स्वचालित प्रणालियों और गाड़ियों में तेज़ी से हो रही बढ़ोत्तरी की वजह से परिष्कृत सेंसर टेक्नोलॉजी की मांग भी उसी रफ़्तार से बढ़ रही है. इसने एक और उभरती तकनीकी को विकास करने और मुख्य केंद्र में लाने में मदद की है. इस टेक्नोलॉजी का नाम है लाइट डिटेक्शन और रेंजिंग(LiDAR). हालांकि LiDAR सिस्टम की सबसे ज़्यादा मांग ऑटोमेटिक गाड़ियों की तरफ से आ रही है और यही क्षेत्र इसे मुख्य रूप से संचालित कर रहा है लेकिन इस प्रौद्योगिकी का व्यापारिक और सैनिक दोनों क्षेत्रों में इस्तेमाल हो रहा है. इसका नतीजा ये हुआ है कि चीन ने अनजाने में ही इस तकनीकी के बाज़ार के बड़े हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया है. इस क्षेत्र में चीन के प्रभुत्व की स्थिति अब दुनियाभर में गंभीर राष्ट्रीय सुरक्षा की चिंता का मुद्दा बन गई है, खासकर अमेरिका में.
LiDAR क्या है?
LiDAR दोहरे इस्तेमाल वाली एक ऐसी उभरती हुई रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी है, जो दूरियों को मापने और आसपास के वातावरण का ख़ाका बनाने के लिए कंपन वाले लेज़र के रूप में प्रकाश का उपयोग करती है. रडार (रेडियो डिटेक्शन एंड रेंजिंग) में माइक्रोवेव और सोनार (सोनिक नेविगेशन एंड रेंजिंग) का इस्तेमाल होता है. उसमें ध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है. इसके विपरीत LiDAR में परावर्तित प्रकाश (रिफ्लेक्टेड लाइट) का इस्तेमाल किया जाता है. इससे मैपिंग में ज़्यादा तेज़ी, सटीकता और बेहतर रिज़ॉल्यूशन मिलता है. हालांकि इन तीनों ही प्रौद्योगिकियों में वस्तुओं का पता लगाने और उन्हें ट्रैक करने में एक ही मूल सिद्धांत का उपयोग किया जाता है. इनमें ऊर्जा तरंगों को उत्सर्जित करके चीजों का पता लगाया जाता है. कैमरों की तुलना में LiDAR का एक और फायदा है. चूंकि ये किसी भी तरह की प्रकाश की स्थिति में काम कर सकती है, इसलिए
LiDAR दोहरे इस्तेमाल वाली एक ऐसी उभरती हुई रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी है, जो दूरियों को मापने और आसपास के वातावरण का ख़ाका बनाने के लिए कंपन वाले लेज़र के रूप में प्रकाश का उपयोग करती है. इसकी पहचान करने की सीमा भी अच्छी होती है.
हालांकि LiDAR प्रणाली 2008 में ही व्यावसायिक रूप से उपलब्ध हो गई थी लेकिन पहले के उपकरण महंगे और भारी थी. उनके रखरखाव में भी काफी मेहनत लगती थी. लेकिन जब ऑटोमेटिक गाड़ियों में लोगों की दिलचस्पी बढ़ी तो उसने इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण तकनीकी विकास को बढ़ावा दिया. LiDAR टेक्नोलॉजी अब ज़्यादा शक्तिशाली, कुशल और वहन योग्य बन पाई है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म के साथ LiDAR के मेल ने वस्तुओं की पहचान और उनके वर्गीकरण को बढ़ाया है. इसने भी LiDAR तकनीकी को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है.
LiDAR का कहां-कहां होता है इस्तेमाल?
एडवांस ड्राइवर असिस्टेंट सिस्टम(ADAS) और सेल्फ ड्राइविंग जैसी ऑटोमेटिक गाड़ियां सड़क और आसपास के वातावरण में चलने के लिए थ्रीडी LiDAR मैप डेटा का इस्तेमाल करती हैं. इतना ही नहीं LiDAR गाड़ियों के लेन में बने रहने और टकराव से बचने के लिए सेंसिंग क्षमता भी मुहैया कराता है. LiDAR टेक्नोलॉजी की सबसे ज़्यादा मांग ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री की तरफ से आती है. 2022 में इस तकनीकी ने करीब 332 मिलियन डॉलर का राजस्व पैदा किया. इस साल अब तक अकेले टेस्ला ने ल्यूमिनर से 2 मिलियन डॉलर के LiDAR उपकरण खरीदे.
