पिछले कुछ महीनों से यूक्रेन में जारी संघर्ष की स्थिति में ठहराव देखने को मिल रहा है क्योंकि कीव पारंपरिक हथियारों की कमी का सामना कर रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पिछले सप्ताह कीव को क्लस्टर बमों की आपूर्ति का निर्णय लिया जिसे 100 से ज्यादा देशों ने प्रतिबंधित किया हुआ है.
विश्व युद्ध, वियतनाम युद्ध, अफगानिस्तान युद्ध और इराक युद्ध के दौरान क्लस्टर बमों ने भयानक तबाही फैलाई थी, जो आधुनिक युद्ध प्रथा के सबसे खतरनाक माने जाने वाले हथियारों में से एक हैं. इसका बहुत बड़ा कारण यह है कि क्लस्टर आयुध हमले के लिए छोड़े जाने के बहुत समय बाद असैन्य पेशेवरों और आम नागरिकों को नुकसान पहुंचाते हैं. अनुमानों के मुताबिक लाओस में लगभग 20,000 लोग क्लस्टर बमों से मारे गए जो वियतनाम युद्ध के दौरान छोड़े गए थे और कई सालों के बाद फट गए थे. इसी कारण देश कन्वेंशन ऑन क्लस्टर म्यूनिशन समझौते के तहत क्लस्टर आयुधों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाते हैं. 2008 में हुए समझौते के अनुसार क्लस्टर बमों के उत्पादन, उपयोग, हस्तांतरण और भंडारण को प्रतिबंधित किया गया है. यानी कि यह कन्वेंशन क्लस्टर बमों के कारण होने वाली तबाही और नुकसान को पूरी तरह समाप्त करने की एक कोशिश है.
2008 में हुए समझौते के अनुसार क्लस्टर बमों के उत्पादन, उपयोग, हस्तांतरण और भंडारण को प्रतिबंधित किया गया है. यानी कि यह कन्वेंशन क्लस्टर बमों के कारण होने वाली तबाही और नुकसान को पूरी तरह समाप्त करने की एक कोशिश है.
इस संदर्भ में देखें तो अमेरिका के इस फ़ैसले के कारण उसे अपने सहयोगियों और समूहों की ओर से आलोचनाओं और प्रतिक्रियाओं का सामना करना पड़ रहा है जो बाइडेन प्रशासन को अपने इस फ़ैसले पर पुनर्विचार करने की सलाह दे रहे हैं. यूनाइटेड किंगडम, स्पेन, न्यूजीलैंड और जर्मनी ने घोषणा की है कि वे यूक्रेन को क्लस्टर आयुधों की आपूर्ति नहीं करेंगे.
अमेरिका द्वारा लिया यह निर्णय न केवल मानवता के आधार पर गलत है बल्कि यूक्रेन के प्रति हथियार आपूर्ति के उसके पुराने निर्णयों के साथ भी असंगत है
अमेरिकी मूल्यों के विपरीत
भले ही युद्धस्थल के तर्कों के आधार पर यूक्रेन को क्लस्टर हथियारों की अतिरिक्त आपूर्ति को सही ठहराया जा सकता है, लेकिन राष्ट्रपति बाइडेन का यह फ़ैसला मानवतावाद, अंतर्राष्ट्रीयतावाद और कानून के शासन के खिलाफ़ है जिनकी अमेरिका हमेशा पैरवी करता रहा है.
इसके अलावा, यह फ़ैसला दूसरे देशों के सामने एक गलत मिसाल खड़ी कर सकता है जो आगे चलकर अपने संघर्षों में इन हथियारों का प्रयोग कर सकते हैं. तत्काल आपूर्ति ने कन्वेंशन ऑन क्लस्टर म्यूनिशन के तहत क्लस्टर हथियारों के प्रसार को रोकने के लिए किए जा रहे प्रयासों को भी धूमिल किया है. कीव द्वारा क्लस्टर बमों के प्रति दिखाई गई तेज़ी दर्शाती है कि भले ही वह अंतर्राष्ट्रीय मानवतावादी कानूनों और समझौतों का हस्ताक्षरकर्ता देश न हो लेकिन उनके प्रति उसकी प्रतिबद्धता कमज़ोर है. अमेरिका की यह घोषणा यूक्रेन के प्रति उसकी हथियार हस्तांतरण नीति से भी मेल नहीं खाती.
हथियार सहायता के मुद्दे पर धुंधली पड़ती सीमाएं
ख़ासतौर पर, हथियार नीति को लेकर अमेरिका के आधिकारिक रुख़ में लगातार बदलाव देखने को मिल रहा है जहां इस बात को लेकर स्पष्टता का अभाव है कि अमेरिका यूक्रेन को कौन से हथियारों की आपूर्ति कर सकता है और कौन से की नहीं. हालिया फैसले के बाद सैन्य सहायता के मुद्दे पर सीमाएं धुंधली पड़ गई हैं.
यूक्रेन संघर्ष के शुरुआती दिनों में, वॉशिंगटन ने आधुनिक एवं जटिल हथियार प्रणालियों की आपूर्ति न करने का फैसला लिया था. इसके तहत लंबी दूरी की मारक क्षमता वाले हथियारों की आपूर्ति पर भी प्रतिबंध लगाया गया था, जो रूस की सीमा के भीतर घुसकर हमला करने में सक्षम थे. इसके पीछे का तर्क यही था कि संघर्ष को बढ़ावा नहीं देना है. यूक्रेन ने लड़ाकू विमानों की भी मांग की थी लेकिन इन्हें समझौते की सूची से बाहर रखा गया.
