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Published on Jun 18, 2024 Updated 0 Hours ago

यूरोपीय संसद के लिए 2024 के चुनाव जो 6-9 जून के बीच होने वाले हैं उसके चलते यूरोपीय ग्रीन डील का भाग्य अब अधर में लटका हुआ है.

यूरोपीय ग्रीन डील का भविष्य: चुनौतियां और अवसर

सन 2023 इतिहास का सबसे गर्म वर्ष रहा. 2019 में हुए पिछले यूरोपीय संघ के चुनाव के बाद से जलवायु परिवर्तन की गति ने ख़ासी तेजी पकड़ी है

 

यूरोपीय संसद के लिए 2024 के चुनाव जो 6-9 जून के बीच होने वाले है उसके चलते यूरोपीय ग्रीन डील का भाग्य अब अधर में लटका हुआ है. यह डील वॉन डेर लेयेन कमीशन का वह ऐतिहासिक कानून है जिसका उद्देश्य यूरोप को 2050 तक दुनिया का पहला क्लाइमेट न्यूट्रल महाद्वीप बनाने का है

 

2019 में लागू की गई यूरोपीय ग्रीन डील को यूरोपीय संघ का 'मैन ऑन मून मोमेंट' माना जाता है. इस डील के अमल में आने के बाद से यूरोपीय संघ ने इसमें व्याप्त लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कई कदम उठाए हैं. इन कदमों में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना, जैव विविधता की रक्षा करना और नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाना शामिल है. इन कदमों में नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाने की प्रक्रिया रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद और तेज़ हो गई. इन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए REPower EU स्ट्रेटेजी और फिट फॉर 55 पैकेज जैसे कई मसौदे इसके लिए अमल में लाए गए.

  नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाने की प्रक्रिया रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद और तेज़ हो गई. इन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए REPower EU स्ट्रेटेजी और फिट फॉर 55 पैकेज जैसे कई मसौदे इसके लिए अमल में लाए गए.

इस डील को अब तक कई सफलताएं हासिल हो चुकी हैं. उदाहरण के लिए, जर्मनी में कार्बन उत्सर्जन 2022 के आंकड़ों के मुकाबले 73 मिलियन मीट्रिक टन कम हो गया है और एगोरा एनर्जीवेंडे नामक संस्थान के आंकड़ों के अनुसार 2022 में जर्मनी की ऊर्जा की मांग की आधी से अधिक आपूर्ति नवीकरणीय ऊर्जा द्वारा पूरी की गई.

 

संकट में लग रहा है ग्रीन एजेंडा  

 

ग्रेटा थनबर्ग की सक्रिय भागीदारी से प्रेरित होकर यूरोप महाद्वीप 2019 में एक ग्रीन वेव यानी पर्यावरण के बचाव के समर्थकों की लहर से घिरा हुआ था. इसी दौरान यूरोप की जनता अपने राजनीतिक नेतृत्व पर जलवायु परिवर्तन के ख़िलाफ़ कदम उठाने के लिए दबाव बनाने के लिए सड़कों पर उतर आई थी और जलवायु परिवर्तन के एक प्रमुख मुद्दे के रूप में उभरने के साथ ही यूरोपीय संघ में ग्रीन्स ग्रुप ने उसी वर्ष हुए यूरोपीय संसद के चुनावों में 71 सीटें हासिल की

 

हालांकि कोविड-19 महामारी और यूक्रेन और रूस के बीच के युद्ध और वैश्विक व्यापार में चल रहे तनाव ने तब से लेकर अब तक प्राथमिकताओं में काफ़ी फ़ेरबदल किया है. और यही कारण है कि जलवायु परिवर्तन अब बर्लेमोंट (ब्रसेल्स में एक बिल्डिंग जहां यूरोपीय पार्लियामेंट स्थित है ) की प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर नहीं है. जलवायु परिवर्तन की जगह रक्षा, औद्योगिक स्पर्धा और आर्थिक संकटों का मुकाबला करने के मुद्दे अब यूरोपीय पार्लियामेंट में सर्वोपरि है. अभी हो रहे यूरोपीय संघ के चुनावों से ठीक पहले यूरोपीय संघ के नेताओं द्वारा प्रस्तुत किए गए एक मसौदे में विदेश नीति, सुरक्षा और संघ के विस्तार के मामलों के कई संदर्भ मौजूद है लेकिन जलवायु परिवर्तन पर केंद्रित विषयों का ज़िक्र नहीं है. इस मसौदे के मुकाबले 2019 के विजन दस्तावेज़ में मुख्य विषय यानी मसौदा जलवायु परिवर्तन ही था. 

