यूरोपीय संघ-आसियान का 45वां स्मारक शिखर सम्मेलन 14 दिसंबर को आयोजित किया गया. इसके अंतर्गत लीडर्स समिट को पहली बार आयोजित किया गया. उल्लेखनीय है कि वर्ष 2020 के बाद से यूरोपीय संघ-आसियान के मेलजोल ने 'समृद्धि बढ़ाने, सुरक्षा को बढ़ावा देने, लचीलापन को मज़बूत करने और स्थायी कनेक्टिविटी में सुधार' की दिशा में काम करने की प्रतिबद्धता के साथ एक रणनीतिक साझेदारी की अगुवाई की है.
EU-ASEAN संबंधों पर एक नज़र
यूरोपीय संघ-आसियान संबंध 45 वर्षों में लगातार मज़बूत हुए हैं. वर्ष 1977 में दोनों संगठनों के बीच औपचारिक संवाद संबंध यानी बातचीत का सिलसिला शुरू किया गया था. वर्ष 2007 में हमने यूरोपीय संघ-आसियान की साझेदारी को बढ़ाने के लिए नूरेमबर्ग डिक्लेरेशन को अपनाते हुए देखा. यूरोपीय संघ ने आसियान की मित्रता और सहयोग के समझौते को स्वीकार किया और वर्ष 2012 में बांडर सेरी बेगावान कार्य योजना 2013-2017 को अपनाया. आगे वर्ष 2015 में यूरोपीय संघ ने जकार्ता में आसियान के लिए एक अलग मिशन की शुरुआत की. इसके बाद वर्ष 2018-2022 के लिए दूसरी आसियान-ईयू कार्य योजना बनाई गई. दोनों संगठनों के बीच के इन संबंधों को वर्ष 2020 में एक रणनीतिक साझेदारी में और मज़बूत किया गया. अब इस वर्ष हुए यूरोपीय संघ-आसियान स्मारक शिखर सम्मेलन में वर्ष 2023-2027 के लिए एक नई कार्य योजना को अपनाया गया है.
यूरोपीय संघ ने आसियान की मित्रता और सहयोग के समझौते को स्वीकार किया और वर्ष 2012 में बांडर सेरी बेगावान कार्य योजना 2013-2017 को अपनाया. आगे वर्ष 2015 में यूरोपीय संघ ने जकार्ता में आसियान के लिए एक अलग मिशन की शुरुआत की.
यूरोपीय संघ, ईस्ट एशिया समिट (EAS), ASEAN +1 समिट और ADMM+ का हिस्सा नहीं है. यूरोपीय संघ, आसियान रीजनल फोरम (ARF) का हिस्सा है और आसियान के साथ विदेश मंत्री स्तर की बैठकें आयोजित करता है. आसियान की केंद्रीयता को लेकर अपनी प्रतिबद्धता के बावज़ूद ईयू आसियान-केंद्रित संस्थानों के साथ पूरी तरह से जुड़ा हुआ नहीं है. संयुक्त बयान में यूरोपीय संघ द्वारा ईस्ट एशिया समिट में शामिल होने की अपनी दिलचस्पी को प्रदर्शित किया है.
स्मारक शिखर सम्मेलन और इससे जुड़े अन्य आयोजन
स्मारक शिखर सम्मेलन से पहले इसी तरह के कई समानांतर आयोजन किए गए. इन आयोजनों के माध्यम से यूरोपीय संघ और आसियान के सदस्य देशों के युवाओं एवं निजी क्षेत्र को शामिल करने का प्रयास किया गया. इसके साथ ही आमने-सामने और वर्चुअल दोनों ही तरीक़ों से लोगों के मेल-मिलाप को बढ़ाने की कोशिश की गई.
दिसंबर में, ASEAN रीजन में उच्च शिक्षा के लिए यूरोपीय संघ के समर्थन (SHARE) से जुड़ी परियोजना सात साल बाद पूर्ण हुई. इसने आसियान उच्च शिक्षा गतिशीलता पर असर डाला और इससे यूरोपीय संघ-आसियान सदस्य देशों के बीच पारस्परिक संपर्क में बढ़ोतरी हुई. EU-SHARE और इरैस्मस प्लस, दोनों कार्यक्रमों ने शोधकर्ताओं, उच्च शिक्षण संस्थानों और छात्रों को न केवल लाभान्वित किया है, बल्कि इन कार्यक्रमों के माध्यम से आगे के विकास को लेकर उनके अनुभवों को भी साझा करने का अवसर प्रदान किया गया.
