स्वास्थ्य देखभाल और सामाजिक विकास के लिहाज़ से, भारत ने बीते कुछ दशकों में बहुत तेज़ वृद्धि की है. इस क्रम में, समाज के सभी वर्गों की स्वास्थ्य-देखभाल तक पहुंच हो, यह एक मुख्य उद्देश्य रहा है. हालांकि, एक सवाल अब भी बना हुआ है कि क्या हमने इस उद्देश्य को हासिल कर लिया है? इसका जवाब आबादी के सभी समूहों और तबक़ों के बीच ‘यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज’ (यूएचसी) हासिल करने में निहित है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 ने यूएचसी के लक्ष्य को हक़ीक़त में बदलने के लिए ‘आयुष्मान भारत’ शुरू करने की सलाह दी. एक ऐसे देश में जो स्वास्थ्य-देखभाल में बहुत कम धन निवेश करता है, स्वास्थ्य-देखभाल की कुल लागत का 64.7 फ़ीसद, लोगों द्वारा अपनी जेब से किया जाने वाला ख़र्च (ओओपीई) होता है. यह वैश्विक औसत से अधिक है, और निम्न-आय श्रेणी के परिवारों को विपत्तिकारी स्वास्थ्य ख़र्च (सीएचई) से गुज़रना पड़ सकता है, जो देश की ग़रीबी और ख़राब स्वास्थ्य का एक प्रमुख निर्धारक कारक है. PMJAY कार्यक्रम हमारे देश के सबसे वंचित लोगों को अस्पताल में भर्ती होने (हॉस्पिटलाइजेशन) से वित्तीय सुरक्षा मुहैया कराने के लिए बनाया गया, और यह जेब से होने वाले ख़र्च से कुछ हद तक निपटने की कोशिश थी. यह इस योजना के हक़दार 10.74 करोड़ से ज़्यादा कमज़ोर परिवारों को द्वितीयक और तृतीयक देखभाल की ख़ातिर अस्पताल में भर्ती के लिए प्रति परिवार प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक का कवर मुहैया कराता है. राज्यों में इसके सही ढंग से उपयोग को लेकर सवाल उठने के बावजूद, दुनिया की इस सबसे बड़ी सरकार-पोषित स्वास्थ्य बीमा योजना ने कुछ राज्यों, ख़ासकर तमिलनाडु, में उम्मीद बढ़ायी है.
PMJAY कार्यक्रम हमारे देश के सबसे वंचित लोगों को अस्पताल में भर्ती होने (हॉस्पिटलाइजेशन) से वित्तीय सुरक्षा मुहैया कराने के लिए बनाया गया, और यह जेब से होने वाले ख़र्च से कुछ हद तक निपटने की कोशिश थी
क्रियान्वयन
संघवाद की भावना से प्रेरित, पीएमजय योजना राज्यों को इस बात की काफ़ी आज़ादी देती है कि वे कार्यक्रम को कैसे संचालित करना चाहते हैं. इसे तीन प्रारूपों में क्रियान्वित किया जाता है – ट्रस्ट मॉडल, बीमा मॉडल और हाइब्रिड मॉडल. ट्रस्ट मॉडल को 22 राज्यों में अपनाया जाता है, जहां एक ‘सार्वजनिक ख़रीदार’ (सरकारी स्वास्थ्य एजेंसी) पैनलबद्ध अस्पतालों और इसी तरह के अन्य प्रदाताओं से सेवाओं को सीधे ख़रीदता है, जो इसे पूरी तरह राज्य-वित्तपोषित बनाता है. आठ राज्यों में, ‘बीमा मॉडल’ अपनाया जाता है, जहां राज्य इस योजना में शामिल प्रत्येक परिवार की ख़ातिर सेवाओं की पूर्व-निर्धारित सूची के लिए किसी बीमा कंपनी को एक तयशुदा प्रीमियम का भुगतान करता है. वहीं, तीन राज्यों द्वारा अपनाये गये ‘हाइब्रिड मॉडल’ में, दावों के निपटारे की प्रक्रिया के लिए बीमा कंपनियों पर निर्भरता को आंशिक रूप से राज्य-संचालित ट्रस्ट को हस्तांतरित किया जाता है.
तमिलनाडु PMJAY-सीएमसीएचआईएस
एक मज़बूत स्वास्थ्य-देखभाल तंत्र बेहतर स्वास्थ्य परिणाम हासिल करने के लिए एक पूर्व-शर्त है. सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिनियम बनाने वाले पहले राज्य, तमिलनाडु ने नीति क्रियान्वयन पर मज़बूत पकड़ के साथ हमेशा राह दिखायी है. 2009 में, ‘मुख्यमंत्री कलईगनार जीवन रक्षक चिकित्सा बीमा योजना’ (केएचआईएस) शुरू की गयी, ताकि गंभीर बीमारी की स्थिति में समाज के निम्न-आय वाले और ग़रीब तबक़ों को सरकारी व निजी दोनों तरह के अस्पतालों में मुफ़्त चिकित्सकीय देखभाल मिलना सुनिश्चित हो सके. बाद में, 2011 में इस कार्यक्रम के कवरेज में विस्तार किया गया और इसे ‘मुख्यमंत्री समग्र स्वास्थ्य बीमा योजना’ (सीएमसीएचआईएस) के नाम से दोबारा लाया गया. तमिलनाडु ने 2018 में पीएमजय को सीएमसीएचआईएस के साथ एकीकृत करके लागू किया, जिसे संयुक्त रूप से ‘प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना – मुख्यमंत्री समग्र स्वास्थ्य बीमा योजना’ (पीएमजय- सीएमसीएचआईएस) के नाम से जाना जाता है.
