट्रिन की भाषा में बदलाव किया गया है जिसके तहत किसी परमाणु शक्ति संपन्न देश के समर्थन से किसी गैर-परमाणु देश के द्वारा रूस के ख़िलाफ़ आक्रमण- यहां तक कि पारंपरिक हथियारों से आक्रमण भी- को रूस के विरुद्ध एक साझा हमला माना जाएगा. दूसरा, इसने रूस के भीतर सैन्य हमले की सीमा में कमी की है. हाइपरसोनिक मिसाइल, ड्रोन, स्ट्रैटेजिक एवं टैक्टिकल एयरक्राफ्ट और क्रूज़ मिसाइल जैसे पारंपरिक हथियारों को रूसी सीमा की तरफ छोड़ना और रूसी फेडरेशन के क्षेत्र में भेजना परमाणु मिसाइल के उपयोग के लिए एक औचित्य होगा. तीसरा, पहले की डॉक्ट्रिन में जहां एक सहयोगी की रक्षा के लिए रूस के द्वारा परमाणु डिटरेंस की अपील करने का ज़िक्र किया गया था वहीं प्रस्तावित डॉक्ट्रिन बेलारूस के ख़िलाफ़ हमले की स्थिति में परमाणु प्रतिक्रिया की अपील करती है. इसके लिए बेलारूस को यूनियन स्टेट ऑफ रशिया और बेलारूस के बीच संधि का एक पक्षकार बताया गया है. इसके अलावा पुतिन ने रूस के अस्तित्व की गारंटी के लिए और दुनिया में संतुलन बनाए रखने के साधन के रूप में न्यूक्लियर ट्रायड (ज़मीन, समुद्र और हवा से परमाणु हमला करने) के महत्व पर ज़ोर दिया
मौजूदा भू-राजनीति के मुताबिक एक परमाणु डॉक्ट्रिन
रूस की परमाणु डॉक्ट्रिन की भाषा सामान्य रूप से रूस की भू-राजनीतिक आकांक्षाओं की तुलना में विश्व व्यवस्था के भू-राजनीतिक विन्यास के अनुरूप है. 2010 से जो भाषा इस्तेमाल की गई है, उसका स्वरूप अधिक आक्रामक हो गया है. पुतिन पश्चिमी देशों की परमाणु डॉक्ट्रिन का हवाला देकर इसे सही ठहराते हैं. पुतिन के शब्दों में पश्चिमी देश रूस से युद्ध लड़ रहे हैं और रूस की तुलना में अगर अधिक नहीं तो उतनी ही आक्रामक परमाणु डॉक्ट्रिन उनकी भी है. 2020 की डॉक्ट्रिन इसके बाद आई लेकिन इसमें बहुत ही अधिक अस्पष्टता है. मॉस्को के हायर स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर एमेरिटस और रूस में परमाणु राजनीति पर एक प्रमुख आवाज़ सर्गेई कारागानोव, जो कि एक आक्रामक परमाणु डॉक्ट्रिन के समर्थक हैं, ने दलील दी कि पहले की रूस की परमाणु डॉक्ट्रिन बेहद पुरानी हो चुकी है. इनमें 2020 की परमाणु डॉक्ट्रिन भी शामिल है जो उनके मुताबिक प्रभावी डिटरेंस का काम नहीं करती है और पश्चिमी देशों को सामूहिक रूप से इस रणनीतिक दूरदर्शिता के साथ काम करना होगा कि रूस के पास परमाणु हथियार हैं या वो उनका इस्तेमाल कर सकता है (तालिका 1 देखें).
