Published on Nov 06, 2023 Updated 0 Hours ago
‘ऊर्जा के क्षेत्र में क्लाउड समाधानों की ताकत’
  • मौजूदा बिजली ग्रिड पर पड़ रहे बोझ

इस वक़्त भारत, दुनिया में ऊर्जा का तीसरा सबसे बड़ा ग्राहक है. अगले दो दशकों में भारत की ऊर्जा की मांग पूरी करने के लिए बिजली का ऐसा मूलभूत ढांचा खड़ा करना होगा, जो यूरोपीय संघ (EU) की मौजूदा बिजली व्यवस्था के बराबर हो. पिछले दो दशकों में जहां बिजली की खपत दो गुना बढ़ गई है. वहीं, भारत में प्रति व्यक्ति बिजली का इस्तेमाल अभी भी दुनिया के औसत के आधे से भी कम है. इसका मतलब है कि ऊर्जा की छुपी हुई मांग बहुत अधिक है और अंतिम ग्राहक तक बिजली पहुंचाने की व्यवस्था अकुशल है. इसके अलावा, अगले दो दशकों में, भारत के शहरों की आबादी में क़रीब 27 करोड़ नए लोग जुड़ने वाले हैं, जिससे बिजली के उत्पादन से लेकर उसके वितरण तक में बहुत विस्तार करने की ज़रूरत होगी.

रिन्यूएबल एनर्जी के उभार के साथ ही, भारत की बिजगी ग्रिड में बड़े पैमाने पर परिवर्तन आ रहा है. वैसे तो नवीनीकरण योग्य स्रोतों से बनी बिजली के आर्थिक और पर्यावरण संबंधी फ़ायदे हैं. मगर, क़ुदरती तौर पर ऊर्जा के एक स्रोत के तौर पर उनका लगातार प्रवाह नहीं होता. इस वजह से उनको बिजली के मौजूदा मूलभूत ढांचे से प्रभावी ढंग से जोड़ने, ऊर्जा की पीक डिमांड को पूरा करने और ग्रिड की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए ऊर्जा के भंडारण की व्यवस्था करनी पड़ती है. ऊर्जा का केंद्रीकृत भंडार आम तौर पर i) चलती हुई टर्बाइन में होता है, जिससे बिजली बनाने वाली कंपनियां, मांग बढ़ने पर उत्पादन को तेज़ी से बढ़ा सकें; या ii) कोयले या फिर डीज़ल के बैकअप जेनरेटर होते हैं, जिन्हें तुरंत चालू किया जा सके. हालांकि ये दोनों ही तरीक़े या तो बहुत महंगे होते हैं या फिर प्रदूषण फैलाने वाले, या फिर दोनों होते हैं.

इसकी तुलना में बैटरियों और पम्प्ड हाइड्रो स्टोरेज सिस्टम जैसे स्वच्छ ईंधन के भंडारण की व्यवस्थाएं, दुनिया भर में पहले ही इस्तेमाल की जा रही हैं. वहीं, फ्लाईव्हील, सुपरकैपेसिटर्स और ग्रीन हाइड्रोज जैसी ऊर्जा के भंडारण की नई तकनीकें, अभी विकास के शुरुआती दौर में हैं. 2022 में बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) में 5 अरब डॉलर से ज़्यादा का निवेश किया गया था; और, 2030 तक BESS के वैश्विक बाज़ार के 120 से 150 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है, जो आज की तुलना में दोगुना होगा.

बैटरियां कई तरह की तकनीकों वाली होती हैं, जो ग्रिड को कई तरह से लाभ पहुंचा सकती हैं. अहम बात ये है कि एक बैटरी के पूरे जीवन काल में उससे कई सेवाएं ली जा सकती हैं. मिसाल के तौर पर, कोई बैटरी सिस्टम, पीक पर बिजली की खपत को स्थानांतरित करने के प्राथमिक कार्य के लिए उस समय स्थापित किया जा सकता है, जब वितरण या बिजली का प्रवाह बहुत अधिक है या फिर जब बिजली उपलब्ध है. इसके लिए बैटरी को हर दिन कुछ घंटे केवल उस सेवा के लिए समर्पित किया जा सकता है. जब वो बैटरी पीक डिमांड को स्थानांतरित करने की सेवा नहीं दे रही होती, तो उसका इस्तेमाल रिन्यूएबल बिजली बनाने का काम आसान करने के लचीले स्रोत के तौर पर हो सकता है, ताकि मांग को पूरा किया जा सके.

