Author : Khushboo Sharma

Published on Dec 09, 2022 Updated 0 Hours ago

वैसे तो दिल्ली की तीन प्रमुख पार्टियों ने दिल्ली की समस्याओं का समाधान करने के लिए अलग-अलग क़दम उठाने की पेशकश की है लेकिन यहां के निवासियों में इन प्रस्तावों को लेकर कोई उत्साह नहीं है.

दिल्ली के 2022 MCD चुनाव में राजनीतिक दलों ने की थी वादों की भरमार: एक विश्वेषण

दिल्ली नगर निगम (MCD) विश्व के सबसे बड़े नगर निकायों में से एक है जो राष्ट्रीय राजधानी में रहने वाले 1.1 करोड़ से ज़्यादा लोगों (2011 की जनगणना के अनुसार) के लिए काम करता है. MCD चुनाव के लिए 250 वार्ड पर 4 दिसंबर को वोट डाले गए और 7 दिसंबर को नतीजों का एलान किया गया जिसमें आम आदमी पार्टी 134 सीटें जीतकर सबसे आगे रही.

कुछ महीने पहले दिल्ली के तीनों नगर निगमों के विलय के साथ इस बार के निकाय चुनावों का राजनीतिक महत्व अलग तरह का था. MCD के चुनाव अप्रैल 2022 में ही होने थे लेकिन तीनों नगर निगमों को एक करने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव की जानकारी होने के बाद राज्य चुनाव आयोग ने अनिश्चित काल के लिए निकाय चुनावों को टाल दिया. दिल्ली की AAP सरकार ने केंद्र सरकार के इस क़दम की तीखी आलोचना की. उसने आरोप लगाया कि ऐसा करके केंद्र सरकार चुनावों को टालना चाहती है क्योंकि नगर निगमों के विलय को लेकर न तो कोई सार्वजनिक अधिसूचना जारी की गई थी, न ही संसद के बजट सत्र में इस तरह का एजेंडा रखा गया था.

कुछ महीने पहले दिल्ली के तीनों नगर निगमों के विलय के साथ इस बार के निकाय चुनावों का राजनीतिक महत्व अलग तरह का था. MCD के चुनाव अप्रैल 2022 में ही होने थे लेकिन तीनों नगर निगमों को एक करने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव की जानकारी होने के बाद राज्य चुनाव आयोग ने अनिश्चित काल के लिए निकाय चुनावों को टाल दिया.

ये याद रखना चाहिए कि एक संगठित संस्था के रूप में MCD की स्थापना 1958 में की गई थी. लेकिन शीला दीक्षित के मुख्यमंत्री रहते हुए जनवरी 2012 में MCD को तीन हिस्सों में बांट दिया गया. MCD को तीन हिस्सों में बांटने के इस क़दम को राजनीतिक फ़ायदा लेने की कोशिश के तौर पर बताया गया था ताकि दिल्ली की तत्कालीन कांग्रेस सरकार स्थानीय निकाय में सेंध लगा सके जो कि परंपरागत तौर पर BJP का मज़बूत क़िला था.

लेकिन इस साल संसद द्वारा पारित दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2022 के ज़रिए तीनों नगर निगमों को फिर से एक निकाय के रूप में गठित कर दिया गया. उत्तरी, दक्षिणी और पूर्वी नगर निगमों को जोड़कर 22 मई 2022 को एकीकृत दिल्ली नगर निगम का गठन किया गया.

तीनों नगर निगमों का कार्यकाल 18 मई 2022 को ख़त्म हो गया था. दिल्ली में पिछला निगम चुनाव अप्रैल 2017 में हुआ था. पिछले चुनाव में BJP ने बड़ी जीत दर्ज करते हुए तीनों नगर निगमों के कुल वार्ड में से दो-तिहाई पर जीत हासिल की थी. 15 साल तक MCD में BJP सत्ता में रही. आम आदमी पार्टी (AAP), जिसका 2015 से चुनाव सेविधानसभा में पूरी तरह दबदबा कायम है और जो सात साल से ज़्यादा समय से दिल्ली की सरकार चला रही है, MCD चुनाव में BJP की मुख्य विरोधी थी. AAP ने 2017 में पहली बार MCD का चुनाव लड़ा था लेकिन वो सिर्फ़ 49 वार्ड में ही चुनाव जीत पाई (272 सीट में से). इस तरह विधानसभा चुनाव में दबदबे के बावजूद AAP स्थानीय निकायों पर मज़बूत पकड़ नहीं बना पाई थी. लेकिन इस बार के MCD चुनाव में AAP के द्वारा बड़े पैमाने पर अभियान से सबूत मिला कि उसने BJP के कब्ज़े से MCD को छीनने के लिए अपनी पूरी ताक़त लगा दी. वहीं MCD पर पकड़ बनाए रखना BJP के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई थी और इस काम में उसने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी.

