फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते ने पिछले दिनों सियासत से संन्यास लेने का एलान कर दिया. हालांकि कई लोगों को उनके कहे पर भरोसा नहीं हुआ. दरअसल 2015 में भी उन्होंने रिटायरमेंट का इरादा जताया था. उस वक़्त वो दावाओ शहर के मेयर थे. संन्यास की घोषणा के कुछ अर्से बाद वो अपनी बात से पलटते हुए राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए खड़े हो गए थे.
फिलीपींस के क़ानून के तहत राष्ट्रपति दुतेर्ते दूसरा कार्यकाल हासिल नहीं कर सकते. हालांकि वो मई 2022 में होने वाले चुनावों में उपराष्ट्रपति के पद के लिए अपनी किस्मत आज़मा सकते हैं. अतीत में वो इस बात का एलान कर भी चुके हैं. दुतेर्ते की बेटी सारा फ़िलहाल दावाओ शहर की मेयर हैं. अगर सारा राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने का फ़ैसला करती हैं तो दुतेर्ते मेयर पद का चुनाव भी लड़ सकते हैं. राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार नवंबर के मध्य तक अपना पर्चा भर सकते हैं. लिहाज़ा उम्मीदवारों की अंतिम सूची 15 नवंबर के बाद ही सामने आएगी. फिलीपींस की सियासत में कभी भी कोई चौंकाने वाला मोड़ आ सकता है. दरअसल देश की सियासत शख़्सियतों के इर्द-गिर्द घूमती है और पार्टियों की नीतियां और नेताओं की निष्ठाएं बदलती रहती हैं.
फिलीपींस की सियासत में कभी भी कोई चौंकाने वाला मोड़ आ सकता है. दरअसल देश की सियासत शख़्सियतों के इर्द-गिर्द घूमती है और पार्टियों की नीतियां और नेताओं की निष्ठाएं बदलती रहती हैं.
फिलीपींस में अगले साल होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनावों की अहमियत कई वजहों से काफ़ी बढ़ गई है. ऐतिहासक तौर पर फिलीपींस को दक्षिण पूर्व एशिया में सबसे आज़ाद लोकतंत्र के तौर पर देखा जाता रहा है. राष्ट्रपति दुतेर्ते चीन के प्रति तरफ़दारी वाली नीतियां अपनाते रहे हैं. यही वजह है कि चीन के साथ सामुद्रिक विवाद में फिलीपींस को मिली जीत भी फीकी पड़ गई. साफ़ है कि राष्ट्रपति पद के लिए हो रहे इन चुनावों से भूराजनीति में फिलीपींस का स्थान भी तय होने वाला है. तो क्या नए नेता की अगुवाई में फिलीपींस की नीतियों में बदलाव होगा? इस सिलसिले में दो सवाल अहम हो जाती हैं: क्या देश का अगला राष्ट्रपति भी दुतेर्ते की निरंकुश शासन प्रणाली को जारी रखते हुए चीन की हिमायत करने वाली नीतियों को आगे बढ़ाता रखेगा? या फिर क्या वो लोकतंत्र को कुंद करने वाली नीतियों का त्याग कर पूरी शिद्दत के साथ पश्चिम फिलीपीन सागर में अपने संप्रभु अधिकार जताएगा?
फिलीपींस की बहुदलीय और उथल-पुथल भरी लोकतांत्रिक व्यवस्था में राष्ट्रपति पद के लिए 6 उम्मीदवार ज़ोर आज़माइश कर रहे हैं. इनमें से कम से कम दो उम्मीदवार- सीनेटर रोनाल्ड डेला रोज़ा और फ़र्डिनांड “बॉन्गबॉन्ग” मार्कोस जूनियर (दिवंगत तानाशाह के बेटे)- ऐसे हैं जिनमें से अगर कोई भी एक चुनाव जीतता है तो वो राष्ट्रपति दुतेर्ते की नीतियों को जारी रखेगा. फिलीपींस ने 2016 में चीन के ख़िलाफ़ अपने सामुद्रिक विवाद में जीत हासिल की थी. अंतरराष्ट्रीय ट्रिब्यूनल ने उसके पक्ष में फ़ैसला सुनाया था. बहरहाल राष्ट्रपति दुतेर्ते ने इस फ़ैसले को किनारे रख दिया. उनकी दलील थी कि फिलीपींस को चीन से निवेश, सहायता और कारोबार की दरकार है. उन्होंने मध्यस्थता ट्रिब्यूनल के फ़ैसले की खिल्ली उड़ाई थी. ट्रिब्यूनल ने दक्षिण चीन सागर के ज़्यादातर हिस्सों के नक़्शे पर चीन द्वारा खींची गई 9 काल्पनिक रेखाओं (नाइन-डैश लाइन) पर चीन के दावे को अवैध करार दिया था. ट्रिब्यूनल ने इसे “कूड़े के डिब्बे में फेंका जाने वाला काग़ज़ का टुकड़ा” बताया था.
