Author : Pratnashree Basu

Expert Speak Raisina Debates
Published on Jan 15, 2024 Updated 0 Hours ago

पिछले दिनों उत्तर कोरिया के द्वारा लाइव-फायर ड्रिल ऐसी घटनाओं को तय कर सकती हैं जिनका क्षेत्रीय स्थिरता, कूटनीति और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए दूरगामी नतीजा हो सकता है.

उत्तर कोरिया की तरफ से सैन्य ताकत का प्रदर्शन का क्षेत्रीय स्तर पर असर!

शुक्रवार 5 जनवरी को उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया के साथ अपनी विवादित पश्चिमी समुद्री सीमा के नज़दीक 200 आर्टिलरी राउंड फायर किए. ये कदम उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच 2018 के सैन्य समझौते, जो कि सैन्य तनाव घटाने और किसी अचानक झड़प को टालने में उपयोगी था, का पूरी तरह से उल्लंघन है. उत्तर कोरिया के द्वारा अपने मिसाइल कार्यक्रम को लगातार अपग्रेड करने की वजह से दोनों देशों के बीच पहले से माहौल तनावपूर्ण था, ऐसे में 5 जनवरी को गोले दागने से कोरियाई प्रायद्वीप में सैन्य तनाव में और ज़्यादा बढ़ोतरी हो सकती है. ड्रिल को उकसाने की कार्रवाई बताते हुए दक्षिण कोरिया ने भी इसके जवाब में बाद में उसी दिन गोले दागे और तनाव के मोर्चे पर मौजूद योनप्योंग द्वीप को खाली करने का आदेश दिया. हफ्ते के आख़िर में भी फायरिंग जारी रही और तीसरे चरण में 7 जनवरी को 60 राउंड फायरिंग हुई.

उत्तर कोरिया के द्वारा अपने मिसाइल कार्यक्रम को लगातार अपग्रेड करने की वजह से दोनों देशों के बीच पहले से माहौल तनावपूर्ण था, ऐसे में 5 जनवरी को गोले दागने से कोरियाई प्रायद्वीप में सैन्य तनाव में और ज़्यादा बढ़ोतरी हो सकती है.

2018 के व्यापक सैन्य समझौते को औपचारिक तौर पर "सैन्य क्षेत्र में ऐतिहासिक पनमुनजोम घोषणापत्र के कार्यान्वयन पर समझौता” कहा जाता है. 2018 का ये सैन्य समझौता दोनों कोरिया के बीच सैन्य तनाव घटाने और आपसी भरोसा बनाने के एक व्यापक प्रयास का हिस्सा था. इस समझौते के केंद्र में था एक-दूसरे के ख़िलाफ़ हर तरह की शत्रुता को ख़त्म करने का वादा. इस कदम का मक़सद सशस्त्र संघर्ष और अचानक सैन्य संघर्ष के जोखिम को कम करना था, ख़ास तौर पर भारी किलेबंदी वाले असैन्य क्षेत्र (डिमिलिटराइज़्ड ज़ोन या DMZ) और समुद्री सीमा पर. समझौते के तहत विभिन्न प्रकार के एयरक्राफ्ट के लिए DMZ के पास नो-फ्लाई ज़ोन तैयार किया गया जिससे कि हवाई क्षेत्र (एयरस्पेस) के उल्लंघन की आशंका का समाधान हो, नहीं तो ये तनाव में बढ़ोतरी कर सकता है. समझौते का एक महत्वपूर्ण पहलू था भरोसा बहाल करने का उपाय. इसके तहत DMZ के भीतर कई सुरक्षा चौकियों को हटाया गया और विशेष क्षेत्रों में बारूदी सुरंगों को साफ किया गया. समुद्री क्षेत्र में समझौते के तहत विवादित पश्चिमी समुद्री सीमा को शांति के क्षेत्र में बदलने की कोशिश की गई. हालांकि ये समझौता कभी भी अपनी संभावना पर खरा नहीं उतर पाया. 2023 के आख़िर में दक्षिण कोरिया ने उस समय समझौते के कुछ हिस्सों को निलंबित कर दिया जब उत्तर कोरिया ने जासूसी उपग्रह को कक्षा (ऑर्बिट) में लॉन्च किया. 

