Author : Abhishek Mishra

Expert Speak Raisina Debates
Published on Dec 23, 2022 Updated 0 Hours ago

अमेरिका को अफ्रीका के साथ विशेषत: शासन, जलवायु अनुकूलन और व्यापार जैसे क्षेत्रों में अपने संबंधों पर दोगुना जोर देने की ज़रूरत है.

US-Africa Leaders Summit: वॉशिंगटन का अफ्रीका के प्रति नया दृष्टिकोण

13 से 15 दिसंबर के बीच, राष्ट्रपति बाइडेन ने वाशिंगटन डी.सी. में यूएस-अफ्रीका नेताओं के समिट अर्थात शिखर सम्मेलन के तहत अफ्रीकी महाद्वीप के नेताओं की मेज़बानी की थी. रिपोर्टस के अनुसार, 49 अफ्रीकी सरकारों, अफ्रीकन यूनियन कमिशन अर्थात अफ्रीकन संघ आयोग, युवा नेताओं तथा युनाइटेड स्टेट्स (यूएस) के अफ्रीकी प्रवासी नागरिकों ने इस तीन दिवसीय शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया था. इस शिखर सम्मेलन ने अफ्रीका को लेकर अमेरिका की नए सिरे से प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करते हुए राष्ट्रपति बाइडेन के प्रशासन को आपसी हित के मुद्दों पर चर्चा करने और साझा वैश्विक प्राथमिकताओं पर सहयोग बढ़ाने का अवसर प्रदान किया था.

इनोवेशन और डिजिटलीकरण.इस शिखर सम्मेलन ने अफ्रीका को लेकर अमेरिका की नए सिरे से प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करते हुए राष्ट्रपति बाइडेन के प्रशासन को आपसी हित के मुद्दों पर चर्चा करने और साझा वैश्विक प्राथमिकताओं पर सहयोग बढ़ाने का अवसर प्रदान किया था.

यह शिखर सम्मेलन ऐसे समय में आयोजित किया गया था जब यूक्रेन में रूस के युद्ध की वजह से खाद्य और ऊर्जा असुरक्षा को बढ़ाते हुए मुद्रास्फीति, व्यापार और आपूर्ति श्रृंखलाओं में बड़े पैमाने पर व्यवधान पैदा करके अफ्रीका को कोविड-19 महामारी से उबारने में बाधा उत्पन्न की है. 2020 के पहले, अफ्रीकी देशों में से कुछ दुनिया के सबसे तेजी से विकसित होने वाले देशों में शामिल थे. लेकिन कोविड-19 महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध की दोहरी चुनौतियों ने दशकों से कड़ी मेहनत कर महाद्वीप ने जो मैक्रो इकॉनॉमिक अर्थात स्थूल आर्थिक एवं सामाजिक-आर्थिक बढ़त तथा शासन संबंधी गति को हासिल किया था उसे प्रभावित करते हुए महाद्वीप को पीछे धकेल दिया है.

नवीकृत साझेदारी की आवश्यकता को स्वीकार करना 

कुछ समय से अमेरिका और अफ्रीका के नीति निर्माताओं के बीच इस बात को लेकर द्विपक्षीय सहमति रही है कि अमेरिका को अफ्रीका के साथ अपने संबंधों को नवीनीकृत करने, पुनर्जीवित करने और प्राथमिकता देने की आवश्यकता है. परंपरागत रूप से, अफ्रीका में अमेरिकी भागीदारी, लोकतांत्रिक मानदंडों को बढ़ावा देने, विदेशी सहायता, गरीबी को कम करने और संघर्ष और असुरक्षा को दूर करने पर ध्यान देने तक ही केंद्रित रही है. ये प्राथमिकताए भी महत्वपूर्ण होने के बावज़ूद वे पूरे महाद्वीप में होने वाले तेज़-तर्रार परिवर्तनों को ध्यान में रखने में विफल रही हैं. आज अफ्रीका डिजिटल नवाचार और उद्यमिता क्षेत्र में दुनिया के सबसे अधिक मांग वाले स्थलों में से एक के रूप में उभरकर सामने आया है. चौथी औद्योगिक क्रांति (4आईआर) से जुड़ी नई और उभरती प्रौद्योगिकियां, महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अवसर और जोख़िम दोनों से भरी पड़ी हैं. हालांकि, जनसांख्यिकीय और संबंधपरक बदलावों के कारण, अमेरिका ने पिछले एक दशक में व्यापार और निवेश प्रवाह में गिरावट के साथ अफ्रीका में अपनी पैठ खो दी है.

