Published on Jun 22, 2021 Updated 0 Hours ago

हमें एक नये सामाजिक अनुबंध की ज़रूरत है जिसमें कंपनियां, लोग और सरकारें शामिल हों.

कोविड-19 के बाद: स्मार्ट वर्किंग ही आगे का रास्ता है!

क्या कोविड-19 महामारी को मानव जीवन, कारोबार और शहरों को सुधारने के अवसर में बदला जा सकता है? महामारी के चरम के दौरान वैश्विक स्तर पर सामाजिक दूरी के जो उपाय लागू किए गए, उसकी वजह से इतिहास में सबसे बड़े रिमोट वर्किंग यानी दफ़्तर से दूर काम-काज के प्रयोग की शुरुआत हुई. पहले ये स्वतंत्र काम-काज करने वालों यानी फ्रीलांसर और डिजिटल काम-काज करने वालों का विशेष अधिकार था. लेकिन महामारी की वजह से दफ़्तर में सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक काम करने वाले लोगों के लिए कई महीनों तक दफ़्तर के बाहर से काम करना सामान्य बात हो गई. लेकिन अफ़सोसनाक मुद्दा ये है कि घर से काम करने का मतलब अभी भी ज़्यादा अच्छा काम करना या ज़्यादा ख़ुश होना नहीं है. स्मार्ट काम-काज इसका जवाब हो सकता है लेकिन ये दफ़्तर से दूर यानी रिमोट काम-काज से अलग कैसे है? स्मार्ट काम-काज लोगों के जीवन की क्वॉलिटी, कंपनी की बैलेंस शीट और शहरों के लंबे समय तक टिके रहने के लिए कैसे फ़ायदेमंद हो सकता है? महामारी के दौरान और उसके बाद स्मार्ट काम-काज को कैसे बनाए रखा जा सकता है? 

स्मार्ट काम-काज में बढ़ोतरी और उसके फ़ायदे

कोविड-19 के प्रकोप ने वैश्विक स्तर पर अब तक के सबसे बड़े दफ़्तर से बाहर काम-काज के प्रयोग को जन्म दिया. वो भी तब जब न तो इसकी योजना पहले से बनाई गई थी, न ही लोग इसके लिए पूरी तरह से तैयार थे. हालांकि, मार्च 2020 के एक सर्वे में दुनिया भर के 88 प्रतिशत एचआर (मानव संसाधन) मैनेजर ने कहा कि उनके संगठन ने दफ़्तर से दूर काम-काज को प्रोत्साहन दिया या लागू किया[1]. उसके बाद के महीनों में ये पता चला कि हर वक़्त दफ़्तर में मौजूद रहे बिना भी लंबे समय तक ग्राहकों और सहकर्मियों से वर्चुअल संवाद मुमकिन है या प्रमुख साझेदारों और हिस्सेदारों से मिलने के लिए यात्रा किए बिना भी काम चल सकता है. लेकिन काम-काज का ये नया तरीक़ा क्या-क्या अच्छी चीज़ें लेकर आया है? 

रिसर्च से पता चलता है कि स्मार्ट काम-काज की संभावनाओं को कामगारों, कंपनियों और समाज के फ़ायदे के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, ख़ासतौर पर तब जब व्यापक पैमाने पर इसे लागू किया जाए. 

रिसर्च से पता चलता है कि स्मार्ट काम-काज की संभावनाओं को कामगारों, कंपनियों और समाज के फ़ायदे के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, ख़ासतौर पर तब जब व्यापक पैमाने पर इसे लागू किया जाए. यहां ज़्यादातर उदाहरण इटली और चीन के हैं क्योंकि इन देशों पर महामारी ने शुरुआत में ही हमला किया था और वहां की रिसर्च व्यापक तौर पर मौजूद है. कर्मचारियों के लिए स्मार्ट काम-काज अपने समय का सही इस्तेमाल है, दफ़्तर आने-जाने के समय और पैसे की बचत है और जीवन की ज़्यादा अच्छी क्वॉलिटी हासिल करना है. इटली में 1 करोड़ 30 लाख से ज़्यादा ऐसे लोग हैं जो काम-काज के लिए रोज़ यात्रा करते हैं (कुल जनसंख्या का 20 प्रतिशत से ज़्यादा). ये लोग ऑफिस जाने में औसतन 70 यूरो (85 अमेरिकी डॉलर) हर महीने खर्च करते हैं और रोज़ दफ़्तर तक पहुंचने में उन्हें 72 मिनट लगते हैं. एक स्थायी या अर्ध-स्थायी स्मार्ट काम-काज का रूटीन बनाकर समय और पैसे को बचाया जा सकता है[2]. इसके अलावा पोलिटेक्निको डी-मिलानो के एक अध्ययन में ये भी पता चला है कि स्मार्ट काम-काज कर्मचारियों की भलाई और लचीलेपन को बढ़ाता है. 

