Published on Feb 21, 2022 Updated 0 Hours ago

तेज़ी से होते डिजिटल परिवर्तन ने भारत और ऑस्ट्रेलिया को एक साथ काम करने के कई अवसर प्रदान किए हैं, यही नहीं दूसरे समान विचारधारा वाले देशों के साथ भी कई मोर्चों पर सहयोग करने के लिए इसने पर्याप्त अवसर प्रदान किए हैं. 

दक्षिण पूर्व एशिया में डिजिटल के क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच सहयोग के अवसर!

कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया के कई क्षेत्रों में डिजिटल को अपनाने और बदलाव को तेज़ी से आगे बढ़ाया है. दक्षिणपूर्व एशिया में रिटेल, डिजिटल पेमेंट, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में ऑनलाइन सेवाओं में अप्रत्याशित बढ़ोतरी दर्ज़ की गई है. हालांकि, पिछले दो साल ने यह भी साबित किया है कि महामारी आधारित डिजिटल सेवाओं का फ़ायदा सभी उपभोगकर्ता और कारोबार तक नहीं पहुंच पाया है. दरअसल, महामारी के दौरान डिजिटल सेवाओं ने समाज में विभाजन को बढ़ा दिया है क्योंकि कुशलता और इसकी पहुंच के अभाव के बावजूद समुदाय और कारोबारियों को डिजिटल उपकरणों पर निर्भर रहना पड़ता है.

पिछले दो साल ने यह भी साबित किया है कि महामारी आधारित डिजिटल सेवाओं का फ़ायदा सभी उपभोगकर्ता और कारोबार तक नहीं पहुंच पाया है.

ख़ासतौर पर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के पास डिजिटल तकनीकों को अपनाने के साधन के बगैर, जैसे कि ई-प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करने या फिर डिजिटल लेनदेन में शामिल होने  की गतिविधियां लॉकडाउन से बुरी तरह प्रभावित हुई थी. इसी तरह महिलाएं भी बुरी तरह प्रभावित हुईं क्योंकि कई महिलाएं अनौपचारिक और हल्की कही जाने वाली अर्थव्यवस्था में काम करती हैं. यही नहीं, महामारी ने ज़्यादा से ज़्यादा डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ताओं को साइबर सुरक्षा और ऑनलाइन जोख़िमों के प्रति एक्सपोज़ किया है जबकि साइबर हाइजीन और सुरक्षा का वातावरण बेहद ही ख़राब है.

हिंद-प्रशांत क्षेत्र के कई कमज़ोर लोकतांत्रिक मुल्कों में यह ऐसी स्थितियां पैदा कर रहा है जो लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमज़ोर कर सकती हैं. ऐसे में इन सरकारों के लिए अहम यह है कि आख़िर कैसे तेज़ी से डिजिटल बदलाव और आईसीटी-सक्षम विकास ग़रीबी को कम करने, सतत आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और साइबर सुरक्षा जोख़िमों को कम करते हुए सामाजिक एकजुटता को  निर्माण करने के लिए प्रेरित कर सके. 

हिंद-प्रशांत क्षेत्र के कई कमज़ोर लोकतांत्रिक मुल्कों में यह ऐसी स्थितियां पैदा कर रहा है जो लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमज़ोर कर सकती हैं. 

दक्षिण पूर्व एशियाई देशों की सरकारें, उद्योग और सिविल सोसाइटी के सहयोग से, अपनी सामूहिक ताक़त का कैसे इस्तेमाल करती हैं और नई साझेदारी कैसे बनाती हैं, यही बातें उनके डिज़िटल परिवर्तन के अगले चरण को निर्धारित करने वाला है. अगर दक्षिण पूर्व एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के सामने डिज़िटल विकास, साइबर सुरक्षा और समावेशी जैसी चुनौतियां हैं तो ऑस्ट्रेलिया और भारत के लिए यह कुछ हद तक प्रासंगिक हैं.

दक्षिण-पूर्व एशिया में प्रयास

पिछले कुछ वर्षों में कई मोर्चों पर चीन की आक्रामकता भारत और ऑस्ट्रेलिया के लिए कई मौक़े लेकर आई है, ख़ासकर साइबरस्पेस और उभरती तकनीक के क्षेत्र में चीन के तेजी से मुखर और विघटनकारी गतिविधियों के चलते यह निकटता बढ़ी है. नई दिल्ली और कैनबरा कई मोर्चों पर एक साथ काम करने की बढ़ती राजनीतिक इच्छा व्यक्त कर चुके हैं, जिसमें साइबर और तकनीक के मुद्दों पर द्विपक्षीय रूप से और जापान और अमेरिका के साथ क्वॉड फ्रेमवर्क के ज़रिए भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों शामिल हैं.