अफ्रीका को लेकर यूएस कूटनीति में हाल के दिनों में उत्साह और उछाल देखा गया है. इस बदलाव का संकेत अगस्त, 2022 में उप-सहारा अफ्रीका के लिए एक नई अमेरिकी रणनीति की शुरुआत और दूसरे यूएस-अफ्रीका लीडर्स समिट के आयोजन के रूप में देखा जा सकता है.

अन्य चिंता का एक प्रमुख कारण अमेरिका-अफ्रीका संबंधों की स्थिरता को लेकर हैं, क्योंकि यूएस-अफ्रीका शिखर सम्मेलन का आयोजन अपेक्षाकृत कम ही होता है. इसके पहले अंतिम शिखर सम्मेलन 2014 में आयोजित किया गया था. 2014 से लेकर 2022 तक आठ वर्षो का यह लंबा अंतराल इसलिए भी खेदजनक कहा जाएगा, क्योंकि इसी अवधि में अफ्रीका के अन्य विकास साझेदारों जैसे यूरोपियन यूनियन (ईयू), चीन, भारत, जापान, तुर्की तथा संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने इसी दौरान अफ्रीकी समकक्षों के साथ नियमित रूप से शिखर बैठकों का आयोजन किया था. पहले के वर्षों की तुलना में अब अफ्रीकी देशों ने पश्चिमी सहायता पर अपनी निर्भरता को काफी कम कर दिया है. अब उन्होंने अपने बाहरी साझेदारों के दायरे में वृद्धि कर ली है. अब वहां के नेता और वहां की सरकारें, अपने राष्ट्रीय हितों और चिंताओं को लेकर ज्यादा मुखर हो गए हैं. वे अब भविष्य की दिशा तय करने अर्थात एजेंडा सेटिंग की प्रक्रिया में सक्रिय हो गए हैं.

इन चुनौतियों के बावजूद अफ्रीका को लेकर यूएस कूटनीति में हाल के दिनों में उत्साह और उछाल देखा गया है. इस बदलाव का संकेत अगस्त, 2022 में उप-सहारा अफ्रीका के लिए एक नई अमेरिकी रणनीति की शुरुआत और दूसरे यूएस-अफ्रीका लीडर्स समिट के आयोजन के रूप में देखा जा सकता है. नई रणनीति, अफ्रीका की केंद्रीयता को अमेरिकी के राष्ट्रीय हितों और आर्थिक भागीदार के रूप में क्षेत्र के मूल्य को स्वीकार करती है. यह रणनीति ‘‘अफ्रीकी एजेंसी’ पर जोर देकर अफ्रीका को महान-शक्ति प्रतिद्वंद्विता के क्षेत्र के रूप में देखने की धारणाओं को कम करने का प्रयास करती है. इसके पहले अफ्रीका को लेकर अमेरिका के संबंध जीरो-सम कम्पीटिशन के रूप में केवल वहां चीन और रूस के बढ़ते प्रभाव को ध्यान में रखते थे. लेकिन इस वजह से अमेरिका को वहां ज्यादा कुछ हासिल नहीं होसका. ऐसे में यह यूएस के हित में ही होगा कि वह वहां उस क्षेत्र में अपने प्रयासों को दोगुना करें, क्योंकि उसके पास शासन, जलवायु अनुकूलन, ऊर्जा संक्रमण और वाणिज्यिक संबंधों को मजबूत करने का मौका है. ऐसा वह इस क्षेत्र के साथ व्यापार और निवेश पर गहराई से ध्यान देकर कर सकता है. 