इस अध्ययन में ये दावा किया गया है कि स्मार्ट काम-काज करने वाले 80 प्रतिशत कर्मचारियों ने कार्य और जीवन के संतुलन में बेहतरी देखी है[3].   

कंपनियों के हिसाब से देखें तो स्मार्ट काम-काज का नतीजा ज़्यादा उत्पादकता और कामगारों के व्यापक पूल तक पहुंच, कम स्थायी खर्च और ज़्यादा समय तक कर्मचारियों के कंपनी में बने रहने के रूप में सामने आ सकता है. ऐसी दलीलें दी गई हैं कि इटली में स्मार्ट काम-काज उत्पादकता में औसतन 15 प्रतिशत का इज़ाफ़ा और कर्मचारियों की अनुपस्थिति में 20 प्रतिशत की कमी कर सकता है[4]. 2015 में चीन की एक ट्रैवल एजेंसी के जिन कर्मचारियों ने स्मार्ट काम-काज को अपना लिया उन्होंने कम छुट्टियां ली और बीमार कम पड़े. इसकी वजह से उत्पादकता में 13 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई[5]. इसके अलावा काम-काज के इस नये तरीक़े की वजह से जो लचीलापन आया, उससे 21वीं शताब्दी के नौजवानों की नौकरी की स्थिति का आकर्षण बढ़ाने में भी मदद मिली- 68 प्रतिशत मामलों में- और इसके साथ-साथ कर्मचारियों के नौकरी छोड़ने की दर में कमी आई. अध्ययनों के मुताबिक़ स्मार्ट कामगारों के उसी कंपनी में बने रहने की संभावना 13 प्रतिशत ज़्यादा है[6] [7]. इसके अलावा, स्मार्ट काम-काज से कंपनियों को कामगारों के काफ़ी व्यापक पूल तक पहुंचने में मदद मिलती है क्योंकि इससे वो भौगोलिक और सांगठनिक सीमा से आगे तक जाते हैं. साथ ही कंपनियां काम-काज की नई व्यवस्था जैसे आउटसोर्सिंग और इंटरनेट के ज़रिए अपना काम करा सकती हैं. सबसे आशावादी स्रोतों के मुताबिक़, ऐसा करने से श्रम की लागत में 80 प्रतिशत तक कमी आ सकती है. 

स्मार्ट काम-काज की पद्धति से समाज को भी फ़ायदा हो सकता है क्योंकि इसके कारण सड़कों पर भीड़ कम होती है, प्रदूषण कम होता है, ज़्यादा सामाजिक समावेशन होता है और ज़्यादा वित्तीय राजस्व आता है. 

चीन में हुए एक और प्रयोग से पता चला कि दफ़्तर की जगह में कमी और उसकी वजह से किराए और दूसरे खर्चों में कमी के कारण हर स्मार्ट कामगार पर लगभग 2000 अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष तक की बचत हो सकती है[8].  