मार्कोस ने दुतेर्ते के नज़रिए से रज़ामंदी जताई है. उनका कहना है कि “भले ही दुतेर्ते सरकार द्वारा चीन को लेकर आगे बढ़ाई जा रही जुड़ाव वाली नीतियों की आलोचना हो रही हो, लेकिन यही उचित रास्ता है.” दूसरे उम्मीदवार डेला रोज़ा पहले पुलिस के मुखिया रह चुके हैं. उन्होंने ड्रग्स के ख़िलाफ़ ख़ूनी जंग छेड़ी थी. इसमें हज़ारों लोग मारे गए थे. वो दुतेर्ते के वफ़ादार साथी हैं.
फिलीपींस ने 2016 में चीन के ख़िलाफ़ अपने सामुद्रिक विवाद में जीत हासिल की थी. अंतरराष्ट्रीय ट्रिब्यूनल ने उसके पक्ष में फ़ैसला सुनाया था. बहरहाल राष्ट्रपति दुतेर्ते ने इस फ़ैसले को किनारे रख दिया. उनकी दलील थी कि फिलीपींस को चीन से निवेश, सहायता और कारोबार की दरकार है.
बाक़ी चार उम्मीदवारों- विपक्ष की नेता उपराष्ट्रपति लेनी रॉब्रेडो, सीनेटर पैनफ़िलो लैक्सॉन, मनीला के मेयर फ़्रांसिस्को मोरेनो और सीनेटर मैनी पैक्वियो- ने सार्वजनिक रूप से दुतेर्ते की चीन नीति से असहमित जताई है. ख़ासतौर से रॉब्रेडो ड्रग्स के ख़िलाफ़ दुतेर्ते के हिंसक अभियान और चीन के प्रति दब्बू और बुजदिली भरे रवैये की मुखर आलोचक रही हैं.
चीन की तरफ़दारी
दुतेर्ते फिलीपींस के पहले ऐसे राष्ट्रपति हैं जिन्होंने अपनी नीतियों के ज़रिए चीन की हिमायत की और अमेरिका से दूरी बनाई. इसके पीछे दो बड़ी वजहें है. दरअसल फिलीपींस पहले अमेरिका का उपनिवेश हुआ करता था. दुतेर्ते एक साम्राज्यवादी ताक़त के तौर पर अमेरिका को नापसंद करते हैं. इसके साथ ही चूंकि अमेरिका ने ड्रग्स के ख़िलाफ़ उनकी जंग की आलोचना की थी, लिहाज़ा उन्हें अमेरिका से चिढ़ हो गई है. दावाओ का मेयर रहते हुए चीन के कारोबारियों के साथ उनकी दोस्ती हो गई थी. दुतेर्ते की विदेश नीति इन्हीं दोस्ताना रिश्तों से आगे बढ़ी है.
अपने एक भाषण में दुतेर्ते ने कहा था- “फिलीपींस के राष्ट्रपति के तौर पर मेरा झुकाव चीन की ओर है क्योंकि चीन पूरब के मिज़ाज वाला देश है. वो लोगों को अपमानित करता नहीं घूमता.” अपने कार्यकाल के शुरुआती दौर में ही उन्होंने अमेरिका से दूरी बनाने का फ़ैसला कर लिया था. 2016 में बीजिंग के अपने राजकीय दौरे पर उन्होंने अमेरिका से फ़ौजी और आर्थिक रूप से “जुदा” होने का एलान किया था.
फिलीपींस में निवेश जुटाने के लिए दुतेर्ते ने एक चीनी कारोबारी को एक साल के लिए अपना आर्थिक सलाहकार भी बनाया था. उन्होंने देश के मौजूदा क़ानून के ख़िलाफ़ जाकर ये फ़ैसला लिया था. फिलीपींस के क़ानून के तहत कोई भी विदेशी नागरिक वहां कोई सरकारी पद हासिल नहीं कर सकता.
दुतेर्ते एक साम्राज्यवादी ताक़त के तौर पर अमेरिका को नापसंद करते हैं. इसके साथ ही चूंकि अमेरिका ने ड्रग्स के ख़िलाफ़ उनकी जंग की आलोचना की थी, लिहाज़ा उन्हें अमेरिका से चिढ़ हो गई है.
