Published on Mar 03, 2021 Updated 0 Hours ago

कार्रवाई करने के लिए कानूनी, विनियामक और राजनीतिक गति मौजूद है- फिर भी, विश्व स्तर पर इस नियमन को लेकर ताल-मेल नहीं है.

बिग टेक पर वित्तीय रेगुलेशन से जुड़े सिद्धांत

कोविड-19 वैक्सीन के आगमन के साथ, साल 2020 एक उम्मीद के साथ खत्म हुआ है. फिर भी, कई चुनौतियां हैं जो अब भी बरक़रार हैं, जैसे वैश्विक स्तर पर टीकाकरण की रणनीति को प्रभावी ढंग से लागू करना और यह सुनिश्चित करना कि साल 2021 के दौरान सरकारें और केंद्रीय बैंक, सभी देशों की अर्थव्यवस्थाओं का सहयोग व समर्थन करें, ताकि आर्थिक मंदी को वैश्विक स्तर पर दूर किया जा सके.

अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण से संबंधित नीतिगत चर्चा और पहल भी एक बार फिर प्राथमिकताओं की सूची में आगे होंगी. बिग टेक कंपनियों ने डेटा प्राइवेसी, एंटीट्रस्ट, साइबर सिक्योरिटी और वित्तीय स्थिरता के मुद्दों पर नियामकों और विधायकों का बहुत ध्यान आकर्षित किया है. हाल ही में महामारी के दौरान यह बात खुलकर सामने आई है कि अन्य तकनीक संबंधी मुद्दे जैसे, डिजिटल डिवाइड, नस्लीय इक्विटी, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अंतरराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी प्रशासन की आवश्यकता भी विश्व के लिए बेहद ज़रूरी घटक हैं.

ये मुद्दे नए नहीं हैं. यूरोपीय संघ (ईयू) से जुड़े नियामक पिछले कुछ समय से इन में से कई मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. यूरोपीय आयोग ने यूरोपीय संघ के मौजूदा क़ानूनी ढांचे, डिजिटल सेवा अधिनियम (Digital Services Act) में एक बड़े बदलाव की घोषणा की है, जिसमें कंपनियों के लिए उपभोक्ताओं तक पहुंचने और ऑनलाइन बाज़ारों तक पहुंचने के लिए प्लेटफार्मों पर लागू अनिवार्य नियम शामिल हैं. साल 2021 के लिए नई बात यह है कि अमेरिका और चीन नियामक क्षेत्र में भी प्रवेश करेंगे. इस संबंध में यह बात मायने रखती है कि दोनों देश अधिकांश बिग टेक कंपनियों का घर[1] हैं.

साल 2021 के लिए नई बात यह है कि अमेरिका और चीन नियामक क्षेत्र में भी प्रवेश करेंगे. इस संबंध में यह बात मायने रखती है कि दोनों देश अधिकांश बिग टेक कंपनियों का घर हैं. 

पिछले कुछ महीनों में नियमन की दृष्टि अमेरिका और चीन से हटकर दूसरे देशों पर स्थित हो गई है. अक्टूबर में, यूएस हाउस ज्यूडिशियरी कमेटी के एंटीट्रस्ट पैनल ने अमेज़न, एप्पल, गूगल और फेसबुक पर 16 महीने की अपनी जांच पूरी की. इस जांच में यह पाया गया कि “बिगटेक” के पास प्रमुख व्यापारिक क्षेत्रों में “एकाधिकार शक्ति” है और इन कंपनियों ने बाज़ार में अपने प्रभुत्व का “दुरुपयोग” किया है. चीन में,  एंट्स समूह का आईपीओ रद्द होना, ईकॉमर्स पोर्टल अलीबाबा व टेंसेंट समर्थित ऑनलाइन बुकस्टोर पर लगा पर लगा जुर्माना, नवंबर में एंटीट्रस्ट विनियमन के मसौदे को दी गई प्राथमिकता की पुष्टि करता है.

कार्रवाई करने के लिए कानूनी, नियामक और राजनीतिक गति मौजूद है. फिर भी विनियमों को वैश्विक रूप से असंवैधानिक माना जाता है, इस बात को नज़रअंदाज करते हुए कि ये प्लेटफॉर्म भौगोलिक और क्षेत्रीय दोनों रूप से मौजूदा कानूनी और नियामक प्रणालियों को चुनौती देते हैं. नियमन को ले कर इस तरह का खंडित दृष्टिकोण कभी-कभी महंगा, अनावश्यक व विनियमन की सभी प्रणालियों में अलग अलग क़ानूनी ढांचे की शुरुआत करने वाला हो सकता है. ऐसे में, दुनिया को एक वैश्विक निगरानी और नियामक ढांचे की ज़रूरत है जो देशों की विभिन्न प्राथमिकताओं को समायोजित करे, अंतर-न्यायिक समन्वय का समर्थन करे और नियामक विखंडन के जोख़िम को कम करे.

