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Published on Nov 13, 2024 Updated 0 Hours ago

दक्षिण कोरिया की बड़ी तेज़ी से गिर रही प्रजनन दर की वजह से वहां अनिवार्य सैन्य सेवा और सेना की ताक़त में गिरावट आ रही है, जो उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा बन गई है

दक्षिण कोरिया की घटती आबादी बनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चुनौती

Image Source: Getty

पूर्वी एशियाई इलाक़े में आबादी सिकुड़ने का संकट बढ़ता जा रहा है. ये इस क्षेत्र की आर्थिक और भू-सामरिक तौर पर मुक़ाबला कर सकने की क्षमता के लिए ख़तरा बनती जा रही है. पूर्वी एशिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में दक्षिण कोरिया की प्रजनन दर इस इलाक़े में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में सबसे कम है. 2023 में दक्षिण कोरिया की टोटल फर्टिलिटी रेट (TFR यानी किसी महिला द्वारा अपने बच्चे पैदा करने की उम्र में औसतन पैदा किए जाने वाले बच्चों की संख्या) 0.72 तक गिर गई थी. जो आबादी की स्थिर और स्वस्थ संख्या बरक़रार रखने के लिए आवश्यक TFR 2.1 से बहुत कम है. जनसंख्या वृद्धि दर में आ रही इस गिरावट के दक्षिण कोरिया के टिकाऊ आर्थिक विकास कर पाने पर भयावह असर हो रहे हैं. हालांकि, बच्चों की जन्म दर में गिरावट दक्षिण कोरिया की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी एक मसला बनती जा रही है. इसकी वजह से देश की सेना में अनिवार्य सेवा के लिए उपलब्ध नौजवानों की संख्या में कमी आई है और दक्षिण कोरिया की सैन्य तैयारियां भी कमज़ोर पड़ रही हैं. ऐसे में उत्तरी पूर्वी एशिया में सुरक्षा के लिए तेज़ हो रही होड़ को देखते हुए, दक्षिणी कोरिया की गिरती आबादी के उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा पर पड़ने वाले असर को समझना आवश्यक हो जाता है.

आबादी में आ रही इस गिरावट के राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर परिणाम निकल रहे हैं: इनकी वजह से भविष्य में युद्धों के स्रोत पर असर पड़ेगा.

जनसंख्या में गिरावट और राष्ट्रीय सुरक्षा

 

दक्षिण कोरिया के टोटल फर्टिलिटी रेट में गिरावट के कई गंभीर परिणाम देखने को मिल रहे हैं. मसलन उम्रदराज़ होती जनसंख्या, आर्थिक विकास की धीमी दर और स्वास्थ्य सेवा की बढ़ती लागत. आबादी में आ रही इस गिरावट के राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर परिणाम निकल रहे हैं: इनकी वजह से भविष्य में युद्धों के स्रोत पर असर पड़ेगा. राष्ट्रीय शक्ति प्रभावित होगी और संघर्षों का स्वरूप भी बदल जाएगा. यही नहीं, दक्षिण कोरिया की सिकुड़ती आबादी उसकी सैन्य तैयारी के लिए ख़तरा बनती जा रही है. दक्षिण कोरिया की जो आर्थिक हैसियत और सामरिक भौगोलिक स्थिति रही है, उसे देखते हुए ये चिंताएं और बढ़ जाती हैं. इसका नतीजा ये हुआ है कि अपनी टोटल फर्टिलिटी रेट में गिरावट से निपटने के लिए दक्षिण कोरिया ने अपनी सेना की भर्ती को पूरी तरह से पूरा रखा है, क्योंकि तकनीकी तौर पर वो अभी भी अपने पड़ोसी उत्तर कोरिया के साथ युद्ध लड़ रहा है. क़ानून के मुताबिक़ दक्षिण कोरिया में 19 साल के हर सक्षम पुरुष को कम से ‘कम 18 महीने तक सेना में सेवा देनी’ होती है. जबकि महिलाओं के लिए ये ज़िम्मेदारी निभाना स्वैच्छिक है.

