Author : Soumya Bhowmick

Published on Dec 26, 2022 Updated 0 Hours ago

निर्यात की एक ही कैटेगरी यानी रेडीमेड गारमेंट्स पर अत्यधिक निर्भरता बांग्लादेश की वृद्धि के ट्रेंड को निश्चित तौर पर अवरुद्ध कर सकती है.

बांग्लादेश की रेडीमेड गारमेंट आधारित एक्सपोर्ट सेक्टर पर मंडराता ख़तरा

बांग्लादेश ने वर्ष 2021 में एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में अपनी 50वीं वर्षगांठ मनाई. लेकिन बांग्लादेश को अपनी आधी सदी की इस यात्रा के पीछे मुड़कर देखने की आवश्यकता है. वर्ष 1970 के एक भयानक चक्रवात के ठीक बाद, जिसमें लगभग पांच लाख बांग्लादेशियों की मौत हो गई थी, बांग्लादेश की यह यात्रा वर्ष 1971 के युद्ध में दक्षिण एशिया के सबसे ग़रीब देशों में शामिल एक देश के रूप में शुरू हुई थी. यह यात्रा वर्तमान में निर्माण के क्षेत्र में एशियन टाइगर के रूप में पहुंच चुकी है, जो आज उसकी रेडीमेड गारमेंट्स (RMG) से लेकर फार्मास्यूटिकल्स सेक्टर तक के आर्थिक क्षेत्रों में अभूतपूर्व प्रगति को प्रदर्शित करती है. शुरुआत के कई वर्षों तक बांग्लादेश की विकास दर बहुत कम रही. 1970 से 1980 के दौरान बांग्लादेश की औसत विकास दर लगभग 2 प्रतिशत थी. हालांकि, बाद के वर्षों में इसमें वृद्धि हुई और वर्ष 2004 में यह 5 प्रतिशत के स्तर को पार कर गई. विकास दर में यह बढ़ोतरी बांग्लादेश के एक कृषि आधारित अर्थव्यवस्था से एक उद्योग और सेवा आधारित अर्थव्यवस्था में परिवर्तन का परिणाम था. अपने दक्षिण एशियाई समकक्ष देशों की तुलना में बांग्लादेश की विकास दर वर्ष 2006 में पाकिस्तान से आगे निकल गई. बांग्लादेश वर्ष 2011 से लगातार 6 प्रतिशत से ऊपर की विकास दर से बढ़ा है.

Figure 1: बांग्लादेश की जीडीपी वृद्धि दर (वार्षिक प्रतिशत) (2000-2021)

स्रोत: लेखक स्वंय, विश्व बैंक, वार्षिक जीडीपी ग्रोथ के आंकड़े

अर्थव्यवस्था से मैन्युफैक्चरिंग की ओर

वर्ष 1971 के मुक्ति संग्राम से पहले, वर्तमान बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था एक हिसाब से कृषि प्रधान थी. 1970 के दशक की शुरुआत में बांग्लादेश में कृषि सेक्टर की हिस्सेदारी लगभग 60 प्रतिशत थी, जो 1990 के दशक में घटकर 30 प्रतिशत रह गई और हाल के वर्षों में यह लगभग 12 प्रतिशत पर आ गई है. यह गिरावट उद्योग और सेवा क्षेत्र की हिस्सेदारी में बढ़ोतरी के कारण आई है. वर्तमान में, बांग्लादेश की जीडीपी में इंडस्ट्री की हिस्सेदारी लगभग 33 प्रतिशत है, जबकि सर्विस सेक्टर की हिस्सेदारी लगभग 55 प्रतिशत है, यानी सर्विस सेक्टर एक प्रमुख क्षेत्र बनकर उभरा है. 1980 के दशक में बांग्लादेश के सर्विस सेक्टर में तेज़ी से विकास हुआ और 1990 के दशक की शुरुआत में अर्थव्यवस्था के व्यापार उदारीकरण के बाद, सेवा क्षेत्र में और अधिक वृद्धि हुई. हालांकि, 2000 से 2010 के बीच 10-वर्ष के आंकड़ों का उपयोग करने वाले इकोनोमेट्रिक विश्लेषण के मुताबिक़ सेवा क्षेत्र (6.17 प्रतिशत पर) कृषि क्षेत्र (3.21 प्रतिशत) की तुलना में तेज़ी से बढ़ा है और उद्योगों में वृद्धि (7.49 प्रतिशत पर) ने सर्विस सेक्टर पर बढ़त हासिल कर ली है. 2010 से 2021 के बीच, सर्विस सेक्टर द्वारा सकल घरेलू उत्पाद के कुल प्रतिशत के रूप में जोड़ा गया मूल्य भी 2.2 प्रतिशत कम हो गया है.

विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, टैक्सटाइल और क्लोदिंग का विनिर्माण सेक्टर में कुल मूल्य वर्धन का हिस्सा लगभग 57 प्रतिशत है, जबकि मध्यम और उच्च-तकनीकी विनिर्माण मूल्य में वृद्धि का हिस्सा 1990 के दशक में 24 प्रतिशत से लगातार गिरकर वर्ष 2019 में 7 प्रतिशत हो गया है.

बांग्लादेश में उद्योग सेक्टर के भीतर मैन्युफैक्चरिंग का हिस्सा लगातार बढ़ रहा है. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने 1990 के दशक के दौरान उच्च विकास दर दर्ज़ की और पिछले दो दशकों से ऊपर की ओर बढ़त को दिखाया है. हालांकि, विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि का श्रेय मुख्य रूप से रेडीमेड गारमेंट्स को दिया जाता है. विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, टैक्सटाइल और क्लोदिंग का विनिर्माण सेक्टर में कुल मूल्य वर्धन का हिस्सा लगभग 57 प्रतिशत है, जबकि मध्यम और उच्च-तकनीकी विनिर्माण मूल्य में वृद्धि का हिस्सा 1990 के दशक में 24 प्रतिशत से लगातार गिरकर वर्ष 2019 में 7 प्रतिशत हो गया है.

Figure 2: बांग्लादेश का मैन्युफैक्चरिंग वैल्यू एडेड (जीडीपी का प्रतिशत) (1990-2021)

स्रोत: लेखक स्वंय, विश्व बैंक, मैन्युफैक्चरिंग वैल्यू एडेड के आंकड़े (जीडीपी का प्रतिशत)

 

रेडीमेड गारमेंट्स पर आधारित निर्यात के नुकसान

रेडीमेड गारमेंट्स में प्रगति और देश का बदला हुआ व्यापार स्वरूप दोनों समकालिक हैं. रेडीमेड गारमेंट्स का निर्यात बांग्लादेश की कुल एक्सपोर्ट इनकम का लगभग 84 प्रतिशत है और निर्यात 7 प्रतिशत की कंपाउंड वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ा है. वर्ष 2011 में कुल निर्यात 14.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो वर्ष 2019 में बढ़कर 33.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया. जबकि इंपोर्ट बास्केट की संरचना में एग्रीकल्चर कच्चे माल से लेकर मैन्युफैक्चरिंग से जुडे कच्चे माल तक एक स्पष्ट बदलाव दिखाई दिया है. बांग्लादेश का निर्यात की ओर उन्मुख औद्योगीकरण, जो कि काफ़ी हद तक रेडीमेड गारमेंट्स पर निर्भर है, यह देश के लिए व्यापक आर्थिक ज़ोख़िम पैदा करता है. जीडीपी में ना सिर्फ़ निर्यात की हिस्सेदारी वर्ष 2012 में 20.2 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2021 में 10.7 प्रतिशत हो गई है, बल्कि स्टील, रसायन और परिवहन उपकरण जैसे जटिल मैन्युफैक्चरिंग उत्पादों में विविधता लाए बिना रेडीमेड गारमेंट्स निर्यात की इकलौती कैटेगरी पर अत्यधिक निर्भरता, बांग्लादेश की वृद्धि के ट्रेंड को बाधित कर सकती है.