यूरोपीय संघ चूंकि अपनी ग्लोबल गेटवे परियोजना पर काम कर रहा है और इसे आसियान के कनेक्टिविटी मास्टर प्लान 2025 से जोड़ने की कोशिश कर रहा है, इसलिए ईयू इस शैक्षणिक संबंधों का उपयोग यह देखने के लिए करना चाहता है कि कौशल, लोकतांत्रिक शिक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य, ग्रीन इकोनॉमी में बदलाव और डिजिटल कनेक्टिविटी किस प्रकार की हो सकती है. क्योंकि इस सबके लिए ऐसी कार्रवाई की ज़रूरत होती है, जो सरकार के आपसी संबंधों से अलग हो. यूरोपीय संघ-आसियान युवा शिखर सम्मेलन 13 दिसंबर को आयोजित किया गया था और यह एक प्रकार से यूरोपीय संघ-आसियान यंग लीडर्स फोरम का निष्कर्ष था, जिसमें कार्यक्रमों का एक वार्षिक लेखा-जोखा होता है. यंग लीडर्स फोरम को वर्ष 2018 में गठित किया गया था और इसका उद्देश्य रणनीतिक साझेदारी पर पारस्परिक दृष्टिकोण का आदान-प्रदान करने के लिए यूरोपीय संघ और आसियान के युवाओं को शामिल करना था.
10वीं आसियान-यूरोपीय संघ बिजनेस समिट भी 13 दिसंबर को आयोजित की गई थी. इस समिट की थीम थी- 'आसियान-यूरोपीय संघ व्यापारिक संबंधों को प्रगाढ़ करना: सभी के लिए स्थाई विकास.' इस समिट ने यूरोपीय संघ-आसियान आर्थिक सहयोग की संभावनाओं को तलाशा. इसमें कई ईयू कमिश्नरों, आसियान नेताओं के साथ-साथ तमाम यूरोपीय देशों के उद्योगपतियों ने हिस्सा लिया.
स्मारक समिट की सह-अध्यक्षता यूरोपीय परिषद की अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल और आसियान के अध्यक्ष एवं कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन सेन द्वारा की गई थी, जिन्होंने नवंबर में नोम पेन्ह में आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान प्रतीकात्मक रूप से इंडोनेशिया को मौजूदा वर्ष के अध्यक्ष के रूप में अध्यक्षता की ज़िम्मेदारी सौंपी थी. यह यूरोपीय संघ और आसियान के लिए अंतर्राष्ट्रीय क़ानून और प्रभावी बहुपक्षवाद की तलाश को लेकर नियम-क़ानून पर आधारित एक अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के अपने समान लक्ष्य को अमली जामा पहनाने के लिए एक राजनीतिक मंच था.
रणनीतिक साझेदारी
यूरोप के बाहर आसियान, यूरोपीय संघ का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है. पहला सबसे बड़ा भागीदार अमेरिका है और दूसरा बड़ा भागीदार चीन है. वर्ष 2021 में ईयू एफडीआई का दूसरा सबसे बड़ा प्रदाता था. ईयू का सिंगापुर और वियतनाम जैसे आसियान सदस्य देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौता है, जबकि यह इंडोनेशिया, फिलीपींस, मलेशिया और थाईलैंड के साथ इसी तरह की बातचीत में तेज़ी लाने में जुटा हुआ है. यूरोपीय संघ ने वर्ष 2010 में सिंगापुर और मलेशिया जैसे आसियान सदस्य देशों के साथ, वर्ष 2012 में वियतनाम, वर्ष 2013 में थाईलैंड, वर्ष 2015 में फिलीपींस और वर्ष 2016 में इंडोनेशिया के साथ व्यापार वार्ता शुरू की. हालांकि यूरोपीय संघ आसियान के साथ मुक्त व्यापार समझौता को प्राथमिकता देना पसंद करेगा. लेकिन मानवाधिकारों के मुद्दों के कारण कंबोडिया और म्यांमार पर यूरोपीय संघ के प्रतिबंध यह सुनिश्चित करते हैं कि फिलहाल यूरोपीय संघ द्विपक्षीय व्यापार समझौतों को ही आगे बढ़ाएगा.