 

इसके बावजूद, आबादी घटने की वजह से दक्षिण कोरिया की सेना की मौजूदा ताक़त, उत्तर कोरिया के केवल 40 प्रतिशत के बराबर है, जिसकी सेना 11.4 लाख की है. दक्षिण कोरिया अपनी सेना की पूरी क्षमता बनाए रखने के लिए पहले ही संघर्ष कर रहा है. संगमियुंग यूनिवर्सिटी में राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रोफ़ेसर चोई ब्युंग-ऊक ने कहा है कि आने वाले समय में दक्षिण कोरिया को ‘अपनी सेना की संख्या में कटौती करनी ही पड़ेगी’. 2022 में पहली बार दक्षिण कोरिया के सैनिकों की संख्या पांच लाख से नीचे आ गई थी. उसकी तुलना में उत्तर कोरिया अपने यहां 11.28 लाख सैनिकों की संख्या बनाए हुए है और जैसा कि Figure 1 में दिखाया गया है, दोनों देशों के बीच आने वाले समय में ये फ़ासला और भी बढ़ जाएगा. कोरिया इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस एनालाइसेज के विशेषज्ञों ने पूर्वानुमान लगाया है कि 2038 तक दक्षिण कोरिया के सैनिकों की संख्या घटकर 3 लाख 96 हज़ार रह जाएगी.

 

Figure 1: कोरियाई प्रायद्वीप में घटती प्रजनन दर

Source: Newsweek

  • वैसे तो उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया दोनों की आबादी में गिरावट आ रही है. लेकिन उत्तर कोरिया की प्रजनन दर (1.78) अभी भी दक्षिण कोरिया (0.72) से अधिक है.

 

दक्षिण कोरिया की प्रजनन दर में गिरावट: कारण और असर

 

2020 में पहली बार दक्षिण कोरिया की आबादी डेथ क्रॉस के मकाम पर जा पहुंची थी. डेथ क्रॉस का मतलब ऐसी स्थिति है, जब आबादी की मृत्यु दर, उसकी जन्म दर से अधिक हो जाए. 2019 के बाद से दक्षिण कोरिया में 307,764 लोगों की मौत की तुलना में केवल 275,815 बच्चे पैदा हो रहे थे, जो मृत्यु दर में 3.1 प्रतिशत की वृद्धि को दिखाता है. सरकार द्वारा आबादी बढ़ाने के उपाय लगातार किए जाने के बावजूद, आने वाले वर्षों में दक्षिण कोरिया की प्रजनन दर में और गिरावट आने की आशंका है. 2024 में उसका फर्टिलिटी रेट घटकर 0.68 रह जाने और 2072 तक आबादी केवल 3.622 करोड़ रह जाने का पूर्वानुमान लगाया गया है. हालात इतने नाज़ुक हो गए हैं कि इसी साल मई में दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक इयोल ने घटती प्रजनन दर को राष्ट्रीय आपातकाल घोषित करते हुए इससे निपटने के लिए एक नए सरकारी, जनसंख्या रणनीति योजना मंत्रालय के गठन का एलान किया था. दक्षिण कोरिया की मौजूदा आबादी 5.17 करोड़ है.

 