इस प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कृषि क्षेत्र में भी किया जाता है. वहां फसल की स्थिति और मिट्टी के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. मौसम का पूर्वानुमान लगाने, तापमान मापने, बादलों के आवरण, हवा का घनत्व और दूसरे वायुमंडलीय मानदंडों को मापने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है. इसका इस्तेमाल भूविज्ञान और खनन में नक्शा बनाने और सर्वेक्षण के लिए होता है. स्मार्ट शहरों में LiDAR प्रौद्योगिकी को दूसरी सुविधाओं, परिवहन और बुनियादी ढांचे की तकनीकों के साथ एकीकृत किया जाता है. इसके अलावा विनिर्माण, वानिकी, उड्डयन, बाथिमेट्री, ऊर्जा और निर्माण के क्षेत्र में भी LiDAR का इस्तेमाल होता है.
मौसम का पूर्वानुमान लगाने, तापमान मापने, बादलों के आवरण, हवा का घनत्व और दूसरे वायुमंडलीय मानदंडों को मापने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है.
अगर सैन्य क्षेत्र की बात करें तो LiDAR का इस्तेमाल मानव रहित ज़मीनी और हवाई वाहनों में ऑटोमेटिक नेविगेशन क्षमताओं के समर्थन के लिए किया जा रहा है. इसकी मदद से युद्ध क्षेत्र में हुए नुकसान का आकलन भी किया जा सकता है. इसका फायदा ये होगा कि सैन्य कर्मियों को हानि का जायज़ा लेने के लिए खुद युद्धक्षेत्र में नहीं जाना पड़ेगा. उन पर भी ख़तरा कम हो जाएगा. अमेरिकी सेना का कहना है कि LiDAR का इस्तेमाल "प्लेटफ़ॉर्म लक्ष्य पहचान, टारगेट प्वाइंट के चयन, रेंज इंस्ट्रुमेशन सपोर्ट, हथियार सुरक्षा और मैपिंग में किया जा सकता है".
चीन की बढ़ता प्रभुत्व और अमेरिका की चिंताओं में बढ़ोत्तरी
2018 तक LiDAR के वैश्विक बाज़ार में अमेरिकी कंपनियों का दबदबा था. लेकिन अब हेसाई, रोबोसेंस, सेयॉन्ड और लीवॉक्स जैसी चाइनीज़ कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाज़ार पर तेज़ी से छा रही हैं. इसमें अमेरिकी बाज़ार भी शामिल है. चीन की सत्तारूढ़ चाइनीज़ कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) भी इन कंपनियों की पूरी मदद कर रही हैं. सिविल और मिलिट्री फ्यूज़न पर काम करते हुए चीन की सरकार अपनी औद्योगिक नीतियों के तहत LiDAR का निर्माण कर रही चीन की कंपनियों को शुल्क में रियासत और सब्सिडी दे रही है. अगर बिक्री के प्राप्त राजस्व के हिसाब से देखें तो वैश्विक बाज़ार में अकेले हेसाई की हिस्सेदारी 47 प्रतिशत की है.
चीन की कंपनियां अपने देश के कानूनों के अधीन हैं. इन कानूनों के तहत वो अपने उत्पादों और प्रणालियों द्वारा जुटाए गए आंकड़ों को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सरकार) के साथ साझा करने को बाध्य हैं. यानी अगर चीनी सरकार चाहे तो वो इनसे डेटा मांग सकती है. अमेरिका के लिए ये राष्ट्रीय सुरक्षा का गंभीर मुद्दा है, क्योंकि इसका मतलब ये हुआ कि चीन की ख़ुफिया एजेंसियों की पहुंच ना सिर्फ अमेरिका के मैपिंग और आधारभूत ढांचों के आंकड़ों तक है बल्कि अमेरिका की सैन्य प्रणालियों तक भी उनकी पहुंच है. वो साइबर अटैक कर सकती हैं. सॉफ्टवेयर अपडेट के ज़रिए वो मेलवेयर जैसे वायरस को पैदा कर सकते हैं. चीन के LiDAR उपकरण पर निर्भर होने की वजह से वो जब चाहें तब अमेरिका की प्रणालियों और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को नीचा दिखा सकता है. हेसाई पहले ही ये स्वीकार कर चुका है कि “चीन की सरकार के पास उसके संचालन को विनियमित करने के लिए कई महत्वपूर्ण अधिकार हैं”. अगर सरकार चाहे तो अमेरिका के प्रतिभूति और विनियम आयोग (शेयर बाज़ार) के भेजे गए किसी भी फ़ॉर्म को प्रभावित कर सकती है, उसमें दख़ल दे सकती है.