स्मार्ट काम-काज की पद्धति से समाज को भी फ़ायदा हो सकता है क्योंकि इसके कारण सड़कों पर भीड़ कम होती है, प्रदूषण कम होता है, ज़्यादा सामाजिक समावेशन होता है और ज़्यादा वित्तीय राजस्व आता है. उदाहरण के लिए, इटली के मंटुआ में 2017 से 2019 के बीच हुए एक अध्ययन से पता चला कि दफ़्तर नहीं जाकर 250 स्मार्ट कामगारों ने 42 टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर उत्सर्जन से बचाया यानी 2,792 पेड़ों से पृथ्वी के वायुमंडल पर होने वाले असर के समान[9]. महामारी की वजह से लगाए गए लॉकडाउन ने अभूतपूर्व पैमाने पर अचानक होने वाले प्रयोगों की स्वीकृति दी. हर देश ने कई तरह के प्रदूषणों को घटाया जिसका लगभग तुरंत असर अलग-अलग पर्यावरणीय पहलुओं पर पड़ा. उदाहरण के लिए, अप्रैल 2020 में स्पेन और फ्रांस में वास्तविक नाइट्रोजन डाइऑक्साइड सघनता लॉकडाउन को लेकर उठाए गए क़दमों की वजह से उम्मीदों से क्रमश: 61 प्रतिशत और 52 प्रतिशत कम रही[10]

एक सामाजिक दृष्टिकोण से श्रम पूल के समावेशन के लाभों पर भी विचार किया जाना चाहिए. स्मार्ट काम-काज उन लोगों के लिए नौकरी के अवसर को व्यापक करता है जिन्हें ऑफिस जाकर काम करने में दिक़्क़त होती है जैसे कि शारीरिक तौर पर दिव्यांग व्यक्ति या इस तरह के लोग जिनके परिवार में ऐसे सदस्य हैं जिन्हें मदद की ज़रूरत होती है. उदाहरण के लिए, यूनाइटेड किंगडम में शारीरिक तौर पर सामान्य कामगारों और शारीरिक तौर पर दिव्यांग कामगारों के बीच रोज़गार का 30 प्रतिशत अंतर है. इस दूरी को ज़्यादा लचीले काम-काज की व्यवस्था से काफ़ी हद तक कम किया जा सकता है[11]. आख़िर में, रोज़गार वाले व्यक्तियों की संख्या बढ़ाकर स्मार्ट काम-काज करदाताओं की संख्या भी बढ़ा सकता है और इस तरह सब्सिडी की लागत कम की जा सकती है.   

स्मार्ट काम-काज बनाम रिमोट काम-काज

अब जब कंपनियों, लोगों और समाज को होने वाले फ़ायदों के बारे में बताया जा चुका है तो ये समझना भी ज़रूरी है कि स्मार्ट काम-काज और रिमोट काम-काज में बुनियादी अंतर क्या है क्योंकि लॉकडाउन के दौरान ज़्यादातर कंपनियों और कामगारों ने रिमोट काम-काज का ही अनुभव किया है. 

रिमोट वर्किंग हमेशा “स्मार्ट” नहीं होता ख़ास तौर पर तब जब ये घर से मजबूर होकर किया जाता है और कामगारों को कहां, कब और कैसे काम करना है- का विकल्प नहीं दिया जाता. वास्तव में स्मार्ट काम-काज का मतलब है इस बात की छूट मिलना कि दिए गए काम को कब और कहां करना है- ऑफिस तब जाना जब बेहद ज़रूरी हो या घर या नज़दीक के को-वर्किंग स्पेस में उस वक़्त रहकर काम करना जब कामगार ग़ैर-ज़रूरी मनबहलाव या आने-जाने के खर्च से बचना चाहता है. 

ज़्यादातर कंपनियों ने ये बुनियादी ग़लती की है कि उन्हें लगता है कि रिमोट काम-काज का मतलब अपने आप स्मार्ट काम-काज है. ज़रूरी एहतियात, बदलाव के उपाय और सही सोच अपनाए बिना, अचानक और बिना अच्छी तरह सोचे-विचारे शिफ्ट से अव्यवस्था, ख़राब प्रदर्शन और मनोवैज्ञानिक बेचैनी की समस्या खड़ी हो सकती है. याहू और आईबीएम के उदाहरण इस बात की गवाही देते हैं. याहू ने 2013 में स्मार्ट काम-काज के अपने फ़ैसले को पलट दिया क्योंकि वहां के कर्मचारी ज़्यादा आरामतलब हो गए और दूसरी चीज़ों पर ध्यान देने लगे. वहीं आईबीएम ने भी 2017 में स्मार्ट काम-काज के फ़ैसले को वापस ले लिया क्योंकि खर्च में कमी के अलावा न तो रचनात्मकता, न ही उत्पादकता में कोई बढ़ोतरी हुई[12] [13]

स्मार्ट काम-काज का मतलब है इस बात की छूट मिलना कि दिए गए काम को कब और कहां करना है- ऑफिस तब जाना जब बेहद ज़रूरी हो या घर या नज़दीक के को-वर्किंग स्पेस में उस वक़्त रहकर काम करना जब कामगार ग़ैर-ज़रूरी मन-बहलाव या आने-जाने के खर्च से बचना चाहता है. 