वैसे तो उत्तर कोरिया ने 2018 के समझौते का अतीत में कई बार उल्लंघन किया है, जिनमें दिसंबर 2022 का उल्लंघन सबसे ताज़ा था, लेकिन 5 जनवरी की ड्रिल दो कारणों से महत्वपूर्ण है. पहला कारण ये कि उत्तर कोरिया ने ये फायरिंग उस वक्त की जब दक्षिण कोरिया, जापान और अमेरिका उत्तर कोरियाई मिसाइल को लेकर पूरे साल रियल-टाइम डेटा साझा करने के लिए एक योजना पर सहमत हुए और उसकी शुरुआत की. इस योजना को लेकर फैसला अगस्त 2023 में कैंप डेविड त्रिपक्षीय बैठक के दौरान हुआ और इसे दिसंबर 2023 में शुरू किया गया. तीनों देश 2024 की गर्मियों में न्यूक्लियर कंसल्टेटिव ग्रुप की दूसरी बैठक के दौरान साझा परमाणु रोकथाम (डेटरेंस) रणनीति के उद्देश्य से गाइडलाइन बनाने के लिए भी तैयार हैं. अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान की मिसाइल रक्षा क्षमता को मज़बूत करने में रियल-टाइम डेटा-शेयरिंग का तौर-तरीका तैयार होना एक महत्वपूर्ण कदम है. 

अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान की मिसाइल रक्षा क्षमता को मज़बूत करने में रियल-टाइम डेटा-शेयरिंग का तौर-तरीका तैयार होना एक महत्वपूर्ण कदम है. 

उत्तर कोरिया की तरफ से मिसाइल छोड़ने को लेकर समय पर और सटीक जानकारी जवाबी कदम की योजना बनाने और उस पर अमल करने के लिए बेहद कीमती है. संभावित ख़तरे से निपटने में रियल-टाइम डेटा से तुरंत फैसला लेने और अधिक तालमेल वाला जवाब तैयार करने में मदद मिलती है. ये तीनों देशों की रोकथाम की रणनीति में काफी मदद करता है. उत्तर कोरिया की विकसित हो रही मिसाइल क्षमता के सामने ये समझौता तीनों देशों के बीच इस साझा समझ पर ज़ोर देता है कि समकालीन ख़तरों का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए सुरक्षा को लेकर पारंपरिक नज़रिए को नए हालात के मुताबिक ज़रूर ढालना चाहिए. ये कदम एक साझा दुश्मन के जवाब में सामरिक तौर पर एक साथ आने का संकेत है जो ऐतिहासिक तनावों से महत्वपूर्ण बदलाव और क्षेत्रीय स्थिरता को लेकर प्रतिबद्धता है. इस घटनाक्रम की उत्तर कोरिया ने ज़ोरदार आलोचना की और युद्ध की अपनी तैयारी बढ़ाने की कसम खाई

