Published on Jan 04, 2023 Updated 0 Hours ago

आने वाले वर्षों में OCEN ज़बरदस्त सफलता हासिल कर जन-जन तक निर्बाध रूप से ऋण की सुविधा उपलब्ध कराने के मामले में एक सफलतम डिजिटल प्लेटफॉर्म साबित हो सकता है.

OCEN: क्रेडिट सिस्टम यानी ऋण देने की प्रक्रिया का डिजिटलीकरण!

ओपन क्रेडिट इनेबलमेंट नेटवर्क यानी OCEN एक उभरता हुआ डिजिटल पब्लिक गुड (DPG) है, जिसमें भारत के डिजिटल लेंडिंग अर्थात डिजिटल तरीक़े से ऋण देने के पूरा परिदृश्य को बदलने और इस सुविधा को जन-जन तक पहुंचाने की क्षमता है. OCEN को एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (APIs) के फ्रेमवर्क के रूप में डिजाइन किया गया है और इसे तमाम तरह के डिजिटल प्लेटफॉर्मों एवं ऐप्स के साथ एकीकृत किया जा सकता है. इसका उद्देश्य व्यक्तियों और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSMEs) को सीधे तौर पर वित्तीय उत्पादों को उपलब्ध करा के उन्हें सशक्त बनाना है, ताकि पारंपरिक कर्जदाताओं पर उनकी निर्भरता को खत्म किया जा सके. OCEN को एक भारतीय सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री थिंक टैंक iSPIRT द्वारा विकसित किया जा रहा है. यह एक क्रेडिट मार्केटप्लेस के निर्माण में या फिर उससे भी ज़्यादा व्यापक रूप से कर्जदाताओं और लोन सर्विस प्रदाताओं (LSPs) के एक डिजिटल इकोसिस्टम के निर्माण में बेहद मददगार हो सकता है.

बड़े पैमाने पर जन सामान्य को विकास से संबंधित समाधान उपलब्ध कराने वाले डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर और गुड्स के निर्माण की बात जब सामने आती है, तो भारत इस मामले में पहले से ही एक लीडर के तौर पर उभरा है.

बड़े पैमाने पर जन सामान्य को विकास से संबंधित समाधान उपलब्ध कराने वाले डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर और गुड्स के निर्माण की बात जब सामने आती है, तो भारत इस मामले में पहले से ही एक लीडर के तौर पर उभरा है. उदाहरण के लिए आधार ने भारतीयों को एक मूलभूत पहचान उपलब्ध कराई है, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ने वित्तीय समावेशन को गति प्रदान  की है और CoWIN प्लेटफॉर्म ने भारत के कोरोना टीकाकरण कार्यक्रम को सुव्यवस्थित तरीक़े से संचालित करने में सहायता की है. अप्रैल 2022 में आधार एनलोरमेंट 1.33 बिलियन तक पहुंच गया और आधार-आधारित लेन-देन की संख्या 73.5 बिलियन को पार हो गई. आज, भारत में लगभग 400 मिलियन लोग यूपीआई का इस्तेमाल कर रहे हैं. अगस्त महीने तक यूपीआई ने ना सिर्फ़ देश के भीतर 10.72 ट्रिलियन रुपये के 6.5 बिलियन लेन-देन की सुविधा प्रदान की थी, बल्कि अब तो दूसरे देशों में भी इसका उपयोग किया जा रहा है.

OCEN की स्वीकार्यता और पहुंच भी ज़ल्द ही इसी तरह से व्यापक हो सकती है. यह डिजिटल प्लेटफॉर्म ना सिर्फ़ क्रेडिट वैल्यू चेन में क्रांति ला सकता है, बल्कि डिजिटल अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा दे सकता है. दरअसल, डेवलपमेंट में डिजिटल पब्लिक गुड्स के तौर पर यह डीपीजी को परिभाषित करने वाले नौ एलिमेंट्स के साथ अपने गठजोड़ को और मज़बूत कर रहा है, जिसमें प्लेटफॉर्म स्वतंत्रता और डेटा गोपनीयता एवं सुरक्षा शामिल है.

क्रेडिट सिस्टम को औपचारिक क्यों बनाया जाए और इसमें टेक्नोलॉजी क्या भूमिका निभा सकती है?

देखा जाए तो पारंपरिक कर्जदाताओं के 'विस्तार की क्षमता' में कमी ने भारतीय एमएसएमई सेक्टर में लगभग 380 बिलियन अमेरिकी डॉलर का क्रेडिट गैप उत्पन्न कर दिया है. यहां तक कि क्रेडिट कार्ड उद्योग भी व्यापक स्तर पर भारतीय बाज़ार में पर्याप्त रूप से अपनी पहुंच नहीं बना पाया है. हाल के वर्षों में उद्योग की प्रभावशाली वृद्धि के बावज़ूद, आज सिर्फ़ 3 प्रतिशत आबादी के पास ही औपचारिक क्रेडिट कार्ड हैं और उसमें भी क्रेडिट कार्ड रखने वाले ज़्यादातर लोग देश के टियर-1 शहरों तक ही सीमित हैं.

