मास्को में रूस की सबसे बड़ी पॉलिटिकल कॉन्फ्रेंस वल्दाई फोरम में व्लादिमीर पुतिन ने एक महत्वपूर्ण भाषण दिया. पुतिन ने काफी समय बाद उस फोरम में अलग-अलग मुद्दों पर अपने विचार रखे. उन्होंने एक तरह रूस के मौजूदा हालत से दुनिया को अवगत कराया. इशारा दिया कि आइंदा दिनों में रूस की विदेश और रक्षा नीति किस तरफ जाएगी. उन्होंने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया इस समय सबसे ख़तरनाक दौर से गुजर रही है. यूक्रेन हमले को जस्टिफाई करते हुए परमाणु धमकी के लिए उन्होंने पश्चिमी देशों को जिम्मेदार बताया. कहा कि जिस तरह से पश्चिमी देश रूस को न्यूक्लियर ब्लैकमेल कर रहे हैं, वे सब चाहते हैं कि मास्को के साझेदार देश उससे दूर हो जाएं.
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया इस समय सबसे ख़तरनाक दौर से गुजर रही है. यूक्रेन हमले को जस्टिफाई करते हुए परमाणु धमकी के लिए उन्होंने पश्चिमी देशों को जिम्मेदार बताया. कहा कि जिस तरह से पश्चिमी देश रूस को न्यूक्लियर ब्लैकमेल कर रहे हैं, वे सब चाहते हैं कि मास्को के साझेदार देश उससे दूर हो जाएं.
डर्टी बम की राजनीति
इन सब बातों का जो संदर्भ है, वो यह कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग अब अपने नौवें महीने में पहुंच चुकी है. अगर आप युद्धक्षेत्र की हालत देखें, तो वहां पर रूस की स्थिति कमजोर नज़र आ रही. यूक्रेन का जवाबी हमला काफी आगे चल रहा है. रूस ने यूक्रेन की जो ज़मीन क़ब्ज़ा कर ली थी, खरसान जैसे जिन महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर उसका नियंत्रण था, वहां पर यूक्रेन की पकड़ मजबूत होती जा रही है. इन्हीं सारी बातों की प्रतिक्रिया हमें रूस में देखने को मिल रही है. इसी के चलते रूस ने पिछले कुछ हफ्तों से परमाणु हथियारों की बात बहुत ज़्यादा उठानी शुरू कर दी है.
तनाव में पुतिन
साथ ही रूस यह भी इल्जाम लगा रहा है कि यूक्रेन उसके ख़िलाफ़ डर्टी बम का प्रयोग कर सकता है. डर्टी बम में जो बारूद होता है, उसमें रेडियो एक्टिव पदार्थ लगाकर उसे ब्लास्ट करते हैं. एक तरह से यह मिनी न्यूक्लियर बम हो जाता है. इस पर यूक्रेन ने कहा कि रूस इस तरह की बातें इसलिए कर रहा है, क्योंकि वह इस तरह की हरकत करके उसका इल्जाम हमारे ऊपर थोप सकता है. यूक्रेन की इस बात की पुष्टि नैटो ने भी की और कहा कि इस तरह की चीज़ें नहीं होनी चाहिए. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी यही बात कही कि परमाणु हथियारों की बात क्यों की जा रही है?
रूस यह भी इल्जाम लगा रहा है कि यूक्रेन उसके ख़िलाफ़ डर्टी बम का प्रयोग कर सकता है. डर्टी बम में जो बारूद होता है, उसमें रेडियो एक्टिव पदार्थ लगाकर उसे ब्लास्ट करते हैं. एक तरह से यह मिनी न्यूक्लियर बम हो जाता है.
तो, कहीं पर रूस और पुतिन थोड़े दबाव में हैं. और उन्होंने इसी दबाव को कम करने के लिए परमाणु हथियारों का सहारा लेने की कोशिश की है. पिछले कुछ दिनों में रूस में एक न्यूक्लियर एक्सरसाइज भी हुई. इसमें उन्होंने देखा कि अगर रूस पर परमाणु हमला होता है, तो वह उससे कैसे निपटेगा. एक तरह से परमाणु हथियारों का सहारा लेकर पुतिन जो दिखाने की कोशिश कर रहे हैं, वो इसीलिए क्योंकि यूक्रेन के सामने उनकी क्षमता कमजोर होती नज़र आ रही है.