पुतिन ने रूस के अस्तित्व की गारंटी के लिए और दुनिया में संतुलन बनाए रखने के साधन के रूप में न्यूक्लियर ट्रायड (ज़मीन, समुद्र और हवा से परमाणु हमला करने) के महत्व पर ज़ोर दिया
2022 में यूक्रेन पर हमले के समय से युद्ध के अलग-अलग चरणों में रूस के द्वारा परमाणु हथियारों का उपयोग करने का ख़तरा बढ़ गया है. रूस के द्वारा परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने के उकसावे के बावजूद पश्चिमी देशों ने यूक्रेन को लंबी दूरी के हथियार और बैलिस्टिक मिसाइल की सप्लाई जारी रखी है और इस तरह उन्होंने रूस की लक्ष्मण रेखा को कमज़ोर किया है. इस साल की शुरुआत से यूक्रेन ने ड्रोन से अपने हमलों के ज़रिए रूस में ऊर्जा प्रतिष्ठानों पर निशाना साधा है. मई 2024 में यूक्रेन के ड्रोन ने दो अर्ली वॉर्निंग रडार सिस्टम पर हमला किया जिन्हें पश्चिमी देशों से रूस की तरफ छोड़े गए परमाणु हथियारों का पता लगाने के लिए लगाया गया था. इसके अलावा, अगस्त में यूक्रेन ने कुर्स्क में आक्रमण की शुरुआत की. इसके लगभग एक महीने बाद रूस ने कुर्स्क में अपना जवाबी हमला शुरू किया. अब यूक्रेन के पास सीमित विकल्प होने के साथ ज़ेलेंस्की ने रूस के शहरों के भीतर हमला करने के लिए UK और अमेरिका से लंबी दूरी के हथियारों का उपयोग करने की अनुमति देने की अपील की है. पश्चिमी देशों में इस अनुरोध को मंज़ूरी देने के लिए चर्चा शुरू होते देख रूस के प्रेस सचिव दिमित्री पेसकोव ने बाद में बयान दिया कि प्रस्तावित बदलावों को एक विशिष्ट संकेत समझना चाहिए. उन्होंने रूस के ख़िलाफ़ किसी हमले में भाग लेने के नतीजों को लेकर चेतावनी दी है.
तालिका 1: वो परिस्थितियां जिनके तहत किसी दुश्मन के ख़िलाफ़ परमाणु हथियारों का इस्तेमाल किया जाएगा
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2020 की परमाणु डॉक्ट्रिन
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2024 की प्रस्तावित परमाणु डॉक्ट्रिन
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वो हालात जिनके तहत परमाणु हथियारों की तैनाती की जाएगी
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ए) रूसी फेडरेशन और (या) उसके सहयोगी के क्षेत्रों में हमला करने के लिए बैलिस्टिक मिसाइल छोड़े जाने की भरोसेमंद जानकारी हासिल करना, बी) रूस और (या) उसके सहयोगियों के ख़िलाफ़ दुश्मन की तरफ से परमाणु हथियार और जनसंहार के हथियारों का इस्तेमाल, सी) जब किसी देश का अस्तित्व ख़तरे में हो तो पारंपरिक हथियारों का इस्तेमाल करके रूसी फेडरेशन के ख़िलाफ़ हमला, डी) रूसी फेडरेशन के बेहद महत्वपूर्ण राज्य या सैन्य सुविधाओं पर दुश्मन का हमला जिससे परमाणु बलों की जवाबी कार्रवाई में बाधा आएगी
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ए) किसी परमाणु देश के समर्थन में किसी गैर-परमाणु
देश की तरफ से हमले को रूसी फेडरेशन पर एक साझा
आक्रमण माना जाएगा, बी) क्रूज़ मिसाइल, ड्रोन,
हाइपरसोनिक और अन्य एयरक्राफ्ट के ज़रिए बड़े पैमाने पर
पर रूसी फेडरेशन की सीमा पार करके हमला,
सी) पारंपरिक हथियारों के माध्यम से भी रूस की
संप्रभुता पर महत्वपूर्ण ख़तरा, डी) बेलारूस पर आक्रमण
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स्रोत: लेखक का अपना
कोई आमूल-चूल बदलाव नहीं
