इस साल नवंबर में मालदीव के वर्ष ‘2023 के सरकारी बजट’ को मंज़ूरी मिल गई, जो कि 42.8 अरब मालदीव रूपिया (लगभग 2.7 अरब अमेरिकी डॉलर) का है. इसके अलावा 2022 के बचे हुए समय के लिए 5.8 अरब रूपिया (लगभग 37.6 करोड़ डॉलर)के पूरक बजट को भी मंज़ूरी मिल गई. इसके अतिरिक्त पर्यटन और वस्तु एवं सेवा कर (TGST) को 4 प्रतिशत औरवस्तु एवं सेवा कर (GST) को दो प्रतिशत बढ़ाने की मंज़ूरी मिल गई. ये प्रस्ताव अगले साल से लागू होगा. चूंकि देश की अर्थव्यवस्था भारी सरकारी और विदेशी क़र्ज़ के साथ साथ, घटते विदेशी मुद्रा भंडार की समस्या का सामना कर रही है. ऐसे में टैक्स बढ़ाने से मालदीव को 3.14 अरब रूपिया (20.4 करोड़ अमेरिकी डॉलर) की अतिरिक्त आमदनी होने की उम्मीद है. अगले साल के लिए मंज़ूर किए गए ‘सरकारी बजट’ से 32.1 अरब मालदीव रूपिया का कुल राजस्व जुटाने की उम्मीद लगाई गई है. पर चूंकि मालदीव की अर्थ्वयवस्था मोटे तौर पर पर्यटन उद्योग के ही भरोसे है. ऐसे में अचानक उस पर 4 प्रतिशत की TGST की बढ़ोत्तरी के फ़ैसले का उल्टा असर भी हो सकता है. जैसा कि ऐतिहासिक अनुभवों से स्पष्ट है, किसी भी देश में पर्यटन पर टैक्स बढ़ाने का उस देश में आने वाले सैलानियों की संख्या पर उल्टा असर होता ही देखा गया है. इसके अलावा, पर्यटन उद्योग पर अर्थव्यस्था की ज़रूरत से ज़्यादा निर्भरता वित्तीय कमज़ोरियों का रास्ता खोलती है, जो मालदीव की मौजूदा आर्थिक संरचना से जुड़ी हैं.
सरकारी कंपनियों के काम में लागत के बढ़ते जाने और पर्याप्त मात्रा में राजस्व न जुटा पाने के कारण इन सरकारी कंपनियों (SOE) का शुद्ध मुनाफ़ा लगातार कम होता जा रहा है.
प्रमुख कारण
मालदीव के सरकारी क़र्ज़ पर बुलेटिन के मुताबिक़, जून 2022 तक केंद्रीय सरकार के ऊपर 86 अरब मालदीव रूपिया का क़र्ज़ था, जिसमें 32.3 अरब रूपिया का विदेशी क़र्ज़ (लगभग 2 अरब डॉलर)भी शामिल है. जबकि सरकार के ऊपर क़र्ज़ देश की GDP का 59 प्रतिशत है. मालदीव की अर्थव्यवस्था को वो सरकारी ख़र्च भी काफ़ी चोट पहुंचा रहा है, जो बजट घाटे से पहले के दौर का है, और ये क़र्ज़ कुल आमदनी के विपरीत संतुलन पैदा करता है. विश्व बैंक की सार्वजनिक व्यय समीक्षा के अनुसार, मालदीव का लगातार बढ़ते सरकारी ख़र्च के पीछे सार्वजनिक क्षेत्र के निवेश, वेतन और भारी तादाद में दी जाने वाली सब्सिडी शामिल है, जिसमें देश के स्वास्थ्य क्षेत्र के 70 फ़ीसद व्यय का भार वहन करना शामिल है.
Figure: मालदीव की सरकार की आमदनी और ख़र्च (2011-2021)
(करोड़ों रूपिया, वार्षिक प्रतिशत बदलाव)
घाटे में चल रही सरकार के स्वामित्व वाली कंपनियों (SOE) को चलाने के लिए लगातार पैसे ख़र्च किए जाने से सरकार का ख़र्च बढ़ गया है. 2021 की पहली तिमाही में सरकारी कंपनियों का कुल मुनाफ़ा, पिछले साल की इतने ही समय की तुलना में 13 प्रतिशत घट गया. वैसे तो सरकारी कंपनियों की आमदनी दूसरी, तीसरी और चौथी तिमाही में कुछ बेहतर हुई. लेकिन, ज़्यादातर सरकारी कंपनियों ने जो घाटा बताया है, वो उन्हें चलाने की भारी लागत के चलते हुआ है. अड्डू इंटरनेशनल एयरपोर्ट (AIA) और मालदीव स्पोर्ट्स कॉरपोरेशन लिमिटेड (MSCL) दो ऐसी सरकारी कंपनियां हैं, जो लगातार घाटे में ही रहती हैं. सरकारी कंपनियों के काम में लागत के बढ़ते जाने और पर्याप्त मात्रा में राजस्व न जुटा पाने के कारण इन सरकारी कंपनियों (SOE) का शुद्ध मुनाफ़ा लगातार कम होता जा रहा है.
