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हाल ही में फ्रांसिस हौगेन की गवाही ने फेसबुक को सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है, जिसमें उन्होंने फेसबुक के कुछ ख़तरनाक एल्गोरिथमों को चिन्हित किया है. इस खुलासे के बाद ये सवाल उठने लगा है कि क्या सरकारों को बड़ी टेक कंपनियों पर अपना नियंत्रण रखते हुए उन्हें विनयमित करना चाहिए?
कई मायनों में लगता है कि बड़ी टेक कंपनियां भी अब उस “बिग टोबैको मोमेंट” से गुज़र रही हैं, जो बीते समय के एक चिर परिचित संघर्ष की याद दिलाता है. फेसबुक के पुराने कर्मचारी, नागरिक संगठन और विधि निर्माता, ये सभी दुनिया के सबसे बड़े सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म के ऐसे एल्गोरिथमों (वह तकनीकी गणित जो फेसबुक की हर गतिविधि तय करता है) की निंदा कर रहे हैं, जो “बचपन के उस पहले सिगरेट” की तरह हैं, जिनके चलते किशोर उम्र के बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ रहा है. तंबाकू या सिगरेट के मामले की तरह, बच्चों को बड़ी टेक कंपनियों के ख़तरों से बचाने से जुड़े मुद्दे को लेकर राजनीतिक निष्क्रियता के माहौल में भी द्विपक्षीय सहमति की स्थिति बन रही है. इसे लेकर सक्रियता तो बहुत है लेकिन हम इतिहास से भी परिचित हैं. इसके अलावा एक समस्या ये भी है कि इस डिजिटल युग में तकनीकी उत्पादों के विकसित होने और नीति निर्माण की प्रक्रिया की दर में काफ़ी अंतर है, जो कई अभूतपूर्व है.
40 साल बाद, 1994 में, सात तंबाकू कंपनियों के अधिकारियों ने अमेरिकी कांग्रेस में शपथ लेते हुए कहा कि उन्हें यकीन नहीं था कि निकोटीन नशीला होता है.
4 जनवरी, 1954 में अमेरिका की बड़ी तंबाकू कंपनियों ने अमेरिका के चार सौ से ज़्यादा अखबारों में “सिगरेट पीने वालों के नाम एक स्पष्ट संदेश” शीर्षक से एक वक्तव्य जारी किया. उसमें उन्होंने घोषणा की: “हम लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ी जवाबदेही को अपनी एक बुनियादी जिम्मेदारी के तौर पर स्वीकार करते हैं, जो हमारे व्यवसाय के अन्य सभी पहलुओं के लिए महत्त्वपूर्ण है.. हमारा विश्वास है कि जो उत्पाद हम तैयार करते हैं, वो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं है.. हमने हमेशा उनके साथ सहयोग किया है, जिनके ऊपर जन-स्वास्थ्य की रक्षा की जिम्मेदारी है और हम भविष्य में भी ऐसा करेंगे.”
40 साल बाद, 1994 में, सात तंबाकू कंपनियों के अधिकारियों ने अमेरिकी कांग्रेस में शपथ लेते हुए कहा कि उन्हें यकीन नहीं था कि निकोटीन नशीला होता है. इसके बाद अगले 15 साल “परिवार धूम्रपान रोकथाम और तंबाकू नियंत्रण अधिनियम (फैमिली स्मोकिंग प्रिवेंशन एंड टोबैको कंट्रोल एक्ट)” बनने में लगे, जब तत्कालीन अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने जून 2009 में इस अधिनियम पर हस्ताक्षर करते हुए एफडीए (फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) को तंबाकू उत्पादों को विनयमित करने की शक्ति प्रदान की.
