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जेनरेटिव AI (GAI) के तेज़ी से फैलने से शुरू आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) क्रांति दुनिया की अर्थव्यवस्था और श्रम बाज़ारों की संरचना को बुनियादी तौर पर बदलने के लिए तैयार है. ये बात दुनिया के बाकी देशों की तरह भारत के लिए भी उतनी ही सच है. पहले की औद्योगिक और इंटरनेट क्रांतियों की तरह AI में भी नौकरी के बाज़ार (जॉब मार्केट) के कुछ क्षेत्रों में रुकावट पैदा करने की क्षमता है. हालांकि इसके साथ-साथ AI दूसरे क्षेत्रों में मानवीय क्षमताओं में बढ़ोतरी करेगा और ऐसी नौकरियां पैदा करेगा जो पहले मौजूद नहीं थीं. लिंक्डइन के आंकड़े इशारा करते हैं कि AI अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों को प्रभावित करेगा. हालांकि इस असर की सीमा अलग-अलग होगी और उद्योग पर निर्भर करेगी. GAI का स्वरूप ही इसे समय लेने वाले नियमित काम को कुशलता से करने में सक्षम बनाता है, कामगारों को अपनी उत्पादकता में सुधार करने की अनुमति देता है और काम पर आधारित वर्कफोर्स (श्रम बल) से हुनरमंद वर्कफोर्स की तरफ बदलाव का संकेत देता है. GAI का फायदा उठाकर नौकरी में ज़्यादातर भूमिकाओं और कौशल को बढ़ाया जा सकता है. साथ ही जिन 41,000 कौशल पर नज़र रखी गई है, उनमें से केवल 500 ऐसे हैं जिन्हें संभावित रूप से GAI दोहरा सकता है. GAI का सकारात्मक लाभ इससे भी पता चलता है कि भर्ती करने वाली कंपनियों की तरफ से AI स्किल पर बहुत ज़्यादा ज़ोर दिया गया है और लिंक्डइन पर डाली गई जॉब पोस्टिंग में AI की नौकरियां दोगुनी हो गई हैं.
AI से जुड़ा हुनर
यहां ‘AI स्किल’ का मतलब सिर्फ़ मशीन लर्निंग और नैचुरल लेंग्वेज प्रोसेसिंग जैसे प्रमुख 121 हार्ड AI कौशल से नहीं है बल्कि प्रॉब्लम-सॉल्विंग, कम्युनिकेशन और क्रिटिकल थिंकिंग जैसे मददगार सॉफ्ट स्किल से भी है जो स्वाभाविक रूप से मानवीय और मूल रूप से अपूरणीय हैं. जैसे-जैसे GAI ख़ास काम को पूरा करने में निपुण हो रहा है, वैसे-वैसे इन सॉफ्ट स्किल की मांग में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी हो रही है और जिन प्रोफेशनल के पास ये हुनर हैं उनकी तरक्की की संभावना केवल हार्ड स्किल वालों की तुलना में 13 प्रतिशत अधिक है. इसलिए AI जो अवसर मुहैया कराएगा, उसका पूरा लाभ उठाने के लिए किसी भी अर्थव्यवस्था के वर्कफोर्स को हार्ड और सॉफ्ट- दोनों तरह के स्किल में पर्याप्त रूप से कुशल होने की ज़रूरत है ताकि वो AI स्किल को लोगों के स्किल से संतुलित कर सके.
पहले की औद्योगिक और इंटरनेट क्रांतियों की तरह AI में भी नौकरी के बाज़ार (जॉब मार्केट) के कुछ क्षेत्रों में रुकावट पैदा करने की क्षमता है. हालांकि इसके साथ-साथ AI दूसरे क्षेत्रों में मानवीय क्षमताओं में बढ़ोतरी करेगा और ऐसी नौकरियां पैदा करेगा जो पहले मौजूद नहीं थीं.
ध्यान देने की बात है कि AI क्रांति का लाभ उठाने के लिए भारत का श्रम बल पहले से ही अच्छी स्थिति में है, ख़ास तौर पर हार्ड स्किल में. दुनिया में भारत का AI स्किल पेनिट्रेशन रेट सबसे ज़्यादा है. इसका पता इस तथ्य से लगता है कि किसी दूसरे देश के नागरिकों की तुलना में भारतीयों के द्वारा GAI का इस्तेमाल करने की संभावना तीन गुना अधिक है. साथ ही भारत के लोग दुनिया में सबसे तेज़ी से बढ़ते AI टैलेंट पूल में से एक हैं. भारत के युवा, विशेष रूप से GenZ, जॉब मार्केट के मुकाबले में बढ़त बनाए रखने के लिए ख़ुद को और ज़्यादा हुनर से लैस भी कर रहे हैं. कहने की ज़रूरत नहीं है कि भारत के स्टार्ट-अप इकोसिस्टम ने पहले ही अलग इस्तेमाल के लिए AI समेत उभरती तकनीकों का फायदा उठाने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है.
