Author : Oommen C. Kurian

Expert Speak Health Express
Published on Sep 14, 2024 Updated 0 Hours ago

सबको स्वास्थ्य सेवा देने के भारत के सफर में ज़रूरत इस बात की है कि जो ग़ैर ग़रीब तबक़े के लोग अचानक से सेहत की समस्या के झटके का जोख़िम झेल रहे हैं, उन्हें AB-PMJAY के तहत सस्ती स्वास्थ्य सेवा का लाभ दिया जाना चाहिए.

70 वर्ष से उपर के सभी बुज़ुर्गों को PMJAY कवरेज: सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिये केंद्र सरकार का बड़ा फैसला

11 सितंबर 2024 को एक बड़ा नीतिगत क़दम उठाते हुए केंद्रीय कैबिनेट ने 70 साल से ज़्यादा उम्र के सभी नागरिकों को आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत स्वास्थ्य सेवा का कवरेज देने को मंज़ूरी दी. इसी साल प्रधानमंत्री मोदी ने बीजेपी का चुनावी घोषणापत्र जारी करते हुए कहा था कि सरकार 70 साल से ज़्यादा उम्र के सभी वरिष्ठ नागरिकों को प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में शामिल करने को लेकर प्रतिबद्ध है. हालांकि, जब जुलाई 2024 में इस वित्त वर्ष का बजट पेश किया गया, तो इस मुद्दे का बजट में कोई ज़िक्र नहीं था. ऐसे में ये आशंकाएं पैदा हो गई थीं कि बुज़ुर्गों को जन आरोग्य योजना के दायरे में लाने का फ़ैसला शायद कम से कम एक साल तक के लिए टाल दिया गया है. सरकार के स्रोतों के मुताबिक़ योजना का इतने बड़े पैमाने पर विस्तार करने से देश भर के लगभग 4.5 करोड़ परिवारों को फ़ायदा होगा. इस योजना के एलान से आने वाले समय में जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनावों में काफ़ी सियासी फ़ायदा होने की उम्मीद है.

 सरकार के स्रोतों के मुताबिक़ योजना का इतने बड़े पैमाने पर विस्तार करने से देश भर के लगभग 4.5 करोड़ परिवारों को फ़ायदा होगा. इस योजना के एलान से आने वाले समय में जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनावों में काफ़ी सियासी फ़ायदा होने की उम्मीद है.

आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का उन घरों तक विस्तार जो ग़रीब नहीं हैं, इसे हम भारत के मध्यम वर्ग को स्वास्थ्य की ऐसी इमरजेंसी के दौरान वित्तीय संरक्षण देने का पहला क़दम मान सकते हैं, जिसमें अस्पताल में भर्ती करने की ज़रूरत पड़ती हो. इसके बाद कई और क़दम आने वाले समय में उठाए जा सकते हैं. 2018 में इस योजना की शुरुआत के बाद ओआरएफ के एक पेपर में सुझाव दिया गया था कि आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का लाभ सस्ती दरों पर भारत के उन परिवारों को भी दिया जाना चाहिए, जो ग़रीब नहीं कहलाते हैं. हाल के वर्षों में मीडिया की ऐसी तमाम ख़बरें आई हैं, जिनमें 40 करोड़ ग़ैर ग़रीब नागरिकों को आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत लाने की चर्चा की गई थी. हालांकि, अब तक इस बारे में कोई ठोस घोषणा नहीं की गई थी. कैबिनेट के मौजूदा फ़ैसले ने ग़ैर ग़रीब आबादी के सबसे कमज़ोर तबक़े के लिए इस योजना के प्रीमियम में सब्सिडी दी है, जो एक सराहनीय क़दम है. 

