Published on Jan 23, 2017 Updated 0 Hours ago

'द सर्च फॉर न्यू नार्मल' अर्थात एक नए सामान्य की तलाश — में बहुत गहन रूचि दिखाई थी अनिश्चयता से भरी इस दुनिया में।

रायसीना संवाद | ORF निदेशक द्वारा स्वागत उद्बोधन

भारत के सम्माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी, माननीय विदेश राज्य मंत्री श्री एम.जे.अकबर, दर्शकों में मौजूद प्रधानमंत्री व मंत्री, दुनिया भर से आए विशिष्ट अतिथिगण एवं प्रतिनिधि, देवियों और सज्जनों..

आप सबका रायसीना डॉयलॉग में स्वागत है जिसके सह मेजबान भारत सरकार का विदेश मंत्रालय तथा आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन है। पहला बार इस डॉयलॉग का आयोजन मार्च 2016 में किया गया था। यह अतिश्यिोक्ति नहीं होगी अगर कहा जाए कि इसके बाद अगले दस महीने अंतराष्ट्रीय घटनाक्रम को लेकर जबरदस्त उथल पुथल से भरे रहे। प्रौद्योगिकी हां यां समाज, व्यापार अथवार राजनीति, हर जगह अब ‘वयवधान’ अर्थात ‘डिसरप्शन’ की ही चर्चा है, इसी पर सबकी नजर है। पिछले कई दशकोंके विश्वास को अब लगातार चुनौती मिल रही है और उन पर सवाल उठ रहे हैं।

पर अंतत: हम आशावादी हैं, हम उम्मीद करते हैं कि यह व्यवधान कुछ नया निर्माण करने के लिए है और इस अनिश्चितता के कोहरे से एक नई व्यवस्था कैसे निलेगी इस पर चर्चा के लिए हम यहां एकत्र हुए हैं। हमारा मानना है कि हो सकता है कि दुनिया के नए स्वरूप में संस्थाओं, शासन व्यवस्थाओं तथा प्रोटोकॉल्स क्या शक्ल अख्तियार करेंगे इसे लेकर भले ही हम अभी निश्चिंत न हों पर इतना तो तय है कि यह एक निर्णयक क्षण है — एक ऐसा क्षण जो बाकी बची 21वीं सदी में हमारे ग्रह के भविष्य को तय करेगा।

माननीय प्रधानमंत्री जी, मुझे ध्यान आता है कि जब हम इस आयोजन की जानकारी देने के लिए आपसे मिले थे तो आपने इस संवाद के मुख्य विषय — ‘द सर्च फॉर न्यू नार्मल’ अर्थात एक नए सामान्य की तलाश — में बहुत गहन रूचि दिखाई थी.. अनिश्चयता से भरी इस दुनिया में “बहुपक्षवाद और बहुध्रुवीयता” इस नए सामान्य की तलाश को और भी जरूरी कर देती है जिससे विश्व में शांति, समृद्धि व स्थायित्व लाने के साझा प्रयासों का और बल मिलेगा।

मई 2014 के बाद से दुनिया एक नए आत्मविश्वासी भारत को देख रही है जो बाकी दुनिया के साथ एक नई उर्जा से युक्त हो संबंध बना रहा है। निश्चित ही आपने भारत की विदेश नीति में जो नई भावना अपने एकाधिक प्रयत्नों से पैदा की है वह वास्तव में हमारे देश की जनसांख्यिकी के मर्म को भी प्रतिबिंबित करता है और वह है — युवा शक्ति का जोश।

इसी भावना को ध्यान में रखते हुए हमने आपके सुझाव पर अमल करते हुए इस संवाद में ताजा विचारों वाले युवा विचारकों को आमंत्रित किया। इसीलिए इस साल हमने रायसीना डॉयलॉग से अभिन्न रूप से जुड़े एक हिस्से के तौर पर अपने ‘यंग लीडर्स’ प्रोग्राम को प्रस्तुत किया है। हमारे दर्शकों में आज 39 रायसीना युवा फेलो भी हैं। वे सभी 35 वर्ष की आयु से नीचे हैं और 26 देशों का प्रतिनिधित्व करते हैं जो सभी मह़ाद्वीपों के प्रतिनिधि हैं।

वास्तव में पिछले साल आरंभ हुआ रायसीना डॉयलॉग इसी विषय से तो जुड़ा है — सांझा रास्ते तलाशने में उभरते विश्व नेतृत्व की भमिका। सर, रायसीना डॉयलॉग भले ही भारत में डिजाइन कर यही बनाया गया और भारत में मौजूद प्लेटफार्म है, पर वास्तव में यह प्लेटफार्म इस दुनिया के देशों और नागरिकों को समर्पित है। इस मायने में यह आयोजन हमारा नहीं बल्कि उन 250 प्रतिनिधियों का है जो 65 देशों से यहां आए हैं।

इसलिए यह हमारे लिए विशेष सम्मान की बात है अगले दो दिन तक होने वाली बहुमूल्य चर्चाओं की शुरूआत करने के लिए आप आज हमारे साथ यहां हैं। क्षेत्रीय व वैश्विक व्यवस्था के बारे में आपके आकलन से वह आधार हमें मिलेगा जिस पर अगले दो दिन विमर्श होगा।

हम आज की शाम आपकी उपस्थिति के लिए आपका धन्यवाद करते हुए सम्मानित महसूस कर रहे हैं। प्रधानमंत्री महोदय मैं आपसे अनरोध करूंगा कि आपको सुनने आई इस विशिष्ट सभा को संबोधित करें।

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