Author : Dhaval Desai

Published on Feb 20, 2021 Updated 0 Hours ago

महामारी के चलते दुनिया जिस गति से न्यू नॉर्मल से निपटने में जुटी है, जन-परिवहन और सामूहिक गतिशीलता में आमूल-चूल परिवर्तन होना तय है.

साल 2021 के शहरी ऐजेंडा में गैर-मोटर चालित वाहनों को मिले प्राथमिकता

कोविड-19 की महामारी के चलते दुनिया भर में लगाए गए लॉकडाउन ने शहरों में आवाजाही और आवागमन के तौर तरीक़ों में अभूतपूर्व बदलाव ला दिया है. महामारी के चलते दुनिया जिस गति से ‘न्यू नॉर्मल’ यानी सामान्य की एक नई परिभाषा को अपना रही है, ऐसे में जन-परिवहन और सामूहिक गतिशीलता में आमूल-चूल परिवर्तन होना तय है.

ईवाई मोबिलिटी कंज्यूमर इंडेक्स, एसीआई (EY Mobility Consumer Index, MCI) ने यात्रा से जुड़ी तीन प्राथमिक आवश्यकताओं: काम, अवकाश व मनोरंजन, घरेलू और सामाजिक: पर महामारी के प्रभाव का विश्लेषण किया है. स्वीडन, भारत, सिंगापुर, चीन, दक्षिण कोरिया, अमेरिका, ब्रिटेन, इटली और जर्मनी में किए गए सर्वेक्षणों के आधार पर, एमसीआई ने संकेत दिया कि महामारी की शुरुआत के बाद से काम से संबंधित दो घंटे तक होने वाले आवागमन में 94 प्रतिशत की गिरावट आई थी. एक से दो घंटे के बीच आने वाले आवाजाही में 85 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, और 30 मिनट से एक घंटे के बीच की आवाजाही में 73 प्रतिशत की गिरावट आई. यहां तक कि दैनिक कार्य-संबंधी आवाजाही से संबंधित 30 मिनट तक के समय में भी 18 प्रतिशत तक गिरावट आई. इसी तरह, अवकाश लेने या मनोरंजन के उद्देश्य से की जाने वाली दो घंटे से अधिक की यात्राएं, एक या दो घंटे की यात्राएं और एक घंटे तक की यात्राएं, क्रमशः 88 प्रतिशत, 81 प्रतिशत और 54 प्रतिशत तक कम हो गईं. इसी तरह के रुझान घरेलू और सामाजिक आवागमन के लिए भी दर्ज किए गए. हालांकि, घरेलू कामों और सामाजिक यात्रा के लिए 30 मिनट से कम की छोटी यात्राओं में 57 प्रतिशत की वृद्धि हुई और अवकाश और मनोरंजन से संबंधित यात्राओं में 79 प्रतिशत की वृद्धि हुई.

कारों से लदे कई शहरों में लॉकडाउन के दौरान रिकॉर्ड स्तर पर साइकिलों की बिक्री देखी गई. भारत ने भी, मई और सितंबर 2020 के बीच लगभग पांच मिलियन साइकिलों की बिक्री के साथ साइकिल बिक्री की दर लगभग दोगुनी हो गई. 

कारों से लदे कई शहरों में लॉकडाउन के दौरान रिकॉर्ड स्तर पर साइकिलों की बिक्री देखी गई. भारत ने भी, मई और सितंबर 2020 के बीच लगभग पांच मिलियन साइकिलों की बिक्री के साथ साइकिल बिक्री की दर लगभग दोगुनी हो गई. लगभग एक रात में, पैदल यात्रियों और साइकिल चालकों को शहरी गतिशीलता में प्रमुखता मिली और उनके लिए सड़कों पर जगह बन गई, जबकि बर्लिन, ब्रसेल्स और रोम ने सार्वजनिक परिवहन को निलंबित कर दिए जाने के बाद “कोरोना साइकिल-वे” या साइकिल यात्रियों के लिए बनाए गए त्वरित रास्तों का उद्भव देखा, लंदन में कई मुख्य सड़कों पर कारों की आवाजाही पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया. नॉन-मोटराइज्ड ट्रांसपोर्ट (NMT) यानी गैर-मोटर चालित वाहनों में, इस तरह की नई दिलचस्पी अमेरिका और शिकागो और न्यूयॉर्क से लेकर मैडिसन तक, अमेरिका में रियो-डी-जिनेरियो, ब्यूनस आयर्स, दक्षिण अमेरिका के सैंटियागो तक और एडिस अबाबा, नैरोबी, केप टाउन से लेकर अफ्रीका में मनीला, जकार्ता और एशिया में ढाका तक देखी जा सकती है.

अब जब घर से काम करने के तौर-तरीक़े हमारी दिनचर्या का सामान्य हिस्सा बनते रहे हैं, लंबी यात्राओं में गिरावट, जैसा कि एमसीआई में संकेत दिया गया है, जारी रहने की संभावना है. यह शायद मौजूदा स्तर पर चालू न रहे लेकिन बहुत संभव है कि यह महामारी समाप्त होने के बाद भी जारी रहे. इसलिए, शहरों के लिए यह ज़रूरी है कि परिवहन के नॉन-मोटराइज्ड़ मोड पर ज़ोर दिया जाए, जो मुख्य़ रूप से छोटी दूरी की यात्रा को पूरा करते हैं.

