Published on Jan 08, 2024 Updated 6 Hours ago

आज दुनिया-भर में जारी संघर्षों में हिस्सा ले रहे सभी पक्षों के लिए ड्रोन युद्ध काफ़ी किफ़ायती साबित हुआ है.

‘ड्रोन का उपयोग, बदस्तूर जारी जंग और सैन्य अनिर्णय की स्थिति’

साल 2023 अलग-अलग तीव्रताओं वाले दो युद्धों का गवाह बना: एक रूस और यूक्रेन के बीच, जो फरवरी 2022 के अंत में रूसी आक्रमण के बाद से लंबा खिंचता चला गया; और दूसरा अक्टूबर 2023 की शुरुआत में इज़रायल के ख़िलाफ़ हमास के हमले के बाद शुरू हुआ. ठीक इसी वक़्त, बीच-बीच में हो रही छिटपुट हिंसा के बावजूद सऊदी-हूती संघर्ष में काफ़ी कमी आई और इसने द्विपक्षीय वार्ताओं का रास्ता साफ़ कर दिया. पिछले 12 महीनों में युद्ध कला की तीन विशेषताओं का ख़ुलासा हुआ: (1) संघर्ष में उलझे सभी पक्षों द्वारा ड्रोन का गहन इस्तेमाल; (2) अंतर-राज्यीय संघर्षों का बदस्तूर जारी रहना और उप-राज्यीय टकरावों की शुरुआत; और (3) मौजूदा युद्धों में अनिर्णय की स्थिति

ड्रोन युद्ध

पिछले साल अनेक संघर्षों में मानव रहित हवाई वाहनों (UAVs) का सघन रूप से इस्तेमाल हुआ, शायद इसका सबसे ज़्यादा उपयोग रूस-यूक्रेन युद्ध में हुआ. फरवरी 2022 में युद्ध की शुरुआत के बाद से दोनों ही पक्षों ने ड्रोन का सघनता से इस्तेमाल किया है. ख़ुफ़िया, निगरानी और टोही (ISR) मुहिमों के अलावा आक्रमण और रसद परिचालनों जैसे विभिन्न अभियानों के लिए इनका जमकर प्रयोग किया गया है. इज़रायल द्वारा रूस को ड्रोन की आपूर्ति से इनकार किए जाने के चलते रूस को मौजूदा युद्ध में यूक्रेनी ड्रोन हमलों की सबसे ज़्यादा मार झेलनी पड़ी है. दूसरी ओर, यूक्रेन ने टर्की से बायकटार TB2 UAVs की आपूर्ति सुरक्षित कर ली थी. अपनी ड्रोन क्षमताओं में अंतर को पाटने के लिए रूस ने इस साल ईरान से शहीद-136 कामीकाज़ी ड्रोन की आपूर्ति सुनिश्चित की, जो यूक्रेन के असैनिक बुनियादी ढांचे और सैन्य ठिकानों, दोनों के ख़िलाफ़ इस्तेमाल किए जाने पर काफ़ी प्रभावी और घातक साबित हुए हैं.

इज़रायल और हमास के बीच मौजूदा युद्ध में ड्रोन का, ख़ासतौर से इज़रायलियों ने ISR और प्रहार अभियानों में जमकर प्रयोग किया है.

बहरहाल, इज़रायल और हमास (जो एक उप-राज्यीय इकाई है) के बीच मौजूदा युद्ध में ड्रोन , ख़ासतौर से इज़रायलियों ने ISR और प्रहार अभियानों में जमकर प्रयोग किया है. आज दुनिया-भर में जारी संघर्षों में हिस्सा ले रहे सभी पक्षों के लिए ड्रोन युद्ध काफ़ी किफ़ायती साबित हुआ है. अनुकूलन भी UAV के उपयोग की एक अहम विशेषता रही है, इस कड़ी में रूस ने ईरान में निर्मित कामीकाज़ी ड्रोन्स को, जो अन्यथा निष्क्रिय रूप से निर्देशित होते हैं-उपग्रहों के निर्देशन का प्रयोग करके संचालित किया है.  

नए संघर्षों की शुरुआत और उनका बदस्तूर जारी रहना

पिछले साल, दबे-छिपे संघर्षों ने खुले युद्धों का रूप ले लिया, जबकि कुछ दीर्घकालिक टकरावों (जैसे सऊदी-हूती जंग) की तीव्रता कम हो गई. यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध में यूक्रेन की ओर से भारी तीव्रता देखी गई, जिसने रूसी-क़ब्ज़े वाले पूर्वी यूक्रेन के ख़िलाफ़ जून 2023 में ज़बरदस्त पलटवार शुरू कर दिया. जवाबी हमले में यूक्रेन को भारी नुक़सान झेलना पड़ा और रूसी रक्षा बलों की ताक़त के चलते उसका अभियान बाधित हो गया.