 

चित्र-1 में 21वीं सदी में भारत की आबादी के आयामों की चर्चा करते हुए ये दिखाया गया है कि 2001 में भारत की जनसंख्या में 70 साल या ज़्यादा उम्र के नागरिक जहां 2.8 प्रतिशत थे, वो 2021 में बढ़कर 4.3 फ़ीसद और 2031 तक उनकी तादाद इसकी दोगुना होने की संभावना है. वरिष्ठ नागरिकों की देख-रेख से जुड़े सुधारों को लेकर नीति आयोग की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत की बुज़ुर्ग (60+) आबादी के केवल 20 फ़ीसद लोगों के पास ही स्वास्थ्य बीमा की योजना है, जबकि 78 प्रतिशत बुज़ुर्गों के पास पेंशन योजना नहीं है. इसका नतीजा ये हुआ है कि बुज़ुर्गों को अपनी सेहत की देख-रेख के ख़र्च का एक बड़ा हिस्सा अपनी जेब से देना पड़ता है, जिसकी वजह से उनके परिवारों के सामने वित्तीय संकट की चुनौती और बढ़ जाती है.

 

Source: Data compiled from Elderly in India 2021 report by the Government of India

 

 

60 साल से ज़्यादा आबादी वाले लगभग 20 प्रतिशत लोगों के पास स्वास्थ्य बीमा है. वहीं, आबादी के स्तर में लॉन्गीट्यूडिनल एजिंग स्टडी (2017-18) के उपलब्ध ताज़ा आंकड़े ये बताते हैं कि 60 साल से ज़्यादा आबादी के वर्ग के बीच भी अलग-अलग उम्र के लोगों के पास बीमा कवरेज होने में भी काफ़ी अंतर है. जैसा कि चित्र-2 में दिखाया गया है कि भारत में 70 से 79 साल और 80 साल से ज़्यादा उम्र के लोगों के पास 60 से 69 साल की उम्र वाले लोगों की तुलना में बहुत कम बीमा कवरेज है. इसके अलावा, जैसा कि नीति आयोग की रिपोर्ट कहती है कि बुज़ुर्गों में से बहुत से लोग ऐसे होते हैं, जिनके पास उम्र बढ़ने के साथ साथ पर्याप्त मात्रा में बचत या फिर पेंशन नहीं होती, जो उनके रहन-सहन या दूरगामी देख-रेख का ख़र्च वहन करने में मदद करे. आकलन किया जाता है कि भारत के क़रीब 70 प्रतिशत वरिष्ठ नागरिक अपने रोज़मर्रा के गुज़ारे के लिए अपने परिवारों या रिश्तेदारों पर निर्भर हैं, जिससे परिवारों पर बोझ बढ़ जाता है. 70 साल से ज़्यादा उम्र के सभी बुज़ुर्गों को स्वास्थ्य सेवा का कवरेज देकर, भारत सरकार इस यथास्थिति को बदलने की कोशिश कर रही है.

 

Source: Based on the Longitudinal Ageing Study in India (2017-18) reproduced from the India Ageing Report 2023 by UNFPA India.

 



आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का विस्तार उन तमाम नीतिगत उपायों में से एक है, जिनके तहत बुज़ुर्ग आबादी के मसलों से निपटने का प्रयास किया जा रहा है. भारत में बुज़ुर्गों की देख-भाल से जुड़े प्रमुख सुधारों की शुरुआत 1999 में नेशनल पॉलिसी ऑन ओल्डर पर्सन्स के साथ हुई थी, जिसका मक़सद कमज़ोर बुज़ुर्ग व्यक्तियों को देख-रेख और संरक्षण देना था. इसके साथ साथ नेशनल काउंसिल फॉर ओल्डर पर्संस (NCOP) का गठन भी किया गया था. 2007 में माता पिता और वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण और गुज़ारे का क़ानून पारित किया गया था, जिसका लक्ष्य बुज़ुर्गों को पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं और सुरक्षा देना था.

 2020 में वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के नेशनल एक्शन प्लान (NAPSrC) की शुरुआत की गई, ताकि वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण की चार प्रमुख योजनाओं को और सहयोग प्रदान किया जा सके.