इसलिए फ़ैसले को पलटने और ग़ैर-ज़रूरी जोख़िम से बचने के साथ-साथ कामगारों की उत्पादकता और उनकी भलाई पर नकारात्मक असर को रोकने के लिए रिमोट काम-काज की ओर बदलाव के दौरान पांच मुख्य बातों पर विचार करना ज़रूरी है: 

  • साइबर सुरक्षा: कारोबार को रोज़ साइबर हमले से जूझना पड़ता है. हर 39 सेकेंड पर हैकर ग़ैर-क़ानूनी तरीक़े से आपकी जानकारी हासिल करने की कोशिश करते हैं. डाटा से खिलवाड़ के ख़िलाफ़ इससे बचने की तकनीक पर निवेश करना ही रक्षात्मक उपाय नहीं है[14]. ये अनुमान लगाया गया है कि 10 में से 9 सफल साइबर आक्रमण के लिए लोगों की ग़लती या लापरवाही ज़िम्मेदार है न कि तकनीक[15]. साइबर हमले के सफल होने की आशंका उस वक़्त बढ़ जाती है जब कर्मचारी दफ़्तर में नहीं होता. इसकी वजह ये है कि जानकारों के मुताबिक़ खाली समय से जुड़ी जगह पर हमारा दिमाग़ कम सख़्त गोपनीयता के नियम का पालन करता है. इस तरह स्मार्ट काम-काज की ओर बदलाव हालात बिगाड़ सकते हैं और कंपनियों के बुनियादी ढांचे को कमज़ोर बनाते हैं[16]. वायरस से बचाने के लिए जहां व्यक्तिगत इस्तेमाल के कंप्यूटर में वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क और एंटी वायरस सॉफ्टवेयर ज़रूरी हैं, वहीं साइबर सुरक्षा के सर्वश्रेष्ठ तौर-तरीक़ों और बर्ताव के बारे में कर्मचारियों की जागरुकता को बढ़ाने के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम भी आयोजित करना चाहिए. ऐसा करके ही साइबर सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सकता है. 
  • नये हालात के मुताबिक़ मानसिक और शारीरिक बदलाव पर ध्यान से विचार किया जाना चाहिए: सहकर्मियों से अलग और सामाजिक संबंधों से काफ़ी दूर घर पर काम करने का बेहद गहरा मनोवैज्ञानिक असर हो सकता है. इससे डिप्रेशन और बेचैनी बढ़ सकती है. इसके अलावा ऑफिस आना-जाना बंद करने से रिमोट काम-काज सुस्त लाइफस्टाइल बनाता है जिससे आपका वज़न और मोटापा बढ़ सकता है. इसकी वजह से दिल संबंधी बीमारी और डायबिटीज़ का जोख़िम दोगुना होता है और एकाग्रता कम होती है[17]. ये वो वक़्त है जब काम-काज की इस नई “वास्तविकता” को स्वस्थ तरीक़े से अपनाने की व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी शुरू होती है. उदाहरण के लिए को-वर्किंग स्पेस, लाइब्रेरी, इंटरनेट कैफे, जिम, खान-पान की अकादमी या सांस्कृतिक सहयोग की तलाश करना. 
  • भरोसे और सच्ची प्रेरणा पर आधारित काम-काज की संस्कृति: बोनस, प्रमोशन और सज़ा की धमकी जैसे ग़ैर-ज़रूरी प्रोत्साहन कर्मचारियों के लिए मज़बूत प्रेरणा का काम करते हैं. लेकिन ये वास्तव में उसी हालात में काम करते हैं जहां कम बौद्धिक कोशिश की ज़रूरत होती है और आम तौर पर जहां दोहराने वाला काम होता है. लंबे समय में इसकी वजह से प्रेरणा में कमी और दिलचस्पी में गिरावट आती है[18]. इसी वजह से अलग-अलग कंपनियां अपने कर्मचारियों की सच्ची प्रेरणा को बाहर लाने की कोशिश कर रही है. उदाहरण के