Author : Shoba Suri

Published on Oct 18, 2022 Updated 0 Hours ago

सेवा अतिथि के माध्यम से अल्मोड़ा और रुद्रप्रयाग जिलों में महिला किसानों ने उन पर्यटकों के लिए अपने घर खोलना शुरू कर दिया है, जो उत्तराखंड की समृद्ध स्थानीय संस्कृति, विरासत और प्राकृतिक वातावरण का अनुभव करना चाहते हैं.

निशा बेन: उत्तराखंड में ‘होमस्टे पर्यटन’ को आगे ले जाने की कोशिश!

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पिछले दशक के दौरान भारत में महिला उद्यमियों की संख्या में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है. विभिन्न सामाजिक पृष्ठभूमि, विभिन्न आयु वर्गों और अलग-अलग शैक्षणिक स्तर की महिलाओं ने बड़ी तादाद में सरकारी योजनाओं की सहायता से स्वरोज़गार की ओर रुख़ किया है। इन महिलाओं ठीक उसी तरह से स्वावलंबन का रास्ता तय किया है, जिस प्रकार उत्तराखंड की 23 वर्षीय निशा बेन ने स्व-रोज़गार महिला संघ (SEWA) भारत[1] के साथ एक उद्यमी सखी[a] बनकर स्व-रोज़गार को अपनाया है. उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग ज़िले के कंडारा गांव की रहने वाली निशा के पास गृह विज्ञान और संस्कृत में डिग्री है और वह अपनी मां व छोटे भाई के साथ रहती हैं. निशा के पिता पास के शहर में रहते हैं और वहीं पर काम करते हैं, ऐसे में अपने परिवार की रोज़मर्रा की ज़रूरतें पूरी करने की ज़िम्मेदारी निशा पर ही है.

निशा को अपना पहला मोबाइल तब मिला था, जब वो कॉलेज में पहले वर्ष में पढ़ रही थीं. उनका मानना है कि मोबाइल फोन का उपयोग ऑनलाइन सीखने और संचार के मामले में सहायता कर सकता है. पांचवें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (2019-21) के मुताबिक़ रुद्रप्रयाग ज़िले में 56.4 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं, जिन्होंने 10 या उससे ज़्यादा वर्ष तक स्कूली शिक्षा ग्रहण की है, जबकि वर्ष 2015-16 में ऐसी महिलाओं की संख्या 52.1 प्रतिशत थी.

हालांकि, कंडारा गांव में लगभग सभी के पास मोबाइल फोन हैं, लेकिन उनमें से कुछ ही लोगों को मोबाइल का उपयोग करना आता है या फिर कहा जाए कि वे डिजिटल साक्षर हैं. विशेषकर कंडारा गांव की महिलाएं की बात करें, तो यह पूरी तरह से सच है, लेकिन अब चीज़ें धीरे-धीरे बदल रही हैं. निशा को अपना पहला मोबाइल तब मिला था, जब वो कॉलेज में पहले वर्ष में पढ़ रही थीं. उनका मानना है कि मोबाइल फोन का उपयोग ऑनलाइन सीखने और संचार के मामले में सहायता कर सकता है. पांचवें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (2019-21) के मुताबिक़ रुद्रप्रयाग ज़िले में 56.4 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं, जिन्होंने 10 या उससे ज़्यादा वर्ष तक स्कूली शिक्षा ग्रहण की है, जबकि वर्ष 2015-16 में ऐसी महिलाओं की संख्या 52.1 प्रतिशत थी.[2]