इन दोनों क़दमों पर विचार करते हुए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने बुज़ुर्गों से जुड़े सेहत के ख़ास मसलों से निपटने के लिए 2010-11 में नेशनल प्रोग्राम फ़ॉर दि हेल्थ केयर ऑफ एल्डरली (NPHCE) की शुरुआत की थी. 2011 में नेशनल पॉलिसी ऑन सीनियर सिटिज़ंस ने NPOP का दायरा बढ़ाकर उभरती हुई चुनौतियों को भी इसके दायरे में शामिल किया था. नेशनल काउंसिल फॉर सीनियर सिटिज़ंस (NCSrC), NCOP का एक अधिक समावेशी संस्करण है. इसकी स्थापना 2012 में इन प्रयासों की निगरानी के लिए की गई थी. 2020 में वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के नेशनल एक्शन प्लान (NAPSrC) की शुरुआत की गई, ताकि वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण की चार प्रमुख योजनाओं को और सहयोग प्रदान किया जा सके. बुज़ुर्ग आबादी को पर्याप्त स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराना इन सभी पहलों का मक़सद था, और इसीलिए प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का मौजूदा विस्तार, इस प्रमुख नीतिगत चिंता को दूर करने में अहम योगदान देने वाला है.

 

मौजूदा आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत बुज़ुर्गों की देख-रेख

 

AB-PMJAY के उपयोग के आंकड़ों पर एक नज़र डालें, तो पता चलता है कि 35 करोड़ आयुष्मान कार्ड धारकों में से 14 प्रतिशत से अधिक लोग 60 साल से अधिक उम्र वाले हैं, जिन्होंने इस योजना का लाभ लिया है. इसके साथ साथ, 2018 में शुरुआत के बाद से AB-PMJAY के तहत लगभग एक चौथाई या फिर अस्पताल की भर्तियों के 6.9 करोड़ अधिकृत मामलों के मरीज़ 60 साल या फिर इससे ज़्यादा उम्र के हैं. अब तक आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत शामिल किए जाने के मानक के मुताबिक़ ये मरीज़ ग़रीब और कमज़ोर परिवारों के थे. अब इस योजना का दायरा ग़ैर ग़रीब परिवारों तक बढ़ाने से, आने वाले सालों में इस अनुपात में काफ़ी इज़ाफ़ा होने जा रहा है, जिससे पूरे देश में करोड़ों परिवारों को राहत मिलेगी.

 

Source: Data compiled from the AB-PMJAY Dashboard by the Government of India

 



आगे का रास्ता

 

भारत सरकार योजना के इस विस्तार को जल्दी से जल्दी लागू करने का इरादा रखती है और इसे लागू करने के लिए आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के मौजूदा ढांचे को इस्तेमाल किया जाएगा. हालांकि, सरकार की स्वास्थ्य बीमा योजना की जानकारी सबसे ज़रूरतमंद तबक़े के बीच होने को लेकर चिंताएं जताई जाती रही हैं. ये एक ऐसा मसला है जो उम्र के साथ साथ बढ़ता जाता है. 2021 में पूरे भारत में कराए गए एक सर्वे पर आधारित अध्ययन में पाया गया था कि वैसे तो भारत के 70 फ़ीसद से ज़्यादा परिवारों ने बताया कि उन्हें PMJAY योजना की जानकारी है. लेकिन, दो निचले तबक़ों के बीच इस योजना के बारे में जानकारी का अभाव सबसे अधिक था. ये आबादी के वही तबके हैं, जिन्हें इस योजना की मदद पहुंचाने की सबसे अधिक ज़रूरत है. जनसंचार के पारंपरिक और नए माध्यमों तक पहुंच, बुज़ुर्गों के बीच एक चुनौती हो सकती है और जो मौजूदा समस्या है वो इस आयु वर्ग के बीच शायद और बढ़ सकती है. सूचना, शिक्षा और संचार के अभियानों के बावजूद, आबादी के एक बड़े तबक़े तक आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की जानकारी पहुंचाने में बाधाएं आती रही हैं. इससे पता चलता है कि कम जानकारी के इस स्तर को दूर करने के लिए नए नए प्रयास और अभियानों की आवश्यकता है.