लिए, गूगल अपने कर्मचारियों की रचनात्मकता और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करती है कि वो अपने समय का 20 प्रतिशत हिस्सा बिना किसी नियंत्रण के उस चीज़ पर बिताएं जिसे वो कंपनी के लिए फ़ायदेमंद समझते हैं. गूगल न्यूज़, जीमेल और एडसेंस इसी दिए गए समय से बने[19]. कर्मचारियों को प्रेरणा और अधिकार देने के लिए ये महत्वपूर्ण है कि उनकी स्वायत्तता, विशेषज्ञता और लक्ष्य को संतुष्ट करें. इस मामले में एक बेहद सकारात्मक उदाहरण बेस्ट बाय का है जो अमेरिका के मिनेसोटा की एक मल्टीनेशनल कंज़्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स रिटेलर है. इसने नतीजों पर आधारित काम-काज का मॉडल अपनाकर उत्पादकता में 41 प्रतिशत की बढ़ोतरी की[20]. इसी तरह चीन की एक कंपनी ने साबित किया कि स्मार्ट कामगारों को प्रोत्साहित करने के लिए सहानुभूति एक मज़बूत ज़रिया है. सहानुभूति जताकर संपर्क को मज़बूत, समावेशन को बढ़ावा और एक समुदाय की भावना बनाई जा सकती है[21]. एक वर्चुअल माहौल में ये कैसे हासिल किया जा सकता है? इसके लिए वर्चुअल बातचीत को बढ़ावा देना होगा जैसे वीडियो कॉल, इंट्रानेट, फोटोग्राफ़ी कंपीटिशन, अपनी राय को खुलकर ज़ाहिर करने का मौक़ा और लगातार फीडबैक सेशन के ज़रिए टीम को फ़ैसला लेने की प्रक्रिया में शामिल करना[22]
  • उद्देश्य और महत्वपूर्ण नतीजे: कारोबार के उद्देश्य की योजना बनाना और नतीजों को मापना रिमोट काम-काज की सफ़लता को हासिल करने के लिए महत्वपूर्ण तत्व हैं. हो सकता है कि कर्मचारी पहली बार घर से काम कर रहे हों और उनकी स्थिति ऐसी हो कि उन्हें क्या करना है इसका पता नहीं है. कर्मचारियों के काम-काज और उनके नतीजे को कंपनी के काम-काज और नतीजे से जोड़ने के लिए हर कर्मचारी को स्पष्ट उद्देश्य और नतीजे का पता होना चाहिए. गूगल, लिंक्डइन और ट्विटर जैसी कंपनियों ने उद्देश्य और नतीजे के लिए लक्ष्य तय करने की रूप-रेखा का व्यापक तौर पर इस्तेमाल किया है ताकि वो अपने कर्मचारियों को उसी दिशा में लगा सकें जो दिशा कंपनी की है और इस तरह पारदर्शी तरीक़े से तय लक्ष्य के मुताबिक़ कर्मचारियों के प्रदर्शन को मापा जा सके. 
  • काम-काज की जगह: हॉट-डेस्किंग यानी किसी कर्मचारी को तय जगह के बदले ज़रूरत के मुताबिक़ जगह मुहैया कराना नये संगठनों और काम-काज की संस्कृति को बदलने की रणनीति है. इससे ऑफिस का आकार और जगह के प्रबंधन की लागत कम होती है जबकि कर्मचारियों को ज़्यादा लचीलापन मिलता है. एक और विकल्प डेस्क होटलिंग है यानी कर्मचारी के दफ़्तर आने से पहले वर्कस्टेशन को रिज़र्व करना. अमेरिका के क्लीवलैंड में अर्न्स्ट एंड यंग के लिए इस पद्धति ने काम किया. इसको अपनाने से ऑफिस का आकार लगभग आधा हो गया जबकि कर्मचारियों की संख्या पहले की तरह ही रही[23]. आम तौर पर दफ़्तर छोटे और ज़्यादा जगह पर फैले होने चाहिए ताकि आसानी से उन्हें संभाला जा सके और ज़रूरत के वक़्त वहां पहुंचा जा सके. 