हालांकि, सिर्फ़ भंडारण के लिए बैटरी व्यवस्था मोटे तौर पर अनुपयोगी मानी जाती है, क्योंकि ज़्यादातर ज़रूरत कम अवधि के भंडारण के लिए, यानी हर दिन चार घंटे के लिए होती है. ऐसे मे क्लाउड स्टोरेज सबसे अच्छा विकल्प है, क्योंकि तब कंपनियों को ख़ुद अपनी भंडारण व्यवस्था नहीं निर्मित करनी होती और वो इस्तेमाल के मुताबिक़ क़ीमत अदा करके क्लाउड स्टोरेज का प्रयोग कर सकते हैं, जिससे वो बड़ी तेज़ी से उत्पादन को बढ़ा भी सकते हैं.

2.शेरू का समाधान: ऊर्जा भंडारण तक पहुंच को सस्ता और आसान बनाना

शेरू, भारत के ऊर्जा क्षेत्र की एक नई कंपनी है. ये ऊर्जा के प्रबंधन और उपयोग में क्रांतिकारी बदलाव ला रही है. शुरुआत में तो शेरू ने तिपहिया इलेक्ट्रिक रिक्शा (3W) को बैटरी बदलने के मूलभूत ढांचे के निर्माण पर काम किया था. जब कोविड-19 ने हमला किया, और लॉकडाउन की वजह से आवाजाही की सेवाएं अचानक ठप पड़ गईं, तो हमने बिना इस्तेमाल के पड़ी इलेक्ट्रिक गाड़ियों (EV) की बैटरियों के वैकल्पिक इस्तेमाल के बारे में सोचना शुरू किया हमने वर्चुअल क्लाउड स्टोरेज का नेटवर्क बनाने के विचार को विकसित किया, जो बाद में जाकर NetBat बन गया. इसमें ख़ाली पड़ी बैटरियों को वर्चुअली जमा करके, कंपनियों को ऊर्जा भंडारण की सेवाएं देने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता था.

ये उद्योगों के चौथे युग (4.0) की दिशा में आगे बढ़ने के अनुसार था, जिसका मक़सद निर्माण की प्रक्रियाओं और उत्पादों का डिजिटल परिवर्तन यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स (IoT) और क्लाउड में तब्दील करना है. बैटरी की संपत्तियों के बीच कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने से इन संपत्तियों की डेटा एनालिटिक्स और विश्लेषण से निगरानी की जा सकती है, जिससे लागत में कमी आती है और बिजली आपूर्ति की अधिक साफ, ज़्यादा लचीली और मज़बूत सेवा निर्मित की जा सकती है.

NetBat शेरू का एक बड़ा उत्पाद है, जो नेटवर्क आधारित समाधान है. ये भारत में ऊर्जा के उभरते इकोसिस्टम में अबाध एकीकरकण को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभा रहा है. ये वितरण कंपनियों और ग्रिड संचालकों को ऊर्जा भंडारण की शक्ति का इस्तेमाल, ज़रूरत के हिसाब से इस्तेमाल और भुगतान करने के लिए सशक्त बनाता है. इससे बैटरियों के मालिकों को भी लगातार आमदनी होती है, जिससे इलेक्ट्रिक गाड़ियां अधिक सस्ती होती हैं, जिनसे फिर इलेक्ट्रिक वाहनों से आवाजाही की दिशा में आगे बढ़ने में मदद मिलती है. हमारे इस समाधान का ख़ास तौर से निचली पायदान के लोगों यानी तिपहिया ई-रिक्शा चलाने वालों की ज़िंदगी पर गहरा असर पड़ा है. क्योंकि, अब वो आवाजाही के लिए स्वच्छ और सस्ते विकल्प को अपना सकते हैं, जिसके मालिकाना हक़ की उन्हें क़ीमत भी कम चुकानी पड़ती है.

NetBat की प्रमुख विशेषताओं में:

  1. ऊर्जा भंडारण का अधिकतम इस्तेमाल: एडवांस्ड एनालिटिक्स और इंटेलिजेंट एल्गोरिदम का इस्तेमाल करके ये ऊर्जा भंडारण की व्यवस्थाओं का अधिकतम और कुशलता से इस्तेमाल करना सुगम बनाता है. इससे वितरण कंपनियों को मांग और आपूर्ति से निपटने में सहूलत होती है और ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों पर उनकी निर्भरता कम होने के साथ साथ स्वच्छ ईंधन के साथ एकीकरण को बढ़ावा मिलता है.
  2. ग्रिड की स्थिरता और लचीलापन: NetBat से ग्रिड की स्थिरता और लचीलेपन को बढ़ावा मिलता है, क्योंकि ये पीक डिमांड या फिर ग्रिड में इमरजेंसी के हालात में ऊर्जा के भंडारण की क्षमता मुहैया कराती है. इससे रिन्यूएबल एनर्जी के स्रोतों से आपूर्ति के दौरान जो बाधा आती है, उसको दूर किया जाता है और ग्रिड में बाधा पड़ने की चुनौतियों को दूर किया जाता है, जिससे ग्राहकों को भरोसेमंद और स्थिर बिजली आपूर्ति हो पाती है.
  3. मांग को पूरा करना और लचीलापन: NetBat  ग्रिड के संकेतों और क़ीमत के मुताबिक़ ऊर्जा भंडारण व्यवस्थाओं से बिजली आपूर्ति जारी करके मांग और आपूर्ति में तालमेल बनाता है. इस लचीलेपन से ऊर्जा का अधिकतम इस्तेमाल हो पाता है और भारी मांग की स्थिति में ग्रिड पर दबाव नहीं बढ़ पाता, जिससे कम लागत में अधिकतम लाभ मिलता है और ग्रिड की विश्वसनीयता भी बढ़ती है.

3. व्यापक स्तर पर करने की चुनौतियां और अहम किरदारों के लिए सुझाव

बाधित होने की अपनी कमी की वजह से नवीनीकरण योग्य ऊर्जा के स्रोत को इलेक्ट्रिक ग्रिड से जोड़ने में ग्रिड की स्थिरता बनाए रखने में अहम चुनौतियां खड़ी होती हैं. बिजली के उत्पादन में अचानक बढ़ोत्तरी या गिरावट आने से ग्रिड पर बुरा असर पड़ सकता है, और इसलिए ऐसे विकल्पों की ज़रूरत है, जो अचानक बिजली उत्पादन में कमी को पूरा कर सकें, या अधिक बनी बिजली को सुरक्षित रख सकें. आने वाले वर्षों में चूंकि दिन के समय के हिसाब से बिजली की दरें (ToD) तय होंगी और ये अहम भूमिका निभाएंगी, तो एनालिटिक्स से ऊर्जा भंडारण की सेवाओं से जुड़े आंकड़े मिल सकते हैं, जो कंपनियों के लिए मुनाफ़ा कमाने का रास्ता खोल सकते हैं.

अन्य चुनौतियों में नियामक सहयोग और मुफ़ीद प्रशासनिक ढांचे की ज़रूरतें शामिल हैं. नीति निर्माताओं को चाहिए कि वो NetBat जैसे ऊर्जा भंडारण मुहैया कराने वालों को वित्तीय प्रोत्साहन देकर, नियमों को सरल बनाकर और ग्रिड से एकीकरण के स्पष्ट दिशा-निर्देश देकर उनकौ हासला बढ़ाएं. इसके साथ साथ भारत में स्वच्छ ईंधन और यातायात के क्षेत्र में कई स्टार्ट-अप कंपनियां काम कर रही हैं. ये अपनी पूरी संभावनाओं का इस्तेमाल कर सकें, इसके लिए इन स्टार्ट अप को जोखिम लेने और विकास करने के लिए आसानी से पूंजी मुहैया कराने की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि ये शुरुआती कामयाबियों को बड़े स्तर पर पहुंचा सकें. इस मामले में शेरू वितरण कंपनियों, तकनीक मुहैया कराने वालों और वित्तीय सेवाएं देने वालों के साथ गठबंधन करना चाहता है, ताकि वो इस क्षेत्र के भागीदारों के बीच विश्वास, ज्ञान को साझा करने और सहयोग को मज़बूती से बढ़ावा दे सके, ताकि ऊर्जा परिवर्तन का काम सुगमता से हो.

4.निष्कर्ष

अपनी आज़ादी के 75 वर्षों बाद भारत तेज़ गति से आर्थिक विकास कर रहा है. लेकिन, इस आर्थिक प्रगति के साथ कार्बन उत्सर्जन का बोझ भी बढ़ रहा है. इससे निपटने के लिए भारत ने एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है: अपनी ज़रूरत की 60 प्रतिशत बिजली रिन्यूएबल संसाधनों से निर्मित करना, ताकि वो आर्थिक विकास को कार्बन उत्सर्जन से अलग कर सके. स्वच्छ, हरित और अधिक टिकाऊ राह की भारत की इस तलाश में शेरू की टीम, हमारी ऊर्जा की क्लाउड तकनीक का इस्तेमाल करके नवीनीकरण योग्य ऊर्जा स्रोतों को बिजली ग्रिड से जोड़कर पूरा सहयोग देने के लिए समर्पित है.

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