दक्षिण कोरिया में कम प्रजनन दर का मसला बेहद पेचीदा है और इसके पीछे, कामकाजी वर्ग के बीच ज़बरदस्त होड़, लैंगिक असमानता, काम के लंबे घंटे, रहन-सहन और बच्चों की स्वास्थ्य सेवा की महंगी लागत जैसे कई मसले हैं. 2022 में किए गए पॉपुलेशन हेल्थ ऐंड वेलफेयर एसोसिएशन के सर्वे में ये बात सामने आई थी कि दक्षिण कोरिया की 65 प्रतिशत औरतें बच्चा नहीं चाहती थीं. इसके पीछे वैसे तो कई कारण हैं. लेकिन, महिलाओं की सबसे ज़्यादा शिकायत दक्षिण कोरिया में मर्दों के दबदबे वाली संस्कृति को लेकर है, जिसकी वजह से उन्होंने बच्चे पैदा करने के ख़िलाफ़ ‘हड़ताल’ कर दी है. इसीलिए, इस संस्थागत मसले से निपटने के लिए राष्ट्रपति यून ने वादा किया है कि वो कई ऐसे क़दम उठाएंगे, जिनसे बच्चों के मां-बाप और मां-बाप बनने वाले युवा जोड़ों पर बोझ कम होगा: उनके काम के घंटों में लचीलापन लाया जाएगा, बच्चा होने पर पिता को छुट्टी और प्रोत्साहन दिए जाएंगे और मां-बाप बनने की छुट्टी के दौरान मिलने वाले भत्तों में बढ़ोत्तरी की जाएगी. लगातार घटती प्रजनन दर का दक्षिण कोरिया पर दिखने वाला असर दिनों दिन साफ़ नज़र आता जा रहा है. युवा कामकाजी तबक़े की कमी और बुज़ुर्ग होती आबादी ने ‘सरकारी पेंशन और स्वास्थ्य व्यवस्था पर वित्तीय बोझ’ बढ़ा दिया है. इसके साथ साथ दक्षिण कोरिया के स्कूलों में हर साल दाख़िल होने वाले बच्चों की संख्या भी कम होती जा रही है. 2024 में देश के प्राथमिक विद्यालयों में ‘पहली बार बच्चों की संख्या 60 हज़ार से कम हो गई’ थी.

महिलाओं की सबसे ज़्यादा शिकायत दक्षिण कोरिया में मर्दों के दबदबे वाली संस्कृति को लेकर है, जिसकी वजह से उन्होंने बच्चे पैदा करने के ख़िलाफ़ ‘हड़ताल’ कर दी है. इसीलिए, इस संस्थागत मसले से निपटने के लिए राष्ट्रपति यून ने वादा किया है कि वो कई ऐसे क़दम उठाएंगे, जिनसे बच्चों के मां-बाप और मां-बाप बनने वाले युवा जोड़ों पर बोझ कम होगा

घटती जनसंख्या और सैन्य तैयारी का हाल

 

आबादी घटने के सामाजिक आर्थिक दुष्प्रभावों के अलावा, इस कमी ने दक्षिण कोरिया की सैन्य तैयारियों और ख़ास तौर से सेना में अनिवार्य भर्ती पर भी बुरा असर डाला है. जैसा कि Figure 2 में दिखाया गया है, सेना में काम करने वाले नौजवानों की संख्या लगातार घटती जा रही है. मिसाल के तौर पर 2017 में दक्षिण कोरिया के सैन्य बलों में सक्रिय सेवा दे रहे लोगों की संख्या 620,000 थी, जो 2022 में घटकर 500,000 ही रह गई. भविष्य में सैन्य बलों की ख़ास संख्या बनाए रखने के लिए दक्षिण कोरिया को हर साल सेना में कम से कम दो लाख नौजवानों को भर्ती करते रहने की ज़रूरत है. हालांकि, आबादी में कमी आने की वजह से देश की रक्षा के लिए आने वाले वर्षों में केवल एक लाख 25 हज़ार नौजवान ही उपलब्ध हो सकेंगे.