 अभी हो रहे यूरोपीय संघ के चुनावों से ठीक पहले यूरोपीय संघ के नेताओं द्वारा प्रस्तुत किए गए एक मसौदे में विदेश नीति, सुरक्षा और संघ के विस्तार के मामलों के कई संदर्भ मौजूद है लेकिन जलवायु परिवर्तन पर केंद्रित विषयों का ज़िक्र नहीं है. 

इस साल के फरवरी से लेकर अभी चुनावों तक यूरोप में सस्ते यूक्रेनी आयात को लेकर ख़ासा गुस्सा देखा गया और ग्रीन ट्रांजीशन यानि हरित प्राथमिकता वाले उत्पादों की लागत के परिणामस्वरूप यूरोप में किसानों ने विरोध प्रदर्शन भी किया. जनता में व्याप्त इस भावना और शिकायतों का चरम दक्षिणपंथी दलों ने फ़ायदा उठाने का मौका हाथ से नहीं जाने दिया. सरकारी तंत्र के अधिक दख़ल और नियमन और नौकरशाही की जकड़ मजबूत होने की धारणाओं ने भी ग्रीन डील की अलोकप्रिय बनाने में योगदान दिया है और इन सब कारणों से ही जनता और व्यवसायी दोनों इसका विरोध कर रहे हैं

 

यूरोपीय संघ के सदस्य देशों से मिल रहे राष्ट्रीय रुझानों से लगता है कि ग्रीन्स/यूरोपीय फ्री एलायंस ग्रुप के यूरोपीय संसद में सीटें कम होने की उम्मीद है क्योंकि उनके वोट लगातार कम होते नज़र रहे हैं. पोलिटिको के पोल ऑफ पोल ने 720-सदस्यीय यूरोपीय संसद में ग्रीन समूह के लिए 41 सीटों की भविष्यवाणी की है. और तो और दक्षिणपंथी पार्टियों के यूरोपीय संघ में बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद है जिसका यूरोप के ग्रीन एजेंडे के भविष्य पर असर होगा. इसके अलावा पोलैंड, बेल्जियम, इटली और नीदरलैंड जैसे सदस्य देशों में डच फार्मर्स डिफेन्स फोर्स जैसे स्थानीय कट्टरपंथी समूहों ने, जिसके नेता वान डेन ओवर ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यहूदियों के साथ हुई स्थिति से आज के यूरोपीय किसानों की स्थिति की तुलना की है, यूरोपीय ग्रीन पॉलिसी का घोर विरोध किया है और यूरोपीय पार्लियामेंट के चुनावों में नागरिकों को अपने हितों के लिए मतदान करने के लिए प्रोत्साहित किया है. राष्ट्रीय स्तर पर गैर-लोकप्रिय नीतियों जैसे गैस बॉयलरों को गैरकानूनी घोषित करने की योजना ने जर्मनी की गठबंधन सरकार को तो लगभग गिरा ही दिया था.

 

यूरोपीय चुनावों में दक्षिणपंथी पार्टियों के अपेक्षित विजय के आसार ने पहले से ही यूरोपीय कमीशन के अध्यक्ष वॉन डेर लेयेन की सेंटर-राइट यूरोपियन पीपुल्स पार्टी (EPP) जैसी मुख्यधारा की पार्टियों को मतदाताओं के बीच अपनी पैठ बढ़ाने के लिए स्वयं के ग्रीन डील के कुछ हिस्सों को लचीला करने और अधिक दक्षिणपंथी बातों को स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया है. यह कदम नेचर रेस्टोरेशन कानून को अमल में लाने में देरी से स्पष्ट होता है. यह कानून 2030 तक कम से कम 20% भूमि और समुद्री क्षेत्रों को फिर से बहाल करने और अंततः 2050 तक सभी इकोसिस्टमस को फिर जीवित करने का लक्ष्य रखता है. इसके साथ साथ रासायनिक कीटनाशकों के उपयोग को आधा करने के लिए प्रस्तावित एक विधेयक को वापस लेने का भी प्रस्ताव है. EPP के चरमपंथी गुटों, सुधारवादी तत्वों और लोकप्रिय दक्षिणपंथी नेता इटली के प्रधानमंत्री मेलोनी के ग्रुप के साथ संभावित गठबंधन भी यूरोपीय संघ के हरित एजेंडे के कुछ हिस्सों को और अधिक प्रभावित कर सकते हैं.

