Published on Apr 08, 2021 Updated 0 Hours ago

बाइडेन ने वादा किया था, ‘हम मुफ्त में और लोगों के टीकाकरण के लिए ज़मीन-आसमान एक कर देंगे.

कोविड-19 से निपटने के लिए बाइडेन के 198 पेज के दस्तावेज़ की वो 5 मुख्य बातें!

अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति के तौर पर जो बाइडेन ने अपने पहले पूर्ण कामकाजी दिन 198 पेज का एक दस्तावेज़ पेश किया, जिसका नाम दिया गया, ‘कोविड-19 और महामारी से निपटने की राष्ट्रीय रणनीति.’ इसमें बाइडेन ने अमेरिका की सबसे बड़ी चुनौती यानी महामारी के ख़ात्मे की संभावना को लेकर जानकारी दी थी. बताया यह भी गया था कि यह चुनौती कितनी बड़ी है.

इस दस्तावेज़ में शुरुआती लक्ष्य 100 अंक के इर्दगिर्द तय किए गए थे. इसमें सबसे ऊपर था, 100 दिन के अंदर 10 करोड़ लोगों को टीका लगाना. जिस देश ने फ़ाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन के लिए पहले से समझौता कर रखा हो और जॉनसन एंड जॉनसन से तीसरी वैक्सीन का इंतज़ार कर रहा हो, उसके लिए पहली नजर में यह लक्ष्य आसान लगता है. लेकिन ऐसा है नहीं. अगर आप पिछले एक साल के अनुभव को देखें तो अमेरिका के राजनीतिक नेतृत्व ने कोविड-19 के संक्रमण को रोकने का हर मौका गंवा दिया. ट्रंप सरकार ने जनता के स्वास्थ्य के साथ जिस तरह से खिलवाड़ किया, उस गलती को बाइडेन अध्यादेशों के जरिये सुधारने की कोशिश कर रहे हैं. वह लोगों से अपील कर रहे हैं, ‘भगवान के लिए आप मास्क पहनिए. अगर आपको अपनी चिंता नहीं है तो कम से कम अपने अजीजों और अपने देश की ख़ातिर मास्क पहनिए.’

ऐसी अपील हमने बाइडेन से पहले भी सुनी हैं, लेकिन अमेरिका के पिछले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से ऐसा सुनने को नहीं मिला था. बाइडेन मास्क पहनने की जो अपील कर रहे हैं, कायदे से वह एक साल पहले ही की जानी चाहिए थी. तब अमेरिका ने कोविड-19 महामारी को लेकर जो कोताही की, उसकी वजह से वहां 2.4 करोड़ लोग संक्रमित हुए और 4.10 लाख लोगों की जान चली गई. आपको जानकर हैरानी होगी कि अमेरिका में दुनिया की 4 फीसदी आबादी है, लेकिन कोविड-19 संक्रमित लोगों की संख्या 25 फीसदी और इससे मरने वालों की तादाद 20 फीसदी है. सिर्फ दिसंबर 2020 में ही महामारी से अमेरिका में 77 हजार लोगों की मौत हो गई.

आपको जानकर हैरानी होगी कि अमेरिका में दुनिया की 4 फीसदी आबादी है, लेकिन कोविड-19 संक्रमित लोगों की संख्या 25 फीसदी और इससे मरने वालों की तादाद 20 फीसदी है. सिर्फ दिसंबर 2020 में ही महामारी से अमेरिका में 77 हजार लोगों की मौत हो गई. 

बाइडेन को कुर्सी पर बैठे 48 घंटे ही हुए थे, तब डॉ. एंथनी फाउची ने एक आंकड़े को लेकर बहुत ज़रुरी बात कही, ‘अगर हम गर्मियों के मध्य या आखिर तक 70 से 85 फीसदी लोगों का टीकाकरण कर सके, तो पतझड़ आने तक स्थिति नियंत्रण में आ जाएगी.’ अगर वैक्सीन लगवाने की हिचक को भूल भी जाएं तो रोजाना 10 लाख की दर से टीकाकरण करने पर वायरस को 2022 में ही रोकना संभव हो पाएगा. इस लिहाज से फाउची का यह बयान काफी अहमियत रखता है. उन्होंने वायरस को रोकने के लिए टीकाकरण की अहमियत के बारे में यह बात बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद अपने पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही थी.