स्मार्ट काम-काज के लिए तैयार करना 

कंपनी की कोशिशों के साथ सरकारी क्षेत्र से मिलने वाली मदद इस महत्वपूर्ण सांस्कृतिक बदलाव को लागू करने के लिए महत्वपूर्ण हैं. इंफ्रास्ट्रक्चर, क़ानून और प्रोत्साहन को एक सीध में रखना चाहिए और उन कंपनियों और कामगारों को मुहैया कराया जाना चाहिए जो एक स्मार्ट और ज़्यादा टिकाऊ भविष्य चाहते हैं. 

  • इंफ्रास्ट्रक्चर: स्मार्ट काम-काज के लिए ज़्यादा अपलोड बैंडविड्थ की ज़रूरत है. इस बदलाव को आसान बनाने के लिए सरकारों को पर्याप्त कनेक्टिविटी मुहैया कराना चाहिए. उदाहरण के तौर पर, इटली में अल्ट्राफास्ट ब्रॉडबैंड की सुविधा सिर्फ़ 24 प्रतिशत आबादी को हासिल है जबकि यूरोपियन यूनियन का औसत 60 प्रतिशत है. इसकी वजह से इटली के 1 करोड़ 10 लाख नागरिक घर से पूरी क्षमता के साथ काम करने में सक्षम नहीं हैं[24]. लॉकडाउन के दौरान नेशनल इंस्टीट्यूट फ़ॉर सोशल सिक्यरिटी की वेबसाइट क्रैश कर गई. वो भी तब जब इस पर 10 साल में 56 करोड़ यूरो खर्च किए गए और पॉर्नहब द्वारा रोज़ संभाले जाने वाले डाटा के मुक़ाबले 13 गुना कम डाटा थे[25].
  • क़ानून: 2017 में इटली में हुनरमंद काम पर बने क़ानून ने 60 प्रतिशत सरकारी दफ़्तरों और 17 प्रतिशत बड़ी कंपनियों और छोटे और मध्यम उद्योगों को स्मार्ट काम-काज शुरू करने के लिए प्रेरित किया[26]. लेकिन काम की जगह पर दुर्घटना के ख़िलाफ़ श्रम और सामाजिक नीति के मंत्रालय और बीमा के लिए राष्ट्रीय संस्थान के समझौतों के बारे में जानकारी को लेकर ज़रूरी प्रक्रिया प्रभावशाली नहीं रही है. व्यक्तिगत समझौतों या पॉलिसी के रूपांतरण में अतिरिक्त जटिलताओं और ज़्यादा द़िक़्क़तों की वजह से 45 प्रतिशत बड़ी कंपनियों ने नकारात्मक प्रतिक्रिया दी. इटली का ये अनुभव बताता है कि कोई चीज़ पहली नज़र में आसान लगती है लेकिन उसे अपनाने में और ज़्यादा समय लगेगा. किसी क़ानून को अपनाना औपचारिक तौर पर सीधा लगता है लेकिन उसे लागू करने में व्यवहारिक रूप से मुश्किल आती है, उसका विरोध होता है. इसे देखते हुए उन देशों में ज़्यादा सावधानीपूर्वक और दूरदृष्टि वाली योजना बनानी होगी जो स्मार्ट काम-काज के रास्ते पर चलना चाहते हैं. 
  • प्रोत्साहन: उत्तरी इटली के लोम्बार्डी क्षेत्र ने 45 लाख यूरो कंपनियों को स्मार्ट काम-काज की शुरुआत करने के लिए मदद के तौर पर दी है[27]. अमेरिका के कोलोराडो में पारस्परिक ख़ुशहाली कार्यक्रम ने उन कंपनियों को आर्थिक प्रोत्साहन की पेशकश की है जो प्रांत के ग्रामीण इलाक़े में रहने वाले लोगों को नौकरी में भर्ती करने का फ़ैसला करते हैं और नये कर्मचारियों को हफ़्ते में कम-से-कम तीन दिन दफ़्तर से दूर काम करने देते हैं[28]. हालांकि, ये सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण है कि काम से अलग होने के अधिकार की गारंटी दी जाए[29]. कॉरपोरेट संस्कृति अक्सर लगातार ऑनलाइन और मौजूद होने की अहमियत पर ज़ोर देती है. इसका नतीजा ये होता है कि कर्मचारी महसूस करते हैं कि वो काम से अलग नहीं हो सकते हैं, यहां तक कि अपने खाली समय में भी नहीं. इससे काम के घंटे बढ़ जाते हैं और ज़्यादा गंभीर स्वास्थ्य समस्या खड़ी होती है. इस मामले में भी राष्ट्रीय क़ानून मदद कर सकते हैं. इटली और फ्रांस ने पहले ही कॉरपोरेट हितों और कामगारों की निजी ज़िंदगी की सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने के लिए कुछ नियम बनाए हैं. स्मार्ट काम-काज को एक नये तरह के अनुबंध के तौर पर नहीं बल्कि काम-काज को संगठित करने के नये तरीक़े के रूप में देखा जाना चाहिए. इसलिए काम से अलग होने और आराम करने का अधिकार हर कर्मचारी को दिया जाना चाहिए.
  • स्मार्ट काम-काज को एक नये तरह के अनुबंध के तौर पर नहीं बल्कि काम-काज को संगठित करने के नये तरीक़े के रूप में देखा जाना चाहिए. इसलिए काम से अलग होने और आराम करने का अधिकार हर कर्मचारी को दिया जाना चाहिए.