आर्थिक संरचना और वित्तीय कमज़ोरियां
मालदीव की अर्थव्यवस्था पर्यटन उद्योग के योगदान पर बहुत अधिक निर्भर है. 2016-2020 के बीच मालदीव की कुल GDP में पर्यटन उद्योग का औसत योगदान 18.9 प्रतिशत रहा है. इसके बाद पर्यटन और दूरसंचार; थोक और ख़ुदरा व्यापार और निर्माण क्षेत्र का नंबर आता है. दूसरे छोटे द्वीपीय विकासशील देशों (SIDS) की तरह मालदीव की अर्थव्यवस्था भी अपने पर्यटन उद्योग पर बाहरी झटकों से ज़्यादा चोट खाने की कमज़ोर स्थिति में है. पर्यटन पर ज़रूरत से अधिक निर्भरता से बचने के लिए दूसरे उद्योगों पर ध्यान देना होगा, तभी वित्तीय कमज़ोरियों का जोखिम कम होगा. पर्यटन पर मालदीव की ज़्यादा निर्भरता, GDP में अन्य उद्योगों के घटते योगदान से अपने आप ही स्पष्ट हो जाती है. जैसे मत्स्य उद्योग का योगदान 1978 में 22 प्रतिशत से घटकर 2017 में 4.6 फ़ीसदही रह गया. हालांकि मछली उद्योग को अभी भी एक अहम उद्योग माना जाता है, क्योंकि पर्यटन के बाद विदेशी मुद्रा की आमदनी कराने वाला ये दूसरा बड़ा उद्योग है. निर्यात का प्रमुख सेक्टर होने के अलावा मत्स्य उद्योग देश के रोज़गार में भी बड़ा योगदान देता है. मालदीव के कुल कामकाजी वर्ग का 30 प्रतिशत मछली उद्योग से ही जुड़ा है.
हाल ही में मालदीव ने तब अपनी अर्थव्यवस्था में विविधता लाने में नाकामी और इस आर्थिक कमज़ोरी का तजुर्बा किया था. कोविड-19 महामारी के चलते पर्यटकों की संख्या में भारी कमी आई और देश की आमदनी में भी भारी गिरावट आई. 2020 के दौरान मालदीव के एक चौथाई नागरिकों के हाथ से रोज़गार छिन गया; GDP की वास्तविक विकास दर में 29.3 प्रतिशत की गिरावट आ गई और देश की अर्थव्यवस्था 30 प्रतिशत तक सिमट गई. लॉकडाउन और सीमाएं बंद होने से पर्यटन की गतिविधियों में भारी कमी आ गई, और यही अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट का कारण बने. इसी तरह देश के कुल निर्यात में 98 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखने वाले मत्स्य उद्योग में भी 2020 में भारी गिरावट आई. मछलियों की मांग और दाम में भारी कमी देखी गई; इसी के साथ साथ मार्च 2020 में मछलियों के निर्यात में भी 46 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई.
सरकारी कंपनियों के काम में लागत के बढ़ते जाने और पर्याप्त मात्रा में राजस्व न जुटा पाने के कारण इन सरकारी कंपनियों (SOE) का शुद्ध मुनाफ़ा लगातार कम होता जा रहा है.
आर्थिक झटकों के प्रति ऐसी कमज़ोरियों का खामियाज़ा मालदीव ने अक्सर भुगता है. वित्तीय कमज़ोरियों का नुक़सान मालदीव ने तब भी उठाया था, जब 2004 में हिंद महासागर में सुनामी आई थी. उससे मालदीव को47 करोड़ डॉलर का नुक़सान हुआ था और ये असर ज़्यादातर पर्यटन उद्योग पर ही देखा गया था. इसी तरह 2008 के वित्तीय संकट ने भी मालदीव की अर्थव्यवस्था के विकास को सुस्त कर दिया था, क्योंकि पर्यटकों की आमद में केवल एक प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. जबकि 2007 में पर्यटकों की आमद में 12 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी देखी गई थी.
मालदीव की GDP में मुख्य रूप से इसके तृतीयक सेक्टर और उसमें भी ख़ास तौर से पर्यटन उद्योग से बढ़ोत्तरी होती है. इसीलिए, चूंकि मालदीव आयात आधारित अर्थव्यवस्था है, जो अपनी भौगोलिक स्थिति और बाक़ी दुनिया से अलग होने के कारण, मुख्य रूप के खाना और कपड़े का आयात करता है. ऐसे में मालदीव की अर्थव्यवस्था की संरचना इसे अपने आप वित्तीय कमज़ोरियों की शिकार होने वाला बना देती है.