प्लेटफॉर्म की प्रतिस्पर्धा और ग्राहकों का फ़ायदा

डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का प्रतिस्पर्धी होना, आंशिक रूप से डेटा संग्रह की प्रक्रिया में निहित है, जो वह अपने नेटवर्क के ज़रिए करते हैं. ऐसे में समाधान का एक हिस्सा उस डेटा तक पहुंच को साझा बनाना भी है. इस दिशा में कुछ कोशिशें पहले से ही मौजूद हैं, जो आमतौर पर बैंकिंग की दुनिया से जुड़ी हैं, और एक प्रारंभिक बिंदु प्रदान कर सकती हैं. ब्रिटेन में बैंकिंग का खुला विनियमन, ग्राहकों को प्लेटफ़ॉर्म के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा का लाभ उठाने का मौका देता है. किसी भी बैंक की सुविधाओं से संतुष्ट न होने पर ग्राहक अपनी सूचनाओं को प्लेटफ़ॉर्म के बीच स्थानांतरित कर सकते हैं.

दुनिया को एक वैश्विक निगरानी और नियामक ढांचे की ज़रूरत है जो देशों की विभिन्न प्राथमिकताओं को समायोजित करे, अंतर-न्यायिक समन्वय का समर्थन करे और नियामक विखंडन के जोख़िम को कम करे.

बात जब बिग टेक की हो, तो प्लेटफ़ॉर्म पर इंटर-ऑपरेबिलिटी का डेटा पोर्टेबिलिटी के साथ तालमेल में होना चाहिए, ताकि डेटा माइग्रेशन सुविधाजनक और सुरक्षित हो. फेसबुक (Facebook), ट्विटर (Twitter), एप्पल (Apple), गूगल (Google) और माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) इस पर साल 2018 से काम कर रहे हैं. इस परियोजना को डेटा ट्रांसफर प्रोजेक्ट (Data Transfer Project) के नाम से जाना जाता है, जिसका लक्ष्य “एक ओपन-सोर्स, सर्विस-टू-सर्विस डेटा पोर्टेबिलिटी प्लेटफॉर्म बनाना है, ताकि पूरे वेब पर सभी व्यक्ति जब चाहें ऑनलाइन सेवा प्रदाताओं के बीच आसानी से अपना डेटा ले जा सकते हैं.” लेकिन यह काम अब भी जारी है.

डेटा पोर्टेबिलिटी को पारस्परिकता भी सुनिश्चित करनी चाहिए. एक ऐसी अवधारणा जो ऑस्ट्रेलिया ओपन बैंकिंग से शुरू की गई और जिसने किसी भी मान्यता प्राप्त डेटा प्राप्तकर्ता को समकक्ष डेटा प्रदान करने के लिए मजबूर किया. बैंकिंग और उपयोगिताओं से परे अन्य क्षेत्रों में इस अवधारणा को विस्तारित करने के लिए यह परिभाषित करना होगा कि समकक्ष डेटा क्या है. अंततः ग्राहक की अनुमति के साथ, ग्राहक के डेटा तक यह संतुलित पहुंच प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगी.

डेटा पोर्टेबिलिटी को पारस्परिकता भी सुनिश्चित करनी चाहिए. एक ऐसी अवधारणा जो ऑस्ट्रेलिया ओपन बैंकिंग से शुरू की गई और जिसने किसी भी मान्यता प्राप्त डेटा प्राप्तकर्ता को समकक्ष डेटा प्रदान करने के लिए मजबूर किया

साल 2021 में टेक और बिग टेक को लेकर प्रमुख देशों के सांसदों और नियामकों में तालमेल दिखाई देता है. यह एक नए अवसर की रूपरेखा तैयार करने का मौका भी है, जो वित्तीय समावेशन व वित्तीय स्थिरता, बाज़ार में दक्षता से लाभ और अविश्वास के मुद्दों पर उपभोक्ता कल्याण और डेटा उपयोग जैसे मुद्दों को समायोजित कर सकता है. ऐसे में उनके पास बिग टेक को मनाने और स्वेच्छा से इस प्रयास में शामिल होने के लिए पर्याप्त प्रभुत्व हो सकता है.

[1] Google (Alphabet), Amazon, Facebook, Alibaba and Tencent are commonly referred as Big Tech companies.


क्लॉड लोपेज मिल्कन इंस्टीट्यूट में अनुसंधान विभाग के प्रमुख हैं

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