शिखर सम्मेलन के दौरान इंडो-पैसिफिक में सहयोग और नवगठित ईयू इंडो-पैसिफिक रणनीति एवं इंडो-पैसिफिक पर आसियान आउटलुक (AOIP) के बीच तालमेल स्थापित करने पर भी विस्तृत चर्चा हुई. AOIP और EUIP रणनीति क्षेत्रीय स्थिरता, सुरक्षा, समृद्धि और सतत विकास का अनुसरण करती है, जिनमें से अधिकांश AOIP के उद्देश्यों के साथ मिलते-जुलते हैं. संयुक्त राष्ट्र चार्टर के साथ नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के लिए यूरोपीय संघ और आसियान दोनों की प्रतिबद्धता को जारी रखना यूरोपीय संघ-आसियान स्मारक शिखर सम्मेलन का सबसे बड़ा मकसद था.
ईयू-आसियान कार्य योजना 2023-2027 में सहयोग के छह स्तंभ हैं. इन्हें पहले से ही तैयार कर लिया गया था और शिखर सम्मेलन को दौरान इन पर सहमति भी बन गई थी. हालांकि, आसियान के साथ यूरोपीय संघ की साझेदारी को एक रणनीतिक साझेदारी के रूप में बढ़ाया गया था, लेकिन अब ईयू लीडर्स के स्तर पर नियमित सम्मेलन आयोजित करने के लिए आसियान से पुख्ता वादा चाहता है.
जहां तक सुरक्षा सहयोग की बात है तो यह शांति और स्थिरता बरक़रार रखने, सीमा पार अपराध और आतंकवाद से निपटने के साथ-साथ साइबर सुरक्षा और समुद्री सुरक्षा पर सहयोग करने पर केंद्रित है.
यह रणनीतिक साझेदारी इसलिए परवान चढ़ रही है क्योंकि दोनों स्थिरता की दिशा में काम करने के लिए सहमत हुए हैं. दोनों संगठनों का यह मानना है कि प्रतिवर्ष क़रीब एक करोड़ लोग यूरोपीय संघ और आसियान के बीच यात्रा करते हैं और ईयू-आसियान व्यापार लगभग 250 अरब यूरो का है, जिसमें आसियान देशों की तरफ से यूरोपीय संघ को होने वाला लगभग 140 अरब यूरो का निर्यात और ईयू की तरफ से आसियान को होने वाला क़रीब 100 अरब यूरो का निर्यात शामिल है. दोनों के बीच सुरक्षा चुनौतियों का भी उल्लेख किया गया है, लेकिन ये प्रमुखता से आतंकवाद को विरुद्ध लड़ाई, साइबर सुरक्षा और समुद्री सुरक्षा के लिए प्रशिक्षण से संबंधित हैं. यूरोपीय संघ-आसियान रणनीतिक साझेदारी दस्तावेज़ में चार पिलर्स का उल्लेख है, यानी आर्थिक सहयोग, सुरक्षा सहयोग, टिकाऊ संपर्क और सतत विकास. हालांकि, यह सब अपने आप में थोड़ा घुमावदार लग सकते हैं. यहां आर्थिक सहयोग का उद्देश्य एक सर्कुरल इकोनॉमी, राजकोषीय स्थिरता, स्थायी वित्तपोषण, साफ-सुथरा व्यापार, श्रम अधिकार और रोज़गार सृजन को शामिल करना है.
जहां तक सुरक्षा सहयोग की बात है तो यह शांति और स्थिरता बरक़रार रखने, सीमा पार अपराध और आतंकवाद से निपटने के साथ-साथ साइबर सुरक्षा और समुद्री सुरक्षा पर सहयोग करने पर केंद्रित है. टिकाऊ संपर्क का स्तंभ का फोकस परिवहन संपर्कों में विविधता लाने, सुरक्षित और नवीकरणीय ऊर्जा आपूर्ति को बढ़ावा देने, शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में सहयोग करने और संस्कृति एवं पर्यटन को बढ़ावा देने पर है. अंतिम स्तंभ मानव अधिकारों, जलवायु परिवर्तन और स्वच्छ ऊर्जा, स्मार्ट शहरों, ब्लू इकोनॉमी और पर्यावरण संरक्षण के लिए बदलाव पर ज़ोर देता है.