बहरहाल चीन को गले लगाने की दुतेर्ते की नीतियों के बावजूद फिलीपींस को उम्मीद के मुताबिक आर्थिक फ़ायदे नहीं मिल पाए. चीन ने फिलीपींस को 24 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश और कर्ज़ मुहैया कराने का वादा किया था. अब तक इसमें से बस एक थोड़ा सा हिस्सा (लगभग 5 प्रतिशत) ही फिलीपींस को मिल पाया है. अगर सहायता की बात करें तो फिलीपींस को आर्थिक मदद देने वाला सबसे बड़ा देश अब भी जापान ही है. फिलीपींस को विदेशी सहायता पहुंचाने में चीन का स्थान छठा है.
हालांकि इन हक़ीक़तों के बावजूद चीन के प्रति दुतेर्ते का लगाव कभी कम नहीं हुआ. दुनिया पर कोरोना संकट छाने के बाद तो उनका चीन प्रेम और भी उभरकर सामने आ गया. कोरोना के टीके के तौर पर उनकी पसंद चीनी वैक्सीन सिनोफ़ार्म बनी. फिलीपींस में वैक्सीन को आपात इस्तेमाल की मंज़ूरी मिलने से पहले ही उन्होंने सिनोफ़ॉर्म का इंजेक्शन लगवा लिया. स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े फ़्रंट लाइन कर्मियों से भी पहले राष्ट्रपति के सुरक्षाकर्मियों, प्रेसिडेंसियल सिक्योरिटी ग्रुप के सदस्यों समेत कइयों ने चीन से चोरी-छिपे लाई गई वैक्सीन लगवा ली थी.
फिलीपींस की जनता और अमेरिका
ऐसा लगता है कि चीन को लेकर दुतेर्ते की नीतियों और फिलीपींस की जनता के विचारों के बीच कोई तालमेल नहीं है. फिलीपींस में हो रहे जनमत सर्वेक्षणों में लगातार चीन के प्रति लोगों का भरोसा काफ़ी कम होने की बात सामने आती रही है. जुलाई 2020 में एक प्रमुख सर्वेक्षण संस्था सोशल वेदर स्टेशंस द्वारा कराए गए सर्वेक्षण से पता चला था कि फिलीपींस की जनता चीन पर सबसे कम और अमेरिका पर सबसे ज़्यादा भरोसा करती है.
पश्चिम फिलीपीन सागर के मुद्दे पर जुलाई 2021 में एक सर्वे कराया गया. इससे पता चला था किफिलीपींस के 68 प्रतिशत वयस्क इस विवादित जल-क्षेत्र में फिलीपींस की संप्रुभता की सुरक्षा के लिए दूसरे देशों के साथ गठजोड़ के विचार का समर्थन करते हैं. 47 फ़ीसदी लोगों का मानना था कि फिलीपींस की सरकार इस इलाक़े में अपना अधिकार जताने के लिए पर्याप्त क़दम नहीं उठा रही है.
कोरोना वैक्सीन के स्रोत के तौर पर भी फिलीपींस की जनता अमेरिका को ही पसंद करती है. ये अलग बात है कि फिलीपींस में ज़्यादातर टीके चीन ने मुहैया कराए हैं. चीन और अमेरिका दोनों ही वैक्सीन कूटनीति में शामिल रहे पर अमेरिका ने कहीं ज़्यादा डोज़ सप्लाई किए हैं.
दुतेर्ते का जलवा
बहरहाल इन तमाम मसलों के बावजूद दुतेर्ते फिलीपींस में लोकप्रिय बने हुए हैं. इस साल जून में 75 फ़ीसदी लोगों ने उनके कामकाज के प्रति संतोष जताया था. फिलीपींस के लिहाज़ से ये एक असामान्य घटना है. आम तौर पर कार्यकाल के आख़िरी साल में वहां राष्ट्रपति की लोकप्रियता में गिरावट देखने को मिलती रही है. यही वजह है कि कार्यकाल के अंतिम वर्ष में राष्ट्रपति अपना हाथ बंधा हुआ महसूस करते हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि दुतेर्ते की बात कुछ अलग है. दरअसल फिलीपींस में कई लोग दुतेर्ते द्वारा ड्रग्स के ख़िलाफ़ छेड़ी गई जंग का समर्थन करते हैं. वो देश की न्याय व्यवस्था से आजिज़ आ चुके हैं. लिहाज़ा उन्हें कड़े फ़ैसले लेने वाला सशक्त नेता पसंद आ रहा है. दुतेर्ते की ऊंची रेटिंग के पीछे ये कारण निर्णायक रहा है.
