Published on Nov 28, 2023 Updated 0 Hours ago

यूरोपीय संघ (EU) का सक्रिय सदस्य होने के बावजूद हंगरी, रूस के साथ अपने मौजूदा सहयोग को जारी रखने का इरादा रखता है.

चीन में ओरबान से मिले पुतिन: ये मुलाक़ात कितनी अहम है?

अब जबकि रूस और यूक्रेन का युद्ध, दो साल पूरे होने की तरफ़ बढ़ रहा है, तो यूरोपीय संघ (EU) ने रूस के यूरोपीय बाज़ार तक पहुंच को प्रतिबंधित कर रखा है, और इसके साथ साथ यूक्रेन को सैन्य और वित्तीय सहायता भी दे रहा है. हालांकि, हाल ही में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान, 17 अक्टूबर को बीजिंग में मिले थे. 2009 से ये दोनों नेताओं के बीच 13वीं मुलाक़ात थी. इससे संकेत मिलता है कि हंगरी में रूस विरोधी जज़्बात को कोई तवज्जो नहीं दी जा रही है.

पुतिन और ओरबान, उन 28 राष्ट्राध्यक्षों में से थे, जो बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव (BRI) फोरम की तीसरी बैठक में हिस्सा लेने गए थे. पुतिन और ओरबान की ये मुलाक़ात, हंगरी द्वारा रूस के ऊर्जा संसाधनों तक पहुंच को लेकर चर्चा करने के लिए हुई थी. पुतिन ने कहा कि मौजूदाभू-राजनीतिक परिस्थितियों के बावजूद’, रूस और हंगरी आपस में अच्छे रिश्ते बनाए हुए हैं. पुतिन ने ज़ोर देकर कहा कि कई वैश्विक मसलों पर दोनों देशों की राय अलग अलग है, इस वजह से ये बातचीत और भी मूल्यवान हो जाती है. वहीं दूसरी ओर, विक्टर ओरबान ने रूस के साथ अपने मौजूदा सहयोग पर ज़ोर दिया और कहा कि रूस पर लगे प्रतिबंधों के बीच हंगरी से जितना मुमकिन होगा, वो इस रिश्ते का लाभ उठाने की कोशिश करेगा.

यहां इस बात पर भी ध्यान देना अहम होगा कि विक्टर ओरबान ने यूरोपीय संघ के शिखर सम्मेलन से किनारा कर लिया था. इस सम्मेलन में इज़राइल और हमास के बीच युद्ध पर चर्चा होनी थी, और हंगरी हमेशा से इज़राइल का पक्का साथी रहा है. हंगरी अक्सर EU की आम सहमति से अलग रुख़ अपनाते हुए इज़राइल के नज़रिए का समर्थन करता रहा है. ओरबान की जगह EU के शिखर सम्मेलन में हंगरी के विदेश मंत्री पीटर एसज़िजार्तो शामिल हुए थे. चीन में ओरबान की पुतिन से मुलाक़ात के बाद, नैटो देशों और स्वीडन के राजदूत, हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट पहुंचे थे, ताकि वो यूरोपीय संघ के एक देश के प्रधानमंत्री द्वारा संघ की नीतियों का पालन करने पर चर्चा कर सकें. 26 अक्टूबर को विक्टर ओरबान ने अपनी नीतियों को वाजिब ठहराते हुए ये दावा किया कि उन्हें गर्व है कि वो पुतिन से मिले, क्योंकि वोशांति की रणनीतिमें विश्वास रखते हैं, जिसके लिए बातचीत के रास्ते खुले रखना ज़रूरी है.