किम जोंग और ट्रंप का रिश्ता

5 जनवरी की ड्रिल के महत्वपूर्ण होने का दूसरा कारण- माना जाता है कि उत्तर कोरिया अपनी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाना चाहता है और दक्षिण कोरिया के साथ ज़मीनी एवं समुद्री सीमा पर बार-बार उकसावे की कार्रवाई के ज़रिए अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन भी करना चाहता है. इसकी वजह ये है कि उत्तर कोरिया अमेरिका में होने वाले 2024 के चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा चुने जाने की स्थिति में अमेरिका से रियायतें मिलने की संभावना को बढ़ाना चाहता है. खुफिया रिपोर्ट ये इशारा भी करती हैं कि 2024 में अमेरिका में मध्यावधि चुनाव के समय उत्तर कोरिया सातवां परमाणु परीक्षण करने की कोशिश कर सकता है. उत्तर कोरिया के राष्ट्रपति किम जोंग उन और डोनाल्ड ट्रंप के बीच दिलचस्प रिश्ता है और ट्रंप अपने पिछले कार्यकाल के दौरान उत्तर कोरिया का दौरा करने वाले पहले राष्ट्रपति बन गए. पिछले ट्रंप प्रशासन के दौरान दोनों देशों के बीच संबंधों में महत्वपूर्ण रूप से उतार-चढ़ाव होता रहा. इस दौरान तनाव में बढ़ोतरी के साथ-साथ अभूतपूर्व कूटनीतिक भागीदारी भी देखी गई. किम के साथ ट्रंप का सीधा जुड़ाव, जिसमें व्यक्तिगत चिट्ठी का आदान-प्रदान शामिल है, पिछले प्रशासनों के बेहद ऐहतियाती दृष्टिकोण से हटकर था. लेकिन इस जुड़ाव का नतीजा उत्तर कोरिया को परमाणु मुक्त करने के लिए स्पष्ट रोडमैप या परमाणु बम को लेकर उत्तर कोरिया की सोच में महत्वपूर्ण बदलाव के रूप में नहीं निकला. ट्रंप का कार्यकाल ख़त्म होने के समय अमेरिका-उत्तर कोरिया के बीच संबंध जटिल और अनसुलझा बना रहा. उत्तर कोरिया को परमाणु मुक्त करने और आर्थिक प्रतिबंधों से राहत के मूल मुद्दे अभी भी काफी हद तक सुलझे नहीं हैं. 

ट्रंप का कार्यकाल ख़त्म होने के समय अमेरिका-उत्तर कोरिया के बीच संबंध जटिल और अनसुलझा बना रहा. उत्तर कोरिया को परमाणु मुक्त करने और आर्थिक प्रतिबंधों से राहत के मूल मुद्दे अभी भी काफी हद तक सुलझे नहीं हैं. 

अगर उत्तर कोरिया अपनी धमकियों पर कायम रहता है तो दक्षिण कोरिया अपने सहयोगियों, ख़ास तौर पर अमेरिका, के साथ मिलकर जवाब देने के लिए मजबूर होगा. इससे सैन्य तैयारी या जवाबी कार्रवाई की स्थिति बन जाएगी जो कि कोरियाई प्रायद्वीप में सुरक्षा हालात को और बिगाड़ देगी. इस बात की भी संभावना है कि इसका महत्वपूर्ण असर तनाव में शामिल देशों की आंतरिक राजनीति पर भी पड़ेगा. इसकी वजह से उत्तर कोरिया की तरफ दक्षिण कोरिया के लोगों का और राजनीतिक व्यवहार कठोर हो सकता है. इसका असर उत्तर कोरिया के मामले में दक्षिण कोरियाई सरकार की नीति और दृष्टिकोण पर पड़ेगा. दक्षिण कोरिया में अप्रैल 2024 में संसदीय चुनाव होना है. उत्तर कोरिया में सरकार के द्वारा इसका इस्तेमाल बाहरी ख़तरों के ख़िलाफ़ ताकत दिखाकर आंतरिक समर्थन को बढ़ाने में किया जा सकता है. 

आगे आने वाले समय में उत्तर कोरिया की पसंद न सिर्फ़ इस क्षेत्र में नाज़ुक शांति में रुकावट डाल सकती है बल्कि ऐसी घटनाओं को भी तय कर सकती हैं जिनका क्षेत्रीय स्थिरता, कूटनीति और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए दूरगामी नतीजा हो सकता है.  

प्रत्नाश्री बासु ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में एसोसिएट फेलो हैं.

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