ऐसे में ज़्यादा चिंता की बात ये है कि चीन की LiDAR निर्माता कंपनियां अमेरिका के FPGAs का इस्तेमाल कर अपना सिस्टम तैयार कर रही है और शायद ये चीन के स्वचालित वाहन प्रणालियों में उपयोग किया जा रहा है.
इसके अलावा ज्यादातर व्यापारिक LiDAR सेंसर्स को काम करने के लिए फील्ड प्रोग्रामेबल गेट ऐरे (FPGA) सेमीकंडक्टर की ज़रूरत होती है. आम तौर पर LiDAR सिस्टम में जिस FPGA चिप्स का इस्तेमाल होता है, वो अमेरिकी वाणिज्य विभाग के उद्योग और सुरक्षा ब्यूरो (BIS) के तहत निर्यात नियंत्रण के अधीन नहीं हैं. फिलहाल दो अमेरिकी कंपनियां ज़िलिक्स इंक और अल्टेरा कॉरपोरेशन दुनिया के FPGA मार्केट को कंट्रोल करती हैं. ऐसे में ज़्यादा चिंता की बात ये है कि चीन की LiDAR निर्माता कंपनियां अमेरिका के FPGAs का इस्तेमाल कर अपना सिस्टम तैयार कर रही है और शायद ये चीन के स्वचालित वाहन प्रणालियों में उपयोग किया जा रहा है.
अमेरिका की प्रतिक्रिया
जनवरी 2024 में अमेरिका के रक्षा विभाग (DoD) ने हेसाई को “चीन की सैन्य कंपनी” के तहत वर्गीकृत कर अपनी 1260H लिस्ट में शामिल किया. 1260H सूची में उन चाइनीज़ कंपनियों को शामिल किया जाता है, जिनके बारे में अमेरिकी रक्षा विभाग को शक होता है कि वो चीन की सिविल-मिलिट्री फ्यूज़न रणनीति का हिस्सा हैं और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर अमेरिका में काम कर रही हैं. हेसाई को इस लिस्ट में शामिल करना बहुत बड़ा कदम है क्योंकि ये इस सूची में शामिल होने वाली ना सिर्फ पहली LiDAR निर्माता कंपनी है बल्कि अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड कंपनी भी है, जिसे 1260H सूची में शामिल किया गया है.
मार्च 2024 में बीआईएस ने सूचना और प्रौद्योगिकी की सेवा देने वाली उन विदेशी कंपनियों की पहचान के लिए एक नियम का प्रस्ताव किया, जो अब स्वायत्त गाड़ियों का अभिन्न अंग बन चुकी है. इसमें LiDAR का खास तौर पर उल्लेख किया गया था. मई 2024 में प्रतिनिधि सभा ने अमेरिकी रक्षा खर्च विधेयक को पारित किया, जिसमें ऐसे उपाय किए गए हैं कि अमेरिकी रक्षा विभाग अपनी सुरक्षा प्रणालियों में ना तो चीन के LiDAR उपकरणों को इस्तेमाल करेगा, ना ही उसे खरीदेगा.
चीन की LiDAR कंपनियों के ख़िलाफ उठाए जा रहे ये कदम अमेरिका की उस व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जिसमें अमेरिका खुद को चीन की कंपनियों से अलग कर रहा है. 2022 का चिप्स और साइंस एक्ट भी इसका एक उदाहरण है. ये भारत जैसे उन देशों के लिए एक चेतावनी भी है. भारत को अपने यहां उन चीजों का उत्पादन बढ़ाना होगा, जिसके लिए वो अब भी काफी हद तक चीन से होने वाले आयात पर निर्भर हैं. भारत को अपना विनिर्माण और औद्योगिक आधार को मज़बूत करना होगा. ऐसा करके ही वो चीन से मिलने वाली प्रतिस्पर्धा को ख़त्म कर सकता है क्योंकि चीन की कंपनियों को वहां की सरकार सब्सिडी देती है. खासकर जब मामला उभरती हुई और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मानी जाने वाली LiDAR जैसे टेक्नोलॉजी का है तो और भी सावधान रहने की ज़रूरत है.
प्रतीक त्रिपाठी ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में रिसर्च असिस्टेंट हैं.
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