1 जनवरी 2024 को बेल्जियम ने अपनी बारी आने पर, स्पेन से यूरोपीय संघ (EU) की परिषद की अध्यक्षता संभाली. बेल्जियम 13वीं बार EU की परिषद का अध्यक्ष बना है. पिछली बार वो साल 2010 में अध्यक्ष रहा था. इस बार उसका कार्यकाल बेहद उथल-पुथल भरे दौर में आया है, जब यूरोपीय संघ, रूस और यूक्रेन के युद्ध, मध्य पूर्व में भयंकर अस्थिरता, ऊर्जा सुरक्षा और चीन की चुनौती जैसे कई संकटों का एक साथ सामना कर रहा है.
यूरोपीय संघ की परिषद की अध्यक्षता बारी-बारी से सभी सदस्यों के पास जाती रहती है और ये 18 महीने के तीन देशों के कार्यकाल के हिसाब से बदलती है, ताकि एजेंडे में निरंतरता, EU के तमाम वैधानिक कार्यों में प्रगति और सदस्य देशों के बीच आपसी सहयोग और आम सहमति बनाने की कोशिशें जारी रहें. मगर, अध्यक्षता संभालने वाला देश EU के स्तर पर अपना दृष्टिकण और प्राथमिकताएं लागू करने के लिए स्वंतत्र भी होता है. 18 महीने का मौजूदा त्रिसदस्यी दौर स्पेन, बेल्जियम औऱ हंगरी के बीच बंटा हुआ है. बेल्जियम, जून के आख़िर तक अध्यक्षता संभालेगा, जिसके बाद जुलाई में वो ये कार्यभार हंगरी और यूरोप को शक की नज़र से देखने वाले उसके नेतृत्व को सौंप देगा. हंगरी, EU की निर्णय प्रक्रिया में ख़लल डालने वाले देश के तौर पर बदनाम है.
फरवरी 2024 का अंत होते होते यूरोपीय संघ, जून में होने वाले संसदीय चुनावों के प्रचार अभियान में व्यस्त हो जाएगा, जिसके नतीजों से यूरोप की नई संसद और आयोग का गठन होगा.
फरवरी 2024 का अंत होते होते यूरोपीय संघ, जून में होने वाले संसदीय चुनावों के प्रचार अभियान में व्यस्त हो जाएगा, जिसके नतीजों से यूरोप की नई संसद और आयोग का गठन होगा. इसकी वजह से बेल्जियम को नियमित अध्यक्षता के उलट बहुत कम समय मिलेगा, जिसके अंदर उसको लटकी हुई फाइलों का काम निपटाना होगा या फिर नई ज़िम्मेदारियां लेकर यूरोपीय संघ के 45 करोड़ से ज़्यादा नागरिकों की उम्मीदें पूरी करनी होंगी.
जून 2024 में होने वाले राष्ट्रीय और क्षेत्रीय चुनाव, बेल्जियम की अध्यक्ष के तौर पर महत्वाकांक्षाओं को और जटिल बना देंगे. क्योंकि, बेल्जियम की राजनीतिक व्यवस्था बहुत से टुकड़ों में बंटी हुई है. बेल्जियम के पास सबसे लंबे समय तक बिना किसी सरकार के रहने का गिनेस वर्ल्ड रिकॉर्ड भी है. 2018 में बेल्जियम के तत्कालीन प्रधानमंत्री चार्ल्स मिशेल- जो 2019 से यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष के पद पर हैं- की सरकार के पतन के बाद, सात दलों के मौजूदा सत्ताधारी गठबंधन को सरकार बनाने में लगभग 600 दिन लग गए थे. इस तरह बेल्जियम ने, 2010 के चुनावों के बाद 541 दिनों तक बिना सरकार के रहने का अपना ही पुराना रिकॉर्ड तोड़ डाला था.
फिर भी, नैटो और यूरोपीय संघ के संगठनों के मेज़बान देश के तौर पर ब्रसेल्स को EU की असली राजधानी और मुख्यालय कहा जाता है. बेल्जियम ने यूरोपीय परियोजना के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया था और उसकी भूमिका केंद्रीय रही थी. 1958 में बेल्जियम, यूरोपीय आर्थिक समुदाय की अगुवाई करने वाला पहला देश बना था. EEC, आज के यूरोपीय संघ का छह सदस्यों वाला पूर्ववर्ती कहा जाता है. जैसा कि बेल्जियम के प्रधानमंत्री एलेक्ज़ेंडर डे क्रू दोहराते भी हैं कि, ‘बेल्जियम के नागरिकों के DNA में ही यूरोपीय संघ है.’ उनकी बात को आगे बढ़ाते हुए विदेश मंत्री हदजा लहबीब तो ‘एक छोटे बहुभाषी और बहुजातीय देश के तौर बेल्जियम के समझौते करने की क्षमता’ की जीती-जागती मिसाल हैं.
बेल्जियम की अध्यक्षता व प्राथमिकताएं
अपने सूत्र वाक्य, ‘हिफ़ाज़त करो, मज़बूती दो और तैयार करो’ पर चलते हुए बेल्जियम ने अपनी अध्यक्षता की प्राथमिकता के लिए छह क्षेत्रों का चुनाव किया है.
