ग्रेट पावर कंपटीशन (अमेरिका और उसके विरोधियों के बीच मुकाबला) और नाज़ुक भू-राजनीतिक विश्व व्यवस्था की पृष्ठभूमि में भारत ने 4 जुलाई 2023 को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के राष्ट्र प्रमुखों की परिषद के 23वें शिखर सम्मेलन की मेज़बानी की. बारी-बारी से मिलने वाली अध्यक्षता को उज़्बेकिस्तान के ऐतिहासिक शहर समरकंद में स्वीकार करने के बाद भारत ने SCO के क्षेत्रीय सहयोग और तालमेल के एजेंडे को लगातार आगे बढ़ाया. आंतरिक संबंधों को मज़बूत करने और इस विविध एवं अक्सर परस्पर विरोधी संगठन के भीतर एकता को बढ़ावा देने के मक़सद से भारत ने 134 आयोजनों की मेज़बानी की जिनमें 14 मंत्रिस्तरीय बैठक शामिल हैं. निष्पक्षता के प्रति भारत की ठोस प्रतिबद्धता और रचनात्मक एजेंडे के साथ कूटनीति ने मौजूदा बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था में भारत की बढ़ती केंद्रीय भूमिका को उजागर किया. बहुत ज़्यादा मूल्यांकन और सोच-विचार के बाद SCO समिट के दौरान इस्लामिक स्टेट ऑफ ईरान को पूर्ण सदस्य का दर्जा दिया गया और भारत ने SCO की अध्यक्षता कज़ाकिस्तान को सौंपी.
SCO भारत को मध्य एशियाई और दक्षिण एशियाई क्षेत्रों में अपनी भू-सामरिक और भू-आर्थिक लक्ष्यों को सुरक्षित रखने, आगे बढ़ाने और प्रदर्शित करने का मौका प्रदान करता है.
SCO समेत अलग-अलग बहुपक्षीय मंचों की उपलब्धता एक उभरती वैश्विक शक्ति के रूप में विभिन्न क्षेत्रों में भारत के भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक हितों को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है. SCO भारत को मध्य एशियाई और दक्षिण एशियाई क्षेत्रों में अपनी भू-सामरिक और भू-आर्थिक लक्ष्यों को सुरक्षित रखने, आगे बढ़ाने और प्रदर्शित करने का मौका प्रदान करता है. 2017 में भारत इस बहुपक्षीय संगठन को एक लोकतांत्रिक चरित्र देने के लिए SCO का पूर्ण सदस्य बना, इससे पहले इस संगठन में सत्तावादी नेता और निरंकुश देश भरे हुए थे. 2023 में अपनी अध्यक्षता के दौरान भारत ने स्टार्टअप्स एवं इनोवेशन समेत विकास के नये क्षेत्रों, परंपरागत चिकित्सा, डिजिटल समावेशन, युवा सशक्तिकरण और SCO के ज़्यादातर सदस्य देशों के बीच साझा बौद्ध विरासत को बढ़ावा देने के लिए ठोस रुख अपनाया. इस प्रतिबद्धता के हिस्से के रूप में भारत ने दो नई व्यवस्थाओं की स्थापना की- स्टार्टअप्स एवं इनोवेशन पर स्पेशल वर्किंग ग्रुप और परंपरागत चिकित्सा पर एक्सपर्ट वर्किंग ग्रुप. इस तरह भारत ने महत्वपूर्ण रूप से क्षेत्रीय आर्थिक और सामाजिक कायापलट की दिशा में योगदान करने के प्रति अपनी निष्ठा का प्रदर्शन किया.