महामारी के दौरान दुतेर्ते ने सरकार को ग़रीबों और नौकरी गंवा चुके लोगों को मदद के तौर पर रकम देने का फ़रमान सुनाया था. महामारी से निपटने के तौर-तरीक़ों पर जनता की राय जानने के लिए हुए सर्वेक्षण में उनके प्रति फिलीपींस की जनता द्वारा दिखाए गए समर्थन (65 प्रतिशत) के पीछे एक कारण ये भी है. हालांकि उसके बाद से इस समर्थन में गिरावट (59 फ़ीसदी) आई है.
इन तमाम मसलों के साथ शख़्सियत से जुड़ा मसला भी है. कई लोग दुतेर्ते की भड़कीली बातों और बिना लाग-लपेट वाले अंदाज़-ए-बयां को पसंद करते हैं. वो आम लोगों से बड़े ही अनौपचारिक रूप से जुड़ते हैं और उनसे जुड़ाव का प्रदर्शन करते हैं. दुतेर्ते के नेतृत्व की एक बड़ी निशानी ये है कि वो ख़ुद को काम करने और करवाने वाले शख्स के तौर पर पेश करते हैं. वो नियमित अंतराल पर फ़ौजी कैंपों और आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करना पसंद करते हैं. दावाओ का मेयर रहते हुए वो वहां की सड़कों पर मोटरबाइक के ज़रिए गश्त लगाया करते थे.
दुतेर्ते 2016 में फिलीपींस के राष्ट्रपति पद पर पहुंचे थे. उस समय न सिर्फ़ फिलीपींस बल्कि दुनिया के कई दूसरे देशों में भी लोकलुभावन नीतियों के साथ एकाधिकारवादी और दबंग छवि वाले नेताओं की जैसे हवा चल रही थी. इनमें ब्राज़ील (बोलसोनारो), हंगरी (ऑर्बन), अमेरिका (ट्रंप) और टर्की (अर्दोआन) शामिल हैं. दुतेर्ते ने फिलीपींस को ड्रग्स के लिए बदनाम देश (narco-state) बनने से रोकने के लिए हर संभव क़दम उठाने का वादा किया. इसके लिए उन्होंने एक डरावने अभियान की शुरुआत की. इस क़वायद में ड्रग्स की समस्या और उसके आपराधिक स्वरूप को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया.
बहरहाल राष्ट्रपति के तौर पर अपने कार्यकाल के आख़िरी महीनों में दुतेर्ते की किस्मत जैसे उनका साथ छोड़ने लगी है. वो इस समय भ्रष्टाचार के एक बहुत बड़े बवंडर में घिर गए हैं. इस घोटाले का सिरा चीन से जुड़ता है. दुतेर्ते की सरकार पर एक नई-नवेली चीनी कंपनी की हिमायत करने और उसे बेजा फ़ायदा पहुंचाने का आरोप लगा है. इस कंपनी का ताल्लुक़ दुतेर्ते के पूर्व चीनी आर्थिक सलाहकार के साथ है. आरोप लगे हैं कि दूसरे काबिल सप्लायर्स की जगह सरकार ने इस नई-नवेली ग़ैर-तजुर्बेकार कंपनी को तरजीह दी. फिलीपींस सरकार ने इस कंपनी से करीब 11 अरब पेसोस (22 करोड़ अमेरिकी डॉलर) की क़ीमत के फ़ेस मास्क, निजी सुरक्षा उपकरणों (PPE) और महामारी से जुड़े अन्य साज़ोसामानों की ख़रीदारी की. सरकारी ऑडिटर्स ने इस चीनी कंपनी को दिए गए ठेकों को सवालों के कठघरे में खड़ा किया है.
दुतेर्ते की चीन-समर्थक नीतियों के 2022 के राष्ट्रपति चुनावों में मुख्य मुद्दा बनकर उभरने के आसार हैं. हालांकि इसमें अब भ्रष्टाचार के रूप में एक नया तड़का भी लग गया है. हालांकि इस वक़्त किसी भी तरह की भविष्यवाणी करना जल्दबाज़ी होगी, लेकिन लोकतांत्रिक तौर-तरीक़ों की वापसी और पश्चिम फिलीपीन सागर पर संप्रभु अधिकार जताने से जुड़े अहम सवाल अब भी जस के तस हैं.
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