Author : Ayjaz Wani

Published on Jun 01, 2023 Updated 0 Hours ago

पाकिस्तान द्वारा विदेश नीति उपकरण के तौर पर आतंकवाद का सहारा लिया गया है, जिसने SCO की क्षेत्रीय स्तर पर इस समस्या से प्रभावी ढंग से निपटने की क्षमता को निष्प्रभावी कर दिया है.

पाकिस्तान ने शंघाई सहयोग संगठन की आतंक से निपटने की क्षमता को निष्प्रभावी कर दिया है

5 मई को, गोवा में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के विदेश मंत्रियों की परिषद (CFM) की एक बैठक हुई, जिसमें क्षेत्रीय मुद्दों और चुनौतियों पर चर्चा की गई. उसी दिन, पीपल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट (पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद की एक शाखा) ने जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में भारतीय सेना के पांच जवानों को मार डाला. विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने क्षेत्र में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के निरंतर ख़तरे पर बात करते SCO सदस्य देशों से आग्रह किया कि वे बिना किसी भेदभाव के इन आतंकी समूहों के वित्तपोषण को ख़त्म या अवरुद्ध करने की दिशा में काम करें. उन्होंने सदस्य देशों को यह भी याद दिलाया कि 1998 के बाद से SCO के चार्टर के अनुच्छेद 1 में लिखित संगठन के प्राथमिक उद्देश्यों में एक उद्देश्य आतंकवाद और नार्को-टेररिज्म का मुकाबला करना है. कुछ देशों ने भू-राजनीतिक और भू-रणनीतिक लक्ष्यों के लिए सीमा पार नशीली दवाइयों के कारोबार और आतंकवाद का सहारा लिया है, जिसके कारण SCO क्षेत्र में सशस्त्र संघर्ष का ख़तरा बढ़ गया है.

शंघाई फाइव का गठन 1996 में रूस, चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान द्वारा किया गया था. जुलाई 1998 में, समूह ने अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा क्षेत्र से पैदा हो रहे "अलगाववाद, उग्रवाद और आतंकवाद" के खिलाफ़ सामूहिक कार्रवाई को प्राथमिकता दी. 2001 में, उज़्बेकिस्तान के सदस्य बनने के बाद इस बहुपक्षीय संगठन का नाम शंघाई फाइव से बदलकर शंघाई सहयोग संगठन (SCO) कर दिया गया. 2001 में, कजाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति नूरसुल्तान नज़रबायेव ने अपने उद्घाटन भाषण में अफगानिस्तान को "आतंकवाद का पालना" कहा. SCO क्षेत्र में आतंकवाद के खिलाफ़ सामूहिक प्रयासों को संस्थागत रूप देते हुए 2001 में रीजनल एंटी-टेररिस्ट्स स्ट्रक्चर (RATS) का गठन किया गया. ताशकंद (उज़्बेकिस्तान) में स्थित RATS ने आतंकवाद और उग्रवाद के वैश्विक ख़तरे का सामना करने और आतंक-विरोधी उपायों में सदस्य देशों की सहायता करने के लिए एक ज्वाइंट फॉर्मेशन सिस्टम का गठन किया है. RATS ने संगठन की आतंक और विद्रोह के विरुद्ध कार्रवाई की क्षमता को मज़बूत बनाने के लिए संयुक्त सैन्य अभ्यासों की शुरुआत की ताकि आतंकवाद-विरोधी युद्ध अभियानों के लिए सशस्त्र बलों को प्रशिक्षित किया जा सके. 2011 और 2015  के बीच, RATS ने SCO देशों को 20 आतंकी हमलों और 650 आतंक से जुड़े अपराधों को रोकने में सहायता की, 1,700 उग्रवादियों को निष्प्रभावी किया, और 2,700 आतंकवादियों को गिरफ़्तार किया.

पाकिस्तान और राज्य-प्रायोजित आतंकवाद

2017 में, कजाकिस्तान के अस्ताना में हुए SCO के ऐतिहासिक सम्मेलन में, दक्षिण एशिया के दो सबसे ताकतवर और प्रभावशाली देश, भारत और पाकिस्तान संगठन के पूर्णकालिक सदस्य बने.
ऐसा माना गया कि यूरेशिया में आतंकवाद और कट्टरपंथ से निपटने के SCO के मुख्य एजेंडे को मज़बूत करने के लिए पाकिस्तान और भारत को संगठन में शामिल किया गया था. हालांकि, पाकिस्तान ने अपनी चाल नहीं बदली और उसने अफगानिस्तान में अपनी भारत-विरोधी और तालिबान समर्थक विदेश नीति को लागू करने के लिए आतंकवाद का सहारा लिया. जम्मू और कश्मीर में पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का शिकार होने के नाते, भारतीय प्रधानमंत्री ने अस्ताना शिखर सम्मेलन में आतंकवाद के विरुद्ध आपसी सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने इस बारे में आगाह करते हुए कहा, जब तक सभी देश एक साथ नहीं आते और आतंकवाद के खिलाफ समन्वित और मजबूत प्रयास नहीं करते, तब तक इन समस्याओं का समाधान असंभव है.