चुनाव के प्रमुख मुद्दे

MCD के चुनाव में तीन प्रमुख पार्टियां- AAP, BJP और कांग्रेस- मुख्य रूप से मुक़ाबले में थीं. हालांकि, असली लड़ाई सत्ताधारी BJP और AAP के बीच ही दिख रही थी. चुनाव के मुख्य मुद्दों की बात करें तो ज़्यादातर दलों ने सड़कों को सुधारने, स्वच्छता एवं कूड़ा प्रबंधन, वायु प्रदूषण और भ्रष्टाचार मुक्त MCD पर ज़ोर लगाया (नीचे की सूची देखें). प्रमुख पार्टियों के घोषणापत्रों में ऐसे सामान्य मुद्दों का ज़िक्र था जो दिल्ली में लोगों के जीवन की गुणवत्ता पर असर डालते हैं. हालांकि, ऐसे वादों की भी भरमार थी जो लोकप्रिय और मुफ़्त की मदद की तरह दिखते हैं. उदाहरण के लिए, AAP ने गृह कर को अपने तुरुप के पत्ते की तरह इस्तेमाल किया. तीनों नगर निगमों की आमदनी में संपत्ति कर का हिस्सा 26 प्रतिशत से लेकर 30 प्रतिशत तक होने के बावजूद AAP ने वादा किया कि वो पूरी प्रणाली को ख़त्म कर देगी और सभी लंबित बकाया माफ़ कर देगी. कांग्रेस ने वादा किया कि वो संपत्ति कर के दायरे से वरिष्ठ नागरिकों और किराये पर अपना घर नहीं देने वालों को बाहर रखेगी. वहीं BJP ने संकेत दिया कि वो कर में कोई बढ़ोतरी नहीं करेगी. पिछले 15 वर्षों के दौरान  ख़राब रिकॉर्ड के बावजूद BJP ने MCD कोमुसीबत में डालने वाली बड़ी वित्तीय समस्याओं को लेकर भरोसा दिया कि वो “केंद्र से नगर निगमों तक पैसे के सीधे ट्रांसफर की रूप-रेखा प्रदान करेगी”. दूसरी तरफ़ AAP ने ज़ोर-शोर से वादा किया कि वो MCD की सत्ता में आने के एक वर्ष के भीतर उसे मुनाफ़े में ले आएगी. कांग्रेस ने तो ये वादा किया कि वो सिर्फ़ टोल के राजस्व से सालाना 1,600 करोड़ रुपये इकट्ठा करके MCD को मुनाफ़े वाला नगर निगम बना देगी.

पार्टियों के घोषणापत्र पर एक सरसरी नज़र

BJP

· BJP का घोषणापत्र, जिसे “वचन पत्र” कहा गया, में निम्नलिखित वादे किए गए:

· झुग्गियों में रहने वाले सभी लोगों को पक्का घर मुहैया कराना (“जहां झुग्गी, वहां मकान” योजना के तहत)

· नगर निगम की प्रशासनिक क्षमता को मज़बूत करना

· प्रभावी कूड़ा निस्तारण को सुनिश्चित करना

· संपत्ति कर में राहत और फैक्ट्री लाइसेंस को ख़त्म करना ताकि राष्ट्रीय राजधानी में कारोबार करने में आसानी को सुनिश्चित किया जा सके.

AAP

· AAP ने अपने घोषणापत्र में 10 ‘गारंटी’ पूरी करने के लिए काम करने का वचन दिया:

· शहर को स्वच्छ बनाना और शहर की तीन लैंडफिल साइट को हटाना

· एक साल में भ्रष्टाचार मुक्त MCD का संकल्प

· पार्किंग की समस्या का स्थायी समाधान तलाश करना

· सड़कों की स्थिति को काफ़ी बेहतर बनाना

· MCD द्वारा चलाए जा रहे स्कूलों का कायाकल्प

· MCD द्वारा चलाए जा रहे प्राथमिक अस्पतालों का पुनर्निर्माण.