नॉन-मोटोराइज़्ड ट्रांसपोर्ट के लिए प्रतिबद्धता

कुछ अफ्रीकी देशों द्वारा नॉन-मोटोराइज़्ड ट्रांसपोर्ट की ओर दिखाई गई दीर्घकालिक दृष्टि और प्रतिबद्धता, सहायक सबक प्रदान करती है. जून 2020 में, इथियोपिया ने अपनी नॉन-मोटराइज्ड ट्रांसपोर्ट रणनीति की घोषणा की. साल 2030 तक इथियोपिया, सार्वजनिक परिवहन से जुड़ी यात्राओं में नॉन-मोटराइज्ड ट्रांसपोर्ट को 80 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य रखता है. इसके अलावा, शहरों में होने वाली सभी यात्राओं के लिए नॉन-मोटराइज्ड ट्रांसपोर्ट का 60 प्रतिशत प्रतिनिधित्व और महिलाओं की कार्यबल में भागीदारी को बढ़ाने के लिए मल्टी-मोडल, एकीकृत और सुरक्षित परिवहन प्रणाली विकसित करके लिंग समानता प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है. साथ ही पैदल यात्री और साइकिल चालकों की मृत्यु दर में 80 प्रतिशत की कम, और विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुसार, शहर की परिवेशीय वायु गुणवत्ता (city ambient air quality) में 95 प्रतिशत तक सुधार का लक्ष्य रखा गया है. युगांडा ने भी अपनी राजधानी कंपाला पर सड़कों पर होने वाली भीड़ व वाहनों की अधिकता को कम करने के लिए वॉकिंग और साइक्लिंग नीति का ढांचा तैयार किया है.

भारत के लिए, महत्वाकांक्षी स्मार्ट सिटीज़ मिशन और आगामी मेट्रो लाइनों की सफलता के लिए नॉन-मोटराइज्ड ट्रांसपोर्ट यानी गैर-मोटर चालित वाहनों पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है. 

भारत के लिए, महत्वाकांक्षी स्मार्ट सिटीज़ मिशन और आगामी मेट्रो लाइनों की सफलता के लिए नॉन-मोटराइज्ड ट्रांसपोर्ट यानी गैर-मोटर चालित वाहनों पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है. 21 शहरों में मेट्रो रेल की स्वीकृत 1,415 किलोमीटर की दूरी तभी सफल हो सकती है, जब स्टेशनों तक पहुंच के लिए गैर-मोटर चालित वाहनों के अनुकूल प्रणाली तय की जाए. साल 2020 में 9 नवंबर को 13 वें शहरी गतिशीलता इंडिया सम्मेलन में बोलते हुए, भारत के आवास और शहरी मामलों के राज्यमंत्री हरदीप सिंह पुरी ने स्वीकार किया कि देश में महामारी के बाद के दौर में शहरी गतिशीलता में एक व्यवहारिक परिवर्तन दिखाई देगा. इस से कुछ सप्ताह पहले, मंत्रालय ने राज्यों को निर्देश जारी किए थे कि वह गैर-मोटर चालित वाहनों (नॉन-मोटराइज्ड ट्रांसपोर्ट) को प्रोत्साहित करने की दिशा में सोचें, क्योंकि “अधिकांश शहरी यात्राएं लगभग पांच किलोमीटर की दूरी तक ही सीमित होती देखी गई हैं.”

लेकिन इस तरह के निर्देशों और प्रशासनिक सलाह से परे, भारत ने इस संबंध में कोई ठोस प्रयास नहीं किया है. भारत के स्मार्ट सिटीज़ मिशन ने नॉन-मोटराइज्ड ट्रांसपोर्ट को शहर की गतिशीलता के प्रमुख़ तरीकों में से एक के रूप में रेखांकित किया है, लेकिन अनुभव से पता चला है कि पैदल चलना और साइकिल चलाने वाले ट्रैक, जहां भी बनाए गए हैं, वह बर्बाद पड़े हैं, जिन पर या तो फेरीवालों का कब्ज़ा हो गया है, या वाहनों के आवागमन से उन पर अतिक्रमण हो रहा है. इसी तरह ग्लोबल साउथ में, नॉन-मोटराइज्ड ट्रांसपोर्ट को ले कर पैदा हो रही नई दिलचस्पी भी खत्म हो सकती है, जब हालात सामान्य हो जाएं.

महामारी ने शहरों को प्रदूषण से मुक्त करने का एक सुनहरा अवसर प्रदान किया है. साथ ही हमारे पास यह मौका है कि हम सड़क दुर्घटनाओं के अस्वीकार्य स्तर और ट्रैफिक बढ़ने के चलते अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान को कम कर सकें. 

महामारी ने शहरों को प्रदूषण से मुक्त करने का एक सुनहरा अवसर प्रदान किया है. साथ ही हमारे पास यह मौका है कि हम सड़क दुर्घटनाओं के अस्वीकार्य स्तर और ट्रैफिक बढ़ने के चलते अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान को कम कर सकें. खुली सड़कें और पॉप-अप नॉन-मोटराइज्ड ट्रांसपोर्ट की अवधारणा केवल महामारी से बचे रहने तक नहीं हैं. वे शहरों के टिकाऊ निर्माण के केंद्र में हैं. शहर इस तरह के बदलावों को केवल कोविड-19 के चलते लगाए गए लॉकडाउन की रणनीति के रूप में स्वीकार करने की छूट नहीं ले सकते.

The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.