SCO का उद्देश्य
शिखर सम्मेलन ने ‘SECURE’ SCO की थीम को अपनाया. इसमें S का मतलब सिक्योरिटी फॉर सिटीज़ंस (नागरिकों के लिए सुरक्षा); E का मतलब इकोनॉमिक डेवलपमेंट फॉर ऑल (सबके लिए आर्थिक विकास); C का मतलब कनेक्टिंग द रीजन (क्षेत्र को जोड़ना); U का मतलब यूनाइटिंग द पीपुल (लोगों को एक करना); R का मतलब रिस्पेक्ट फॉर सॉवरेनिटी एंड इंटीग्रिटी (संप्रभुता और अखंडता के लिए सम्मान) और E का मतलब एनवायरमेंटल प्रोटेक्शन (पर्यावरण संरक्षण) है. इस थीम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में चिंगडाऊ शिखर सम्मेलन के दौरान गढ़ा था ताकि इस क्षेत्र को “सुरक्षित, स्थिर और समृद्ध” बनाया जा सके. शिखर सम्मेलन ने लोगों के बीच संपर्क के महत्व को उजागर किया और दूसरे सदस्य देशों के साथ भारत की सदियों पुरानी सभ्यतागत, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संबंधों को फिर से ज़िंदा करने और गहरा करने की भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया. SCO की अध्यक्षता के दौरान भारत ने प्राचीन शहर काशी (वाराणसी) को पहली SCO पर्यटन एवं सांस्कृतिक राजधानी घोषित करके अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन किया.
भारत ने SCO को पाकिस्तान की सरकार के द्वारा प्रायोजित आतंकवाद से अपनी उत्तरी सीमा को सुरक्षित करने के एक मंच के तौर पर इस्तेमाल किया. पाकिस्तान ने जहां 1989 से जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का समर्थन किया है, वहीं अफगानिस्तान-पाकिस्तान क्षेत्र आतंकवाद का गढ़ बन गया है. यहां से मध्य एशिया और यूरेशिया में कट्टरपंथी तत्वों का समर्थन किया जाता है. पाकिस्तान की सरकार के द्वारा प्रायोजित आतंकवाद से निपटने की कठिन चुनौती के बावजूद भारत ने दृढ़ता से क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी सहयोग की वकालत की है. अपने आतंकवाद विरोधी अभियान के लिए 2018 में संयुक्त राष्ट्र की तरफ से अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक समझौते (CCIT) से मिले महत्वपूर्ण समझौते को आगे बढ़ाते हुए भारत ने अपनी SCO अध्यक्षता के दौरान सफलतापूर्वक आतंकवाद के मुद्दे को उठाया. असरदार क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी सहयोग और कार्रवाई की दिशा में ज़रूरी व्यवस्था के रूप में भारत SCO के रीजनल एंटी-टेररिस्ट स्ट्रक्चर (RATS) के लिए मज़बूती से खड़ा हुआ. भारत ने बिना किसी कठिनाई के बातचीत और क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी कोशिशों में तालमेल को सुनिश्चित करने के लिए SCO के भीतर अंग्रेज़ी को एक प्राथमिक भाषा के तौर पर अपनाने की पुरजोर वकालत की. इसके अलावा, भारत के द्वारा “अफगान की अगुवाई में, अफगान के मालिकाना हक और अफगान नियंत्रित” शांति प्रक्रिया की मांग को SCO के सभी मध्य एशियाई सदस्य देशों और रूस का समर्थन मिला. भारत और मध्य एशियाई गणराज्यों के बीच आतंकवाद के ख़िलाफ़, सुरक्षा सहयोग के क्षेत्रों और रक्षा को लेकर समझौतों ने SCO के ज़रिये भारत के द्वारा दर्ज की गई महत्वपूर्ण प्रगति को दिखाया.
भारत और मध्य एशियाई गणराज्यों के बीच आतंकवाद के ख़िलाफ़, सुरक्षा सहयोग के क्षेत्रों और रक्षा को लेकर समझौतों ने SCO के ज़रिये भारत के द्वारा दर्ज की गई महत्वपूर्ण प्रगति को दिखाया.