पाकिस्तान ने यूरेशिया में राज्य प्रायोजित आतंकवाद का सहारा लिया है और चरमपंथियों का समर्थन किया है. 2002 के बाद, पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में अमेरिकी समर्थन से बनी उदारवादी सरकार के खिलाफ़ तालिबान का साथ दिया जबकि अफ़गानी सरकार के साथ भारत के क़रीबी संबंध थे. पाकिस्तान के सुरक्षा प्रतिष्ठान और सरकार ने धार्मिक समूहों के ज़रिए तालिबान को मानव संसाधन और धन मुहैया कराया. इस्लामाबाद ने अमेरिका के समर्थन वाली और भारत की सहयोगी अफगान सरकार पर यह इल्ज़ाम भी लगाया कि उसने पाकिस्तान के भीतर छद्म युद्ध का माहौल खड़ा किया है. जुलाई 2021 तक, पाकिस्तान तालिबान की मदद के लिए 10,000 से अधिक आतंकवादी भेज चुका था ताकि वह क्षेत्र में भारत के खिलाफ़ रणनीतिक बढ़त हासिल कर सके. यहां तक कि इस्लामाबाद ने अपने मकसद के हिसाब से इन आतंकवादी समूहों का विभाजित किया था, जहां उसने कुछ समूहों को स्वतंत्र रूप से काम करने की छूट दी और वहीं उसने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) जैसे समूहों के खिलाफ़ कड़ी कार्रवाई की. पाकिस्तानी एजेंसियों और इस्लामी संगठनों ने कथित रूप से मोहम्मद साहब द्वारा दी गई हिदायतों, परंपराओं और हदीस की बातों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया ताकि भारतीय उपमहाद्वीप, ख़ासकर जम्मू और कश्मीर और अफगानिस्तान में 'महान युद्ध' की स्थितियां पैदा की जा सके.

1989 के बाद, इस्लामाबाद ने कश्मीर घाटी और भारत के अन्य हिस्सों में आतंकवाद फैलाने लिए पुराने अफगानी मुजाहिदीनों और पाकिस्तानी कट्टरपंथी जिहादियों का इस्तेमाल किया. 2017 के बाद से, जम्मू-कश्मीर में मारे गए पाकिस्तानी आतंकवादियों की संख्या नीचे दी गई सूची में दी गई है:

वर्ष जम्मू और कश्मीर में मारे गए आतंकियों की संख्या जम्मू और कश्मीर में मारे गए पाकिस्तानी आतंकियों की संख्या
2017 218 67
2018 223 93
2019 154 35
2020 225 37
2021 182 20
2022 172 42

स्रोत: राष्ट्रीय और क्षेत्रीय अख़बारों की मदद से लेखक ने यह आंकड़ा जुटाया है

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग पर नज़र रखने वाली अंतर-सरकारी संस्था है, जिसकी लगातार निगरानी के चलते 2019 से 2021 के बीच पाकिस्तान समर्थित विदेशी आतंकवादियों की संख्या में मामूली कमी आई है. गृह मंत्रालय के अनुसार, 2018 के मध्य तक पाकिस्तान में 600 आतंकी ठिकाने थे, लेकिन FATF की ग्रे लिस्टिंग के बाद इनकी संख्या 75 फ़ीसदी कम हो गई है. FATF की ग्रे लिस्ट में आने के कारण, पाकिस्तान को कुछ नामी आतंकी संगठनों के खिलाफ़ मज़बूरन कार्रवाई करनी पड़ी, जिसमें 26/11 को हुए मुंबई हमले में शामिल आतंकी भी थे.

