Published on Nov 27, 2023 Updated 0 Hours ago

स्टेबलकॉइन पर विशेष ध्यान के साथ UK व्यापक क्रिप्टो उद्योग के लिए रेगुलेटरी रणनीति तैयार करने की कोशिश कर रहा है. ये वैश्विक समुदाय के लिए एक लुभावने मॉडल के तौर पर काम कर सकता है.

स्टेबलकॉइन की निगरानी: यूनाईटेड किंगडम का रेगुलेटरी विकास

बैंक ऑफ इंग्लैंड (BoE) और फाइनेंशियल कंडक्ट अथॉरिटी (FCA) ने स्टेबलकॉइन पर विशेष ध्यान के साथ व्यापक क्रिप्टो इंडस्ट्री की रूप-रेखा तैयार करने के लिए डिस्कशन पेपर प्रकाशित किया है. BoE “सिस्टेमिक स्टेबलकॉइन”, जिसमें ये क्षमता है कि वित्तीय स्थिरता में खलल डाले, को रेगुलेट करने पर ध्यान दे रहा है जबकि FCA पूरे क्रिप्टो सेक्टर की निगरानी के लिए जवाबदेह है.

इस क्षेत्र को रेगुलेट करने की अपनी कोशिश में यूनाइटेड किंगडम (UK) अकेले नहीं है. दुनिया के कई देश उचित रूप-रेखा तैयार करने के लिए सक्रिय ढंग से काम कर रहे हैं. बहुपक्षीय संगठन भी इस प्रयास में गहराई से जुड़े हुए हैं. उचित रूप-रेखा की तलाश करना, अगर कोई है तो, कई ज़रूरी वजहों से सबसे महत्वपूर्ण बात है. 

पिछले दिनों ट्रेज़री ने क्रिप्टो रेगुलेशन को लेकर एक सलाह का जवाब दिया था जिसमें ये संकेत दिया गया कि स्टेबलकॉइन को परंपरागत पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स के लिए मौजूदा नियमों के तहत रेगुलेट किया जाएगा. .

मामले की जड़

डिस्कशन पेपर में स्टेबलकॉइन जारी करने वाले की सीधी निगरानी BoE को सौंपने का प्रस्ताव रखा गया है. इसमें ये वकालत भी की गई है कि डिजिटल टोकन का इस्तेमाल करने वाले पेमेंट सिस्टम (भुगतान प्रणाली) का सेंट्रल बैंक के जमा के साथ पूरा समर्थन होना चाहिए. इसके अलावा, स्टेबलकॉइन जारी करने वालों को रिडेंपशन (छुड़ाना) का निपटारा करने की अपनी रणनीति की रूप-रेखा तैयार करने की आवश्यकता होगी, ख़ास तौर पर चुनौतीपूर्ण समय में.  

ये प्रस्ताव ब्रेग्ज़िट के बाद यूरोप में लंदन के वित्तीय वर्चस्व को लेकर चिंताओं को देखते हुए UK के द्वारा ख़ुद को डिजिटल एसेट के केंद्र के रूप में तैयार करने की मौजूदा कोशिशों के बारे में बताता है. पिछले दिनों ट्रेज़री ने क्रिप्टो रेगुलेशन को लेकर एक सलाह का जवाब दिया था जिसमें ये संकेत दिया गया कि स्टेबलकॉइन को परंपरागत पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स के लिए मौजूदा नियमों के तहत रेगुलेट किया जाएगा. 

सलाह से कानून तक

जनवरी 2021 में हिज़ मेजेस्टीज़ (HM) ट्रेज़री (UK का आर्थिक एवं वित्त मंत्रालय) ने UK में क्रिप्टो एसेट और स्टेबलकॉइन के बारे में नियामक नज़रिया (रेगुलेटरी अप्रोच) को लेकर सलाह-मशविरे की शुरुआत की. इसके साथ-साथ वित्तीय बाज़ारों में डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी पर सबूत की अपील भी की. सलाह-मशविरे को लेकर आधिकारिक जवाब को अप्रैल 2022 में सार्वजनिक किया गया जिसमें सरकार के द्वारा वित्तीय सेवाओं के लिए रेगुलेटरी रूप-रेखा के भीतर स्टेबलकॉइन के संबंध में ख़ास गतिविधियों को शामिल करने के लिए कानून लाने के इरादे को दावे के साथ कहा गया.   

TFCA का ये भी सुझाव है कि रेगुलेटेड स्टेबलकॉइन जारी करने वालों को स्टेबलकॉइन का समर्थन करने वाले एसेट से कमाई को उनके पास रखने की अनुमति दी जाए. इस तरह स्टेबलकॉइन और परंपरागत जमा के बीच साफ अंतर पर ज़ोर दिया गया है.