2021 और 1954 की घटनाओं की समानता को लेकर ज़रा भी संदेह नहीं रह जाता है, जब हम फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग को एक व्हिसलब्लोअर के इस धमाकेदार खुलासे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए देखते हैं कि कैसे कंपनी का व्यापारिक मॉडल युवा लोगों ख़ासकर किशोर लड़कियों को नुकसान पहुंचा रहा है. जुकरबर्ग ने एक ब्लॉग में लिखा, “मुझे यकीन है कि आपमें से कई लोगों के लिए हालिया रिपोर्टों पर यकीन करना मुश्किल रहा होगा क्योंकि ये उस कंपनी के आदर्शों को व्यक्त नहीं करता, जिसके बारे में हम सब जानते हैं. हम सुरक्षा, देखभाल और मानसिक स्वास्थ्य जैसे मुद्दों को लेकर बहुत गंभीर हैं. ऐसी मीडिया रपटों को देखना बहुत कठिन है, जो हमारे काम और हमारी मंशा को लेकर दुष्प्रचार कर रहा है. बल्कि सबसे बुनियादी चीज़ ये है कि हममें से ज़्यादातर लोग कंपनी को लेकर फैलाई जा रही धारणा से असहमत हैं, और उसे लेकर गढ़ी हुई तस्वीर से नावाकिफ हैं.”
फेसबुक व्हिसलब्लोअर फ्रांसिस हौगेन ने पांच अक्टूबर, 2021 को तीन घंटे लंबी अपनी विस्फोटक गवाही में विधि निर्माताओं से कहा, “इस संबंध में कांग्रेस की कार्रवाई की ज़रूरत है. (फेसबुक) आपकी सहायता के बिना इसे हल नहीं करेगा.” उन्होंने कई ज़रूरी सुधारों को लेकर लंबी चर्चा की, जो कंपनियों को टूटने से रोकते हैं लेकिन ऐसे तंत्र पर लगाम लगाते हैं, जिसके ज़रिए वो कोड को हथियार की तरह इस्तेमाल करते हैं. हौगेन ने कंपनी द्वारा आंतरिक स्तर पर किए गए एक शोध को सार्वजनिक स्तर पर उजागर किया, जिस पर उन्होंने साल की शुरुआत में कंपनी छोड़ने से पहले काम किया था.
हौगेन ने कंपनी द्वारा आंतरिक स्तर पर किए गए एक शोध को सार्वजनिक स्तर पर उजागर किया, जिस पर उन्होंने साल की शुरुआत में कंपनी छोड़ने से पहले काम किया था.
हौगेन इससे जुड़ी आपातकालीन स्थिति की इशारा करते हुए कहती हैं, “मेरा यकीन है कि हमारे पास अभी भी कार्रवाई के लिए समय बचा हुआ है. लेकिन हमें तुरंत कुछ करना होगा. मैं आप सभी चुने हुए जनप्रतिनिधियों से आग्रह कर रही हूं कि आप कोई कदम उठाएं.” जिस दिन ये गर्मागर्म बहस हुई, उसी दिन सीनेटरों ने त्वरित कार्रवाई का वादा किया. सीनेटर रिचर्ड ब्लूमेंथल, जो उपभोक्ता संरक्षण, उत्पाद सुरक्षा और डेटा सुरक्षा (कंज़्यूमर प्रोटेक्शन, प्रोडक्ट सेफ्टी, एंड डेटा सिक्योरिटी) पर सीनेट उपसमिति के अध्यक्ष हैं, ने कहा, “फेसबुक की लापरवाही के दिन लद गए हैं, क्योंकि मुझे लगता है कि अमेरिकी जनता (सोशल मीडिया से जुड़े) खतरों के प्रति सावधान है, जो उनके बच्चों को निशाना बना रही है.” 2020 के अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव की एक उम्मीदवार और मिनेसोटा की सीनेटर एमी क्लाबाचार, जो प्रतियोगिता नीति, एंटीट्रस्ट और उपभोक्ता अधिकारों (कंपटीशन पॉलिसी, एंटीट्रस्ट, एंड कंज्यूमर राइट्स) पर बनी सीनेट वाणिज्य उपसमिति की अध्यक्ष हैं, ने कहा कि अब समय आ गया है कि हम बच्चों की निजता से जुड़े कानूनों में सुधार करें और एल्गोरिथमों के उपयोग में और अधिक पारदर्शिता लाएं. क्लाबाचार का सोचना है कि हौगेन की गवाही कांग्रेस को किसी “कार्रवाई” के लिए “प्रेरित” कर सकती है.
