Author : Harsh V. Pant

Published on Mar 01, 2022 Updated 0 Hours ago

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यूक्रेन पर हमले के निंदा प्रस्ताव पर रूस ने वीटो पावर का इस्तेमाल किया है. रूस और यूक्रेन पर भारत ने मतदान में हिस्‍सा क्‍यों नहीं लिया? इसके पीछे बड़ी वजह क्‍या है? आइए जानते हैं कि इस पर विशेषज्ञों की क्‍या राय है?

Russia Ukraine War: सुरक्षा परिषद में भारत ने रूस के खिलाफ प्रस्ताव पर क्‍यों नहीं किया वोट? ये हैं चार प्रमुख कारण

Russia Ukraine War and UNSC: यूक्रेन पर रूसी हमले का आज तीसरा दिन है. रूस की सेना ने यूक्रेन के कई जगहों और सैन्‍य ठिकानों पर हमला किया है. कई सैन्‍य ठिकानों को तबाह कर दिया है. उधर, दोनों देशों के बीच युद्ध विराम के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यूक्रेन पर हमले के निंदा प्रस्ताव पर रूस ने वीटो पावर का इस्तेमाल किया है. बता दें कि रूस सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है. खास बात यह है कि भारत, चीन और यूएई ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया. सवाल यह है कि रूस और यूक्रेन पर भारत ने मतदान में हिस्‍सा क्‍यों नहीं लिया? इसके पीछे बड़ी वजह क्‍या है? आइए जानते हैं कि इस पर विशेषज्ञों की क्‍या राय है?

1- प्रो हर्ष वी पंत ने कहा कि रूस और यूक्रेन संघर्ष में भारतीय विदेश नीति का दृष्टिकोण साफ है.भारत का मत है कि सभी विवादित मुद्दों को बातचीत के जरिए ही सुलझाया जाना चाहिए. सुरक्षा परिषद में भारत का यही दृष्टिकोण दिखा. भारत ने सुरक्षा परिषद में बहुत सधी हुई टिप्‍पणी की है. भारत का मत है कि सभी सदस्‍य देशों को सकारात्‍मक तरीके से आगे बढ़ने के लिए संयुक्‍त राष्‍ट्र के नियमों एवं सिद्धांतों का सम्‍मान करना चाहिए. भारत का मत है कि आपसी मतभेदों और विवादों को निपटाने के लिए संवाद ही एकमात्र जरिया है. भारत ने दुनिया के सबसे बड़े सुरक्षा परिषद के मंच पर बड़ी सहजता से यह बात रखी की किसी भी विवादित मसले का हल युद्ध नहीं हो सकता है. संवाद के जरिए ही विवादों को निपटाया जाना चाहिए.

2- प्रो. पंत ने कहा कि आजादी के बाद भारत की विदेश नीति सदैव से गुटनिरपेक्ष सिद्धांतों पर टिकी रही है. यह शीत युद्ध का दौर था. उन्‍होंने कहा कि दुनिया में शीत युद्ध की समाप्ति के बाद भी भारत इस नीति पर कायम है. यानी वह किसी सैन्‍य गुट का हिस्‍सा नहीं है. भारत के अमेरिका से बेहतर संबंध है, तो रूस से उसकी पुरानी दोस्‍ती है. भारत के इजरायल से मधुर संबंध है तो कई खाड़ी देशों से भी उसकी निकटता है. इसकी बड़ी वजह यह रही कि भारत किसी देश के आंतरिक मामलों में हस्‍तक्षेप पर यकीन नहीं करता है न ही अपने आंतरिक मामलों में दुनिया के किसी देश का हस्‍तक्षेप स्‍वीकार करता है. भारतीय विदेश नीत‍ि की आस्‍था दुनिया में किसी भी समस्‍या का समाधान संवाद के जरिए ही हो सकता है. यही कारण है कि सुरक्षा परिषद में उसने मतदान देने के बजाए अपना स्‍पष्‍ट मत रखा.

आजादी के बाद भारत की विदेश नीति सदैव से गुटनिरपेक्ष सिद्धांतों पर टिकी रही है. यह शीत युद्ध का दौर था. दुनिया में शीत युद्ध की समाप्ति के बाद भी भारत इस नीति पर कायम है. यानी वह किसी सैन्‍य गुट का हिस्‍सा नहीं है.

3- उन्‍होंने कहा कि भारत की कथनी और करनी में फर्क नहीं है. प्रो पंत ने कहा कि भारत चीन के साथ सीमा विवाद की समस्‍या का संवाद के जरिए समाधान खोज रहा है. इसके लिए भारत चीन की 14 चरण की वार्ता हो चुकी है. भारत पड़ोसी देश पाकिस्‍तान की ओर से प्रायोजित आतंकवाद का कई वर्षों से संवाद के जरिए ही समाधान करने की बात करता रहा है. हालांकि, पाकिस्‍तान की कथनी और करनी में फर्क होने के कारण अब तक इसका कोई समाधान नहीं निकल सका है. प्रो पंत ने कहा कि वह किसी भी देश के विवाद को युद्ध या जंग के जरिए नहीं वार्ता के जरिए समाधान में यकीन करता है.

भारत ने कहा कूटनीति के जरिए हो समस्‍या का समाधान

4- भारत में सैन्‍य उपकरणों की आपूर्ति हो या चीन के साथ सीमा विवाद का मामला नई दिल्‍ली के लिए मास्‍को बेहद उपयोगी है. आज भी भारतीय सेना में शामिल अधिकतर सैन्‍य उपकरण रूस निर्मित हैं. एक अनुमान के मुताबिक भारतीय सेना में साठ फीसद शस्‍त्र रूस निर्मित हैं. आजादी के बाद खासकर शीत युद्ध के दौरान रूस और भारत के संबंध काफी मधुर रहे हैं. शीत युद्ध के बाद दोनों देशों के बीच निकटता रही है. हाल में अमेरिका के तमाम विरोध के बावजूद भारत ने रूस से एस-400 डिफेंस मिसाइल सिस्‍टम हासिल किया है. भारत-चीन सीमा विवाद के मद्देनजर भी रूस के साथ भारत की निकटता बेहद उपयोगी है. भारत-चीन सीमा विवाद में नई दिल्‍ली को रूस से अपेक्षा रही है कि वह मध्‍यस्‍थता की भूमिका निभा सकता है.

सुरक्षा परिषद में चीन का क्‍या रहा रोल

सुरक्षा परिषद में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, ब्राजील, मैक्सिको, केन्‍या, घाना, अल्‍बानिया, नार्वे और आयरलैंड ने पक्ष में मत दिए है. रूस ने विपक्ष में मतदान किया है. भारत, चीन और यूएई ने इसमें हिस्‍सा नहीं लिया. अमेरिका ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन पर प्रतिबंध लगाने की बात कही है. सुरक्षा परिषद में ब्रिटिश प्रतिनिधि ने रूसी सेनाओं पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्‍होंने कहा कि रूसी टैंक आम नागरिकों को कुचल रहे हैं. चीन ने भी मतदान में हिस्सा नहीं लिया. चीन के स्थायी प्रतिनिधि झांग जून ने कहा कि हम मानते हैं कि सभी राज्यों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए. एक देश की सुरक्षा दूसरे देशों की सुरक्षा को कम करके आंकने की कीमत पर नहीं की जा सकती है.

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