इसमें से पहला, क़ानून के राज, लोकतंत्र और एकता की हिफ़ाज़त करना है. इसके साथ साथ EU के विस्तार और सदस्य बनने के उम्मीदवार देशों की मदद के अलावा, बेल्जियम यूरोपीय संघ को भविष्य में शामिल होने वाले देशों के लिए तैयार करना चाहता है. ये बात काफ़ी महत्वपूर्ण हो गई है, क्योंकि, हाल ही में दिसंबर में हुए EU के शिखर सम्मेलन के दौरान, यूक्रेन और मॉल्दोवा के साथ सदस्य बनने की बातचीज शुरू करने को मंज़ूरी दे दी गई थी. इसके अलावा, बेल्जियम की अध्यक्षता के दौरान ही यूरोपीय संघ के पूरब की ओर विशाल विस्तार की बीसवीं सालगिरह भी पड़ रही है.
बेल्जियम की चौथी प्राथमिकता, यूरोप के सामाजिक एजेंडे को प्रोत्साहित करना है, ताकि यूरोप के समाज को अधिक समावेशी और निष्पक्ष बनाया जा सके.
बेल्जियम की दूसरी प्राथमिकता, EU के अंदरूनी बाज़ार को विस्तारित करके, नियामक ढांचे को सरल बनाकर, महत्वपूर्ण निर्भरताओं को कम करके और एक लचीला डिजिटल इकोसिस्टम विकसित करके यूरोप के मुक़ाबला कर पाने की क्षमता, औद्योगिक नीतियों और महाद्वीप की आर्थिक सुरक्षा को मज़बूत बनाना है.
तीसरी प्राथमिकता में एक हरित और न्यायोचित ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन करना हो, जो यूरोपीय संघ की ग्रीन डील के अनुरूप ही है. इसमें EU की सर्कुलर इकॉनमी को बढ़ाना, आम लोगों को सस्ती ऊर्जा उफलब्ध कराना, नवीनीकरण योग्य औऱ कम कार्बन वाले ऊर्जा स्रोतों को प्रोत्साहित करना और बसों व ट्रकों से कार्बन उत्सर्जन के मामले में आम सहमति क़ायम करना भी शामिल है.
बेल्जियम की चौथी प्राथमिकता, यूरोप के सामाजिक एजेंडे को प्रोत्साहित करना है, ताकि यूरोप के समाज को अधिक समावेशी और निष्पक्ष बनाया जा सके. इसके अलावा, वो संकट से निपटने की तैयारी बेहतर बनाकर और अच्छी स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच सबके लिए समान बनाकर यूरोपीय संघ के स्वास्थ्य के एजेंडे को भी आगे बढ़ाना चाहता है.
बेल्जियम की एक और बड़ी प्राथमिकता अप्रवास और शरण देने के मामले में दिसंबर में हुए EU के नए समझौते के तहत अपने लोगों और सीमाओं की रक्षा करना भी है. इस समझौते का लक्ष्य, अप्रवास के लंबे समय से चले आ रहे विवादित मसले से, शरण देने की व्यवस्था में सुधारों और EU के मूल्यों के अनुसार अप्रवास के प्रभावी प्रबंधन के ज़रिए निपटना है. बेल्जियम, संगठित अपराध का मुक़ाबला करने और आतंकवाद एवं उग्रवाद से निपटने को भी प्राथमिकता देगा.
अपनी अध्यक्षता के महत्वाकांक्षी एजेंडे, बेहद कम समय और कई चुनावों की लटकती तलवार के बीच बेल्जियम के लिए आने वाले कुछ महीने बेहद उत्तेजना भरे रहने वाले हैं.
बेल्जियम की अंतिम प्राथमिकता में यूरोप को वैश्विक बनाने की दिशा में काम करना है. इसमें, बढ़ते भू-राजनीतिक विवादों को देखते हुए, अधिक महत्वाकाक्षी व्यापार नीतियों और सुरक्षा, रक्षा और विकास की क्षमताओं को और मज़बूत करके यूरोपीय संघ की स्वायत्तता और लचीलेपन को ताक़तवर बनाना है.
इन सबके साथ साथ फरवरी महीने की शुरुआत में एक विशेष शिखर सम्मेलन का आयोजन तो पहले से ही प्रस्तावित है. इस सम्मेलन में यूक्रेन के लिए 50 अरब यूरो के पैकेज को मंज़ूरी देने के प्रस्ताव पर ख़ास ज़ोर रहेगा. दिसंबर 2023 में यूरोपीय परिषद के शिखर सम्मेलन के दौरान हंगरी ने मदद के इस प्रस्ताव को वीटो कर दिया था. यूरोपीय संघ की बहु-वार्षिक वित्तीय रूप-रेखा (MFF) या संघ के दूरगामी बजट की भी समीक्षा की जाएगी. बेल्जियम अपनी अध्यक्षता के दौरान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के नियमन के लिए EU के ऐतिहासिक समझौते को भी आगे बढ़ाने का प्रयास करेगा, जो दुनिया में अपने तरह का ऐसा पहला प्रयास होगा.
अपनी अध्यक्षता के महत्वाकांक्षी एजेंडे, बेहद कम समय और कई चुनावों की लटकती तलवार के बीच बेल्जियम के लिए आने वाले कुछ महीने बेहद उत्तेजना भरे रहने वाले हैं.
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