हालांकि, लिंक्डइन का डेटा तीन विशेष कठिन परिस्थितियों को भी उजागर करता है. AI के आर्थिक लाभों के अधिक न्यायसंगत और निरंतर वितरण को सुनिश्चित करने के लिए इनको दूर करने की आवश्यकता है.
पहली परिस्थिति ये है कि हम लगातार हुनर सीखने के एक युग में प्रवेश कर रहे हैं जहां कामगारों को बदलती तकनीकों के साथ चलने और पुराना बनने से परहेज़ करने के लिए तेज़ी से और निरंतर अपना हुनर हासिल करना और उसे बढ़ाना होगा. महत्वपूर्ण बात ये है कि निकट भविष्य में ज़रूरी बनने वाले इनमें से ज़्यादातर हुनर सॉफ्ट स्किल हैं जो कि उद्योग और क्षेत्र के हिसाब से संदेह पैदा करने वाले हैं. ये उच्च शिक्षा और करियर की प्रगति के पारंपरिक मॉडल को चुनौती देगा जहां किसी उद्योग के मुताबिक हार्ड स्किल की डिग्री आर्थिक और करियर की गतिशीलता सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त थी. इसे स्वीकार करते हुए ज़्यादातर कंपनियां (76 प्रतिशत) पहले से ही अपने कर्मचारियों को हुनर बढ़ाने में मदद कर रही हैं. ध्यान देने की बात है कि लिंक्डइन खुद भी अपने जेनरेटिव AI प्रोफेशनल सर्टिफिकेट के ज़रिए प्रोफेशनल्स को करियर के नए मौके तलाशने में मदद करती है. हालांकि भारत के आकार और विविधता के मुताबिक श्रम बाज़ार के लिए अलग-अलग तरह के काम में कुछ बुनियादी प्रमुख GAI और GAI के लिए मददगार सॉफ्ट स्किल विकसित करना ज़रूरी है ताकि तकनीक के आर्थिक फायदों को पूरी तरह हासिल किया जा सके.
दूसरी परिस्थिति ये है कि निकट भविष्य में GAI जिन कुछ नौकरियों में रुकावट डाल सकता है, वो ऐसी हैं जिनके लिए उच्च डिग्री की आवश्यकता है और आम तौर पर उनमें बहुत ज़्यादा पैसा मिलता है. ये एक अभूतपूर्व आर्थिक विकास है जहां आर्थिक स्तर का ऊपरी वर्ग तकनीकी बदलाव से निचले स्तर की तुलना में अधिक प्रभावित होगा. ये अतीत की तकनीकी क्रांतियों में देखे गए बदलाव से हटकर है जहां काम करने वालों का निचला स्तर काफी अधिक प्रभावित हुआ था. इससे पता चलता है कि निकट भविष्य में भारत का IT वर्कफोर्स- जो कि उसके मध्यम वर्ग और आर्थिक प्रगति की रीढ़ की हड्डी है- GAI को अपनाने में तेज़ी की वजह से प्रभावित हो सकता है. अगर इसका असर जल्दी से कम नहीं किया गया तो कुछ आर्थिक रुकावटें पैदा हो सकती हैं. लिंक्डइन का डेटा भी इसकी गवाही देता है. लिंक्डइन का डेटा बताता है कि GAI से टेक्नोलॉजी, इन्फॉर्मेशन और मीडिया उद्योग में सबसे ज़्यादा रुकावट आने की आशंका है. हालांकि ये उच्च डिग्री वाला वही समूह है जो अपना हुनर बढ़ाने के अवसर का इस्तेमाल करने के लिए सबसे अच्छी स्थिति में है क्योंकि उसके पास कुछ बुनियादी तकनीकी दक्षताएं पहले से ही है. लेकिन शर्त ये है कि हुनर बढ़ाने के पर्याप्त अवसर मौजूद हों.