चूंकि FATF की निगरानी के चलते पाकिस्तान खुलकर आतंकवादियों और आतंकी संगठनों का समर्थन नहीं कर पा रहा था, इसलिए उसने कश्मीर और भारत के दूसरे हिस्सों में राज्य प्रायोजित आतंकवाद को वित्तपोषित करने के लिए नार्को-टेररिज्म को एक नए हथियार की तरह इस्तेमाल करना शुरू कर दिया. भारतीय सीमा सुरक्षा बल के अनुसार, 2022 में, सीमा पर 17 ड्रोन मार गिराए गए या पकड़े गए, जिनसे 26,469 किलोग्राम नशीली दवाइयां ज़ब्त की गईं. उसी दौरान, FATF की निगरानी कम होने के कारण पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से हटने की संभावनाएं दिखाई देने लगीं, जिसका फ़ायदा उठाते हुए उसने ने जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर आतंकवादियों की घुसपैठ बढ़ा दी, और साथ ही पाकिस्तानी कब्ज़े वाले कश्मीरी क्षेत्र (POK) में आतंकवादी ठिकानों की संख्या भी बढ़ा दी. इससे जम्मू-कश्मीर में विदेशी आतंकवादियों की संख्या 60 से 70 प्रतिशत बढ़ गई. गोवा में SCO के विदेश मंत्रियों की परिषद (CFM) की हुई बैठक में, पाकिस्तानी विदेशी मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने पाकिस्तान को SCO की निगरानी से बचाने के लिए नई दिल्ली पर यह इल्ज़ाम लगाया कि वह "कूटनीतिक बढ़त हासिल करने के लिए आतंकवाद को हथियार" बना रहा है.

क्षेत्रीय प्रभाव के लिए आतंकी समूहों और आतंकवाद के इस्तेमाल को रणनीति ने पाकिस्तान की आंतरिक शांति को बुरी तरह प्रभावित किया है. अमेरिकी नेतृत्व वाले नाटो सैनिकों की वापसी के बाद जब तालिबान 2021 में दोबारा सत्ता में लौटा, तो पाकिस्तान को उम्मीद थी कि वह उसका क़रीबी सहयोगी साबित होगा; हालांकि, इस्लामाबाद की सारी उम्मीदें धरी की धरी रह गईं. तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने आतंकवाद के प्रति राज्य की दोहरी नीतियों को देखते हुए पाकिस्तान के भीतर हमले बढ़ा दिए हैं. अगस्त 2021 से अगस्त 2022 के बीच, पाकिस्तान में 250 आतंकी हमले हुए, जिनमें 433 लोग मारे गए. 2020-2021 में, पाकिस्तान में 165 हमले हुए, जिनमें 294 जानें गईं. इस साल जनवरी में आतंकवादियों ने एक मस्जिद में हमला करते 100 से ज्यादा लोगों की जानें ले लीं, जिनमें ज्यादातर पुलिस अधिकारी थे.

पाकिस्तान ने विदेश नीति उपकरण के तौर पर आतंकवाद को इस्तेमाल करके यूरेशिया में शांति को एक भूला-बिसरा सपना बना दिया है, और इससे SCO की क्षेत्रीय स्तर पर इस समस्या से प्रभावी ढंग से निपटने की क्षमता प्रभावित हुई है. पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने कहा था कि पाकिस्तान को "अपने आंगन में सांप पालकर" यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि "वे केवल अपने पड़ोसी को काटेंगे. FATF की ग्रे लिस्ट में दो बार शामिल होने की अंतर्राष्ट्रीय शर्मिंदगी के बावजूद, आतंकवाद को पाकिस्तान का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष समर्थन बेरोकटोक जारी है.

FATF के विपरीत, SCO के पास पाकिस्तान को उसकी हरकतों के लिए दोषी ठहराने और उसे दंडित का कोई अंतरराष्ट्रीय अधिकार नहीं है. सदस्य देशों के बीच बढ़ते मतभेद और अविश्वास के बीच, पाकिस्तान जैसे दुष्ट देशों को संगठन में शामिल करके SCO राज्य प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ़ खुद को कमज़ोर बना लेगा. इसके अलावा, कुछ SCO सदस्य देश पश्चिम के साथ हिसाब बराबर करने के लिए आतंकवाद के खिलाफ़ बेहद संकीर्ण नज़रिया अपनाया है, जिससे क्षेत्र की सुरक्षा और ज्यादा ख़तरे में पड़ गई है. बढ़ते राज्य प्रायोजित आतंकवाद और नार्को-टेररिज्म से SCO क्षेत्र और यूरेशिया की शांति ख़तरे में पड़ जाएगी और क्षेत्रीय स्तर पर आतंकी ख़तरों से निपटने की SCO की कोशिशें विफल हो जाएंगी.

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