हौगेन द्वारा दिए गए सुझावों से ये स्पष्ट है कि कोडिंग के स्तर पर क्या कुछ सुधारा जा सकता है और क्या नहीं? उन्होंने सीनेट पैनल के सामने हो रही एक सुनवाई के दौरान कहा, “इस समय, दुनिया में केवल वही लोग फेसबुक के अंदर हो रही हलचलों को समझ सकते हैं जिन्होंने फेसबुक, पिंट्रस्ट या दूसरी किसी सोशल मीडिया कंपनी के साथ काम किया है.”
हौगेन का सुझाव है कि वर्तमान में ट्रैफिक आधारित बिजनेस मॉडल की बजाय समय आधारित मॉडल को अपनाना चाहिए, जहां कंटेंट को समय के आधार पर श्रेणीबद्ध किया जाएगा और उम्मीद है कि ये मॉडल कम भटकाव पैदा करेगा.
हौगेन ने इन प्लेटफार्मों को सरकार द्वारा विनयमित किए जाने की अनुशंसा की है. उन्होंने कहा कि प्लेटफार्मों को उन सामग्रियों और अभिव्यक्तियों के लिए उत्तरदायी होना चाहिए, जिन्हें वे अपने एल्गोरिथमों के जरिए बढ़ावा दे रहे होते हैं. इसके लिए संचार शिष्टाचार अधिनियम (कम्युनिकेशंस डिसेंसी एक्ट) की धारा 230 में संशोधन करना होगा, जिसके कारण वर्तमान में इंटरनेट कंपनियां अस्तित्व में हैं. हौगेन का सुझाव है कि वर्तमान में ट्रैफिक आधारित बिजनेस मॉडल की बजाय समय आधारित मॉडल को अपनाना चाहिए, जहां कंटेंट को समय के आधार पर श्रेणीबद्ध किया जाएगा और उम्मीद है कि ये मॉडल कम भटकाव पैदा करेगा. लेकिन फेसबुक के वैश्विक मामलों के उपाध्यक्ष निक क्लेग, जिन्होंने हौगेन की गवाही के बाद रविवार (10 अक्टूबर) को सारा दिन राजनीतिक चर्चाओं में फेसबुक का पक्ष रखा, इसके ठीक विपरीत सोचते हैं. क्लेग फेसबुक के एल्गोरिथमों को एक ऐसे “बड़े स्पैम फिल्टर” (अवांछित सामग्रियों को हटाने वाला) के तौर पर परिभाषित करते हैं, जो बुरी सामग्रियों को पहले ही छांट देता या उसकी पहुंच सीमित कर देता है. हौगेन ने ये भी कहा था कि फेसबुक के सभी प्लेटफॉर्मों के उपयोग की न्यूनतम आयु सीमा को 13 साल बढ़ाकर 16 या 18 साल कर देना चाहिए. हौगेन की गवाही के बाद फेसबुक ने वादा किया है कि वो किशोरों को दोहराव वाली सामग्रियों से अवकाश लेने के लिए उन्हें “याद दिलाएगा.”
“गोलायथ, द हंड्रेड ईयर वॉर बिटवीन मोनोपॉली पॉवर एंड डेमोक्रेसी” के लेखक मैट स्टॉलर का मानना है कि ऐसी किसी विनियामक का होना एक “बुरा सुझाव” है, भले ही कोडिंग के स्तर पर सुधार बढ़िया हों. इसका कारण समझाते हुए उन्होंने हौगेन की गवाही को टुकड़ों में तोड़ते हुए एक अखबार में लेख लिखा. स्टॉलर लिखते हैं, “हमने कभी भी एक व्यक्ति को इस बात की अनुमति नहीं दी है कि वो सूचना नेटवर्कों के लिए नियम निर्धारित करे और करोड़ों-अरबों लोगों की आपसी बातचीत से बने संचार तंत्र को नियंत्रित करे. लेकिन हम मौजूदा समय में इन्हीं परिस्थितियों में हैं. हमें इस व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव लाते हुए इसे विकेंद्रीकृत करना होगा. लेकिन किसी विनियामक के होने पर मौजूदा हालात बद से बदतर हो जाएंगे. क्योंकि इसके चलते अभिव्यक्ति पर बाज़ार के नियंत्रण के साथ साथ इस राजनीतिक नियंत्रण भी स्थापित हो जाएगा. और इसके साथ ही इससे फेसबुक के एकाधिकार को वैधानिकता मिल जायेगी.” स्टॉलर के अनुसार, विनियमन इस बिजनेस मॉडल को वैधानिक तौर पर स्थापित कर देगा और उससे हो रहे नुकसान को रोकने की बजाय सिर्फ उसकी मरहम पट्टी करेगा. वो कहते हैं, “हमें इसके मूल कारणों की ओर देखना होगा. गलत सूचनाओं, सेंसरशिप और निजता से जुड़ी समस्याओं के मूल स्रोत एकाधिकारवाद और बाज़ारतंत्र हैं.”