महत्वपूर्ण बात ये है कि निकट भविष्य में ज़रूरी बनने वाले इनमें से ज़्यादातर हुनर सॉफ्ट स्किल हैं जो कि उद्योग और क्षेत्र के हिसाब से संदेह पैदा करने वाले हैं. ये उच्च शिक्षा और करियर की प्रगति के पारंपरिक मॉडल को चुनौती देगा
तीसरी परिस्थिति है कि GAI जेंडर के अनुसार श्रम बाज़ार पर असमान रूप से प्रभाव डाल सकता है. AI के प्रभाव की वजह से नौकरी के स्वरूप में जो बदलाव होगा, उसका महिलाओं पर न सिर्फ ज़्यादा असर पड़ने की आशंका है बल्कि नए अवसरों का लाभ उठाने के लिए उनके पास ज़रूरी कौशल होने की संभावना भी कम है. वैसे तो ये AI के लिए अनूठा नहीं है और तकनीकी उद्योग में व्यापक संरचनात्मक कमियों के बारे में बताता है लेकिन भारत के लिए ये चिंता का विशेष बिंदु है क्योंकि यहां श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी इसी तरह की दूसरी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में पारंपरिक रूप से कम रही है. लिंक्डइन के इकोनॉमिक ग्राफ डेटा के अनुसार AI टैलेंट में केवल 25.6 प्रतिशत महिलाएं हैं. इसलिए AI की लहर का लाभ उठाने के उद्देश्य से ज़रूरी AI कौशल हासिल करने के लिए महिलाओं के हिसाब से अवसर तैयार करना महत्वपूर्ण है.
निष्कर्ष
इन चिंताओं को विशेष नीतिगत पहल के ज़रिये दूर किया जा सकता है. उदाहरण के लिए, स्किल इंडिया मिशन में क्रिटिकल सॉफ्ट स्किल के साथ GAI स्किल पर कुछ मॉड्यूल को शामिल किया जा सकता है ताकि AI वाले भविष्य में भारत के ज़्यादातर वर्कफोर्स को आगे बढ़ने के लिए सशक्त बनाया जा सके. इसके साथ-साथ हाई स्कूल और अंडरग्रैजुएट छात्रों को कम उम्र में GAI के बारे में बताने वाले कार्यक्रम न सिर्फ उन्हें तकनीक और उसके प्रयोग के साथ ख़ुद को परिचित कराने में मददगार होंगे बल्कि भारत के भविष्य के वर्कफोर्स का आधारभूत कौशल का स्तर सुधारने में भी सहायक होंगे. नए तरीके से तैयार और लचीली शिक्षा प्रणाली, जो एक व्यापक और लगातार विकसित होती कौशल की रूप-रेखा और अधिक उद्योग-शिक्षा जगत के तालमेल पर आधारित ट्रेनिंग पर ज़ोर दे, ये भी सुनिश्चित करेगी कि श्रम बल की क्षमताएं रोज़गार की बदलती ज़रूरतों के मुताबिक हों. अंत में, मौजूदा आर्थिक अंतर को दूर करने के उद्देश्य से महिलाओं और वंचित समूहों के लिए AI कौशल के सुलभ अवसरों को सक्षम बनाने के लिए नीतियां बनाने पर विशेष ज़ोर दिया जा सकता है.
जब बात नौकरी के बाज़ार में AI हुनर के लिए मांग की तुलना में ऐसे कौशल की आती है तो भारतीय वर्कफोर्स की तैयारी की स्थिति पर बारीक डेटा की जानकारी की मदद से सोच और कदम उठाने में इस तरह का बदलाव सर्वश्रेष्ठ ढंग से हासिल किया जा सकता है.
महत्वपूर्ण बात ये है कि GAI को भारत में शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण का एक ज़रूरी हिस्सा बनाया जा सकता है और इसका फायदा उठाकर दूसरों को ट्रेनिंग और जानकारी मुहैया कराने की लागत नाटकीय ढंग से कम की जा सकती है. GAI तुरंत और सटीक भाषा अनुवाद को भी सक्षम बना सकता है. इससे कामगारों को अपनी पसंद की भाषा में ख़ुद को पारंगत बनाने और भाषा से जुड़ी बाधाओं से पार पाने में मदद मिल सकती है. जहां हुनरमंद बनने के लिए अंग्रेज़ी की कुछ हद तक जानकारी आवश्यक है, वहां भाषा से जुड़ी ये रुकावट अभी भी मौजूद है.
ज़ाहिर तौर पर, AI युग जो अवसरों का झोंका पेश कर रहा है, उसका पर्याप्त लाभ उठाने के लिए कामगारों और नीति निर्माताओं की सोच में बदलाव की आवश्यकता है. जब बात नौकरी के बाज़ार में AI हुनर के लिए मांग की तुलना में ऐसे कौशल की आती है तो भारतीय वर्कफोर्स की तैयारी की स्थिति पर बारीक डेटा की जानकारी की मदद से सोच और कदम उठाने में इस तरह का बदलाव सर्वश्रेष्ठ ढंग से हासिल किया जा सकता है.
अदिति झा लिंक्डइन इंडिया में बोर्ड डायरेक्टर, लीगल और गवर्नमेंट अफेयर्स की कंट्री हेड और लीडरशिप टीम की सदस्य हैं.
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