 

Figure 3: निर्यात में ट्रेंड और कुल निर्यात में RMG का हिस्सा (1983 – 2018)


स्रोत: एस. रेहान और एस.एस. ख़ान (2020), बांग्लादेश में संरचनात्मक परिवर्तन, असमानता का डायनेमिक्स और समावेशी विकास

सबसे पहले, बांग्लादेश में बने रेडीमेड गारमेंट्स की वैश्विक मांग में उतार-चढ़ाव चिंता की एक प्रमुख वजह है. बांग्लादेश द्वारा सस्ते कपड़ों के उत्पादन पर फोकस किया गया है, वो भी समान मूल्य श्रृंखला में ना तो ऊपरी भाग में और ना ही दूसरे सेगमेंट में पर्याप्त विविधता लाए बगैर. इसने रेडीमेड कपड़ा उत्पाद में विकास पैटर्न को कोविड-19 महामारी जैसे बाहरी झटकों के लिए बहुत अधिक संवेदनशील बना दिया है. वर्ष 2019 के खत्म होते-होते इस सेक्टर में मंदी के संकेत मिलने लगे थे. जब वर्ष 2020 में कोविड महामारी के चलते लॉकडाउन शुरू हुआ तो इस सेक्टर की मुश्किलें और बढ़ गई, क्योंकि लॉकडाउन की वजह से ऑर्डर रद्द होने और भुगतान में देरी के मामले बढ़ गए थे. कोविड-19 पर नियंत्रण के साथ जब व्यापार पर लगे प्रतिबंधों को हटाया गया और वैश्विक बाज़ार दोबारा खुले तो, उसके तुरंत बाद ही रेडीमेड गारमेंट्स द्वारा समर्थित मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की हालत में काफ़ी सुधार देखा गया. हालांकि, रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से रेडीमेड गारमेंट्स की मांग में गिरावट आने लगी, क्योंकि रूस को SWIFT (वैश्विक भुगतान मैसेजिंग नेटवर्क) का उपयोग करने से प्रतिबंधित करने से बाद से वहां बड़ी संख्या में कपड़ा व्यापारियों को एक्सपोर्ट रिसीट नहीं मिल सकीं.

बांग्लादेश अपने रेडीमेड गारमेंट्स उत्पादन का लगभग 80 प्रतिशत यूरोप और अमेरिका के बाज़ारों में निर्यात करता है, लेकिन इस सेक्टर में वियतनाम का उतर जाना उसके लिए एक बड़ा ख़तरा बन गया है.

दूसरा, बांग्लादेश अपने रेडीमेड गारमेंट्स उत्पादन का लगभग 80 प्रतिशत यूरोप और अमेरिका के बाज़ारों में निर्यात करता है, लेकिन इस सेक्टर में वियतनाम का उतर जाना उसके लिए एक बड़ा ख़तरा बन गया है. एक तरफ, वियतनाम और यूरोपीय संघ (EU) के बीच प्रिफरेंशियल ट्रेड एग्रीमेंट (PTA) यूरोपियन यूनियन को बांग्लादेश से होने वाले RMG  निर्यात की तुलना में वियतनाम से होने वाले निर्यात के आंकड़ों को काफ़ी बढ़ा सकता है, वहीं दूसरी तरफ सोर्सिंग सामग्री को लेकर अमेरिका ने चीन के विकल्प के तौर पर वियतनाम को प्रमुखता से चुना है. इन्हीं सभी वजहों से अमेरिका में होने वाले बांग्लादेशी परिधान के आयात की तलुना में वियतनामी परिधान आयात 2.5 गुना होने का अनुमान लगाया गया है.

Figure 4: अमेरिका और यूरोप में बांग्लादेश एवं वियतनाम से परिधान आयात मूल्य में वृद्धि (2011 – 2020)