पाकिस्तान अपने क्षेत्र के ज़रिये गुज़रने वाले क्षेत्रीय कनेक्टिविटी नेटवर्क को ठुकरा कर लगातार भारत की इन कोशिशों में बाधा डालता रहा है कि वो अपने सांस्कृतिक, सामरिक और आर्थिक हितों को आगे बढ़ाए. चीन ने पाकिस्तान और भारत के बीच तनावपूर्ण संबंध का इस्तेमाल SCO के क्षेत्र में अपने संकीर्ण हितों को आगे बढ़ाने में किया है. इसके लिए चीन ने अपनी महत्वाकांक्षी और अक्सर दूसरे देशों का शोषण करने वाली बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का सहारा लिया है. चीन के BRI प्रोजेक्ट ने कर्ज़ का एक संकट खड़ा किया है और SCO के देशों की संप्रभुता एवं अखंडता का उल्लंघन किया है. कर्ज़ के संकट में बढ़ोतरी ने SCO के क्षेत्र, मुख्य रूप से मध्य एशिया, में चीन विरोधी प्रदर्शनों की लहर शुरू कर दी है. चीन-पाकिस्तान की धुरी से पार पाने के लिए भारत ने चाबहार पोर्ट और 7,200 किमी लंबे इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) में निवेश किया है. भारत के नेतृत्व में कनेक्टिविटी की ये पहल सलाह-मशविरे के बाद तैयार की गई है और ये पारदर्शी, किफायती एवं विश्वसनीय हैं. समावेशी और भागीदारी वाले नज़रिये की वजह से ज़्यादातर SCO देशों ने भारत की अगुवाई वाले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट में द्विपक्षीय और बहुपक्षीय स्तर पर शामिल होने के विकल्पों को तलाशा है. 2020 में भारत ने इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को विकसित करने के लिए मध्य एशिया के देशों को 1 अरब अमेरिकी डॉलर का लाइन ऑफ क्रेडिट मुहैया कराया और ताजिकिस्तान में दुशांबे-चोरटुट हाइवे का भी निर्माण किया. इस तरह भारत ने यूरेशिया में अपने भू-सामरिक और आर्थिक हितों को मज़बूत किया.
भारत ने नाजुक वैश्विक भू-राजनीतिक माहौल और रूस-यूक्रेन संघर्ष के दौरान SCO की अध्यक्षता संभाली. इस संघर्ष ने संगठन के भीतर चीन के वर्चस्ववादी और आक्रामक व्यवहार को संतुलित करने की रूस की क्षमता को काफी कम कर दिया. भारत ने अपने बढ़ते कूटनीतिक दबदबे और वैश्विक कद का फायदा उठाते हुए सफलतापूर्वक चीन के वर्चस्ववादी हितों को असफल बनाया और अमेरिका के साथ चीन की अत्यधिक प्रतिद्वंद्विता के बीच SCO का इस्तेमाल अपने भू-सामरिक, भू-आर्थिक और क्षेत्रीय लाभ के लिए एक संगठन के तौर पर किया. भारत के बढ़े हुए वैश्विक आर्थिक एवं राजनीतिक प्रभाव ने उसे यूरेशिया में SCO को एक विकास पर केंद्रित संगठन के तौर पर बदलने में एक प्रमुख किरदार के रूप में अपनी स्थिति मज़बूत करने में मदद की. भारत ने SCO को पश्चिमी देशों का विरोधी गठबंधन बनाने के बदले क्षेत्र के सभी देशों में खुशहाली को बढ़ावा देने के लिए UN के चार्टर का पालन करते हुए शांति एवं सुरक्षा बरकरार रखने के महत्व पर ज़ोर दिया.
भारत ने नाजुक वैश्विक भू-राजनीतिक माहौल और रूस-यूक्रेन संघर्ष के दौरान SCO की अध्यक्षता संभाली. इस संघर्ष ने संगठन के भीतर चीन के वर्चस्ववादी और आक्रामक व्यवहार को संतुलित करने की रूस की क्षमता को काफी कम कर दिया.
भारत ने कनेक्टिविटी, काउंटरटेररिज़्म और अफगानिस्तान पर एक प्रगतिशील एजेंडे की वकालत करते हुए अपने कूटनीतिक संबंध और बौद्धिक पूंजी को मज़बूत किया है. पश्चिमी देशों के कई विद्वानों की तरफ से SCO को चीन के द्वारा बनाया गया और चीन के वर्चस्व वाला संगठन बताये जाने के बावजूद भारत की अध्यक्षता ने उसे एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय ताकत के तौर पर अपनी पहचान बढ़ाने और खुद को SCO के सभी सदस्य देशों के लिए एक रचनात्मक, विश्वसनीय और भरोसेमंद साझेदार के तौर पर स्थापित करने की दिशा में एक बहुमूल्य मंच के तौर पर काम किया. हालांकि युद्ध में रूस की व्यस्तता, चीन की तरफ से आधिपत्यवादी महत्वाकांक्षाओं का लगातार पीछा करना, पाकिस्तान के द्वारा अपने क्षेत्र से कनेक्टिविटी को ठुकराने वाला ज़िद्दी रुख और चीन-पाकिस्तान की अवसरवादी दोस्ती SCO के क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव को सीमित करना जारी रखेगी.
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