30-31 मार्च 2023 को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के आमंत्रण पर स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज़ ने चीन का अपना पहला दौरा किया. सांचेज़ की चीन यात्रा उस समय हुई जब स्पेन जुलाई में यूरोपीय संघ (EU) की परिषद की छह-छह महीने पर बदलने वाली अध्यक्षता स्वीडन से लेने जा रहा है. अपनी अध्यक्षता के दौरान स्पेन चीन के साथ EU के संबंधों को बढ़ावा देने का इरादा रखता है.
सांचेज़ शी जिनपिंग के मॉस्को दौरे, जहां उन्होंने अपना 12 सूत्रीय शांति प्रस्ताव जारी किया था, के बाद उनसे मिलने वाले यूरोप के पहले नेता है. इस तरह सांचेज़ के बीजिंग दौरे के केंद्र में शी का प्रस्ताव था जिसने रूस और चीन के बीच सुखद संबंधों के संदर्भ में पश्चिमी देशों के नेताओं के संदेह के बावजूद उनकी दिलचस्पी बढ़ाई थी. सांचेज़ ने परमाणु हथियारों को ठुकराने और प्रादेशिक अखंडता के लिए सम्मान की वजह से प्रस्ताव की प्रशंसा करते हुए शी को इस बात के लिए तैयार किया कि वो यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की की शांति योजना के बारे में सीधे जानकारी हासिल करें. सांचेज़ ने ज़ोर देकर कहा कि शांति के लिए शर्तें यूक्रेन निर्धारित करेगा.
सांचेज़ का दौरा उस वक़्त हुआ जब स्पेन और चीन के बीच कूटनीतिक संबंधों की 50वीं सालगिरह मनाई जा रही है. 1973 में दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंध स्थापित हुए थे और उसके बाद 2005 में एक सामरिक साझेदारी पर हस्ताक्षर हुए थे.
केंद्र में व्यापार
स्पेन-चीन संबंध का अधिकांश हिस्सा अर्थशास्त्र के इर्द-गिर्द केंद्रित रहा है. हाल के वर्षों में गंभीर वित्तीय और ऋण संकट का मुक़ाबला करने वाले स्पेन के लिए चीन निवेश और व्यापार से जुड़े अवसरों का एक महत्वपूर्ण स्रोत रहा है. ऐसे में ये आश्चर्य की बात नहीं है कि सांचेज़ के दौरे में व्यापार पर ध्यान केंद्रित रहा और दोनों देशों के बीच बैठक बोआओ फोरम फॉर एशिया में आयोजित हुआ जिसको अक्सर दावोस को लेकर चीन के जवाब के रूप में परिभाषित किया जाता है.
EU के बाहर चीन स्पेन का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना हुआ है. स्पेन में चीन का निवेश लगातार बढ़ा है और ये कृषि, रियल एस्टेट और हॉस्पिटैलिटी जैसे क्षेत्रों में परंपरागत ध्यान देने से आगे बढ़कर ज़्यादा सामरिक क्षेत्रों तक पहुंच गया है. इसका प्रमाण चीन की कंपनी कॉस्को के द्वारा बिलबाओ और वैलेंसिया बंदरगाहों में हिस्सा ख़रीदने से मिलता है. रोडियम ग्रुप के आंकड़ों के अनुसार स्पेन में चीन का निवेश 2012 से पहले 10 मिलियन यूरो से कम होता था जो 2016 में बढ़कर 1.6 अरब यूरो से ज़्यादा तक पहुंच गया.