वर्ष 2021 में निशा को अपनी चाची, जो कि ‘सेवा’ की एक सदस्य हैं, उनसे सेवा भारत के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (अतिथि) के माध्यम से होमस्टे संचालन से संबंधित प्रशिक्षु ट्रेनिंग कार्यक्रम के बारे में जानकारी मिली थी. सेवा अतिथि, हॉस्पिटैलिटी सेक्टर यानी आतिथ्य के क्षेत्र में ज़मीनी स्तर पर महिलाओं द्वारा संचालित एक उद्यम है, जिसे वर्ष 2019 में बनाया गया था. इसका उद्देश्य समुदाय आधारित पर्यटन को बढ़ावा देकर महिलाओं की आय बढ़ाने और आय के दूसरे स्रोत बनाने में मदद करना है. निशा ने इसके अंतर्गत तीन महीने का प्रशिक्षण लिया. इस प्रशिक्षण के बाद उन्हें औपचारिक रूप से अतिथि सखी के रूप में अतिथि होमस्टे के रोज़मर्रा के कामकाज को संभालने के लिए शामिल किया गया. उद्यमी सखी कार्यक्रम ने कोविड-19 महामारी के बाद छोटी महिला उद्यमियों और महिलाओं द्वारा संचालित सामूहिक सामाजिक उद्यमों को सबल बनने में सक्षम बनाया है.[3]

उत्तराखंड में महिलाओं का तकनीकी सशक्तिकरण(15-49 वर्ष की आयु)
वे महिलाएं जिनके पास मोबाइल फोन है और खुद उपयोग भी करती हैं 60.9%
जो महिलाएं अपने मोबाइल फोन में एसएमएस मैसेज पढ़ सकती हैं 82.8%
जो महिलाएं वित्तीय लेन-देन के लिए मोबाइल का उपयोग करती हैं 18.7%
जिन महिलाओं ने कभी इंटरनेट का इस्तेमाल किया है 45.1%

स्रोत: राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण, 2019-21[4]

उत्तराखंड प्रमुख रूप से एक कृषि प्रधान राज्य है, लेकिन जलवायु परिवर्तन और वन्यजीवों के बढ़ते अतिक्रमण ने खेती के कार्य को प्रभावित किया है. इस वजह से खेती अब आय का एक स्थिर और स्थाई स्रोत नहीं रह गया है. इसके फलस्वरूप लोगों को आय के दूसरे स्रोतों की ज़रूरत है. सेवा अतिथि के माध्यम से अल्मोड़ा और रुद्रप्रयाग जिलों में महिला किसानों ने उन पर्यटकों के लिए अपने घर खोलना शुरू कर दिया है, जो उत्तराखंड की समृद्ध स्थानीय संस्कृति, विरासत और प्राकृतिक वातावरण का अनुभव करना चाहते हैं.[5] इसके अलावा, राज्य पर्यटन विभाग ने पहाड़ी क्षेत्रों में होमस्टे को बढ़ावा देने के लिए ‘वीर चंद्र सिंह गढ़वाल योजना’ के अंतर्गत वित्तीय सहायता प्रदान करके विभिन्न योजनाएं शुरू की हैं. इससे न केवल पर्यटन और पारिवारिक आय में वृद्धि हुई है, बल्कि रोज़गार की तलाश में दूसरे राज्यों की ओर होने वाला पलायन भी कम हुआ है. होमस्टे पर्यटन एक तेज़ी से उभरती हुई अवधारणा है और यह रोजगार एवं आर्थिक प्रगति का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है. (चित्र-1 देखें)

हालांकि, सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूकता की कमी और कुशल मानव संसाधन की कमी यानी प्रशिक्षित लोगों की कमी के साथ ही डिजिटल साक्षरता, रचनात्मकता और उद्यमिता कौशल की ज़रूरत उत्तराखंड में सफल होमस्टे संचालन के समक्ष कुछ मुख्य चुनौतियां हैं.[6], [7]

अपने प्रशिक्षण के दौरान, निशा ने एक वेब पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन बुकिंग करने, बिल बनाने के साथ ही फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी सीखी और सोशल मीडिया के ज़रिए ऑनलाइन मार्केटिंग और प्रचार करना भी सीखा (मुख्य रूप से, वेबसाइटों, फेसबुक और यूट्यूब पर तस्वीरें और वीडियो पोस्ट करना). वह बताती हैं, “पहले मैं शौकिया तौर पर फोटोग्राफी करती थी, लेकिन प्रशिक्षण के दौरान मुझे लाइटिंग, फोटो के एंगल, बैकग्राउंड व फ्रेम के महत्त्व के बारे में विस्तार से बताया गया. शुरू में यह सब मुश्किल लग रहा था, लेकिन तीन महीने में मैंने यह सारी नई तकनीक सीख लीं. मैंने जो कुछ सीखा है उसे अब अमल में लाती हूं और इसी का नतीज़ा है कि मार्केटिंग फोटोग्राफ्स में काफी सुधार हुआ है.