क्रेडिट सिस्टम के डिजिटलीकरण से उन ग्राहकों तक ऋण की सुविधा उपलब्ध कराने की भी उम्मीद है, जो औपचारिक क्रेडिट सिस्टम का हिस्सा नहीं हैं.

वर्तमान में ऋण की वसूली के लिए लोन सर्विस प्रोवाइडर यानी एलएसपी को एक साथ बहुत ज़्यादा ज़िम्मेदारियों को उठाना पड़ता है. इनमें सोर्सिंग, पहचान का सत्यापन, अंडरराइटिंग, भुगतान, कर्ज की वसूली और विवाद प्रबंधन शामिल हैं. इनमें से प्रत्येक अपने आप में एक जटिल प्रक्रिया है और इसे पूरा करने में जो संसाधन ख़र्च होते हैं, उनसे एलएसपी का लाभ बहुत अधिक प्रभावित होता है. इन सभी प्रक्रियाओं को ऑनलाइन करने से ऋण भुगतान का समय और लागत कम हो जाएगी, साथ ही इसका असर कर्जदाताओं द्वारा ली जाने वाली अधिक ब्याज दरों में कमी के रूप में भी दिखाई दे सकता है.

OCEN किस प्रकार मदद कर सकता है?

नई टेक्नोलॉजी OCEN ऋण देने की इस सभी प्रक्रियाओं को एक साथ लाने का काम करती है और इन्हें ऑनलाइन क्रियान्वित भी करती है. OCEN ऋण पाने के लिए योग्य ग्राहकों और नए कर्ज लेने वालों को शामिल करने को लेकर निर्णय लेने के लिए जांच-पड़ताल की तमाम प्रक्रियाओं को स्वचालित रूप से संचालित करता है. आधार के वर्तमान eKYC सिस्टम के साथ वेरिफिकेशन की प्रक्रिया को जोड़कर इन सारी प्रक्रियाओं को और ज़्यादा अच्छी तरह से व्यवस्थित किया जा रहा है. सितंबर 2022 में इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से 25.25 करोड़ eKYC लेन-देन किए गए और लेन-देन की कुल संख्या बढ़कर 1,297.93 करोड़ हो गई.

क्रेडिट सिस्टम के डिजिटलीकरण से उन ग्राहकों तक ऋण की सुविधा उपलब्ध कराने की भी उम्मीद है, जो औपचारिक क्रेडिट सिस्टम का हिस्सा नहीं हैं. इस क्रेडिट सिस्टम के ज़रिए ऋण मुहैया कराने वालों को ऐसे ग्राहकों के साथ जोड़कर, एक तरह से पूरी प्रक्रिया का लोकतंत्रीकरण होगा यानी सभी तक बिना किसी व्यवधान के ऋण सुविधाएं पहुंच पाएंगी. OCEN का उपयोग गैर-बैंकिंग छोटे ऋण दाताओं द्वारा भी किया जा सकता है. ज़ाहिर है कि इस तरह से ऋण देने और कर्ज लेने के दायरे का विस्तार होगा.

उदाहरण स्वरूप iSPIRT वेबसाइट पर ग्राहक के लिए उपलब्ध ऋणदाताओं की सूची दिखाई जाती है. इसी तरह मार्केट में ख़रीदारी करते समय ऋण पाने में मदद के लिए OCEN API को ई-कॉमर्स वेबसाइटों, डिजिटल मार्केटप्लेस और अन्य ऐप्स के साथ एकीकृत किया जा सकता है.

 

  (ग्राहक के लिए ऋण लेने के कई विकल्पों को दिखाती इमेज)

मार्केटप्लेस में प्रौद्योगिकी को व्यापक रूप से अपनाने से ऋण लेने वालों को अलग-अलग और व्यक्तिगत विकल्प मिलेंगे. इसके साथ ही यह भी मज़बूरी नहीं होगी किसी व्यक्ति को उसकी मालिकाना हक़ वाली संपत्ति और इनकम के हिसाब से ही उसे पैसा उधार मिल सकेगा. पारंपरिक तरीक़े से ऋण देने की प्रक्रिया में यह सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है और इसने पारंपरिक ऋण के विकास को सीमित कर दिया है.