 

दक्षिण कोरिया की सेना में कमीशंड और ग़ैर कमीशंड (NCO) अधिकारियों की भारी कमी की चुनौती भी बढ़ रही है. 2023 में सेना में अधिकारियों की भर्ती का लक्ष्य पूरा नहीं हो सका था और सैन्य बलों में 550 कमीशंड और 4,790 नॉन कमीशंड ऑफिसर्स (NCO) की कमी थी. सेना में भर्ती हो रहे लोगों को रोक पाने में नाकामी ने इस चुनौती को और बड़ा बना दिया है. आंकड़ों के मुताबिक़, सेना की ट्रेनिंग अकादमी से शुरुआती वर्षों में ही नौकरी छोड़ने वाले कमीशंड ऑफिसर्स की संख्या भी बढ़ती जा रही है. 2024 में 122 अफसरों ने नौकरी छोड़ दी थी. जबकि 2023 में ऐसे नौकरी छोड़ने वाले अधिकारियों की संख्या 48 थी. यानी एक साल में सेना की नौकरी छोड़ने वाले अधिकारियों की संख्या में 2.5 गुने की बढ़ोत्तरी हो गई है. वैसे तो तकनीक ने उच्च तकनीक की मदद से लड़े जाने वाले युद्धों की संभावनाएं बढ़ा दी हैं. लेकिन, मानव संसाधन अभी भी राष्ट्रीय रक्षा के लिए अपरिहार्य हैं. बहुत से विद्वानों ने आबादी को एक संसाधन बताया है. उनके कहने का मतलब है कि किसी देश की आबादी और उसकी सैन्य शक्ति के बीच सीधा संबंध होता है. 

कामकाजी उम्र वाले वयस्कों की संख्या में लगातार गिरावट और उसके मुक़ाबले, उनकी जगह ले सकने के लिए आवश्यक प्रजनन दर में गिरावट की वजह से हर ‘पीढ़ी का आकार छोटो होता जाता है, जिसकी वजह से जनसंख्या के अनुपात में कमी आती जाती है’

Figure 2: दक्षिण कोरिया की सेना में आवश्यक सैनिकों की ज़रूरत और वास्तविक भर्ती में फ़र्क़

Source: Carnegie

 

सैन्य शक्ति के तौर पर उपलब्ध लोगों की संख्या’ के आधार पर आबादी की बनावट किसी देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को परिभाषित करती है. दक्षिण कोरिया, टोटल फर्टिलिटी रेट में गिरावट और आबादी की बढ़ती औसत उम्र की वजह से प्रौढ़ आबादी वाले ढांचे की तरफ़ बढ़ रहा है. किसी देश में प्रौढ़ आबादी वाली संरचना तब बनती है, जब प्रजनन दर लंबे समय तक घटती रहती है और इसके उलट नागरिकों की औसत आयु बढ़ती जाती है. कामकाजी उम्र वाले वयस्कों की संख्या में लगातार गिरावट और उसके मुक़ाबले, उनकी जगह ले सकने के लिए आवश्यक प्रजनन दर में गिरावट की वजह से हर ‘पीढ़ी का आकार छोटो होता जाता है, जिसकी वजह से जनसंख्या के अनुपात में कमी आती जाती है’. इसके बावजूद, प्रौढ़ आबादी की संरचना वाले देश, मानव संसाधन की कमी को तकनीक, गठबंधन और कुशलता की मदद से पूरा कर सकते हैं. हालांकि, कुछ चुनौतियां तब भी बनी रह जाती हैं.

 

क्या तकनीक का मददगार होना कारगर बनेगा?

 

दक्षिण कोरिया ने जनसंख्या में इस गिरावट को पूरा करने के लिए तकनीक पर अपना भरोसा बढ़ाया है. इसके लिए दक्षिण कोरिया ने 2022 में डिफेंस इनोवेशन 4.0 योजना बनाई थी. ये ‘ऐसी पहल है, जिसमें स्मार्ट सेना बनाने और सैनिकों की कमी से निपटने के लिए तकनीक के इस्तेमाल पर ज़ोर’ दिया गया है. इस योजना में अपनी पूर्वी सरहद और उत्तर कोरिया से लगने वाले तटीय इलाक़ो में सीमा की चौकसी की व्यवस्था वाली तकनीक का इस्तेमाल करना शामिल है. मिसाल के तौर पर, 2022 में पहली बार दक्षिण कोरिया ने पहली बार एक ‘आर्मी टाइगर डेमॉन्स्ट्रेशन ब्रिगेड’ बनाई. ये सेना की ऐसी ‘इकाई है, जो भविष्य में ड्रोन, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और दूसरी उन्नत तकनीकों की मदद से ज़मीनी लड़ाई लड़ने की तैयारी’ करेगी. इस योजना का मक़सद युद्ध लड़ने वाली सभी ब्रिगेड को 2040 तक इसी तरह से भविष्य के युद्धों के लिए तैयार करना है. इसके साथ साथ दक्षिण कोरिया 2022 से 2025 के दौरान अपने सैन्य ढांचे में भी तब्दीली कर रहा है, और आठ कोर को घटाकर दो कोर और 38 डिवीज़नों को 33 में मिलाने में जुटा है.