सरकार ने ये रुख़ बरकरार रखा है कि क्रिप्टो एसेट और उनके इस्तेमाल का समर्थन करने वाली मददगार गतिविधियों को बुनियादी तकनीकों के फायदों की क्षमता का इस्तेमाल करते हुए इसमें शामिल जोख़िमों के अनुपात में मौजूदा वित्तीय सेवा गतिविधियों के अनुसार मानकों का पालन करना चाहिए. एक नियामक रूप-रेखा तैयार करने से जवाबदेह भागीदारों को रेगुलेटरी स्पष्टता की पेशकश के द्वारा इस सेक्टर में विकास और इनोवेशन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद की जाती है. साथ ही ये रूप-रेखा वित्तीय स्थिरता से जुड़ी चिंताओं और उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा से जुड़े मुद्दों का भी समाधान करेगी. इस तरह HM ट्रेज़री के लिए ये उचित है कि फिएट समर्थित स्टेबलकॉइन (जो डिजिटल एसेट फिएट करेंसी में वित्तीय रिज़र्व रखते हैं) के लिए एक रेगुलेटरी रूप-रेखा तैयार करे जिसमें पेमेंट मेथड (भुगतान पद्धति) के तौर पर उनके इस्तेमाल की बात भी हो. 

निगरानी की आवश्यकता

टीथर को लेकर विवादों के बीच स्टेबलकॉइन की शुरुआत, ख़ास तौर पर टेक्नोलॉजी सेक्टर की बड़ी कंपनियों के द्वारा, की वजह से दुनिया भर में रेगुलेटरी प्रतिक्रिया की आवश्यकता हुई है. इसके अलावा, FTX की बर्बादी के कारण भी क्रिप्टोकरेंसी के इकोसिस्टम को नुकसान पहुंचा है. इसलिए दुनिया भर के सेंट्रल बैंक के साथ BoE भी असरदार रेगुलेशन पर ध्यान दे रहा है. 

BoE का मक़सद विशेष क्राइटेरिया के अनुसार यूनाइटेड किंगडम (UK) में भुगतान पर केंद्रित फिएट-समर्थित स्टेबलकॉइन जारी करने के लिए कंपनियों को सक्षम बनाना है. दुनिया भर में क्रिप्टो का केंद्र बनने की चाहत रखने वाले UK ने जून के महीने से ही स्टेबलकॉइन को अपने पेमेंट रेगुलेशन के साथ जोड़ दिया है. रेगुलेटर भागीदारों के साथ सलाह करने की योजना बना रहे हैं और 2024 के मध्य तक निश्चित नियम तैयार करने का लक्ष्य रखते हैं जिसका इरादा 2025 तक स्टेबलकॉइन से जुड़े नियमों को अमल में लाना है. BoE का मुख्य ध्यान ब्रिटिश पाउंड से जुड़े स्टेबलकॉइन पर है क्योंकि इस बात की संभावना है कि भुगतान में इनका व्यापक इस्तेमाल होगा. BoE इस बात पर विचार कर रहा है कि किसी व्यक्ति के पास स्टेबलकॉइन होने की सीमा निश्चित की जाए. 

BoE के डिस्कशन पेपर के साथ जमा लेने वालों के लिए प्रुडेंशियल रेगुलेशन अथॉरिटी (PRA) की एक चिट्ठी भी है. ये स्टेबलकॉइन के साथ जुड़े जोख़िमों को कम करने की आवश्यकता पर ज़ोर के बारे में बताता है. PRA परंपरागत जमा लेने वालों और स्टेबलकॉइन का इस्तेमाल करने वालों के लिए उपलब्ध सुरक्षा के बीच फर्क करता है. ये इस बात का संकेत है कि BoE के द्वारा रेगुलेट किए जाने वाले सिस्टेमिक पेमेंट सिस्टम में इस्तेमाल होने वाले स्टेबलकॉइन के लिए जोखिम कम है.

TUK और भारत अलग-अलग देश हैं. दोनों की अपनी-अपनी अनूठी व्यापक आर्थिक (मैक्रोइकोनॉमिक) स्थिति और आवश्यकताएं हैं. इसके नतीजतन स्टेबलकॉइन को लेकर चर्चाएं और आशंकाएं भी अलग-अलग हो सकती हैं.