वॉशिंगटन ने अब इस बात की मंजूरी दे दी है कि उसके पश्चिमी सहयोगी यूक्रेन अमेरिकी F-16 विमानों की आपूर्ति कर सकते हैं. इतना ही नहीं वह यूक्रेनी हवाई चालकों को प्रशिक्षण देने के लिए भी तैयार है.
लेकिन जैसे-जैसे संघर्ष जारी रहा, और परिस्थितियों में बदलाव हुआ, इन आरोपित सीमाओं में ढील देते हुए अमेरिका ने यूक्रेन को जटिल हथियारों की आपूर्ति की. इनमें हाई-मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम, पैट्रियट वायु रक्षा प्रणाली और अब्राम्स टैंक शामिल थे. 2022 के अंत तक, व्हाइट हाउस ने यूक्रेन को लंबी दूरी वाले हथियारों की आपूर्ति पर प्रतिबंध की अपनी नीति में बदलाव किया. इसके अलावा, लड़ाकू विमानों के मामले में भी उसने अपने रुख में बदलाव लाते हुए यूक्रेन की मांग का समर्थन किया. वॉशिंगटन ने अब इस बात की मंजूरी दे दी है कि उसके पश्चिमी सहयोगी यूक्रेन अमेरिकी F-16 विमानों की आपूर्ति कर सकते हैं. इतना ही नहीं वह यूक्रेनी हवाई चालकों को प्रशिक्षण देने के लिए भी तैयार है.
क्लस्टर बमों के खतरे और यूक्रेन पर प्रभाव
इन असंगतियों के परे, समस्या ये भी है कि जिस तरह से क्लस्टर बम काम करते हैं, उससे जुड़े दीर्घकालिक खतरे कई सारे हैं. हवा में छोड़े जाने के बाद वे कई छोटे-छोटे बमों या हथियारों के रूप में बिखर जाते हैं. फिर यही छोटे-छोटे बम एक बहुत बड़े क्षेत्र में भीषण तबाही फैलाने की क्षमता रखते हैं. अनुमानों के मुताबिक, क्लस्टर बमों के कई फुटबाल मैदानों जितने क्षेत्र में तबाही फैला सकते हैं.
किसी इलाके में गिरने से पहले ही हर एक छोटे बमों के फ्यूज़ एक्टिव होते हैं ताकि ज़मीन को छूते ही इन क्लस्टर बमों में विस्फोट हो जाए. हालांकि, व्यवहार में, कई क्लस्टर बम ज़मीन से टकराते ही फटते नहीं हैं. अनुमानों के मुताबिक 10 से 40 प्रतिशत क्लस्टर बम टकराव के बावजूद फटते नहीं हैं. कुल मिलाकर, ये एक बारूदी सुरंग बन जाते हैं, जो दीर्घकालिक मुसीबतों को बढ़ावा देते हैं और आम जनता के किए खतरा बन जाते हैं.
हालांकि, अमेरिकी रक्षा अधिकारियों का कहना है कि अमेरिका द्वारा निर्मित विस्फोटक हथियारों के फेल होने की दर 2.3 प्रतिशत है, लेकिन यह यूक्रेन की असैन्य आबादी को नुकसान पहुंचाने के लिए काफ़ी है.
युद्धस्थल में क्लस्टर हथियारों के किलेबंदियों और खाइयों को निशाना बनाने की क्षमता को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि यह यूक्रेन के लिए अतिरिक्त रूप से मददगार साबित हो सकते हैं.
युद्धस्थल में क्लस्टर हथियारों के किलेबंदियों और खाइयों को निशाना बनाने की क्षमता को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि यह यूक्रेन के लिए अतिरिक्त रूप से मददगार साबित हो सकते हैं. जिस तरह से वर्तमान में हालात हैं, वहां यूक्रेन इन हथियारों को प्रभावी ढंग से इस्तेमाल करके रूसियों को सीमावर्ती इलाकों के अलावा उनके मौजूदा रक्षा बैरकों से निकलने के लिए मजबूर कर सकता है. क्लस्टर बम यूक्रेन को अस्थाई रूप से रूसी हमलों को सीमित करने में मदद कर सकते हैं, और इससे उन्हें उन बारूदी सुरंगों को हटाने के लिए पर्याप्त समय मिल जाएगा जिसने उन्हें युद्धस्थल में आगे बढ़ने से रोक रखा है.
भले ही युद्ध कौशल के आधार पर इस हस्तांतरण का समर्थन किया जा सकता है लेकिन यह अमेरिकी मूल्यों और उसकी पुराने नीतिगत फैसलों के विपरीत है. भले ही, यूक्रेन ने यह वादा किया है कि वह बड़े ही जिम्मेदारी के साथ क्लस्टर हथियारों का उपयोग करेगा लेकिन इतिहास को देखते हुए यह लगभग स्पष्ट है कि ये हथियार नागरिकों को दीर्घकालिक नुकसान पहुंचाएंगे. अब केवल इन हथियारों से होने वाले नुकसान को ही थोड़ा कम किया जा सकता है.
The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.