 

इस प्रयास में तकनीकी औज़ारों दैसे कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के इस्तेमाल ने अत्याधुनिक हथियार चलाने के लिए सैनिकों की ज़रूरत को कम किया है. फिर भी सेना के अहम क्षेत्रों के लिए मानव संसाधनों का इस्तेमाल एक सामरिक भूमिका अदा करता है. बदली हुई परिस्थितियों के मुताबिक़ बदलाव करना, ख़ुद को ढालना और सटीक एवं फुर्तीले तरीक़े से जवाब देना, ये सब सेना के मानव संसाधनों की वजह से ही मुमकिन हो सकता है. मिसाल के तौर पर रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के दौरान सैनिकों की संख्या और अनिवार्य सैन्य भर्ती की अहमियत रेखांकित हो गई है. ख़ास तौर से उस स्थिति में जब युद्ध लंबा खिंचे और उसमें हताहत होने वाले सैनिकों की संख्या भी अधिक हो. यूरोप में चल रहे युद्ध ने दिखाया है कि एक बड़ी सेना किसी भी देश के युद्ध लड़ने के लिए कितनी आवश्यक है. ये इस बात का उदाहरण है कि युद्धों के दौरान सैनिकों की संख्या कितनी महत्वपूर्ण हो जाती है. ये बात दक्षिण कोरिया पर तो ख़ास तौर से लागू होती है क्योंकि उसकी आबादी लगातार कम होती जा रही है.

आगे चलकर सेना में भर्ती की समस्या से निपटने के लिए बाहर से लोगों को बुलाकर दक्षिण कोरिया में बसाना भी एक विकल्प हो सकता है, जो उसकी सेना को भी ताक़तवर बनाएगा और उसकी आर्थिक ज़रूरतों को भी पूरा करेगा.

दक्षिण कोरिया की घटती आबादी की चुनौती से निपटने के लिए किए जा रहे मौजूदा उपाय आधे अधूरे हैं और ये इसकी संस्थागत चुनौतियों से निपट पाने में अक्षम हैं. इन क़दमों के सीमित लाभ शायद सिर्फ़ दूरगामी अवधि में ही मिल सकें. ऐसे में सेना के जोखिमों और कम से मध्यम अवधि में ख़तरों और ख़ास तौर से उस इलाक़े में तेज़ हो रही भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को देखते हुए, दक्षिण कोरिया के लिए अक़्लमंदी इसी बात में होगी कि वो अपनी सेना में अनिवार्य भर्ती के लिए लक्ष्य आधारित फ़ैसले करे. सेना में महिलाओं की भर्ती बढ़ाना एक कामयाब मॉडल है, जिसको जारी रखने की ज़रूरत है. हालांकि, आगे चलकर सेना में भर्ती की समस्या से निपटने के लिए बाहर से लोगों को बुलाकर दक्षिण कोरिया में बसाना भी एक विकल्प हो सकता है, जो उसकी सेना को भी ताक़तवर बनाएगा और उसकी आर्थिक ज़रूरतों को भी पूरा करेगा. इसके लिए दक्षिण कोरिया की सरकार को पहला क़दम ये उठाना चाहिए कि वो अपने नागरिकों के साथ इस मुद्दे पर खुलकर बातचीत करने की शुरुआत करे.

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