ऐसे में यूएस-अफ्रीकी नेताओं के शिखर सम्मेलन ने राष्ट्रपति बाइडेन को यह मौका दिया है कि वह व्यक्तिगत रूप से अफ्रीका को लेकर वाशिंगटन को नए दृष्टिकोण से विचार करने की वकालत करें. इसने बाइडेन प्रशासन द्वारा अब तक की गई कुछ सुविचारित प्रतिबद्धताओं को क्रियान्वित करने का मौका भी प्रदान किया है.

शिखर सम्मेलन के परिणाम

बाइडेन-हैरिस प्रशासन अफ्रीका के विभिन्न क्षेत्रों में अगले तीन वर्षो के दौरान 55 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश करने जा रहा है. यह एक बड़ा निवेश है और यह यूएस के हित में ही रहेगा कि वह अपने इस आश्वासन पर खरा उतरे. यूएस-अफ्रीका लीडर्स समिट कार्यान्वयन के लिए नए विशेष राष्ट्रपति प्रतिनिधि बनने के लिए अफ्रीकी मामलों के पूर्व सहायक सचिव, राजदूत जॉनी कार्सन तैयार हैं, ताकि इन प्रयासों का समन्वय और निरीक्षण कर सकें.

  1. एक नई डायस्पोरा अर्थात प्रवासी परिषद की स्थापना:अमेरिका में अफ्रीकी डायस्पोरा संबंधों को लेकर अमेरिका ने प्रेसीडेंट्स एडवाइजरी कौंसिल अर्थात राष्ट्रपति की सलाहकार परिषद स्थापित करने का निर्णय लिया है. इसका काम अमेरिकी अधिकारियों और अमेरिका में अफ्रीकी डायस्पोरा अर्थात प्रवासियों के बीच बातचीत को मज़बूत करना होगा. ऐसा करते हुए यह परिषद यहां रहने वाले अफ्रीकी प्रवासियों के लिए अग्रिम समान हिस्सेदारी और अवसर प्रदान करने का काम करेगी. इसके साथ ही अफ्रीकी समुदायों, वैश्विक अफ्रीकी प्रवासियों तथा अमेरिका के बीच आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और सामाजिक संबंधों को मज़बूत करने के काम को बढ़ावा देगी.
  2. जी20 की सदस्यता के लिए समर्थन :राष्ट्रपति बाइडेन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के 77वें सत्र के अपने संबोधन के दौरान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में अफ्रीकी सदस्यों को शामिल करने के लिए अपना समर्थन देने की घोषणा की थी. यह बात किसी से छुपी नहीं है कि जब तक अफ्रीकी देशों को वैश्विक मंच पर निर्णय लेने वाली मेज़ की सीट पर मताधिकार नहीं मिलेगा, तब तक आज की परिभाषित चुनौतियों का सामना करने और समावेशिता के साथ एक न्यायसंगत वैश्विक व्यवस्था को प्रतिबिंबित करना भले ही असंभव न हो पर यह काम बेहद कठिन अवश्य बना रहेगा. यूएनएससी की एजेंडा पर रहने वाले अधिकांश विषय अफ्रीका से जुड़े रहते हैं. इसकी वजह से यूएनएससी के फैसलों से अफ्रीकी जनता ही सीधे तौर पर प्रभावित होती है, लेकिन यूएनएससी में महाद्वीप का प्रतिनिधित्व करने वाला एक भी सदस्य नहीं है. ख़ुशकिस्मती से, शिखर सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति बाइडेन ने अफ्रीकी संघ के जी20 के स्थायी सदस्य के रूप में शामिल होने की मांग को लेकर अमेरिकी समर्थन को दोहराया था.