 

चित्र1: उत्तराखंड में पर्यटकों के ठहरने के स्थान (2019)

स्रोत: बिनीता चक्रबर्ती, 2019[8]

निशा अब अल्मोड़ा और रुद्रप्रयाग में होमस्टे के लिए पोर्टल (booking.com) पर नियमित तौर पर रिजर्वेशन को देखने के साथ ही ग्राहकों एवं संभावित कस्टमर्स के सवालों का जवाब भी देती हैं. वह मेहमानों के साथ उनके ठहरने से पहले और ठहरने के दौरान आवास, उनकी खान-पान की रुचियों और यात्रा कार्यक्रमों को लेकर भी समन्वय करती हैं. इसके अलावा निशा होमस्टे के डिजिटल पेमेंट सिस्टम को भी देखती हैं. एक होमस्टे मैनेजर के रूप में उनकी भूमिका में एक महत्वपूर्ण बात और भी शामिल है, (चित्र-2 देखें) और वो है आकर्षक ऑडियो-विजुअल कंटेंट तैयार करना. इस कंटेंट का उपयोग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर मार्केटिंग और प्रचार के मकसद के लिए किया जा सकता है. निशा मुस्कराते हुए कहती हैं, “जब मेहमान संतुष्ट होते हैं और अपने प्रवास के बारे में सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हैं, तो मुझे इससे बेहद खुशी मिलती है.” वह आगे कहती हैं, “प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के अपने अनुभव के अलावा, मुझे लगता है कि मैंने अपने मेहमानों के साथ बातचीत करके भी बहुत कुछ सीखा है.”

निशा मुस्कराते हुए कहती हैं, “जब मेहमान संतुष्ट होते हैं और अपने प्रवास के बारे में सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हैं, तो मुझे इससे बेहद खुशी मिलती है.” वह आगे कहती हैं, “प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के अपने अनुभव के अलावा, मुझे लगता है कि मैंने अपने मेहमानों के साथ बातचीत करके भी बहुत कुछ सीखा है.”

निशा एक मल्टीटास्कर हैं, यानी कई कामों को कुशलतापूर्वक अंजाम देती हैं. उनके दिन की शुरुआत तड़के लगभग 4 बजे हो जाती है. वह अपनी मां को खाना बनाने और साफ-सफाई करने में मदद करती हैं. इसके अलावा खेत में काम करने और जानवरों की देखभाल करने में भी मदद करती हैं. इसके बाद वह होमस्टे से संबंधित अपना काम संभालती हैं. अपनी व्यस्त दिनचर्या के बावज़ूद, वह बेहद ख़ुश हैं, क्योंकि उसका जो काम है, उससे उन्हें अपने अनुसार कार्य करने की स्वतंत्रता मिलती है और इससे उन्हें अपने व्यक्तिगत दायित्वों को निभाने में भी सहूलियत होती है.

निशा मानती हैं कि टेक्नोलॉजी ने चीज़ों को बेहद आसान कर दिया है और एक बटन के क्लिक पर उनके लिए नए-नए अवसर उपलब्ध करा दिए हैं. वास्तव में देखा जाए तो डिजिटल उपकरण उनके दैनिक जीवन में अतिआवश्यक हैं. उन्होंने अब ना केवल कुछ कठिन चीज़ों को सीखा है (जैसे कि गूगल ड्राइव पर काम करना, मीटिंग के लिंक बनाना और ऑनलाइन बैंकिंग), बल्कि कई प्रमुख सॉफ्ट स्किल भी हासिल कर ली हैं, जैसे कि आत्म-जागरूकता बढ़ाना, कुशलतापूर्वक समय को व्यवस्थित करने और प्रबंधन करने की क्षमता एवं दूसरों के साथ आत्मविश्वास के साथ बातचीत करना. ग्राहकों और होमस्टे का प्रबंधन करने वाली महिलाओं के बीच संपर्क का पहला और मुख्य रूप से एकमात्र केंद्र होने के नाते, निशा ने जो कुछ सीखा है, उसमें अच्छे लोगों के प्रबंधन कौशल और डिजिटल समन्वय को समायोजित करने के साथ और भी निखार आया है.

