Author : Kriti Kapur

Published on Feb 13, 2021 Updated 0 Hours ago

स्वास्थ्य संकट और आर्थिक बदहाली का पूरा एक साल गुज़र जाने के बाद दिसंबर 2020 में रिकॉर्ड रफ़्तार से कोविड-19 वैक्सीन लोगों के लिए उपलब्ध हुई. मानव इतिहास का सबसे बड़ा और सबसे तेज़ वैक्सीनेशन अभियान इन दिनों चल रहा है.

दुनिया में कोविड19 के लिए वैक्सीनेशन: वैक्सीन की कमी के बीच भारत की उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश

आम तौर पर वैक्सीन तैयार होने में कई वर्षों की टेस्टिंग और रिसर्च की ज़रूरत होती है लेकिन कोविड-19 महामारी के दौरान दुनिया भर के मेडिकल रिसर्चर्स ने सुरक्षित और असरदार वैक्सीन बनाने के लिए अभूतपूर्व कोशिश की. स्वास्थ्य संकट और आर्थिक बदहाली का पूरा एक साल गुज़र जाने के बाद दिसंबर 2020 में रिकॉर्ड रफ़्तार से कोविड-19 वैक्सीन लोगों के लिए उपलब्ध हुई. मानव इतिहास का सबसे बड़ा और सबसे तेज़ वैक्सीनेशन अभियान इन दिनों चल रहा है.

7 फरवरी तक के आंकड़ों के मुताबिक़ कोविड वैक्सीन अभियान के तहत 73 देशों में 13 करोड़ 10 लाख से ज़्यादा डोज़ लोगों को दिए जा चुके हैं. औसतन हर रोज़ 46 लाख 80 हज़ार वैक्सीन के डोज़ दिए जा रहे हैं. ब्लूमबर्ग कोविड वैक्सीन ट्रैकर के अनुमानों के मुताबिक़ मौज़ूदा रफ़्तार से पूरी दुनिया की 75 प्रतिशत आबादी को वैक्सीन के दो डोज़ देने में क़रीब साढ़े छह साल से ज़्यादा लग जाएंगे. इस रफ़्तार से वायरस से वैश्विक इम्युनिटी हासिल करने में कई साल लग जाएंगे. लेकिन नई वैक्सीन पर लगातार रिसर्च और ऐहतियाती उपायों के साथ टीकाकरण की रफ़्तार में लगातार बढ़ोतरी की वजह से भविष्य बेहतर दिख रहा है.

फिलहाल 67 वैक्सीन इस समय क्लीनिकल ट्रायल की स्थिति में हैं और कम-से-कम 89 वैक्सीन प्री क्लीनिकल चरण में हैं. 20 वैक्सीन बड़े पैमाने पर ट्रायल के तीसरे चरण में हैं जबकि चार को इस्तेमाल की मंज़ूरी मिल चुकी है. इनके नाम हैं फ़ाइज़र-बायोएनटेक, मॉडर्ना (फ़ाइज़र और मॉडर्ना- दोनों वैक्सीन को बहरीन, सऊदी अरब, स्विट्ज़रलैंड में पूरी मंज़ूरी मिल चुकी है जबकि अमेरिका, यूरोपियन यूनियन और दूसरे देशों में इमरजेंसी इस्तेमाल की मंज़ूरी हासिल है), साइनोफार्म (चीन, यूएई और बहरीन में मंज़ूरी) और साइनोवैक (चीन में सशर्त मंज़ूरी). दूसरी तरफ़ चार वैक्सीन को ट्रायल के बाद छोड़ दिया गया.

फिलहाल अमेरिका वैक्सीनेशन अभियान में सबसे आगे है. 7 फरवरी तक अमेरिका में 4 करोड़ 20 लाख से ज़्यादा वैक्सीन के डोज़ दिए जा चुके हैं. अमेरिका के बाद 3 करोड़ 10 लाख डोज़ के साथ चीन दूसरे और 1 करोड़ 20 लाख डोज़ के साथ यूके तीसरे नंबर पर है. वैक्सीन के डोज़ की संख्या के आधार पर जहां अमेरिका और चीन सबसे आगे हैं, वहीं कुल जनसंख्या के आधार पर टीकाकरण के मामले में इज़रायल दूसरे देशों से आगे है. इज़रायल में हर 100 में से 61 लोगों को टीका लग चुका है. इस मामले में अमेरिका और चीन काफ़ी पीछे हैं. अमेरिका में जहां 100 में से 12.7 को टीका लगा चुका है वहीं चीन में 2.2 लोगों को. इसकी वजह इन दोनों देशों की विशाल आबादी है.