चीन के साथ स्पेन का व्यापार घाटा स्थायी है जो 2022 में 41.6 अरब यूरो पर पहुंच गया. इसमें 2021 के मुक़ाबले 37 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई. ये दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों में असमानता को दिखाता है. 2022 में जर्मनी को हटाकर चीन स्पेन का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बन गया और स्पेन के कुल आयात में लगभग 11 प्रतिशत हिस्सा चीन का हो गया. इसलिए पिछले साल बाली में G20 शिखर सम्मेलन के दौरान शी के साथ अपनी मुलाक़ात के दौरान बातचीत को आगे बढ़ाते हुए सांचेज़ ने चीन के साथ अधिक संतुलित व्यापार संबंध को विकसित करने की आवश्यकता को दोहराया. इसके साथ-साथ सांचेज़ ने ग़ैर-टैरिफ बाधाओं को कम करने की बात भी की जिनकी वजह से स्पेन की कंपनियों, जिनमें से ज़्यादातर छोटे और मध्यम उद्यम (SME) है, को चीन के संरक्षित एवं प्रतिस्पर्धी बाज़ारों तक पहुंचने में कठिनाई होती है. इस संदर्भ में स्पेन का कुलीन वर्ग निवेश को लेकर EU-चीन व्यापक समझौते का समर्थन करता है जिसको अभी तक यूरोपीय संसद की मंज़ूरी नहीं मिल पाई है. स्पेन के कुलीन वर्ग को लगता है कि इस समझौते से चीन के साथ आर्थिक गतिविधियों के लिए एक समान मौक़ा मिलेगा.
'कुछ नहीं' से लेकर सशर्त सहयोग तक
वैसे तो चीन के साथ स्पेन के संबंध यूरोपीय संघ की विस्तृत रूपरेखा के भीतर है लेकिन चीन को लेकर स्पेन का दृष्टिकोण अपेक्षाकृत नरम रहा है.
1978 में स्पेन के राजा जुआन कार्लोस I के चीन दौरे के बाद से स्पेन के हर प्रधानमंत्री ने चीन की यात्रा की है. स्पेन पहला पश्चिमी देश था जिसने 2005 में चीन के साथ एक प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर किया था. साथ ही स्पेन EU का पहला सदस्य देश था जिसने 1989 के तियानमेन चौक नरसंहार के बाद अपने विदेश मंत्री को चीन भेजा था. दलाई लामा की पांच बार स्पेन यात्रा के दौरान किसी अधिकारी ने उनकी अगवानी नहीं की.
2009 में चीन के तत्कालीन प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ ने स्पेन को “यूरोप में चीन का सबसे अच्छा दोस्त” बताया था. 2010 में यूरोपीय संघ की परिषद की अध्यक्षता के दौरान स्पेन ने चीन के ख़िलाफ़ हथियार प्रतिबंध को हटाने की वक़ालत की थी. 2013 में कुछ समय के लिए दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव आया जब स्पेन ने तिब्बत में मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर सार्वभौमिक न्याय अधिकार के माध्यम से चीन के नेताओं हू जिंताओ और जियांग ज़ेमिन को दोषी ठहराने की कोशिश की. इसके बावजूद इंस्टीट्यूट फ्रैंकोइस देस रिलेशंस इंटरनेशनल्स की एक रिपोर्ट के अनुसार ताइवान, तिब्बत और चीन में मानवाधिकारों के मुद्दों को लेकर यूरोप में स्पेन परंपरागत तौर पर सबसे मिलनसार देशों में से रहा है. 2018 में स्पेन ने शी जिनपिंग का स्वागत किया. उस वक़्त किंग फेलिप VI के साथ अपनी मुलाक़ात के दौरान शी जिनपिंग ने चीन और स्पेन के बीच संबंधों को “इतिहास में सर्वश्रेष्ठ” बताया था. कोविड-19 महामारी के दौरान चीन की “मास्क कूटनीति” के ज़रिए प्राप्त ख़राब मेडिकल आपूर्ति के बावजूद चीन के प्रति स्पेन के “कुछ नहीं” के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया.