 लेकिन यह भी बात यहां उल्लेखनीय है कि फॉसिल फ्यूल आधारित वाहनों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के यूरोप के लक्ष्य को EV के कारण ही संभव किया जा रहा है और चीन से आयातित EV वाहन वर्तमान में यूरोपीय EV वाहनों की तुलना में बहुत सस्ते हैं. 

हालांकि यूरोपीय संघ की प्राथमिकताओं में जलवायु परिवर्तन अब काफ़ी नीचे गया है लेकिन इसके बावजूद 2023 के यूरोबैरोमीटर सर्वेक्षण से पता चलता है कि 77 प्रतिशत लोग जिन्होंने सर्वेक्षण में हिस्सा लिया वो यह मानते है कि जलवायु परिवर्तन एक गंभीर मुद्दा है और 85 प्रतिशत का मानना है कि यूरोपीय संघ को इससे निपटने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए. दूसरी ओर, यूरो न्यूज़ और इप्सोस द्वारा 26,000 लोगों के बीच किए गए सर्वेक्षण से यह रुझान मिलता है कि जलवायु परिवर्तन लोगों की प्राथमिकता में छठे स्थान पर आता है जबकि इमीग्रेशन और मुद्रास्फीति जैसे मुद्दे इस क्रम में जलवायु परिवर्तन से ऊपर है.

 

प्रतिस्पर्धा ही मंत्र है 

 

इटली के पूर्व प्रधानमंत्री और यूरोपीय केंद्रीय बैंक के अध्यक्ष मारियो ड्रैगी का अनुमान है कि यूरोप के ग्रीन और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के लिए सालाना 500 अरब यूरो अथवा 500 बिलियन यूरो की आवश्यकता होगी. लेकिन सुस्त पड़ी यूरोपीय अर्थव्यवस्था और बढ़ती मुद्रास्फीति के बीच इस निवेश को संभव कर पाना चुनौतीपूर्ण होगा

 

यूरोप का जलवायु परिवर्तन के ख़िलाफ़ लड़ाई के लिए ज़रूरी ग्रीन ट्रांजीशन की मुहिम को यूरोपीय बाज़ार में सस्ते चीनी इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) का बड़ी तादात में आयात (जो यूरोपीय ऑटोमोबाइल निर्माताओं को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर रहा है) और वैश्विक व्यापार में बढ़ रहा तनाव और भी पेचीदा कर रहा है. लेकिन यह भी बात यहां उल्लेखनीय है कि फॉसिल फ्यूल आधारित वाहनों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के यूरोप के लक्ष्य को EV के कारण ही संभव किया जा रहा है और चीन से आयातित EV वाहन वर्तमान में यूरोपीय EV वाहनों की तुलना में बहुत सस्ते हैं. 

 

यूरोपीय संघ के लिए अब मुख्य चुनौती आर्थिक प्रतिस्पर्धा को केंद्र में रखते हुए अपने औद्योगिक और कृषि क्षेत्रों के हितों की रक्षा करने के साथ-साथ जलवायु लक्ष्यों को संतुलित करना होगा. यही कारण है कि EPP (वह समूह जिसके चुनाव में जीतने की पूरी संभावना है) का घोषणा पत्रजलवायु नीति को हमारी अर्थव्यवस्था और समाज के हितों के साथ-साथ चलने" का संकल्प रेखांकित करता है


शैरी मल्होत्रा ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में एसोसिएट फेलो हैं।

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