भारत में कोविड वैक्सीन का ताज़ा हाल

भारत में कोविड-19 के मामलों में पिछले दो महीनों में लगातार कमी आई है. भारत में कुल कोविड-19 के मामलों की संख्या जहां 1 करोड़ 8 लाख के पार हो गई है वहीं इससे ठीक होने वाले लोग 97 प्रतिशत हैं (1 करोड़ 5 लाख से ज़्यादा). कोविड-19 से मौतों की संख्या में भी भारत में कमी देखी गई है. पिछले कुछ दिनों से ये आंकड़ा 100 के पास बना हुआ है. कुल मिलाकर 1 लाख 55 हज़ार से ज़्यादा मौतें हुई हैं.

भारत मे कोविड टीकाकरण के अभियान की शुरुआत 16 जनवरी 2021 को दो बड़ी वैक्सीन के साथ हुई. पहली वैक्सीन एसआईआई-ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका की कोविशील्ड है जबकि दूसरी वैक्सीन भारत बायोटेक-आईसीएमआर की कोवैक्सीन है. भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को भारत सरकार ने इमरजेंसी इस्तेमाल की मंज़ूरी तो दे दी है लेकिन ये वैक्सीन अभी भी क्लीनिकल ट्रायल के तीसरे चरण में है. इसकी वजह से फ्रंट लाइन पर काम करने वाले  कई लोगों और स्वास्थ्य कर्मचारियों ने कोवैक्सीन लेने से मना कर दिया. जल्दबाज़ी में इस वैक्सीन को मंज़ूरी की वजह से इसके इस्तेमाल को लेकर लोगों में झिझक है. इसके कारण वैक्सीन लगाने का अभियान धीमा पड़ा है. जिन लोगों को वैक्सीन लगानी है, उनमें से आधे से कुछ ही ज़्यादा लोग वैक्सीन लगवाने के लिए आगे आ रहे हैं.

लेकिन इसके बावजूद भारत ने एक महीने से कम समय में सफलतापूर्वक वैक्सीन के 58 लाख डोज़ लगाए हैं. इस तरह कुल वैक्सीनेशन के मामले में भारत दुनिया में चौथे स्थान पर है. भारत से आगे सिर्फ़ अमेरिका, चीन और यूके हैं. भारत हर दिन औसतन वैक्सीन के 2,67,675 डोज़ लगा रहा है. नीचे के आंकड़े से पता चलता है कि भारत एक समान रफ़्तार से वैक्सीन दे रहा है लेकिन छुट्टी के दिनों में ज़्यादातर सरकारी केंद्र बंद होने की वजह से वैक्सीनेशन के आंकड़ों में काफ़ी कमी आती है.

7 फरवरी तक के आंकड़ों के मुताबिक़ वैक्सीन के 6,73,542 डोज़ के साथ उत्तर प्रदेश वैक्सीनेशन में सबसे आगे है जबकि केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप 839 डोज़ के साथ सबसे पीछे है. लेकिन अगर आप नज़दीक से इन आंकड़ों को देखें तो लक्षद्वीप 100 लोगों में से 11.4 को वैक्सीन के डोज़ देकर सबसे आगे है. बड़े राज्यों की बात करें तो 1000 लोगों में से 8 को वैक्सीन लगाकर केरल सबसे आगे होने वाले राज्यों में से है. कुल मिलाकर देखें तो भारत में 1000 लोगों में से 4.2 को वैक्सीन का डोज़ दिया जा चुका है.

भारत में एक तरफ़ जहां टीकाकरण अभियान जारी है वहीं दूसरी तरफ़ भारत सात और कोविड-19 वैक्सीन के विकास में जुटा हुआ है ताकि भारत के हर नागरिक का टीकाकरण हो सके. फिलहाल सिर्फ़ स्वास्थ्य कर्मियों और फ्रंट लाइन पर काम करने वाले लोगों को वैक्सीन दी जा रही है और उन पर क़रीब से निगरानी रखी जा रही है ताकि खुले बाज़ार में इस्तेमाल के लिए वैक्सीन की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने बयान दिया कि भारत 50 वर्ष या इससे ऊपर के लोगों को वैक्सीन लगाने के अगले चरण की शुरुआत मार्च में करेगा.

तालिका : भारत में चल रहे टीका परीक्षण

Phase Vaccine No. of Doses Start date Estimated Primary completion date
Phase III Bharat Covaxin 2 25/11/2020 30/06/2021
Phase II/III Gamaleya Gam-COVID-Vac/Sputnik V 2 30/11/2020 30/08/2021
Phase II/III Oxford ChAdOx1-S 2 24/08/2020 24/03/2021
Phase I/II Zydus Cadila ZyCoV-D 3 13/07/2020 13/07/2021
Phase I/II Bharat Covaxin 2 13/07/2020 30/06/2021
Phase I/II Biological E Ltd BECOV 2 or 3 16/11/2020 16/01/2022
Phase I/II Bharat Covaxin 2 8/9/2020 8/5/2021

Source: Covid-19 Vaccine Tracker

आगे का सही रास्ता

दुनिया भर में वैक्सीनेशन के अभियान की शुरुआत के समय से ही वैक्सीन तक पहुंच के मामले में असमानता का एक तरह का चिंताजनक रुझान देखा गया है. इमरजेंसी मंज़ूरी और कई देशों में जोखिम वाली आबादी को तेज़ी से वैक्सीन लगाने के बावजूद सिर्फ़ 73 देशों में वैक्सीनेशन की शुरुआत हो पाई है जहां लोगों के इस्तेमाल के लिए सात वैक्सीन मौजूद हैं.