सेवा भारत के साथ अपने काम के ज़रिए निशा जहां एक तरफ अपने परिवार की मदद करने योग्य बनी हैं, वहीं दूसरी तरफ समुदाय के कई ऐसे सदस्यों को भी प्रेरित कर पाई हैं, जो पहले संगठन के काम से अनजान थे, लेकिन अब उनकी तरह यह सब करना चाहते हैं. निशा को लगता है कि हर किसी को, विशेष रूप से महिलाओं को, प्रौद्योगिकी के उपयोगों को सीखकर खुद को आगे बढ़ाने में सक्षम बनाना चाहिए. उद्यमी सखी मंच एक ऐसा ही प्लेटफॉर्म हैं, जहां यह किया जा सकता है. वास्तव में निशा सामूहिक प्रगति में विश्वास करती हैं और उम्मीद करती हैं कि ज़्यादा से ज़्यादा संख्या में ग्रामीण महिलाएं अतिथि होमस्टे व्यवसाय में शामिल हों. वह गर्व के साथ कहती हैं, “मुझे सबसे बड़ी संतुष्टि इस बात से मिलती है कि मैं समुदाय की अन्य महिलाओं की मदद करने में सक्षम हूं.”

शोभा सूरी

चित्र-2 : होमस्टे प्रबंधन का वैचारिक फ्रेमवर्क

स्रोत : बिनीता चक्रबर्ती, 2019[9]

प्रमुख सबक

 

  • होमस्टे पर्यटन को बढ़ावा देना, महिलाओं के लिए रोज़गार के अवसर और आय का स्रोत बनाने का एक महत्त्वपूर्ण साधन हो सकता है.
  • महिलाओं को होमस्टे क्षेत्र में करियर बनाने में सक्षम बनाने का एक प्रमुख और प्रभावी तरीक़ा है, मोबाइल फोन और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स तक उनकी पहुंच को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित करना. इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करना कि क्षमता निर्माण कार्यक्रम इस प्रकार से डिजाइन किए जाएं कि वे महिलाओं के सॉफ्ट और तकनीकी कौशल को विकसित करने में सहायक हों.

[a] सामाजिक असमानताओं को दूर करने के लिए कम लागत वाले उत्पादों और सेवाओं के इर्द-गिर्द बिजनेस मॉडल बनाने वाली महिला उद्यमियों का एक नेटवर्क.

NOTES

[1] SEWA Bharat, https://sewabharat.org/what-we do/entrepreneurship/womens-enterprise-support-system/

[2] National Family Health Survey-5, Ministry of Health & Family Welfare, 2019-21, http://rchiips.org/nfhs/NFHS-5_FCTS/UT/Rudraprayag.pdf

[3] SEWA Bharat, https://sewabharat.org/uttarakhand/

[4] National Family Health Survey (NFHS-5), 2019–21, International Institute for Population Sciences, Ministry of Health and Family Welfare, http://rchiips.org/nfhs/NFHS-5Reports/NFHS-

[5] _INDIA_REPORT.pdf 5 SEWA Bharat, https://sewabharat.org/uttarakhand/

[6] Jaswant Jayara, ‘Homestay tourism in Uttarakhand – Oppurtunities & Challenges,’ J Adv Management Res 5, no. 5 (2017), https://www.researchgate.net/publication/354143118_Home_Stay_Tourism_In_Uttarakhand-_Opportunities_Challenges

[7] Ruchi Harish Arya, ‘The development of homestays to encourage rural tourism in Uttarakhand state,’ Int J Management Appl Sc 5, no. 11 (2019), http://www.iraj.in/journal/journal_file/journal_pdf/14-616-157857090740-43.pdf

[8] Binita Chakraborty, “Homestay and women empowerment: a case study of women managed tourism product in Kasar Devi, Uttarakhand, India.” In Tourism International Scientific Conference Vrnjačka Banja-TISC, vol. 4, no. 1, pp. 202-216. 2019.

[9] “Homestay and women empowerment: a case study of women managed tourism product in Kasar Devi, Uttarakhand, India.”

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