तमिलनाडु के मामले में पीएमजय का क्रियान्वयन कार्यकुशल होने के साथ-साथ पारदर्शी रहा है. आंकड़े इस कथन का समर्थन करते हैं. पीएमजय के यूटिलाइजेशन डाटा के मुताबिक़, संख्या के हिसाब से, दावों (क्लेम्स) में हिस्से में तमिलनाडु सबसे आगे (28 फ़ीसद) है और उसके बाद गुजरात (17 फ़ीसद) आता है.
एनएचए के 14 जुलाई 2022 के आंकड़ों के मुताबिक़, देशभर में 176,903,501 आयुष्मान कार्ड जारी किये गये हैं, अस्पताल में भर्ती के मामले 28,923,388 थे. वहीं 24,727,093 आयुष्मान कार्ड बनाये जाने और 4,838,210 अधिकृत अस्पताल-भर्तियों के साथ तमिलनाडु के आंकड़े अधिक प्रभावशाली है. ये आंकड़े 31 अक्टूबर 2021 के हैं. इन अधिकृत अस्पताल-भर्तियों का मौद्रिक मूल्य 43,528,425,339 रुपये होता है. तमिलनाडु के मामले में पीएमजय का क्रियान्वयन कार्यकुशल होने के साथ-साथ पारदर्शी रहा है. आंकड़े इस कथन का समर्थन करते हैं. पीएमजय के यूटिलाइजेशन डाटा के मुताबिक़, संख्या के हिसाब से, दावों (क्लेम्स) में हिस्से में तमिलनाडु सबसे आगे (28 फ़ीसद) है और उसके बाद गुजरात (17 फ़ीसद) आता है. यहां तक कि कोविड-19 महामारी के दौरान, तमिलनाडु ने पीएमजय के तहत इलाज के लिए 393.79 करोड़ रुपये वितरित किये, जो 1.16 लाख रुपये प्रति मरीज़ बैठता है.
नीति आयोग हेल्थ इंडेक्स 2021 में तमिलनाडु दूसरे स्थान पर रहा और कई महत्वपूर्ण स्वास्थ्य संकेतकों पर ख़ासा सुधार हुआ है. एनएचए द्वारा तमिलनाडु, हरियाणा और बिहार में की गयी एक केस स्टडी के मुताबिक़, बिहार के अत्यल्प 20 फ़ीसद के मुक़ाबले तमिलनाडु में पीएमजय को लेकर जागरूकता 80 फ़ीसद थी. शिक्षित आबादी के उच्च प्रतिशत ने जागरूकता का बेहतर स्तर सुनिश्चित किया है, जिसने ऐसी सेवाओं को हासिल करने की तत्परता को बढ़ाया है.
PMJAY और सीएमसीएचआईएस का साथ काम करना
किसी भी कार्यक्रम को रचनात्मक ढंग से लागू करने के लिए एक मज़बूत साझेदारी ज़रूरी है. प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजय) को सीएमसीएचआईएस के सहयोग के साथ लागू करने के लिए, एनएचए और तमिलनाडु के परिवार एवं स्वास्थ्य कल्याण विभाग के बीच मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) पर 11 सितंबर, 2018 को दस्तख़त किये गये. पीएमजय ने केवल 77 लाख परिवारों को कवर किया, जबकि सीएमसीएचआईएस ने अनुमानतया 1.57 करोड़ परिवारों को लाभ प्रदान किया.
सभी सीएमसीएचआईएस लाभार्थियों को बढ़ी हुई कवरेज राशि मिली, चाहे वे पीएमजय- सीएमसीएचआईएस में पंजीकृत थे या नहीं थे. जो लाभार्थी सीएमसीएचआईएस के तहत कवर नहीं हुए थे, उनके लिए इस कार्यक्रम ने सुनिश्चित किया कि अब वे बेहतर रूप में आयी पीएमजय- सीएमसीएचआईएस के तहत कवर कर लिये जाएं. तमिलनाडु पीएमजय- सीएमसीएचआईएस के तहत 699 रुपये के प्रीमियम का योगदान करता है. सभी पात्र लाभार्थियों (जिसमें 77 लाख परिवार शामिल हैं) के लिए लागत का 60 फ़ीसद राष्ट्रीय सरकार कवर करती है. पीएमजय- सीएमसीएचआईएस योजना के तहत तमिलनाडु ने अभी 681 पैकेज सरकारी अस्पतालों के लिए आरक्षित किये हुए हैं. यह राज्य में पहले से मौजूद मज़बूत स्वास्थ्य तंत्र की मौजूदगी की वजह से ही संभव हो सका.