मेक इन इंडिया
इसमें गौर करने वाली बात यह रही कि भारत का ज़िक्र करते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को एक बड़ा देशभक्त कहा. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने बड़ी तरक्की की है. ख़ासतौर पर उन्होंने मेक इन इंडिया का ज़िक्र किया कि यह बड़ा महत्वपूर्ण क़दम है और भारत का भविष्य बहुत उज्जवल है. उन्होंने कहा कि भारत को अपनी ग्रोथ रेट पर गर्व होना चाहिए. भारत के साथ रूस के बड़े संबंध हैं, जिनको आगे बढ़ाने की कोशिश होनी चाहिए.
उन्होंने यह भी कहा कि किस तरह से भारत ने फर्टिलाइजर सप्लाई को बढ़ाया, रूस से निवेदन किया कि फर्टिलाइजर सप्लाई बढ़ाई जाए क्योंकि वह भारत की तरक्की के लिए ज़रूरी है. इस पर रूस ने सप्लाई 7.6 गुना तक बढ़ा दी. इस बात के ज़रिए उन्होंने यह दिखाया कि कैसे भारत और रूस साथ काम कर रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि पीएम मोदी एक ऐसे व्यक्ति हैं, जो अपने देश के हित में इंडिपेंडेंट फॉरेन पॉलिसी आगे बढ़ा रहे हैं. यह एक बड़ा महत्वपूर्ण संदेश था यह बताने का कि भारत और रूस एक साथ खड़े हैं. भारत की इंडिपेंडेंट फॉरेन पॉलिसी को लेकर भी वह ये कहने की कोशिश कर रहे हैं कि पश्चिमी देश जो चाहते हैं, भारत वो नहीं करेगा.
नवंबर में विदेश मंत्री मास्को भी जाने वाले हैं. ऐसे में इन चीज़ों को ठीक करने में भारत का रोल बढ़ता हुआ नज़र आ रहा है. अगर दोनों पक्षों को साथ में लाकर किसी तरह के पॉलिटिकल सेटलमेंट की बात होती है, तो इस समय भारत ही एक ऐसा देश है, जो निष्पक्ष तरीके से निर्णायक भूमिका निभा सकता है.
पिछली बार एससीओ समिट में पीएम मोदी और पुतिन की मुलाकात हुई थी. तब पीएम मोदी ने बयान दिया था कि यह समय युद्ध का समय नहीं है. यह बयान काफी चर्चा में रहा और पश्चिमी देशों ने भी इस बारे में भारत की तारीफ की. इससे कहीं पर पुतिन को यह लग रहा है कि वह अपने करीबी मित्र देशों का, जिसमें भारत काफी ख़ास है, उसका समर्थन नहीं खोना चाहते. इसीलिए उन्होंने भारत की बात की और दुनिया को विश्वास दिलाया कि हिंदुस्तान के साथ उनके संबंध बने हुए हैं. आर्थिक क्षेत्र हो या रक्षा क्षेत्र, दोनों साथ मिलकर काम कर रहे हैं.
लेकिन, भारत की प्राथमिकताएं काफी अलग हैं. कुछ दिन पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्पष्ट किया कि परमाणु युद्ध की बात नहीं करनी चाहिए. ऐसी बातें सब कुछ ख़राब कर देती हैं, और इस तरह के बयान दोनों तरफ से नहीं दिए जाने चाहिए. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी यूएन में कहा था कि भारत इस बात का पक्षधर है कि जल्द से जल्द शांति की बहाली हो और किसी तरह का पॉलिटिकल मैकेनिज्म नेगोशिएटिव सेटलमेंट हो. युद्ध से कोई भी अपने लक्ष्य नहीं हासिल कर सकता.
नवंबर में विदेश मंत्री मास्को भी जाने वाले हैं. ऐसे में इन चीज़ों को ठीक करने में भारत का रोल बढ़ता हुआ नज़र आ रहा है. अगर दोनों पक्षों को साथ में लाकर किसी तरह के पॉलिटिकल सेटलमेंट की बात होती है, तो इस समय भारत ही एक ऐसा देश है, जो निष्पक्ष तरीके से निर्णायक भूमिका निभा सकता है. बाकी बड़ी शक्तियां किसी न किसी पक्ष से जुड़ी हैं. रूस का बहुत क्लोज पार्टनर है चीन और पश्चिमी देशों ने यूक्रेन को संभाला हुआ है. इसीलिए रूस की ओर से जिस तरह के बयान आ रहे हैं, वे इस बात को रेखांकित करते हैं कि राष्ट्रपति पुतिन जिस जटिल स्थिति में फंस चुके हैं, उससे निकलने में उन्हें भारत के साथ की ज़रूरत है.
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