उधर, इज़रायल-हमास युद्ध में गहनता का वो स्तर देखा गया जो 2006 में इज़रायल और हिज्बुल्लाह (एक और उप-राज्यीय इकाई) के बीच हुई जंग के बाद से इस क्षेत्र में नज़र नहीं आया था. इज़रायल की उत्तरी सीमा पर इज़रायल और हिज़्बुल्ला के बीच टकराव का दूसरा मोर्चा भी खुल गया है, हालांकि यहां कम तीव्रता वाला टकराव देखा गया है. इसके मायने ये हैं कि दोनों पक्षों के बीच का तनाव बेहद सधा और रक्षात्मक रहा है.

जंग की अनिर्णायक स्थिति

पिछले साल नज़र आए रुझानों से संकेत मिलते हैं कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध अनिर्णायक रहा है. गाज़ा पट्टी में हमास के ख़िलाफ़ इज़रायल की ठोस कार्रवाई के प्रत्यक्ष परिणाम के तौर पर हमास के काफ़ी कमज़ोर हो जाने के बावजूद इज़रायल-हमास के बीच जारी मौजूदा जंग भी इसी दिशा में जा सकता है. हमास, या इसके जैसी कोई अन्य इकाई, मौजूदा टकरावों के ख़ात्मे के महीनों या सालों बाद दोबारा एकजुट हो सकती है, और संभावित रूप से युद्ध को दोबारा चालू कर सकती है. ज़मीन के नीचे सुरंग के मज़बूत नेटवर्क के स्वरूप में हमास की रक्षात्मक शक्ति इज़रायलियों के लिए परिचालनात्मक तौर पर टेढ़ी खीर साबित हुई है.

इससे भी अहम बात ये है कि अनिर्णय के हालात ने यूक्रेन और रूस के बीच जारी सैन्य अभियान को भंवर में डाल दिया है, जिससे कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका है. युद्ध की शुरुआत के बाद से रूस ने अपनी क्षमताओं, ख़ासकर हवाई शक्ति का उपयोग नहीं किया है या यूक्रेनियों के ख़िलाफ़ निर्णायक प्रहार के लिए ज़रूरी ताक़त के स्तर का भी प्रयोग नहीं किया है. इसके उलट, मौजूदा सैन्य अभियान के इस पूरे कालखंड में यूक्रेन की चुनौती अपने पश्चिमी साथियों, ख़ासतौर से अमेरिका से आवश्यक क्षमताएं जुटाने की रही है ताकि युद्ध को निर्णायक रूप से आगे बढ़ाया जा सके. यूक्रेन की सैन्य कार्रवाइयां रूस पर कोई सैन्य निर्णय थोपने में विफल रही हैं, ठीक उसी तरह जैसे रूसी आक्रमण के बाद के महीनों में यूक्रेन की ठोस प्रतिरक्षा ने रूसी बलों को कामयाबियां हासिल करने से रोक दिया था.

सौ बात की एक बात ये है कि प्रतिरक्षा युद्ध का मज़बूत स्वरूप बनकर उभरी है, चाहे वो युद्ध यूक्रेन और रूस के बीच हो या हिज़्बुल्लाह और इज़रायल के बीच. नतीजतन, शत्रु पक्षों के बीच लंबा खिंचता युद्ध आगे भी जारी रहेगा. 

सौ बात की एक बात ये है कि प्रतिरक्षा युद्ध का मज़बूत स्वरूप बनकर उभरी है, चाहे वो युद्ध यूक्रेन और रूस के बीच हो या हिज़्बुल्लाह और इज़रायल के बीच. नतीजतन, शत्रु पक्षों के बीच लंबा खिंचता युद्ध आगे भी जारी रहेगा. शायद आर्मेनिया-अज़रबैजान के बीच नागोर्नो-काराबाख़ के नस्ली आर्मेनियाई इलाक़े को लेकर हुआ युद्ध ऐसे गतिरोध भरे टकरावों का अपवाद है: अज़रबैजान ने इस इलाक़े को आर्मेनियाई नियंत्रण से दोबारा अपने क़ब्ज़े में कर लिया, और इस तरह यहां परिचालनात्मक दृष्टिकोण से बेहद निर्णायक परिणाम सामने आया.

2023 में चलने वाले अनेक युद्ध साल 2024 में भी बदस्तूर जारी रहेंगे और युद्ध में उलझे सभी पक्ष युद्धक्षेत्र की परिस्थितियों और बदलती परिचालनात्मक चुनौतियों को पूरा करने के लिए मौजूदा सैन्य तकनीकों के हिसाब से ख़ुद को ढालते रहेंगे.


कार्तिक बोम्माकांति ओआरएफ में सीनियर फेलो हैं.

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