 भविष्य में आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का लाभ 60 से 69 साल आयु वर्ग के लोगों को भी मुफ्त में देने की ज़रूरत है, जो भारत की बुज़ुर्गों की नीति के लक्ष्यों के अनुरूप होगा.

चित्र 5: बुज़ुर्गों के स्वास्थ्य बीमा कवरेज के दायरे में न होने के कारण (2017-18)

 

Source: Based on the Longitudinal Ageing Study in India (2017-18) reproduced from the India Ageing Report 2023 by UNFPA India.

जो मौजूदा उपलब्ध आंकड़े हैं, वो वैसे तो AB-PMJAY योजना लागू होने से पहले के हैं. पर वो इन चिंताओं को रेखांकित करने वाले हैं. लॉन्गीट्यूडिनल एजिंग स्टडी इन इंडिया (2017-18) में पाया गया था कि भारत में बुज़ुर्गों की आबादी के एक बड़े तबक़े को स्वास्थ्य बीमा के बारे में कोई जानकारी ही नहीं है (चित्र 5). भारत में बुज़ुर्गों की जनसंख्या के एक बड़े तबक़े की नज़र में स्वास्थ्य बीमा की मौजूदा योजनाएं काफ़ी महंगी थीं. वैसे तो आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना को 70 साल से ज़्यादा उम्र के सभी लोगों को देना इस समस्या से निपटने का एक स्वागतयोग्य क़दम है. लेकिन, लोगों के बीच जानकारी का अभाव इस योजना का लाभ लेने में बाधा बन सकता है. इस चुनौती से पार पाने के लिए स्थानीय प्रशासन की मदद से बड़े पैमाने पर प्रचार अभियान चलाने की ज़रूरत है, ताकि ऐसे हर घर तक योजना का लाभ पहुंचाया जा सके, जहां 70 साल से ज़्यादा उम्र के बुज़ुर्ग रहते हैं.

 

दिलचस्प बात ये है कि 2016 में शुरू की गई वरिष्ठ नागरिक स्वास्थ्य बीमा योजना (SCHIS) ने RSBY योजना के तहत हर RSBY परिवार के बुज़ुर्ग सदस्यों को 30 हज़ार रुपए की मदद पहुंचाई है. इस योजना के तहत एक ही परिवार के एक से ज़्यादा बुज़ुर्गों को भी उसी अनुपात में मदद देने की कोशिश की गई.

 

जैसे ही इस नई योजना के लागू होने के बाद के शुरुआती रुझान सामने आते हैं, तो शायद ये ठीक रहेगा कि प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में भी ये शर्त लागू की जाए. क्योंकि बहुत से ऐसे परिवार हैं, जहां 70 साल से ज़्यादा उम्र के एक से अधिक बुज़ुर्ग नागरिक हैं, हालांकि इनकी संख्या काफ़ी कम है. भविष्य में आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का लाभ 60 से 69 साल आयु वर्ग के लोगों को भी मुफ्त में देने की ज़रूरत है, जो भारत की बुज़ुर्गों की नीति के लक्ष्यों के अनुरूप होगा. जैसा कि पहले चर्चा की जा चुकी है कि सबको स्वास्थ्य सेवा देने के भारत के सफर में ज़रूरत इस बात की है कि जो ग़ैर ग़रीब तबक़े के लोग अचानक से सेहत की समस्या के झटके का जोख़िम झेल रहे हैं, उन्हें AB-PMJAY के तहत सस्ती स्वास्थ्य सेवा का लाभ दिया जाना चाहिए. 70 साल से ज़्यादा उम्र के बुज़ुर्गों को शामिल करके इस योजना को अब ग़ैर ग़रीब तबक़ों तक बिना किसी लागत के पहुंचाया जा रहा है, तो उम्मीद की जानी चाहिए कि उस लंबित फ़ैसले पर भी आगे बढ़ने की रफ्तार तेज़ होगी.

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