अमेरिका में व्यापक स्तर पर ‘हर्ड इम्यूनिटी’ यानी कोविड-19 वायरस से प्रतिरोधी क्षमता हासिल करने के लिए 28 करोड़ लोगों का टीकाकरण ज़रुरी है. इसके बावजूद बाइडेन के 198 पेज के रणनीतिक दस्तावेज़ की बड़ी प्राथमिकताओं में यह शामिल नहीं है. वैसे, इसमें लोगों का फिर से भरोसा बहाल करने की बात ज़रूर है. इस दस्तावेज़ में कई ऐसी बातें दी गई हैं, जिन्हें कहने की ज़रुरत न पड़ती, अगर ट्रंप ने कोविड-19 से हुए संक्रमण को ठीक करने के लिए हाइड्रोक्लोरोक्वीन, ब्लीच और अल्ट्रावॉयलेट लाइट जैसे नीमहकीम उपाय न बताए होते. हम यहां बाइडेन के पहले दिन के एजेंडा की पांच मुख्य बातें दे रहे हैं, जिनमें कोविड-19 के साथ कुछ अन्य चीजें शामिल हैं.

फ्रेमवर्क

बाइडेन ने 21 जनवरी को कोविड-19 से जुड़े जिन फैसलों पर दस्तख़त किए, उनमें तीन बातों पर ध्यान दिया गया हैः टीकाकरण और जांच में तेजी लाना, स्कूल और बिजनेस फिर से खोलने की बुनियाद तैयार करना और मास्क के इस्तेमाल को बढ़ावा देना. नई सरकार ने यात्रा करने वाले अमेरिकियों के लिए मास्क लगाना ज़रुरी बनाया और अल्पसंख्यक समुदाय के साथ स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर जो भेदभाव हो रहा था, उसे भी ख़त्म करने को अपनी प्राथमिकताओं में शामिल किया. आखिर इस समुदाय को महामारी ने जबरदस्त चोट जो पहुंचाई थी. बाइडेन के दस्तख़त से जो 10 आदेश जारी हुए, उनमें से हरेक में मौजूदा और भविष्य की चुनौतियों का जिक्र था. अमेरिका के नए राष्ट्रपति ने आते ही भविष्य के जैविक संकटों का पता लगाने, रोकने और उनसे निपटने के लिए एक राष्ट्रीय केंद्र बनाने की बात कही और उसके लिए कांग्रेस का समर्थन मांगा.

टीकाकरण अभियान में अमेरिका के सामने कई चुनौतियां हैं. एलाबामा के अधिकारियों को लगता है कि अगर यही रफ्तार जारी रही तो वहां की 50 लाख बालिग आबादी को टीका लगाने में दो साल लग जाएंगे. 

मास्क और जांच

ट्रंप जब राष्ट्रपति थे तो उन्होंने लोगों से कहा था कि वे चाहें तो मास्क लगाएं, चाहे तो न लगाएं. लेकिन बाइडेन ने यात्रा के दौरान मास्क लगाने का जो आदेश दिया, वह हवाई अड्डों, हवाई जहाज से यात्रा के दौरान, पानी के जहाजों, शहर में चलने वाली बसों, ट्रेनों और सार्वजनिक यातायात के दूसरे साधनों पर लागू हुआ. इसके अलावा, जो भी लोग अमेरिका जा रहे हों, उन्हें हवाई जहाज पर सवार होने से पहले कोविड-19 टेस्ट का निगेटिव सर्टिफिकेट दिखाना होगा और अमेरिका पहुंचते ही ख़ुद को क्वारंटीन यानी अलग करना होगा. बाइडेन ने अमेरिका में सभी संघीय संस्थानों में भी मास्क को अनिवार्य कर दिया. इसका मतलब यह है कि जो लोग इस पर बहस करना चाहते हैं, वे यह दलील नहीं दे सकते कि मास्क लगाना या न लगाना किसी की निजी पसंद है. उन्होंने कोविड-19 वायरस की जांच की जो रणनीति बनाई है, उसमें जांच के उपकरण और लैबोरेटरी की क्षमता बढ़ाने जैसे उपाय भी शामिल हैं. वहीं, संघीय सरकार स्कूलों के साथ मिलकर उन्हें फिर से खोलने की दिशा में काम करेगी. वायरस की जांच और बीमा अब बाइडेन की आधिकारिक नीतियों में शामिल है. अफसोस की बात है तो बस इतनी कि यह सब एक साल की कुव्यवस्था के बाद हो रहा है.