ग्लोबल गेटवे से यूरोपीय संघ और आसियान के बीच स्मार्ट, स्वच्छ और सुरक्षित संपर्कों को बढ़ाने की उम्मीद है. यह हरित परिवर्तन और स्थायी कनेक्टिविटी को बढ़ावा देगा, जिसको अब आसियान में प्राथमिकता दी जाती है. यूरोपीय संघ के बजट और सदस्य देशों की पब्लिक फंडिंग से वर्ष 2027 तक आसियान के लिए निवेश में 10 अरब यूरो के लाभ की उम्मीद है.
जहां तक ज्वाइंट स्टेटमेंट में किए गए वादों की बात है, तो 50 पैराग्राफ का संयुक्त बयान बहुत लंबा है और इसमें बातों को बहुत बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया गया है, जैसा कि अक्सर इस तरह के दस्तावेज़ों में होता है. देखा जाए तो इसमें एक किस्म से कई लक्ष्यों और चल रहे कार्यक्रमों का दोहराव है और यह एक ऐसा स्टेटमेंट है, जो यह दर्शाता है कि यूरोपीय संघ की अब आसियान में अधिक दिलचस्पी है. ज़ाहिर है कि यह विकसित भू-सामरिक और भू-आर्थिक परिस्थितियों के मद्देनज़र लाजिमी भी है.
अलग-अलग नज़रिया और दिलचस्पी
लेकिन यह साझा बयान ताइवान को लेकर चल रहे मतभेदों के लिए आवश्यक और अहम दस्तावेज़ नहीं बना सका. जबकि आसियान की प्राथमिकता वाले दक्षिण चीन सागर के मुद्दे पर इसमें विस्तार से उल्लेख किया गया है. यूरोपीय संघ द्वारा ताइवान का मुद्दा इसमें शामिल करने की इच्छा के बावज़ूद, उसके लेकर कुछ भी नहीं किया गया. एक और बात यह है कि आसियान अपने अन्य भागीदारों के साथ चीन की आलोचना को लेकर उनका साथ देने को तैयार नहीं है. आसियान सिर्फ़ वहीं तक अपनी भागीदारों के साथ खड़ा है, जहां तक वे दक्षिण चीन सागर के मुद्दे पर चीन की आलोचना करते हैं.
इसी प्रकार, यूक्रेन के मुद्दे पर इसमें एक विस्तृत पैराग्राफ है, लेकिन इसको लेकर ईयू की तरह सभी आसियान देश एक मत नहीं दिखे. यूक्रेन पर आसियान के बीच फूट और रूस की आलोचना स्वयं ज़ाहिर होती है. म्यांमार के मुद्दे पर यूरोपीय संघ और अधिक मज़बूती से अपना पक्ष रखना चाहता है, लेकिन आसियान नेतृत्व पांच सूत्री आम सहमति के साथ चल रहा है. हालांकि, अब उम्मीद है कि कंबोडिया की तुलना में इंडोनेशिया अपनी अध्यक्षता में इसे बेहतर ढंग से लागू करने में सक्षम होगा.
निष्कर्ष
यूरोपीय संघ अपनी इंडो-पैसिफिक पॉलिसी के साथ इस क्षेत्र में एक बड़ी भूमिका निभाने की कोशिश कर रहा है. इसका मुख्य ज़ोर बढ़ते आसियान मार्केट तक अपनी बेहतर आर्थिक पहुंच बनाना है. यूरोपीय संघ व्यापार और निवेश के लिहाज़ से एक प्रमुख खिलाड़ी है और इसे हरित, टिकाऊ एवं डिजिटल अर्थव्यवस्था में विस्तारित करना चाहता है. यदि इस प्रक्रिया में, यूरोपीय संघ एक बेहतर रणनीतिक इंटरफ़ेस प्राप्त करता है, तो इससे उसे बेहद प्रसन्नता होगी. जहां तक आसियान की बात है तो वह इसलिए ख़ुश है कि उसे यूरोपीय संघ जैसे बड़े समूहों द्वारा ऐसे वक़्त में आकर्षित किया जा रहा है, जब उसकी एकता और केंद्रीयता दोनों पर ही सवाल उठ रहे हैं.
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