हालांकि महामारी के बाद के समय में EU के बाक़ी सदस्य देशों के साथ स्पेन ने भी चीन की तरफ़ ज़्यादा आलोचनात्मक रवैया अपनाया है. इसका नतीजा अधिक सशर्त सहयोग के रूप में निकला है जो कि चीन के हठ धर्मी बर्ताव के परिणाम पर आधारित है.
2021 में स्पेन की अग्रणी टेलीकॉम कंपनी टेलीफ़ोनिका ने पहले से चालू अपनी 5G सेवा के उपकरणों के कुछ हिस्सों को एरिक्सन के उपकरणों से बदला. 2022 में स्पेन की सरकार ने चीन के निवेश की छानबीन के मक़सद से यूरोपीय संघ के विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) की निगरानी व्यवस्था को लागू करते हुए विदेशी निवेश पर शाही आदेश का एक मसौदा जारी किया. उसी साल स्पेन ने 50 देशों के साथ एक साझा वक्तव्य पर हस्ताक्षर किया जिसमें चीन में मानवाधिकार की स्थिति को लेकर चिंता जताई गई, विशेष रूप से वीगर मुसलमानों को लेकर. इसके अलावा दक्षिण यूरोप के दूसरे देशों पुर्तगाल और इटली से हटकर स्पेन चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में शामिल नहीं हुआ. साथ ही स्पेन के राजनीतिक परिदृश्य में धुर दक्षिणपंथी पार्टी वॉक्स के उदय का नतीजा आंतरिक बहस में चीन के साथ संबंध एक मुद्दा बनने के रूप में निकला है.
स्पेन की विदेश नीति का क्षमता से कम प्रदर्शन नहीं
भूमध्य सागर और अटलांटिक सागर से घिरे होने के महत्वपूर्ण भूगोल और लैटिन अमेरिका के देशों के साथ इसके ऐतिहासिक संबंधों के बावजूद स्पेन के सामने चुनौतियों की त्रिमूर्ति है. इन चुनौतियों में 2008 के वित्तीय संकट के बाद स्पेन की आर्थिक परेशानी, कटालान अलगाववादी आंदोलन की वजह से अशांति और लगातार घरेलू राजनीतिक उथल-पुथल शामिल हैं. इनका नतीजा स्पेन की विदेश नीति के कमज़ोर प्रदर्शन के रूप में निकला है. परंपरागत तौर पर स्पेन का ध्यान मग़रेब और भूमध्य क्षेत्रों तक सीमित होने के अलावा अफ्रीका से प्रवासियों के आने का निपटारा करना था.
लेकिन हाल के वर्षों में स्पेन के लिए हालात अनुकूल हुए हैं कि वो EU में एक लापता किरदार से एक अधिक वैश्विक किरदार बन जाए. परंपरागत फ्रांस-जर्मनी कवच में दरार के साथ-साथ यूरोपीय संघ के अन्य देशों के द्वारा यूक्रेन के लिए समर्थन समेत अलग-अलग मुद्दों पर मुख्य भूमिका ने स्पेन के लिए मौक़ा मुहैया कराया है. ब्रेक्जिट और इटली की EU पर संदेह करने वाली सरकार के विपरीत स्पेन की राजनीति में EU का समर्थन स्पेन के लिए अवसर है कि वो यूरोप के स्तर पर ज़्यादा प्रभाव हासिल करे. इन बातों ने सांचेज़ को 2018 में अविश्वास मत के दौरान अपने पूर्ववर्ती मेरियानो रेजॉय से सत्ता हासिल करने के बाद अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्षेत्र को प्राथमिकता देने में सक्षम बनाया है. सांचेज़ ज़ोर देकर कहते हैं कि यूरोप को लेकर बहस में स्पेन सबसे आगे रहेगा. स्पेन के प्रभाव को लेकर एक बड़ी जीत के तहत जोसेफ बोरेल, जो कि सांचेज़ की सरकार में विदेश मंत्री थे, को 2019 में यूरोपीय बाहरी कार्य सेवा का प्रमुख नियुक्त किया गया.