पीएमजय में क्रियान्वयन के अलग-अलग तरीके
तमिलनाडु में पीएमजय को हाइब्रिड मॉडल का इस्तेमाल कर क्रियान्वित किया गया है.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल के मुताबिक़, हाइब्रिड मॉडल का परिणाम बेहतर दावों के रूप में आया है, जहां भर्ती के लिए अधिकृत औसत राशि दूसरे मॉडलों के तुलना में काफ़ी अधिक है. हाइब्रिड मॉडल अपनाने वाला तमिलनाडु, पीएमजय- सीएमसीएचआईएस के तहत प्रति 10,000 आबादी पर हुई अस्पताल-भर्तियों की औसत संख्या के लिहाज़ से तीसरे स्थान पर है और सबसे बड़ी धनराशि अधिकृत करने के मामले में दूसरे स्थान पर है.
कोई इस तथ्य की अनदेखी नहीं कर सकता कि जब प्रति अस्पताल ख़र्च हुई औसत धनराशि की तुलना की तुलना की जाती है तो तमिलनाडु पीछे रह जाता है. हालांकि, इसका श्रेय पैनलबद्ध अस्पतालों की बड़ी संख्या (बड़े राज्य के लिहाज़ से कम आबादी की तुलना में) को दिया जा सकता है.
निष्कर्ष
तमिलनाडु एक विकसित राज्य है, जिसने पीएमजय के आगमन के पहले ही अपने स्वास्थ्य प्रयासों के ज़रिये उच्च गुणवत्ता का इलाज मुहैया कराया है. हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों में ग़रीबी रेखा के नीचे रहने वाले परिवार पीएमजय का लाभ उठा सकते हैं. इस कार्यक्रम का प्रमुख आकर्षण इसमें शामिल प्रत्येक परिवार को 5 लाख रुपये का बड़ा वार्षिक भुगतान है. यह योजना अगर ठीक ढंग से पहुंचे, तो अब ग़रीबी रेखा से नीचे के लोगों की समग्र स्वास्थ्य-देखभाल तक पहुंच होगी.
सरकारी अस्पतालों में पीएमजय की शुरुआत सफल रहने का प्राथमिक लाभ यह है कि इसके परिणामस्वरूप सार्वजनिक क्षेत्र की स्वास्थ्य देखभाल सेवा मज़बूत हो रही है. यह सब यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज हासिल करने की दिशा में राष्ट्र की प्रगति में योगदान करता है.
सरकारी अस्पतालों और वाणिज्यिक क्षेत्र के पैनलबद्ध अस्पतालों से बेहतरीन देखभाल पाने का अवसर अब व्यावहारिक बन चुका है. इसके लिए कोई अतिरिक्त ख़र्च नहीं करना होता, और यह जेब से किये जाने वाले ख़र्च को भी कम करता है. विपत्तिकारी स्वास्थ्य ख़र्च भी कम हुए हैं, क्योंकि कैंसर और हृदय संबंधी रोगों को प्रबंधित करने के लिए महंगी प्रक्रियाएं अब नि:शुल्क मुहैया होती हैं. सरकारी अस्पतालों में पीएमजय की शुरुआत सफल रहने का प्राथमिक लाभ यह है कि इसके परिणामस्वरूप सार्वजनिक क्षेत्र की स्वास्थ्य देखभाल सेवा मज़बूत हो रही है. यह सब यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज हासिल करने की दिशा में राष्ट्र की प्रगति में योगदान करता है. इस पहल ने शहरी और ग्रामीण लोगों के बीच असमानता और स्वास्थ्य खाई को पाटना भी शुरू किया है.
आगे की राह
पीएमजय देशभर में करोड़ों लोगों के लिए वरदान बन गयी है. हालांकि, प्रभावशाली उपलब्धियों के बावजूद, तमिलनाडु में कुछ स्वास्थ्य चुनौतियां बनी हुई हैं, जिनमें देखभाल की गुणवत्ता और ज़िलों के बीच प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य में भिन्नता शामिल है. तमिलनाडु गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के बढ़ते बोझ से भी निपट रहा है, जिनकी हिस्सेदारी राज्य की कुल मौतों में लगभग 69 फ़ीसद है. मध्यम वर्ग के लोग अभी इस कार्यक्रम के तहत नहीं आते हैं और अप्रत्याशित चिकित्सकीय ख़र्च ऐसे परिवारों को ग़रीबी की रेखा के नीचे धकेल सकते हैं. द्वितीयक और तृतीयक स्वास्थ्य-देखभाल पर ध्यान देने के लिए पीएमजय कार्यक्रम प्राथमिक देखभाल की अनदेखी करता है. इससे राज्य विशेष के लिए स्वास्थ्य देखभाल योजनाओं को समझने, जेब से होने वाले ख़र्च के उच्च स्तर को घटाने, और प्राथमिक एवं निवारक स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता दिये जाने की आवश्यकता पर सवाल खड़ा हो जाता है.
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