वैक्सीन मुहैय्या करना

सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने कुछ अरसा पहले बताया था कि अमेरिका के राज्यों में करीब 4 करोड़ वैक्सीन की खुराक बांटी गई, लेकिन इनमें से 1.9 करोड़ ही लग पाईं. बाइडेन ने संघीय आपदा प्रबंधन एजेंसी को टीकाकरण केंद्र बनाने का निर्देश भी दिया. इसके तहत स्टेडियमों, कन्वेंशन सेंटरों और फार्मेसी में 100 ऐसे केंद्र बनाने का लक्ष्य रखा गया. उन्होंने अगले महीने से सीडीसी को एक योजना शुरू करने को कहा, जिसके तहत स्थानीय दवा दुकानों से टीका मुहैया कराया जा सके. यह योजना ट्रंप सरकार के दौरान बनी थी, जिसे नई सरकार में आगे बढ़ाया गया. इसी के साथ वैक्सीन लगाने के लिए अधिक लोगों को प्रशिक्षित करने का मुद्दा भी जुड़ा हुआ है. बाइडेन ने आते ही जो 10 फैसले किए, उनमें से एक में तुरंत अमेरिका में स्वास्थ्यकर्मियों की संख्या बढ़ाने की बात कही गई है क्योंकि नर्सें अब काम करते-करते थक कर पस्त हो चुकी हैं. ट्रंप सरकार ने वैक्सीन का बड़ा स्टॉक रोके रखा था, जिस पर नई सरकार ने रोक लगा दी है. राज्यों से कहा गया है कि उन्हें साफ-साफ बताया जाएगा कि कितना टीका मिलेगा. इससे राज्यों को टीकाकरण अभियान को आगे बढ़ाने की योजना बनाने में सहूलियत होगी. टीकाकरण अभियान में अमेरिका के सामने कई चुनौतियां हैं. एलाबामा के अधिकारियों को लगता है कि अगर यही रफ्तार जारी रही तो वहां की 50 लाख बालिग आबादी को टीका लगाने में दो साल लग जाएंगे. चाहे लुजियाना हो, न्यूयॉर्क या फ्लोरिडा, हर राज्य अधिक से अधिक टीकों की मांग कर रहे हैं. बात यह है कि वहां जितने टीकों की मांग है, उतने की सप्लाई नहीं हो पा रही. अमेरिका में सिर्फ फ़ाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत मिली है. हर व्यक्ति को दोनों ही वैक्सीन के दो-दो डोज लगने हैं. इनमें से हरेक ने मार्च तक अमेरिका को 10-10 करोड़ वैक्सीन डोज देने का वादा किया था, जो 10 करोड़ लोगों को लिए काफी होता. दोनों ही कंपनियां इसके प्रोडक्शन के लिए पूरी क्षमता से काम भी कर रही हैं. हर हफ्ते वे 1.8 करोड़ डोज से कुछ कम वैक्सीन की सप्लाई कर रही हैं. इस बीच, लापरवाही के कारण टीकों के बर्बाद होने का भी पता चला है। कुछ जगहों पर फ्रीजर को बिजली की सप्लाई नहीं मिलने से वैक्सीन किसी काम की नहीं रह गई.

बाइडेन ने कांग्रेस से स्कूलों को कम से कम 130 अरब डॉलर की और मदद देने की अपील की. उन्होंने कॉलेज और यूनिवर्सिटी के लिए इसी तरह से 35 अरब डॉलर की मदद देने की बात कही