इसे दक्षिण पूर्व एशिया में भी देखा जा सकता है, जहां चीन के बढ़ते प्रभाव और इस क्षेत्र में तकनीक को बढ़ावा देने के भू-राजनीतिक नतीज़ों ने भारत और ऑस्ट्रेलिया को साइबर और महत्वपूर्ण तकनीकों समेत कई मोर्चे को लेकर दोनों देशों को और सक्रिय रूप से जुड़ने की ज़रूरत की सराहना की है. दक्षिण पूर्व एशिया के आर्थिक सुधार को आगे बढ़ाने के लिए, दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के सहयोग से इन दो उभरते तकनीकी साझेदारों के लिए अब पर्याप्त मौके हैं. स्वतंत्र, मुक्त और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र में साझा हित को लेकर यह समुदाय समावेशी और संपन्न डिजिटल अर्थव्यवस्था की नींव को आपसी सहयोग से और मज़बूत कर सकता है, जिससे दक्षिण पूर्व एशिया में डिजिटल विकास के लिए सहायक स्रोतों की अधिक विविधता पैदा की जा सकती है.

दक्षिण पूर्व एशिया के आर्थिक सुधार को आगे बढ़ाने के लिए, दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के सहयोग से इन दो उभरते तकनीकी साझेदारों के लिए अब पर्याप्त मौके हैं. स्वतंत्र, मुक्त और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र में साझा हित को लेकर यह समुदाय समावेशी और संपन्न डिजिटल अर्थव्यवस्था की नींव को आपसी सहयोग से और मज़बूत कर सकता है.

हमारी नई रिपोर्ट में, डिज़िटल दक्षिणपूर्व एशिया: कोविड-19 के बाद के संदर्भ में इस क्षेत्र में मदद के लिए ऑस्ट्रेलिया-भारत सहयोग के अवसर, जिसे ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किया गया, हम उन सामान्य गतिविधियों के अवसरों का पता लगाते हैं जो दक्षिण पूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया और भारत को सामूहिक रूप से फ़ायदा पहुंचा सके. हम विचार करते हैं कि कोरोना महामारी के बाद पैदा हुए हालात के बीच दक्षिण पूर्व एशिया की डिजिटल क्षमता और दक्षिण पूर्व एशियाई डिजिटल अर्थव्यवस्था के विकास को बढावा देने के लिए ऑस्ट्रेलिया-भारत सहयोग द्वारा किस तरह के प्रयास किए जा सकते हैं.

रिपोर्ट में पाया गया है कि इस क्षेत्र में कोरोना महामारी के बाद आर्थिक सुधार में डिजिटल विकास की भूमिका को लेकर डिजिटल कौशल की कमी को मुख्य रूप से ठीक करने की आवश्यकता है. इन कमियों को विशेष रूप से अर्थव्यवस्था के पारंपरिक रूप से कम-संसाधन वाले क्षेत्रों, जैसे कि एमएसएमई, महिलाओं और गैर-महानगरीय क्षेत्रों में देखा जाता है. रिपोर्ट में ऐसी सिफ़ारिशें दी गई हैं जो ऑस्ट्रेलिया और भारत की ताक़त और अनुभवों पर आधारित हैं और यह चार क्षेत्रों से आती हैं: दक्षिण पूर्व एशिया के साथ डिजिटल जुड़ाव के लिए दो सरकारों के दृष्टिकोण को व्यवस्थित करना; क्षेत्रीय कार्यबल के डिजिटल और कारोबारी कुशलता में सुधार के लिए स्थानीय प्रयासों को बढ़ावा देना; जिसमें एमएसएमई पर ज़्यादा ध्यान हो, महिला डिज़िटल उद्यमी और गैर-महानगरीय आर्थिक केंद्र; नीतियों को मज़बूत करना, साइबर सिक्योरिटी को बढ़ाने के लिए दक्षिण-पूर्व एशिया के राष्ट्रीय साइबर सिक्युरिटी एजेंसियों के साथ संसाधनों और अनुभवों को साझा करना और सार्वजनिक डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए क्षेत्रीय ओपन-सोर्स मार्केट की जगह की तलाश करना इसमें शामिल है.

यहां पढ़ें पूरी रिपोर्ट.

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Authors

Rajeswari Pillai Rajagopalan

Rajeswari Pillai Rajagopalan

Dr Rajeswari (Raji) Pillai Rajagopalan is the Director of the Centre for Security, Strategy and Technology (CSST) at the Observer Research Foundation, New Delhi.  Dr ...

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Bart Hogeveen

Bart Hogeveen

Bart Hogeveen is Head of Cyber Capacity Building at ASPIs International Cyber Policy Centre.

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Huon Curtis

Huon Curtis

Huon Curtis is an Analyst and Project Manager with ASPIs International Cyber Policy Centre.

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Huong Le Thu

Huong Le Thu

Dr Huong Le Thu is a senior analyst at ASPI Defence and Strategy Program.

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Jocelinn Kang

Jocelinn Kang

Jocelinn Kang is a Program Manager &amp: Technical Specialist at ASPIs International Cyber Policy Centre.

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Trisha Ray

Trisha Ray

Trisha Ray is an associate director and resident fellow at the Atlantic Council’s GeoTech Center. Her research interests lie in geopolitical and security trends in ...

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