जब से युद्ध शुरू हुआ है तब से सांचेज़ नेटो के एक पक्के सहयोगी और यूक्रेन के समर्थक बने रहे हैं. उन्होंने यूक्रेन को 10 आधुनिक लेपर्ड टैंक की सप्लाई करने का वादा किया और दो बार वहां का दौरा कर चुके हैं. शरणार्थियों के स्वागत में EU के भीतर चौथी रैंकिंग रखने वाले स्पेन ने युद्ध की शुरुआत के समय से यूक्रेन के 1,70,000 शरणार्थियों का स्वागत किया है. आने वाले समय में यूरोपीय संघ की परिषद की अध्यक्षता स्पेन को मिलने वाली है. स्पेन की अध्यक्षता के दौरान EU की 'सामरिक स्वायत्तता' को प्राथमिकता दी जाएगी. इससे स्पेन को एक और अवसर मिलेगा कि वो यूरोपीय और वैश्विक मंच पर अपनी हिस्सेदारी का विस्तार करे.
स्पेन को यूरोपीय संघ की परिषद की अध्यक्षता उस समय मिलने जा रही है जब स्पेन की अर्थव्यवस्था अधिक स्थिर हो चुकी है. मार्च में स्पेन की मुद्रास्फीति दर 3.3 प्रतिशत पर रही जो कि यूरोप में सबसे कम में से है. इसका एक कारण रूस की गैस पर स्पेन की कम निर्भरता है. इससे पहले यूरोप महामारी के दौरान विशेष रूप से प्रभावित हुआ था और 2020 में उसकी GDP में 11 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी. फिर भी स्पेन की अर्थव्यवस्था ने 2021 में 5 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की जिसमें आंशिक रूप से EU के नेक्स्ट जनरेशन रिकवरी फंड का समर्थन मिला था.
सांचेज़ के लिए बीजिंग के दौरे ने दिसंबर 2023 में होने वाले राष्ट्रीय चुनाव से पहले दुनिया में स्पेन के बढ़ते असर को दिखाया है. सर्वे के मुताबिक़ विपक्षी पॉपुलर पार्टी सांचेज़ की सोशलिस्ट पार्टी से आगे चल रही है. इसके अलावा EU में असर रखने वाले परंपरागत देश फ्रांस और जर्मनी के साथ सांचेज़ के नज़दीकी संबंध भी स्पेन की वैश्विक महत्वाकांक्षा के लिए उपयोगी होंगे.
अपने दौरे से पहले सांचेज़ ने चीन को एक “ऊपरी श्रेणी के वैश्विक किरदार” के रूप में परिभाषित किया और दुनिया से अनुरोध किया कि वो उसकी आवाज़ को सुने. विदेश संबंधों पर यूरोपीय परिषद के जोसे इग्नेसियो टोरी ब्लैक जैसे विश्लेषक मानते है कि चीन के साथ स्पेन के अपेक्षाकृत “सरल” संबंधों की वजह से वो “एक समन्वयक के तौर पर काम करने” के लिए अच्छी स्थिति में है. लेकिन स्पेन जहां युद्ध को लेकर अपने रवैये से अलग चीन के साथ अपने व्यापार संबंधों को अनुकूल बना सकता है, वहीं यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि युद्ध को लेकर चीन का रुख़ EU-चीन संबंधों को निर्धारित करेगा.
सांचेज़ अंतत: स्पेन की भू-राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पूरा कर पाते है या नहीं, यह देखना अभी बाक़ी है. यूरोप के लिए दांव पर बहुत कुछ है और कई वर्षों तक अपनी क्षमता से कम प्रदर्शन करने के बाद यूरो ज़ोन की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के द्वारा विदेश नीति को लेकर एक अधिक सक्रिय और निडर दृष्टिकोण का सिर्फ़ स्वागत किया जा सकता है.
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