स्कूल और यूनिवर्सिटी

बाइडेन ने स्कूलों को खोलने की जो बात कही, वह पिछले राष्ट्रपति ट्रंप के स्टाइल में नहीं थी, जिसमें खोखली बातें कही जाती थीं. बाइडेन ने अपने पहले 100 दिन के कार्यकाल में ज्यादातर के-8 स्कूलों को खोलने का लक्ष्य रखा. उन्होंने इसके लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग को वैज्ञानिक तरीके से काम करने का निर्देश दिया ताकि स्कूलों को सुरक्षित तरीके से फिर से खोला जा सके. इस काम के लिए राज्य, केंद्र से मिले इमरजेंसी फंड का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. बाइडेन ने कांग्रेस से स्कूलों को कम से कम 130 अरब डॉलर की और मदद देने की अपील की. उन्होंने कॉलेज और यूनिवर्सिटी के लिए इसी तरह से 35 अरब डॉलर, बंद होने की हालत में जा पहुंचे चाइल्ड केयर सेंटरों को 25 अरब डॉलर और मुश्किल परिस्थितियों का सामना कर रहे परिवारों को चाइल्ड केयर (बच्चों की देखभाल) के लिए 15 अरब डॉलर देने की मांग की. लेकिन बाइडेन ने इस बारे में जो सार्वजनिक बयान दिए और उनके एग्जीक्यूटिव ऑर्डर की भाषा में फ़र्क है. इस आदेश में स्कूलों को फिर से 100 दिन के अंदर खोलने के बारे में कुछ नहीं कहा गया. इसमें लिखा है ‘मेरी सरकार ऐसी परिस्थितियां बनाने में मदद करना चाहती है, जिससे सुरक्षित तरीके से आमने-सामने बैठकर पढ़ने-लिखने का सिलसिला जल्द से जल्द शुरू हो सके.’ बाइडेन ने महामारी से निपटने की जो योजना बनाई है, उसमें स्कूलों के फिर से खुलने के डेटा और बच्चों को स्कूल भेजने से जुड़े जोख़िमों पर और अधिक शोध करने की बात भी शामिल है. भले ही उनके आदेश और बयान में फर्क हो, लेकिन इसके बावजूद सरकार की नीयत की तारीफ करनी पड़ेगी. इसीलिए सीडीसी के एक पूर्व निदेशक ने कहा, ‘किसी योजना के न होने से अच्छा है, किसी योजना का होना.’ चलो, कहीं से तो शुरुआत हुई.

डेटा  में हेरफेर

ट्रंप सरकार ने सिर्फ कोविड-19 महामारी की चुनौती से निपटने में ही निकम्मी साबित नहीं हुई, उसकी हरकतों के कारण विश्वसनीय आंकड़ों का मिलना भी मुश्किल हो गया था. राष्ट्रपति चुनाव से पहले कुछ समय तक सीडीसी के पास आंकड़े आने बंद हो गए थे, जो देश की पब्लिक हेल्थ से जुड़ी सर्वोच्च संस्था है. बाइडेन ने सत्ता में आने के बाद आंकड़ों को अपनी नीतियों की सफलता के पैमाने के केंद्र में रखा. इसलिए आंकड़े जुटाने संबंधी आदेश उनके 10 फैसलों में शामिल है. इस आदेश में सीडीसी से एक डैशबोर्ड बनाने को कहा गया, जिसमें देश भर के कोविड-19 के मामलों का ब्यौरा हो. सरकार का मानना है कि इससे लोगों को अपनी कम्युनिटी में संक्रमण के बारे में बेहतर समझ बनाने में मदद मिलेगी. इस मामले में सरकार का जो रुख है, बाइडेन के आदेश की भाषा से भी जाहिर होता है. इसमें लिखा है, ‘रक्षा सचिव, अटॉर्नी जनरल, वाणिज्य सचिव, श्रम सचिव, स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग के सचिव, शिक्षा सचिव, ऑफिस ऑफ मैनेजमेंट एंड बजट के डायरेक्टर, नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर, विज्ञान और तकनीक नीति विभाग के निदेशक और राष्ट्रीय विज्ञान संस्थान में से हरेक तुरंत एक बड़े अधिकारी की पहचान करे, जो एजेंसी के कोविड-19 से जुड़े काम और महामारी के आंकड़ों से संबंधित मुद्दों पर संपर्क सूत्र होगा. यह अधिकारी कोविड-19 रिस्पॉन्स को-ऑर्डिनेटर के साथ बातचीत करके ऐसे कदम उठाए, जिससे कोविड-19 जैसी महामारियों से निपटने में मदद मिले. ये आंकड़े सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध हों और उन्हें आसानी से हासिल किया जा सके.’

कुल मिलाकर देखें तो बाइडेन ने अपने कामकाज के पहले दिन कोविड-19 से जुड़े जो फैसले किए, वे उन्हें बड़बोले ट्रंप की कार्यशैली से बिल्कुल अलग खड़ा करते हैं. अब कोविड-19 महामारी की चुनौती से निपटने की पूरी जिम्मेदारी केंद्र सरकार ने ले ली है. वह राज्यों को इस सिलसिले में तकनीकी और वित्तीय मदद दे रही है. बाइडेन ने वादा किया था, ‘हम मुफ्त में और लोगों के टीकाकरण के लिए ज़मीन-आसमान एक कर देंगे.’ उन्हें ऐसा करना ही होगा क्योंकि सामने एक भयानक ख़तरा खड़ा है.

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