कुल मिलाकर कंपनियों, लोगों और सरकारों को शामिल करके एक नये सामाजिक अनुबंध की ज़रूरत है. कंपनियों को अपने कर्मचारियों को ज़्यादा स्वायत्तता और स्वतंत्रता देनी चाहिए और इस तरह उनके आने-जाने के समय और खर्च में बचत होगी. दूसरी तरफ़ कामगारों को चाहिए कि वो ऑफिस की तरह या उससे ज़्यादा उत्पादकता की गारंटी दें. ये कहने की ज़रूरत नहीं है कि कंपनियों को ज़्यादा आधुनिक तकनीकी सिस्टम और उचित ट्रेनिंग देनी चाहिए जिससे ये सुनिश्चित किया जा सके कि बदलाव आसान और बिना किसी दिक़्क़त के हो. सरकार को अपनी तरफ़ से एक नवीनतम और आसान नौकरशाही, इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार और वित्तीय प्रोत्साहन देना चाहिए ताकि ज़्यादा समावेशी काम-काजी माहौल, सांस्कृतिक बदलाव और ज़्यादा उत्पादकता को बढ़ावा दिया जा सके. 

अब इसके आगे क्या है? कंपनियों के दृष्टिकोण से मैनेजमेंट की रणनीति में बदलाव की ज़रूरत है ताकि स्मार्ट काम-काज की तरफ़ एक कुशल और टिकाऊ परिवर्तन को सुनिश्चित किया जा सके. इसे आसान बनाने के लिए स्मार्ट काम-काज को तब लागू किया जाना चाहिए जब सांगठनिक नक्शे और प्रोत्साहन में बदलाव हो रहा हो, डिजिटल कौशल में सुधार किया जा रहा हो, नई संस्कृति के मुताबिक़ काम की जगह को एक समान किया जा रहा हो और साफ़ और लचीला नियम स्थापित किया जा रहा हो. 


Endnotes

[1] M. Baker, Gartner HR Survey Reveals 88% of Organizations Have Encouraged or Required Employees to Work From Home Due to Coronavirus, Gartner, 2020.

[2] M. Marzulli, Quanto costa fare i pendolari in Italia? Cinque città a confronto,” Fleet Magazine, 29 August 2018.

[3] Politecnico di Milano, Rapporto sulla filiera delle Telecomunicazioni in Italia, Politecnico di Milano, 2018.

[4] “Rapporto sulla filiera delle Telecomunicazioni in Italia”

[5] P. Choudhury, B. Larson and C. Foroughi, Is It Time to Let Employees Work from Anywhere?” Harvard Business Review, 2019.

[6] H. Speer, “Millennials want to work from home: what does that mean for the network?” Entuity, 2018.

[7] S. Bernazzani, How remote work improves employee productivity, happiness, and retention,” The Predictive Index, 2019.

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