Author : Anchal Vohra

Published on Nov 18, 2021 Updated 0 Hours ago

हिज्बुल्ला और कथित तौर पर ‘लेबेनीज फोर्सेज’ के बीच गोलीबारी भड़क उठने से बेरूत पोर्ट धमाके को लेकर चल रहा विरोध प्रदर्शन खूनी हो उठा.

बेरूत में फिर से हुई हिंसक झड़पों ने लेबनान के लोगों के ज़ेहन में ख़ूनी गृहयुद्ध की यादें ताज़ा कर दीं

हिज्बुल्लाह के शिया समर्थकों और एक ईसाई बहुल मोहल्ले में अज्ञात हथियारबंद स्नाइपर्स के बीच संघर्ष भड़कने से लेबनान की राजधानी बेरूत अक्टूबर में किसी युद्धक्षेत्र की तरह लग रही थी.

14 अक्टूबर को जज तारिक बितार का विरोध करने के लिए हिज्बुल्लाह समर्थक बेरूत की केंद्रीय अदालत- पैलेस डी जस्टिस के सामने जमा हुए. बितार बेरूत पोर्ट धमाके की जांच कर रहे दूसरे जज हैं. पिछले साल बेरूत पोर्ट पर हुए धमाके fमें 200 लोग मारे गये थे, हज़ारों घायल हुए थे और कई लाख़ लोग बेघर हो गये थे.

हिज्बुल्लाह के मुखिया हसन नसरल्ला ने जज बितार पर आरोप लगाया है कि वह जान-बूझ कर जांच को इस ढंग से आगे बढ़ा रहे हैं कि हिज्बुल्लाह को दोषी पाया जाए. टीवी पर प्रसारित टिप्पणियों में नसरल्ला ने कहा, ‘निशाना बनाया जाना साफ़ दिखता है, आप कुछ खास अधिकारियों और कुछ खास लोगों को ही जांच के लिए चुन रहे हैं. पक्षपात बिल्कुल साफ़ है.’

हिज्बुल्लाह के मुखिया हसन नसरल्ला ने जज बितार पर आरोप लगाया है कि वह जान-बूझ कर जांच को इस ढंग से आगे बढ़ा रहे हैं कि हिज्बुल्लाह को दोषी पाया जाए. 

कहा जाता है कि नसरल्ला के आदमियों ने जज बितार को हटाये जाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन आयोजित करने से कुछ दिन पहले जज को धमकाया था. लेकिन प्रदर्शन शुरू होने के कुछ ही देर बाद, प्रदर्शनकारी रिहाइशी इमारतों के ऊपर छिपे स्नाइपर्स की गोलियों की जद में आ गये. चंद मिनटों के अंदर ही एके-47 राइफलों और कंधे पर रखकर चलाये जानेवाले आरपीजी (रॉकेट चालित ग्रेनेड) से लैस हिज्बुल्लाह के नकाबपोश लड़ाकों ने उन इमारतों पर जवाबी फायरिंग कर दी. बच्चे डेस्क के नीचे छुप गये, राहगीरों ने कारों की ओट ली और घरों में मौजूद लोग फायरिंग से बचने के लिए फर्श पर लेट गये. दिन खत्म होने तक सात लोगों की मौत हो चुकी थी, जिनमें एक महिला भी शामिल थी, जो अपने घर में बैठी थी और कहीं से आयी एक गोली ने उसे अपनी चपेट में ले लिया. 30 से ज्यादा लोग जख्मी हुए.

हिज्बुल्लाह ने दूसरी सबसे बड़ी ईसाई पार्टी ‘लेबेनीज़ फोर्सेज’ पर गड़बड़ी फैलाने और गृहयुद्ध भड़काने के लिए अपने स्नाइपर्स तैनात करने का आरोप लगाया. लेबेनीज़ फोर्सेज अब खुद के धर्मनिरपेक्ष होने का दावा करती है, लेकिन उसके पास अतीत में एक मिलिशिया हुआ करता था जिस पर नृशंस नरसंहारों के आरोप लगे थे. हिज्बुल्ला और उसके संरक्षक ईरान आरोप लगाते हैं कि ‘लेबेनीज फोर्सेज’ की उनके कट्टर दुश्मन इजरायल से सांठ-गांठ है और उसे संयुक्त राज्य अमेरिका का समर्थन भी हासिल है.

पोर्ट धमाके की राजनीतिकरण का आरोप

हिज्बुल्लाह और उसके शिया-पंथी सहयोगी ‘अमल मूवमेंट’ ने एक संयुक्त बयान में कहा, ‘बेरूत पोर्ट धमाके की जांच के राजनीतिकरण की निंदा करने के लिए, सुबह तक़रीबन 10.45 बजे, शांतिपूर्ण रैली में हिस्सा ले रहे प्रदर्शनकारी अदालत भवन की ओर बढ़ रहे थे. जब वे तअय्युन गोलचक्कर पहुंचे तो इमारतों की छतों से स्नाइपर फायरिंग के निशाने पर थे. भारी गोलीबारी हुई, जिसमें कई शहीद हुए.’