 

रूस के साथ हंगरी के ऊर्जा संबंध

 

हालांकि, विक्टर ओरबान का पुतिन से मिलना कोई हैरानी की बात नहीं है. क्योंकि, रूस की ऊर्जा कंपनियां हर साल हंगरी के साथ समझौते का नवीनीकरण करती हैं. रूस और हंगरी के रिश्तों में ऊर्जा क्षेत्र की साझेदारी, उसी दौर से अहम बनी हुई है, जब हंगरी में साम्यवादी शासन था. हंगरी को रूस से द्रुझबा पाइपलाइन से तेल मिलता है और टर्कस्ट्रीम पाइपलाइन और बुल्गारिया सर्बिया में उसकी शाखाओं के ज़रिए उसे रूस से गैस मिलती है. रूस की सरकारी कंपनी रोसाटोम ने हंगरी में पाक्स एटमी पावर प्लांट स्थापित किया है, जिससे हंगरी की लगभग आधी बिजली पैदा होती है. रोसाटोम, हंगरी को परमाणु ईंधन भी बेचती है.

 

यूक्रेन युद्ध के बाद जहां, अन्य यूरोपीय देशों ने रूस के बजाय अन्य देशों से तेल और गैस ख़रीदना शुरू कर दिया था, वहीं हंगरी आज भी अपनी तेल की ज़रूरत का 60 प्रतिशत हिस्सा रूस से ही आयात करता है. जैसा कि विक्टर ओरबान ने दोहराया भी कि रशियन एक्सपोर्ट ब्लेंड (REB) की जगह कोई और तेल ख़रीदना हंगरी के लिए बहुत कठिन फ़ैसला होगा. क्योंकि इसके लिए हंगरी को अपने तेल के मूलभूत ढांचे में बहुत बड़े बदलाव करने होंगे. 2022 में हंगरी अपनी ज़रूरत की 80 प्रतिशत प्राकृतिक गैस, और 65 फ़ीसद रूस से ही ख़रीद रहा था. दोनों देशों के ये रिश्ते, साम्यवादी दौर से ही चले रहे हैं और इनको तोड़ने की कोई कोशिश नहीं की गई है.

 

ये सच्चाई हंगरी की दुविधा को ज़ाहिर करती है. भौगोलिक रूप से रूस के क़रीब स्थित होने और रूस की ऊर्जा और उसकी वैल्यू चेन पर अपनी निर्भरता के कारण हंगरी की तेल और गैस कंपनियां अपनी ज़रूरतें रूस से आयात करके पूरी करती हैं. अचानक इस आपूर्ति में बाधा आने का मतलब होगा कि हंगरी के लोग ठिठुरते हुए सर्दियां गुज़ारेंगे. अगर MOL ग्रुप और MVM एनर्जी जैसी हंगरी की बड़ी ऊर्जा कंपनियां कहीं और से तेल आयात करने का फ़ैसला करती भी हैं, तो इसके लिए REB से अलग तरह के कच्चे तेल को साफ़ करने के लिए निवेश करने और इसका मूलभूत ढांचा खड़ा करने में दो साल से ज़्यादा का वक़्त लग जाएगा. अगर कोई तर्क दे कि हंगरी को दूसरे देशों से तेल और गैस ख़रीदनी चाहिए, तो भी रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद से रूस के अलावा अन्य देशों के तेल और गैस के दाम आसमान पर पहुंच चुके हैं. दुनिया में तरल प्राकृतिक गैस (LNG) का सबसे बड़ा निर्यातक क़तर है, और 2027 तक उसे किसी और देश को देने के लिए LNG नहीं है. ऐसे में चारों तरफ़ से ज़मीन से घिरे हंगरी के पास रूस से तेल और गैस ख़रीदने के सिवा कोई और चारा है नहीं.

 