FCA ये आवश्यक बनाती है कि जारी करने वाले फिएट-समर्थित स्टेबलकॉइन के सर्कुलेशन के लिए UK में अधिकार हासिल करे. इन स्टेबलकॉइन के पास उनकी सर्कुलेटिंग वैल्यू का समर्थन करने के लिए उचित एसेट ज़रूर होना चाहिए और जारी करने वालों को आसानी से फिएट करेंसी में उनके बदलाव को सुनिश्चित करना चाहिए भले ही तकनीकी या लिक्विडिटी चुनौतियां कुछ भी हो. FCA का ये भी सुझाव है कि रेगुलेटेड स्टेबलकॉइन जारी करने वालों को स्टेबलकॉइन का समर्थन करने वाले एसेट से कमाई को उनके पास रखने की अनुमति दी जाए. इस तरह स्टेबलकॉइन और परंपरागत जमा के बीच साफ अंतर पर ज़ोर दिया गया है. इसके अलावा FCA रेगुलेटेड स्टेबलकॉइन जारी करने वालों के द्वारा उपभोक्ताओं को आमदनी या ब्याज देने के ख़िलाफ़ सलाह देती है. ये ऐसा फैसला है जो उपभोक्ता निष्पक्षता के विचार को ध्यान में रखकर लिया गया है, ख़ास तौर पर एक अधिक ब्याज दर वाले माहौल में जहां एसेट को क्लाइंट के एसेट के रूप में सुरक्षित रखने की उम्मीद की जाती है. 

UK सरकार क्रिप्टोकरेंसी रेगुलेशन तैयार करने की प्रक्रिया में है. वित्तीय सेवा एवं बाज़ार अधिनियम 2023 (FSMA 2023) को लाने के साथ HM ट्रेज़री को फिएट समर्थित स्टेबलकॉइन को रेगुलेट करने का अधिकार मिलता है. आने वाले चरण में HM ट्रेज़री बाद के कानून तैयार करेगी और इस तरह FCA को फिएट समर्थित स्टेबलकॉइन पर नज़र रखने की शक्ति मिलेगी. इसके अलावा, इससे सिस्टेमिक डिजिटल पेमेंट सिस्टम के ऊपर BoE और पेमेंट सिस्टम रेगुलेटर- दोनों को नियंत्रण हासिल होगा. 

क्या कोई ब्लूप्रिंट है? 

सेंट्रल बैंक और दुनिया भर के संगठन क्रिप्टोकरेंसी उद्योग के लिए ग्लोबल रेगुलेशन और स्टैंडर्ड तैयार करने के लिए सहयोग कर रहे हैं. इसकी वजह हाल के दिनों में आई कई हाई-प्रोफाइल दिक्कतें हैं. उन्होंने कई मोर्चों पर साझा आधार पाया है और G20 के भीतर अच्छी प्रगति प्रगति हो रही है, ख़ास तौर पर स्टेबलकॉइन के रेगुलेशन को लेकर. G20 ने एक व्यापक सिंथेसिस पेपर पेश किया है जो कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और फाइनेंशियल स्टैबिलिटी बोर्ड (FSB) का एक मिला-जुला प्रयास है और इसका उद्देश्य एक न्यूनतम मानक को परिभाषित करना है जिसका अधिकार क्षेत्रों को पालन करना चाहिए. साथ ही ये ज़्यादातर अधिकार क्षेत्रों में मौजूद साझा चिंताओं का समाधान करता है. 

UK और भारत अलग-अलग देश हैं. दोनों की अपनी-अपनी अनूठी व्यापक आर्थिक (मैक्रोइकोनॉमिक) स्थिति और आवश्यकताएं हैं. इसके नतीजतन स्टेबलकॉइन को लेकर चर्चाएं और आशंकाएं भी अलग-अलग हो सकती हैं.

 

मौद्रिक नीति के असर, जिसका इस्तेमाल केंद्रीय बैंकों के द्वारा मुद्रा की आपूर्ति के प्रबंधन और आर्थिक विकास को बढ़ाने में उपाय के तौर पर किया जाता है, से छेड़छाड़ की जा सकती है अगर, उदाहरण के तौर पर, डॉलर मूल्य (डिनोमिनेटेड) वाले स्टेबलकॉइन छोटे उभरते बाज़ारों में प्रसारित (सर्कुलेट) होते हैं. ये पूंजी के प्रवाह (कैपिटल फ्लो) में उथल-पुथल की तरफ ले जा सकता है और उनकी मौद्रिक नीति को कमज़ोर कर सकता है. ऐसी स्थिति में ये उभरती अर्थव्यवस्थाओं में टैक्स कलेक्शन और सरकारी राजस्व पर भी असर डाल सकता है. 

UK का ताज़ा रेगुलेशन वैश्विक समुदाय के लिए एक दिलचस्प मॉडल के तौर पर काम कर सकता है. ये साफ है कि हर तरह के हालात के लिए एक समाधान वाला रेगुलेटरी नज़रिया प्रत्येक देश की अनूठी परिस्थितियों के मुताबि नहीं होगा. फिर भी सामान्य सिद्धांत और गाइडलाइन तैयार करके सेंट्रल बैंक दुनिया के लिए जानकारी मुहैया करा सकते हैं. ये प्रक्रिया सेंट्रल बैंक के द्वारा अपने देश की ख़ास चुनौतियों को समझने और उनके समाधान के साथ शुरू होती है जो कि बदले में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए कीमती सबक प्रदान कर सकती है. 


सौरादीप बाग ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में एसोसिएट फेलो हैं.

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