  3. अफ्रीकी लचीलेपन और कोविड-19 महामारी से उबरने में सहायता:अफ्रीका में स्थित अनेक निम्न और मध्यम आय वाले देशों के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के माध्यम से 21 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक का ऋण देने की अमेरिका की योजना है. यूएस के विभिन्न विभागों एवं एजेंसियों ने द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने वाली नई पहल और निवेश संबंधी घोषणाएं की हैं. उदाहरण के तौर पर यूएस व्यापार प्रतिनिधि ने अफ्रीकन कॉन्टीनेंटल फ्री ट्रेड एरिया (एएनसीएफटीए) सचिवालय के साथ एक एमओयू पर हस्तारक्षर किए हैं. इसके तहत व्यापक तौर पर अफ्रीका के संगठनों को दीर्घकालीन आर्थिक उन्नति हासिल करने के लिए सहायता मुहैया करवाई जाएगी. माना जाता है कि एक बार लागू होने के बाद, भाग लेने वाले देशों की संख्या के मामले में एफसीएफटीए दुनिया का सबसे बड़ा मुक्त व्यापार क्षेत्र हो जाएगा. इसके तहत अफ्रीकी महाद्वीप के स्तर पर 1.3 बिलियन लोगों और 3.4 ट्रिलियन जीडीपी का बाजार बनकर तैयार हो जाएगा.
  4. द फर्स्ट रिजनल मल्टी-सेक्टोरल मिलेनियम चैलेंज कार्पोरेशन (एमसीसी) कॉम्पैक्ट्स अर्थात पहला क्षेत्रीय बहु-क्षेत्रीय मिलेनियम चैलेंज कॉर्पोरेशन (एमसीसी) समझौता:बेनिन और नाइजर की सरकारों के साथ कुल 504 मिलियन अमेरिकी डॉलर के एमसीसी पर हस्ताक्षर किए गए, ताकि क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण, व्यापार और सीमा पार सहयोग का समर्थन किया जा सके. एमसीसी ने इसी तरह गैम्बिया, लेसोथो तथा मलावी की सरकारों के साथ 675 मिलियन अमेरिकी डॉलर के समझौतों पर हस्ताक्षर किए जो जलवायु अनुकूलन को सहयोग देंगे.
  5. अफ्रीका पहल के साथ डिजिटल परिवर्तन:राष्ट्रपति बाइडेन ने इस पहल की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य पूरे अफ्रीका में डिजिटल पहुंच और साक्षरता का विस्तार करना है. इस पहल के तहत यूएस का उद्देश्य यहां 350 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश करने के साथ ही महाद्वीप को 450 मिलियन अमेरिकी डॉलर की वित्तीय सहायता मुहैया करवाना है. उसका यह निर्णय अफ्रीकन यूनियन की डिजिटल ट्रान्सफॉर्मेशन स्ट्रैटेजी के अनुरूप है.
  6. अंतरिक्ष सहयोग :शिखर सम्मेलन के दौरान नाइजीरिया तथा रवांडा आर्टेमिस समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले पहले अफ्रीकी देश बन गए. जो आउटर स्पेस अर्थात अंतरिक्ष के सुरक्षित और ज़िम्मेदार अन्वेषण और उपयोग के लिए 1967 की आउटर स्पेस ट्रीटी अर्थात 1967 की बाहरी अंतरिक्ष संधि के स्थापित सिद्धांतों के तहत सहयोग की सुविधा प्रदान करते हैं.
  7. स्वास्थ्य सुविधा :यूएस ने अफ्रीका की स्वास्थ्य प्रणाली को अधिक लचीला बनाने के लिए भी निवेश की योजना बनाई है. ग्लोबल हेल्थ वर्कर इनिशिएटिव के तहत यूएस 2022-24 से अफ्रीकी क्षेत्र में 1.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर का सालाना निवेश करना चाहता है, जो 2025 तक कम से कम कुल 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर का हो जाएगा.
  8. अफ्रीकी सुरक्षा के लिए 21वीं सदी की साझेदारी (21पीएएस) : सुरक्षा क्षेत्र की क्षमता और रूपों को लागू करने और बनाए रखने के लिए अफ्रीकी प्रयासों को प्रोत्साहित करने और मज़बूत करने के लिए इस साझेदारी के तहत अमेरिका 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रदान करने की योजना बना रहा है. तीन साल के इस पायलट प्रोग्राम के तहत अमेरिका और अफ्रीकी साझेदार और नागरिक समाज संगठन, अफ्रीका की सुरक्षा चुनौतियों के समाधानों को समकालीन बनाने, साझा करने और समर्थन करने के तरीकों पर गंभीरता से विचार करेंगे.