इसके अलावा, रूस से सर्बिया को होने वाले तेल के निर्यात के मामले में भी हंगरी शामिल है. हंगरी का MOL ग्रुप और सर्बिया की पाइप लाइन  चलाने वाली कंपनी ट्रांसनेफ्टा मिलकर, 128 किलोमीटर की पाइपलाइन बिछा रहे हैं, जो दोनों देशों की प्रमुख पाइपलाइनों को आपस में जोड़ेगी. हंगरी की MVM और सर्बिया की गैस कंपनी सर्बिया गैस  भी इस क्षेत्र में गैस के कारोबार के लिए मिलजुल कर  एक कंपनी बना रहे हैं. ऐसे में निकट भविष्य में इस बात की संभावना नहीं दिख रही है कि हंगरी रूस से अपने ऊर्जा संबंध तोड़ेगा. ऊर्जा के मामले में रूस पर इस निर्भरता ने यूरोपीय संघ (EU) को लेकर भी हंगरी के रवैये पर असर डाला है. इस साल की शुरुआत में जब यूरोपीय संघ ने रूस पर प्रतिबंधों की छठवीं किस्त का ऐलान  किया था, तब हंगरी ने पाइपलाइन से अपने यहां पहुंचने वाले तेल को इन प्रतिबंधों से अलग रखने की मांग की थी. कुल मिलाकर पुतिन और विक्टर ओरबान की ये मीटिंग, केवल पुतिन से नज़दीकी दिखाने के लिए नहीं थी, बल्कि रूस को लेकर यूरोपीय संघ से अलग अपनी स्वतंत्र विदेश नीति पर चलने की कोशिश भी थी. इसके साथ साथ विक्टर ओरबान ने रूस और यूक्रेन के युद्ध कोविशेषके बजाय एकसैन्य अभियानकरार देते हुए रूस की आलोचना भी की थी, ताकि वो रूस और यूरोपीय संघ  के बीच संतुलन बना सकें. इसके अलावा, पुतिन के लिए लक्ष्मण रेखा लांघने से बचते हुए विक्टर ओरबान ने ज़ोर देकर कहा कि हंगरी किसी भी सूरत में यूक्रेन को हथियारों और सैन्य साज़--सामान की आपूर्ति का हिस्सा बनेगा.

 

ओरबान की संतुलन बनाने की कोशिश

 

ऐसा नहीं है कि विक्टर ओरबान हमेशा से रूस समर्थक रवैया अपनाते आए हैं. 2010 में सत्ता में आने से पहले ओरबान ने 2008 में जॉर्जिया के युद्ध में शामिल होने के लिए रूस की आलोचना की थी और हंगरी के अपनी ऊर्जा संबंधी ज़रूरतों के लिए रूस पर निर्भरता को लेकर चेतावनी दी थी. फिर भी, जैसा कि फिडेज़ के पूर्व सदस्य ज़सुज़ाना एसज़ेलेनी कहते हैं कि हाल के वर्षों में विक्टर ओरबान ने लैप डांस वाली राजनीति शुरू की है, जिसमें वो यूरोपीय संघ में अपनी हैसियत का भी लाभ उठाते हैं और रूस के साथ भी अच्छे रिश्ते बनाए रखने पर ज़ोर देते हैं. अभी ज़्यादा पुरानी बात नहीं है, जब यूरोपीय आयोग ने विक्टर ओरबान के नज़रिए और हंगरी में अनुदारवादी न्यायिक फ़ैसलों की आलोचना की थी. इसके बाद यूरोपीय संघ ने हंगरी को दिए जाने वाली 22 अरब यूरो की सहायता रोक ली थी. कोहेज़न फंड नाम से दी जाने वाली इस रक़म का मक़सद, यूरोपीय संघ के कम विकसित देशों को अपने यहां निवेश की कमी दूर करने और अपना मूलभूत ढांचा सुधारने के लिए दी जाती है. इस फंड के एक हिस्से को हासिल करने के लिए हंगरी ने इसी साल मई में न्यायिक सुधार किए थे. यूक्रेन को आर्थिक मदद देने के लिए यूरोपीय संघ की संसद को हंगरी के समर्थन की ज़रूरत है. इसीलिए, EU के पास हंगरी के लिए फंड जारी करके ओरबान को ख़ुश करने के सिवा कोई और चारा नहीं था.

 

इसीलिए, राजनीतिक दांव-पेंच वाली नीति अपनाते हुए विक्टर ओरबान यूक्रेन पर रूस के हमले की आलोचना करते हैं और यूरोपीय संघ के स्तर पर वो आम सहमति में भी खलल डालते हैं. जहां तक पुतिन का सवाल है तो ओरबान के साथ दोस्ती दिखाना उनके लिए फ़ायदे का सौदा है, जिसके ज़रिए वो यूक्रेन के समर्थन को लेकर यूरोपीय संघ की एकजुटता में दरार को बेनक़ाब करते हैं.

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