अलबत्ता ‘लेबेनीज फोर्सेज’ के नेता समीर जज़ा ने ज़िम्मेदारी लेने से इनकार किया और उलटे हिज्बुल्लाह पर अपनी हद के बाहर वाले मोहल्लों में घुस कर हमला करने का आरोप लगाया. 27 अक्टूबर को मिलिट्री इंटेलिजेंस ने जज़ा को तलब किया, लेकिन वह पेश नहीं हुए. उन्होंने कहा कि वह केवल तभी अपनी गवाही दर्ज करायेंगे जब हिज्बुल्लाह के मुखिया नसरल्ला से भी कानूनी तौर पर पूछताछ की जाए.

इन झड़पों के बाद, 68 लोग दंगा करने, हत्या, हत्या के प्रयास, और सार्वजनिक व निजी संपत्ति नष्ट करने के आरोपों में गिरफ्तार किये जा चुके हैं.

बच्चे डेस्क के नीचे छुप गये, राहगीरों ने कारों की ओट ली और घरों में मौजूद लोग फायरिंग से बचने के लिए फर्श पर लेट गये. दिन खत्म होने तक सात लोगों की मौत हो चुकी थी, जिनमें एक महिला भी शामिल थी

राजधानी की सड़कों पर चार घंटों तक गोलियां चलने के बाद हिंसा थम गयी, लेकिन इसने सांप्रदायिक तनाव की आग को पुन: भड़का दिया और गृहयुद्ध की आशंकाओं को फिर से ज़िंदा कर दिया. 1975 से 1990 के बीच लेबनान 15 साल लंबे गृहयुद्ध में फंसा रहा, जिसने सामाजिक ताने-बाने के चिथड़े कर डाले और एक लाख से ज्य़ादा जिंदगियों को लील गया- अब भी बहुत से लोग अनजानी और बेनिशान कब्रों में दफ़न हैं.

लेबनान के राष्ट्रपति मीशाल औन ने कहा कि हालिया झड़पों के लिए जो भी ज़िम्मेदार हैं उन सभी को हिसाब देना होगा. हालांकि, वह हिज्बुल्लाह के सहयोगी हैं.

औन ने कहा, ‘यह हमें उन दिनों में वापस ले गया जब हमने कहा था कि हम न कभी भूलेंगे और न कभी दोहरायेंगे.’ इसी सिलसिले में पूर्व प्रधानमंत्री सअद हरीरी ने कहा, ‘बेरूत में आज जो हुआ, गोलियां चलने व गोलाबारी के नज़ारे और इधर-उधर फैले हथियारबंद समूह हमें गृहयुद्ध की उन छवियों और यादों की ओर वापस ले गये, जिन्हें हम पुरज़ोर ढंग से ख़ारिज करते हैं और जिनकी हम निंदा करते हैं.’ अमेरिकी विदेश विभाग (स्टेट डिपार्टमेंट) के प्रवक्ता नेड प्राइस ने प्रेस से कहा, ‘लेबनानी अधिकारियों द्वारा शांति के आह्वान, तनाव को कम करने के आह्वान में हम उनके साथ हैं.’

.राजधानी की सड़कों पर चार घंटों तक गोलियां चलने के बाद हिंसा थम गयी, लेकिन इसने सांप्रदायिक तनाव की आग को पुन: भड़का दिया और गृहयुद्ध की आशंकाओं को फिर से ज़िंदा कर दिया. 

लेबनान के लोगों के सामने जीने की जद्दोजहद

लेबनान बेशुमार संकटों के दलदल में फंसा हुआ है और लेबनानी गुजर-बसर के लिए जद्दोजहद में लगे हैं. ज्यादातर लोग एक हथियारबंद टकराव को लेकर ख़ौफ़ज़दा हैं, लेकिन डर इस बात का है कि जांच से खुद को बचाने और जवाबदेही से भागने के लिए कहीं उनके राजनीतिक आक़ा उन्हें एक फिर से सांप्रदायिक संघर्षों में न उलझा दें.

प्रधानमंत्री मिकाती ने कहा, ‘लेबनान एक मुश्किल दौर से गुज़र रहा है, यह कतई आसान नहीं है. हमारा हाल इमरजेंसी रूम के सामने मौजूद मरीज़ जैसा है. उसके बाद पूरी तरह ठीक होने के लिए बहुत सारे चरणों से गुज़रना है.’

एक अघोषित संघर्षविराम कायम है, लेकिन किसी को पक्का भरोसा नहीं है कि यह लंबा टिकेगा.

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