संभावित चुनौतियाँ

चूंकि OCEN में क्रेडिट यानी कर्ज शामिल होगा और इससे निश्चित तौर पर कर्ज लेने वालों की संख्या में वृद्धि होगी, तो ज़ाहिर है कि ऋण भुगतान में चूक की घटनाओं में भी संभावित तौर पर वृद्धि हो सकती है. इस समस्या का समाधान करने के लिए एक टास्क फोर्स, ऑनलाइन विवाद समाधान के लिए एक सिस्टम और एक डिजिटल प्रशासनिक शिकायत जांच अधिकारी या लोकपाल के गठन की ज़रूरत हो सकती है. इस तरह का पूरा तंत्र विकसित करने से ना केवल अधिक संख्या में प्राइवेट प्लेयर इस क्षेत्र में प्रवेश करेंगे, बल्कि व्यापक पैमाने पर अपनाई जाने वाली तकनीक के लिए ज़रूरी भरोसा भी पैदा होगा.

जहां तक ऋण संबंधी डेटा की बात है तो इसको लेकर पारदर्शिता एक चुनौती बन सकती है. डेटा में वृद्धि के साथ ही कंपनियों के पास डिफॉल्टरों की एक लंबी सूची होगी और हो सकता है कि ऐसे लोगों को ऋण देने की प्रक्रिया से बाहर कर दिया जाए. यह महत्त्वपूर्ण है कि ऋण देने की प्रक्रिया किसी को भी इस सुविधा की पहुंच से दूर करने वाली नहीं होनी चाहिए. इतना ही नहीं, हर संभव कोशिश यह होनी चाहिए कि संभावित ऋण लेने वालों को उनकी ज़रूरत के मुताबिक़ कर्ज मिल सके.

डेटा में वृद्धि के साथ ही कंपनियों के पास डिफॉल्टरों की एक लंबी सूची होगी और हो सकता है कि ऐसे लोगों को ऋण देने की प्रक्रिया से बाहर कर दिया जाए.

यह बात बेहद अहम है कि साइबर सुरक्षा से जुड़े ज़ोख़िमों को किसी भी सूरत में नज़रअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. हाल ही में एक फिनटेक स्टार्टअप मोबिविक (Mobiwik) के क़रीब 110 मिलियन यूजर्स का डेटा डार्क वेब पर बेचा गया था. इस डेटा में यूजर्स के नाम, फोन नंबर, ईमेल आईडी, एड्रेस, जीपीएस लोकेशन और मोबाइल डिवाइस से संबंधित तमाम दूसरी जानकारियां शामिल थीं. भारत और दूसरी जगहों पर डेटा लीकेज के ऐसे उदाहरण भरे पड़े हैं और डिजिटल प्लेटफॉर्म एवं प्रक्रियाओं को और ज़्यादा सुरक्षित बनाने की ज़रूरत पर विशेष ध्यान देने की बात को उजागर करते हैं. भारत में वर्तमान में डेटा सुरक्षा को लेकर क़ानून की गैरमौज़ूदगी के चलते हितधारकों को डेटा प्राइवेसी, गोपनीयता और सुरक्षा से जुड़े ज़ोख़िमों के प्रति विशेष रूप से जागरूक होने की ज़रूरत होगी. उल्लेखनीय है कि तकनीकी जानकारी की कमी के कारण ऑनलाइन चोरी और वित्तीय धोखाधड़ी हो सकती है. ऐसे में नई तकनीकों और प्लेटफार्मों के सामने आने के साथ-साथ इससे जुड़े लोगों के लिए डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम भी शुरू किए जाने चाहिए.

 

निष्कर्ष

भारत में फिनटेक के तेज़ विकास के बीच अगर देखा जाए तो OCEN, वृद्धि और बदलाव के लिए आश्चर्यजनक तौर पर नई संभावनाएं सामने लाता है. फिनटेक, भारत में सबसे तेज़ गति से बढ़ते सेक्टरों में से है, जिसमें वर्ष 2021 में 9.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर की फंडिंग प्राप्त करने वाले स्टार्टअप्स हैं. वर्ष 2021 में लगभग 10 फिनटेक कंपनियों ने यूनिकॉर्न के रूप में अपना विस्तार किया है. वर्ष 2025 तक फिनटेक मार्केट 84 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है. भारत के डिजिटल पब्लिक गुड्स के दूसरे प्रमुख उदाहरण यानी आधार और यूपीआई ने बड़े पैमाने पर सफलता हासिल की है. इसको देखते हुए इसमें कोई शक नहीं है कि आने वाले वर्षों में OCEN भी ज़बरदस्त सफलता हासिल करेगा और जन-जन तक निर्बाध रूप से ऋण की सुविधा उपलब्ध कराने के मामले में एक सफलतम डिजिटल प्लेटफॉर्म साबित होगा.

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