फ़ेडरल ट्रेड कमिशन के पूर्व अध्यक्ष, विलियम कोवासिक, बड़ी टेक कंपनियों के विनयमन की तुलना फॉर्मूला वन कार के साथ होड़ लगाने वाली साइकिल से करते हैं. विलियम कोवासिक का मानना है कि विधि निर्माताओं को “निवेश पर सामाजिक लाभ” को लेकर और भी ज़्यादा विचारशील होना चाहिए और समस्याओं के “कारण एवं निदान” को तय करने की प्रक्रियाओं को और भी ज़्यादा विश्वसनीय होना चाहिए. “क्या हमारे पास ये जानने का कोई तरीका है कि एक रास्ते की तुलना में किसी दूसरे रास्ते पर चलने से हमें बेहतर परिणाम मिलेंगे?” अमेरिका में चल रही एंटीट्रस्ट डिबेट पर चर्चा कर रहे साइफाई 2021 (द इंडिया कांफ्रेंस ऑन टेक्नोलॉजी, इनोवेशन एंड सोसायटी, सीवाईएफवाई) पैनल के इतर कोवासिक ने इस लेखक से इस मुद्दे पर बात की, “अगर तुम्हें पता ही नहीं कि तुम कहां जा रहे हो, तो तेज़ दौड़ने से बेहतर परिणाम हासिल नहीं होंगे.”
विलियम कोवासिक का मानना है कि विधि निर्माताओं को “निवेश पर सामाजिक लाभ” को लेकर और भी ज़्यादा विचारशील होना चाहिए और समस्याओं के “कारण एवं निदान” को तय करने की प्रक्रियाओं को और भी ज़्यादा विश्वसनीय होना चाहिए.
कोवासिक यूनाइटेड किंगडम में प्रतिस्पर्धा और बाजार तंत्र द्वारा अनुसंधान क्षमता में निवेश के लिए एक मॉडल के रूप में देखते हैं, जो तेजी से विकसित हो रही प्रौद्यौगिकी के साथ टिक सकती है. कोवासिक कहते हैं, “उनके पास एक बढ़िया अनुसंधान कार्यक्रम है, उन्होंने महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में अनुसंधान पर बड़ा निवेश किया है ताकि वे उन क्षेत्रों में अपनी समझ को बेहतर कर सकें. उन्होंने डाटा एनालिसिस स्पेशलिस्टों और कंप्यूटर साइंटिस्टों की एक बढ़िया टीम बनाई हुई है ताकि उन्हें वे ये समझ सकें कि वे क्या देख रहे हैं. मैं केवल वकीलों और अर्थशास्त्रियों पर इतना भरोसा नहीं कर सकता कि वे मुझे बताए कि क्या चल रहा है.”
कोवासिक की बातें चेतावनी की तरह हैं: “आप ये कैसे सुनिश्चित करेंगे कि किसी समस्या को समाधान को ढूंढ़ने की कोशिश में आप कल की समस्या को आज नहीं सुलझा रहे हैं और आप लगातार इन्हें बाद में निपटने के लिए छोड़ रहे हैं.”
तकनीकी विशेषज्ञों, विधि निर्माताओं और जनता के बीच यह बातचीत बहुत जरूरी है और इस पर अमेरिका में केवल अभी-अभी बातचीत में शुरू हुई है. “फॉस्टियन सौदेबाजी” यानी ताक़तवर के सामने घुटने टेकना किसी के हित में नहीं है लेकिन अलग से देखें तो ये बुरी संभावना भी बनी हुई है.
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Nikhila Natarajan is Senior Programme Manager for Media and Digital Content with ORF America. Her work focuses on the future of jobs current research in ...
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