भविष्य की राह 

यूएस-अफ्रीका नेताओं के शिखर सम्मेलन का आयोजन ऐसे महत्वपूर्ण मोड़ पर किया गया है जब यूएस-अफ्रीका के संबंधों में मूल और रणनीतिक दृष्टिकोण से मज़बूत करने की आवश्यकता है. राष्ट्रपति बाइडेन ने अभी तक अफ्रीका दौरा नहीं किया है. लेकिन सेक्रेटरी ब्लिंकन पिछले वर्ष ही महाद्वीप का तीन बार दौरा कर आए हैं. अफ्रीकी देशों और उसके नेताओं के लिए व्यक्तिगत यात्राओं के माध्यम से दिखाई देने वाला प्रतीकवाद, बहुत मायने रखता है. अमेरिका के लिए यह बेहद आवश्यक है कि वह इस शिखर सम्मेलन के बाद, वह इस तरह के सम्मेलन को किसी छिटपुट बैठक की तर्ज पर आयोजित करने के स्थान पर नियमित तौर पर इसका आयोजन करें.

यहां यह भी समझ लेना ज़रूरी है कि अफ्रीकी देशों के लिए अमेरिका और चीन दोनों ही विकास की दृष्टि से अहम साझेदार है. भले ही इन दोनों के साथ अफ्रीकी देशों के संबंधों का स्तर अलग-अलग क्यों न हो.

यहां यह भी समझ लेना ज़रूरी है कि अफ्रीकी देशों के लिए अमेरिका और चीन दोनों ही विकास की दृष्टि से अहम साझेदार है. भले ही इन दोनों के साथ अफ्रीकी देशों के संबंधों का स्तर अलग-अलग क्यों न हो. अनेक क्षेत्रों में चीनी प्रतिष्ठान यूएस के प्रतिष्ठानों को पीछे छोड़ रहे हैं. उदाहरण के तौर पर अपनी कम कीमतों की वजह से सड़क और पुल निर्माण से जुड़े क्षेत्र में चीनी प्रतिष्ठान यूएस से आगे है. लेकिन स्वास्थ्य सुविधा, नवीनीकृत ऊर्जा और वित्तीय तकनीक जैसे कुछ क्षेत्र ऐसे हैं, जहां यूएस कंपनियों को प्रतिस्पर्धी कहा जा सकता है. यूएस को इस तुलनात्मक फ़ायदे की स्थिति का लाभ उठाकर यहां दोगुणा ताकत लगाते हुए वहां के व्यापक और उत्साह से भरपूर अपने यहां के प्रवासी अफ्रीकी नागरिकों को समाहित करते हुए और संवाद साधना चाहिए. यह प्रवासी नागरिक अब भी अफ्रीका के साथ अपने संबंधों को बनाए हुए है. अब समय आ गया है कि अमेरिका, अफ्रीका और अफ्रीकियों के प्रति अपनी सतत प्रतिबद्धता प्रदर्शित करें. 

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