सरकार के प्रयास और जटिलताएं
TGTS को 12 से बढ़ाकर 16 प्रतिशत करने से मालदीव के पर्यटन उद्योग की होड़ लगा पाने की क्षमता पर बुरा असर पड़ने का डर है. मालदीव के ट्रैवल एजेंसी ऐंड टूर ऑपरेटर्स (MATATO) और अन्य संबंधित संगठनों ने टैक्स में इस बढ़ोत्तरी को लेकर ये कहते हुए आशंका जताई है कि इससे अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ेगा. हालांकि पर्यटन उद्योग की मांग में बहुत ज़्यादा बढ़ोत्तरी या कमी होने की संभावना कम ही है. लेकिन, पर्यटन पर मौजूदा टैक्स बढ़ाने से मालदीव के पर्यटकों के मुख्य बाज़ार कहे जाने वाले पांच देशों- चीन, ब्रिटेन, इटली, रूस और फ्रांस से पर्यटकों की आमद पर बुरा असर पड़ सकता है. 2019 में इन पांच देशों से मोटे तौर पर मालदीव के कुल 43.2 पर्यटक आए थे. MATATO द्वारा कराए गए एक सर्वे में पूर्वानुमान लगाया गया है कि अगर सरकार प्रस्तावित टैक्स बढ़ोत्तरी पर अड़ी रहती है, तो इससे पर्यटकों की आमद 10 फ़ीसद कम हो सकती है.TGST बढ़ाने से सरकार ने 2023 में 13.6 करोड़ डॉलर की आमदनी बढ़ने का अंदाज़ा लगाया है. लेकिन, अगर टैक्स में बढ़ोत्तरी से पर्यटकों की आमद कम होती है, तो इससे TGST से होने वाला राजस्व बढ़ने के बजाय कम भी हो सकता है.
2023 का 42.8 मालदीव रूपिया (2.7 अरब डॉलर)का ‘सरकारी बजट’, 2022 में मंज़ूर किए गए 37 अरब रूपिया (2.4 अरब डॉलर)के बजट से 5.8 अरब रूपिया (37.6 करोड़ डॉलर)अधिक है. 2022 में जो बजट घाटा बताया गया है, वो 9.8 अरब रूपिया (63.6 करोड़ डॉलर)है, जो GDP का 11.2 प्रतिशत है. भारत से मिलने वाली मदद के कारण उम्मीद की जा रही है कि 2023 में बजट घाटा कम होकर 8.1 अरब रूपिया (52.6 करोड़ डॉलर)रह जाएगा. इसके बाद भी, 2024 में अगर ऐसी कोई मदद नहीं मिली, तो वित्त मंत्रालय का अनुमान है कि बजट घाटा फिर से बढ़कर GDP का 9.8 प्रतिशत हो जाएगा. ऐसे पूर्वानुमान ये दिखाते हैं कि घाटे का सिलसिला आगे तब तक जारी रहेगा, जब तक संरचनात्मक कमियां दूर नहीं की जातीं.
हाल ही में मालदीव ने तब अपनी अर्थव्यवस्था में विविधता लाने में नाकामी और इस आर्थिक कमज़ोरी का तजुर्बा किया था. कोविड-19 महामारी के चलते पर्यटकों की संख्या में भारी कमी आई और देश की आमदनी में भी भारी गिरावट आई.
मालदीव की अर्थव्यवस्था पिछले कई वर्षों से सरकारी ख़र्च मे बढ़ोत्तरी और सीमित राजस्व के बावजूद अपने बजट घाटे को संतुलित रख पाने में सफल रही है. लागत की भारी क़ीमत के साथ, सरकारी कंपनियां भी इस समस्या की बड़ी वजह हैं. इसके अतिरिक्त, विदेशी मुद्रा से आमदनी के लिए पर्यटन उद्योग पर बहुत अधिक निर्भरता ने मालदीव को बाहरी झटकों और वित्तीय जोखिमों के हवाले कर दिया है. वहीं दूसरी तरफ़ TGST को बढ़ाकर वित्तीय घाटे को पूरा करने की कोशिश से अर्थव्यवस्था को काफ़ी क्षति होने का डर है. मालदीव अगर अपनी आर्थिक समस्याओं से पार पाना चाहता है, तो उसे बेकार के ख़र्च बंद करने होंगे. बुरा प्रदर्शन करने वाली सरकारी कंपनियों में सुधार करना होगा और अपनी अर्थव्यवस्था में विविधता लानी होगी.
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