वैश्विक समुदाय तक वैक्सीन उपलब्ध कराने की कोशिश जारी है. लेकिन अमीर देश ज़्यादा क़ीमत पर वैक्सीन हासिल कर रहे हैं. ऐसे में कहा जा रहा है कि कुछ देशों को वैक्सीन हासिल करने के लिए 2022 तक का इंतज़ार करना पड़ सकता है. उदाहरण के लिए, सिर्फ़ 3 करोड़ 80 लाख की आबादी वाले देश कनाडा ने अपनी आबादी से ज़्यादा यानी 330 प्रतिशत लोगों को वैक्सीन देने का समझौता कर लिया है. दूसरी तरफ़ ज़्यादातर अफ्रीकी देश अपनी आबादी के 5-6 प्रतिशत से भी कम लोगों के लिए वैक्सीन का समझौता कर पाए हैं. वैक्सीन की असमान उपलब्धता के साथ वैक्सीन की डिलीवरी में लॉजिस्टिक की कमी सबसे बड़ी बाधा दिख रहे हैं.

मौजूदा वैक्सीनेशन अभियान के क़रीब दो महीने के बाद ज़्यादा आमदनी वाले देश वैक्सीन का समझौता करने के साथ-साथ अपने लोगों के लिए वैक्सीनेशन की शुरुआत करने में भी कामयाब रहे हैं. उच्च मध्य आमदनी वाले कुछ देशों ने भी वैक्सीन के डोज़ के वितरण का काम शुरू कर दिया है. इसके विपरीत निम्न मध्य आमदनी और निम्न आमदनी वाले देश शायद ही अपनी बड़ी आबादी के लिए वैक्सीनेशन का अभियान शुरू कर पाए हैं. पांचवां आंकड़ा वैश्विक स्तर पर वैक्सीन के वितरण में समानता की कमी दिखाता है जहां निम्न आमदनी वाला कोई भी देश अपना वैक्सीनेशन अभियान शुरू नहीं कर पाया है. यूरोपियन यूनियन ने तो कोविड-19 वैक्सीन के निर्यात पर भी शर्तें लगा दी है. ऐसे में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे ‘चिंताजनक रुझान’ बताया है.

दुनिया में भारत की वैक्सीन मैत्री

दुनिया भर में वैक्सीन कूटनीति की कोशिशों से विवाद के बीच भारत ने ख़ुद को महामारी से पार पाने की कोशिशों में मददगार के तौर पर पेश किया, तैयार किया. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मुताबिक़ भारत दुनिया में कोविड-19 वैक्सीन की ज़रूरत का 70 प्रतिशत हिस्सा सप्लाई करने वाला है.

जनवरी से भारत ने अपने पड़ोसियों और दूसरे देशों जिनमें भूटान, मालदीव, नेपाल, बांग्लादेश, म्यांमार, मॉरीशस, सेशेल्स, श्रीलंका और बहरीन शामिल हैं, को 55 लाख से ज़्यादा वैक्सीन के डोज़ का तोहफ़ा दिया है. अगले कुछ दिनों में ओमान, निकारागुआ, कैरिबियन देशों और पैसिफिक द्वीप के देशों को भी वैक्सीनेशन के अभियान में भारत मदद करने वाला है.

भारत की दो प्रमुख वैक्सीन (एसआईआई-ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका और भारत बायोटेक) 14 देशों को निर्यात होगी. ब्राज़ील, मोरक्को और बांग्लादेश जैसे देशों को व्यावसायिक निर्यात भी हो चुका है. अब सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, कनाडा, मंगोलिया और दूसरे देशों के साथ बातचीत चल रही है. भारत गावी की कोवैक्स सुविधा के तहत अफ्रीका को 1 करोड़ डोज़ और संयुक्त राष्ट्र के स्वास्थ्य कर्मचारियों को 10 लाख डोज़ भी सप्लाई करने वाला है.

जैसे-जैसे दुनिया कोविड मुक्त भविष्य की तरफ़ आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे महामारी का वैश्विक इलाज ज़रूरी होगा. ऐसी नीतियां जो ‘बंद करने और भीतर की तरफ़ देखने’ को बढ़ावा देती हैं, उन्हें निश्चित तौर पर समन्वित और एकीकृत दृष्टिकोण से बदलना चाहिए.

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