स्रोत : यूरोस्टेट; USITC; मैकिंजी विश्लेषण

तीसरा मुद्दा यह है कि रेडीमेड गारमेंट्स आपूर्ति करने वालों पर ईंधन की बढ़ती लागत एक अतिरिक्त बोझ की तरह है. ज़ाहिर है कि गारमेंट कंपनियों की कुल लागत में लगभग 10 प्रतिशत हिस्सेदारी ईंधन की होती है. इसके अलावा बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फ़ीति के दबाव ने रेडीमेड गारमेंट्स की इनपुट लागत को और अधिक बढ़ा दिया है, जिससे तैयार उत्पादों की क़ीमतों में वृद्धि हुई है. उत्पाद महंगा होने से वैश्विक बाज़ारों में वस्तुओं के मूल्य का अंतर बहुत कम हो गया है, यानी कि मूल्य प्रतिस्पर्धा में कमी आई है. एक सच्चाई यह भी है कि बांग्लादेश का RMG सेक्टर भी काफ़ी हद तक सस्ते अप्रशिक्षित कामगारों पर निर्भर है, जो किसी अन्य देश से मूल्य प्रतिस्पर्धा में इस सेक्टर को लाभ की स्थित में रखता हैं. उल्लेखनीय है कि यह विभिन्न सेक्टरों और इलाक़ों के मध्य कामगारों की गतिशीलता या श्रमिकों के इधर-उधर आने-जाने के साथ लंबे समय तक स्थिर नहीं रह सकता है. आख़िर में, बांग्लादेश में रेडीमेड गारमेंट्स इंडस्ट्री के समक्ष एक जो सबसे बड़ा ख़तरा मंडरा रहा है, वो देश के भीतर इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी तमाम समस्याओं के साथ ही सोर्सिंग कंपनियों में गति और लचीलेपन के कारण व्यवसाय संचालन को सुविधाओं से भरपूर किसी दूसरे देश में स्थानांतरित करने को प्राथमिकता देना है. बांग्लादेश में वर्ष 2012 की ताज़रीन फैक्ट्री में आग और वर्ष 2013 की राणा प्लाजा आपदा की घटना कपड़ा उद्योग में अत्यधिक विपरीत हालातों में काम करने की मज़बूरी की याद दिलाती है. इन घटनाओं की वजह से कई अंतर्राष्ट्रीय ख़रीदारों ने बांग्लादेश से सोर्सिंग यानी वहां से उत्पाद या सामग्री लेना बंद कर दिया है.

गैर-RMG सेक्टरों द्वारा सामना किए जाने वाले निर्यात-विरोधी पूर्वाग्रह यानी ऐसी स्थिति जिसमें वैश्विक मूल्य की तुलना में घरेलू उत्पादों की क़ीमत अधिक होने की स्थिति ना सिर्फ़ एक्सपोर्ट सेक्टरों के बीच प्रतिस्पर्धा को सीमित करने के लिए, बल्कि उत्पाद विविधताओं में अड़चन पैदा करने के लिए भी ज़िम्मेदार हैं. बांग्लादेश के RMG सेक्टर में दो अहम चीज़ें- निर्यात-सेक्टर में बहुरूपता और इन्फ्रास्ट्रक्चर में वृद्धि भी निजी सेक्टर द्वारा कम निवेश करने की वजह से प्रभावित हैं. हाल के दिनों में कारोबारी माहौल के बिगड़ने के कारण, विशेष रूप से छोटे और मध्यम दर्ज़े के उद्यमों को ऋण मिलने में दिक्कतों की वजह से भी उपरोक्त दोनों चीज़ों पर असर पड़ा है. इसके अतिरिक्त, बढ़ते जलवायु परिवर्तन के बीच, वैश्विक मांग टिकाऊ उत्पादों की ओर स्थानांतरित हो रही है. इन प्रतिकूल परिस्थितियों में क्लाईमेट-न्यूट्रल प्रोडक्ट्स यानी ऐसे उत्पाद जिन्हें बनाने में कम कार्बन उत्सर्जन हो और जलवायु पर ज़्यादा असर नहीं पड़े, की दिशा में विशेषज्ञता का विस्तार करने के लिए विविधीकरण की कमी के साथ ही अनुसंधान एवं विकास में निवेश को लेकर कटौती, बांग्लादेश की परेशानी का सबब बन सकती है. इतना ही नहीं यह स्थितियां निर्यात में कमी के साथ ही दूसरे मैक्रोइकोनॉमिक पैरामीटर्स, अर्थात अर्थव्यवस्था से संबंधित बड़े मापदंडों को प्रभावित कर बांग्लादेश को गहरे संकट में डाल सकती हैं.

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