कांग्रेस

· “मेरी चमकती दिल्ली” नाम से कांग्रेस के घोषणापत्र में निम्नलिखित बातों पर ध्यान दिया गया:

·शीला दीक्षित सरकार की उपलब्धियों को और बेहतर बनाना

· प्रदूषण मुक्त दिल्ली सुनिश्चित करना

· भ्रष्टाचार मुक्त, बिचौलिया मुक्त दिल्ली को सुनिश्चित करना

· कूड़ा मुक्त दिल्ली

· महामारी मुक्त दिल्ली

· कर्ज़ मुक्त दिल्ली

· जुर्माना समेत बकाया गृह कर को माफ़ करना.

जब बात राजधानी में कूड़ा प्रबंधन की सबसे चुनौतीपूर्ण समस्या की आती है तो अलग-अलग दलों के अलग-अलग वादे हैं. इस बात का ज़िक्र करना ज़रूरी है कि लैंडफिल साइट बहुत बड़ी चिंता हैं क्योंकि दिल्ली की तीन बड़ी लैंडफिल साइट में हर दिन लगभग 6,000 टन या हर साल 21.6 लाख टन सॉलिड वेस्ट जमा होते हैं. 15 साल तक MCD पर नियंत्रण रखने वाली BJP ने वादा किया कि वो एक हरित और स्वच्छ दिल्ली बनाने के लिए कूड़े को ऊर्जा में बदलने वाली व्यवस्था के ज़रिए शत-प्रतिशत कूड़े का प्रबंधन करेगी. वहीं, AAP ने वादा किया कि वो कूड़ा प्रबंधन के नये तरीक़ों की शुरुआत करके शहर में तीनों लैंडफिल साइट को ख़त्म करेगी. कांग्रेस ने दावा किया कि वो “मेरी चमकती दिल्ली” बनाकर इस मुद्दे का समाधान करेगी.

इसी तरह स्वास्थ्य की देखभाल के मुद्दे पर अलग-अलग पार्टियों ने अलग-अलग वादे किए हैं. BJP के घोषणापत्र में जहां लोगों को हेल्थ कार्ड मुहैया कराने का वादा किया गया है वहीं AAP ने वादा किया है कि वो MCD क्लीनिक, अस्पतालों और मोहल्ला क्लीनिक में सभी टेस्ट और दवाइयां मुफ़्त मुहैया कराएगी. कांग्रेस ने राजधानी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के पूरी तरह कायापलट का वादा किया है.

BJP के घोषणापत्र में जहां लोगों को हेल्थ कार्ड मुहैया कराने का वादा किया गया है वहीं AAP ने वादा किया है कि वो MCD क्लीनिक, अस्पतालों और मोहल्ला क्लीनिक में सभी टेस्ट और दवाइयां मुफ़्त मुहैया कराएगी. कांग्रेस ने राजधानी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के पूरी तरह कायापलट का वादा किया है.

AAP का घोषणापत्र दूसरी पार्टियों से इस मायने में अलग था कि इसमें ‘आउटकम बजट’ के समान पार्टी के प्रमुख संकल्पों में से कई के लिए समय-सीमा तय की गई है. इसमें वादा किया गया कि एक साल के भीतर दिल्ली को कूड़ा मुक्त कर दिया जाएगा और दूसरी बातों के अलावा डेंगू और चिकुनगुनिया जैसी बीमारियों कोतीन साल में दूर कर दिया जाएगा. BJP ने भी पीछे नहीं रहते हुए वादा किया कि वो झुग्गी पुनर्वास परियोजना के तहत झुग्गियों में रहने वाले लोगों को मुफ़्त फ्लैट मुहैया कराएगी.

संक्षेप में कहें तो पर्यावरण की दुर्दशा से जुड़ी स्थायी समस्याओं विशेष रूप से वायु प्रदूषण, कूड़े और स्वच्छता के मुद्दों का पूरे साल सामना करने वाले दिल्ली के निवासियों के लिए भरपूर वादे किए गए. दिल्ली की तीनों प्रमुख पार्टियों ने राष्ट्रीय राजधानी की संरचनात्मक और परिचालन से जुड़ी शासन व्यवस्था की चुनौतियों का समाधान करने के लिए अलग-अलग उपायों का प्रस्ताव दिया लेकिन लगता है कि इन वादों को लेकर लोगों में ज़्यादा उत्साह नहीं था क्योंकि राजनीतिक पार्टियों और उम्मीदवारों की रैलियों और घर-घर अभियानों के दौरान लोगों की ज़्यादा संख्या नहीं जुटी. चूंकि, नगर निकाय शहरों की सुविधाओं और जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं, ऐसे में ये उम्मीद की जानी चाहिए कि चुनाव के दौरान जो वादे किए गए उन्हें पूरा किया जाएगा.


ख़ुशबू शर्मा ORF में रिसर्च इंटर्न हैं

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