परमाणु डॉक्ट्रिन को लेकर शोरगुल के बावजूद प्रस्तावित बदलाव पहले की परमाणु डॉक्ट्रिन से बहुत अधिक अलग नहीं हैं. मौजूदा परमाणु डॉक्ट्रिन रूस के भू-भाग पर हुए पारंपरिक हमलों के जवाब में परमाणु हथियारों के उपयोग की अनुमति देती है लेकिन नई प्रस्तावित डॉक्ट्रिन का उद्देश्य उपयोग की शर्तों को और स्पष्ट करना है. उदाहरण के लिए, रूस की परमाणु छतरी का बेलारूस तक विस्तार केवल सांकेतिक अच्छाइयों से प्रेरित कदम नहीं है. बेलारूस को शामिल करने के सबसे बड़े कारणों में से एक ये है कि 2020 की डॉक्ट्रिन में निर्धारित किया गया था कि रूस के किसी सहयोगी पर हमला परमाणु जवाब का आधार होगा जिसका वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य में पूरी तरह से अलग अर्थ है. उत्तर कोरिया के साथ रूस की बढ़ती दोस्ती इस साल जून में मित्रता संधि में बदल गई. इसका ये मतलब होगा कि रूस अपनी परमाणु छतरी में उत्तर कोरिया को शामिल करेगा. वैसे तो सभी पश्चिमी देश मिलकर रूस को भले ही और अधिक अलग-थलग कर रहे हैं लेकिन वो उत्तर कोरिया से संपर्क की जटिलता को समझता है. इस प्रकार रूस ने ऐसी भाषा का उपयोग किया है जो दर्शाता है कि रूस के द्वारा परमाणु विस्तार का उत्तर-पूर्व एशिया की भू-राजनीति पर बहुत कम या कोई असर नहीं है. इसलिए भले ही परमाणु हथियार के इस्तेमाल में विस्तार की बात है लेकिन परमाणु डॉक्ट्रिन की मूल संरचना पहले की तरह बनी हुई है.
इस साल की शुरुआत से यूक्रेन ने ड्रोन से अपने हमलों के ज़रिए रूस में ऊर्जा प्रतिष्ठानों पर निशाना साधा है. मई 2024 में यूक्रेन के ड्रोन ने दो अर्ली वॉर्निंग रडार सिस्टम पर हमला किया जिन्हें पश्चिमी देशों से रूस की तरफ छोड़े गए परमाणु हथियारों का पता लगाने के लिए लगाया गया था.
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
पुतिन की तरफ से मौजूदा डॉक्ट्रिन में बदलाव के आधिकारिक प्रस्ताव से पहले ही अमेरिका यूक्रेन को लंबी दूरी के हथियारों का उपयोग करने की मंज़ूरी देने के मामले में सतर्क रवैया अपना रहा था क्योंकि उसके पास इस बात की पुख्ता खुफिया जानकारी थी कि अगर यूक्रेन को रूस के काफी अंदर हमला करने की अनुमति दी गई तो रूस की तरफ से घातक जवाब मिलेगा. अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने रूस के कदम को गैर-ज़िम्मेदाराना बताया. इसके अलावा, पुतिन की तरफ से डॉक्ट्रिन में बदलाव के प्रस्ताव के एक दिन के बाद 26 सितंबर को अमेरिका ने यूक्रेन को 20 किमी से लेकर 130 किमी तक की रेंज वाला ग्लाइड बम देने का ऐलान लिया. हालांकि यूक्रेन को रूस के काफी अंदर तक हमला करने की अनुमति देने का कोई ज़िक्र नहीं था. EU विदेश सेवा के प्रवक्ता पीटर स्टेनो ने एक बार फिर से ज़ोर दिया कि यूक्रेन का समर्थन करने की EU की नीति पुतिन के एलान की वजह से नहीं बदलेगी.
जैसे-जैसे रूस अपनी 2024 की परमाणु डॉक्ट्रिन का मसौदा तैयार करने की तरफ बढ़ रहा है, वैसे-वैसे लग रहा है कि रूस के काफी भीतर हमला करने की यूक्रेन की महत्वाकांक्षाएं गतिरोध का सामना कर रही हैं. इसकी वजह से युद्ध के मैदान में उसके विकल्प सीमित हो गए हैं. ऐसा लगता है कि रूस की जवाबी प्रतिक्रिया प्रभावी रही है; उसने अपनी लक्ष्मण रेखा को फिर से परिभाषित किया है और भविष्य की किसी भी अप्रत्याशित घटना के ख़तरे को संभवत: कम कर लिया है. ऐसा लगता है कि मौजूदा परिस्थिति में कोई भी महत्वपूर्ण बदलाव अब अमेरिका के आगामी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों पर निर्भर है.
राजोली सिद्धार्थ जयप्रकाश ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में रिसर्च असिस्टेंट हैं.
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