बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) को कोई कैसे परिभाषित कर सकता है? क्या बीआरआई का मतलब केवल उन बुनियादी ढांचा परियोजनाओं से है जिन्हें एक मेज़बान देश द्वारा पहल के तहत स्पष्ट रूप से सूचीबद्ध किया गया है? या इसमें बीजिंग द्वारा प्रस्तुत संपर्क और आर्थिक सहयोग का एक बड़ा और व्यापक दृष्टिकोण शामिल है? काठमांडू में चीनी मिशन द्वारा पोखरा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे को ‘चीन–नेपाल बीआरआई सहयोग की प्रमुख परियोजना‘ घोषित किए जाने के साथ नेपाल इस समय कुछ सवालों से जूझ रहा है.
पोखरा हवाई अड्डा, बी.आर.आई. के तहत नेपाल द्वारा प्रस्तावित नौ परियोजनाओं के तहत सूचीबद्ध नहीं है. हालांकि, अप्रैल 2022 में ही यह राजदूत हाऊ यांकी के यह कहे जाने के बाद कि ‘यह पहल एक सहकारी तौर तरीके पर आधारित है जिसमे अनुदान और वाणिज्यिक सहयोग शामिल है’, उसके बाद ही इस बात के संकेत प्राप्त हो चुके थे कि चीन नेपाल में बीआरआई के दायरे का विस्तार कर रहा था. बीआरआई के तहत नेपाल में जिन परियोजनाओं का निर्माण किया जा रहा है, उनके तीन तरीके हैं. एक, जहां चीनी ठेकेदारों ने एशियाई विकास बैंक द्वारा वित्त पोषित परियोजनाओं जैसे भैरहवा में गौतम बुद्ध अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर काम किया है. दो, नेपाल सरकार द्वारा वित्त-पोषित और काठमांडू में त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे जैसी चीनी कंपनियों को अनुबंधित परियोजनाएं, और तीन, पोखरा हवाई अड्डे जैसी परियोजनाएं, जो चीनी ऋण द्वारा वित्त पोषित हैं और चीनी कंपनियों द्वारा निर्मित हैं.
काठमांडू में चीनी मिशन द्वारा पोखरा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे को ‘चीन-नेपाल बीआरआई सहयोग की प्रमुख परियोजना’ घोषित किए जाने के साथ नेपाल इस समय कुछ सवालों से जूझ रहा है.
तबसे चीन ने बीआरआई को नेपाल की केवल नौ परियोजनाओं से भी अधिक पर काम करने का ज़ोर दिया है. चीनी राजदूत चेन सोंग ने एक बार फिर ज़ोर देते हुए कहा कि पोखरा हवाई अड्डा जून में हुए ‘बीआरआई समझौते के ढांचे के भीतर‘ था. जब सिचुआन से एक चार्टर उड़ान द्वारा चीनी एथलीटों को ड्रैगन बोट रेस उत्सव के लिए पोखरा लाया गया था, तब भी राजदूत ने वी-चैट और एक नेपाली बैंक के बीच हुए नए भुगतान समझौते जिसके तहत चीनी पर्यटकों को वीचैट के माध्यम से नेपाल में भुगतान करने की अनुमति दी गई थी, उसका हवाला देते हुए इसे भी “बीआरआई की पहल के तहत पांच कनेक्टिविटी” का एक हिस्सा घोषित कर दिया था. बीआरआई के तहत जिन पांच संपर्कों पर प्रकाश डाला गया है, वे हैं नीति, बुनियादी ढांचा, व्यापार और वित्तीय साथ में लोगों से लोगों का संपर्क. चीन ने हाल ही में देश में बीआरआई के तहत ‘सिल्क रोडस्टर‘ प्लेटफॉर्म भी लॉन्च किया है, जिसका उद्देश्य स्थानीय सरकार के स्तर पर लोगों के बीच सहयोग का विस्तार करना है.
दूसरी तरफ, नेपाली अधिकारियों ने बीआरआई ढांचे में इस तरह के बदलावों को ख़ारिज कर दिया है. काठमांडू बीआरआई को परियोजना के नेतृत्व के रूप में परिभाषित करता है और स्पष्ट रूप से कहता है कि नेपाल में कोई बी. आर.आई.परियोजना शुरू नहीं हुई है. नेपाली विदेश मंत्री N.P. सौद ने कहा, “बीआरआई परियोजना का अमलीकरण योजना अभी भी विचाराधीन है“, जिसका मतलब ये हुआ कि नेपाल बीआरआई को बीजिंग की तरह एक छत्र पहल के रूप में नहीं, बल्कि परियोजना–विशिष्ट के रूप में देखता है, जिनके नौ परियोजनाओं में से एक 480 मेगावाट फुकोट कर्णाली परियोजना भारत के एनएचपीसी को हस्तांतरित किए जाने के बाद, घटकर केवल आठ रह गई हैं. नेपाल ने यह भी तर्क दिया है कि पोखरा हवाई अड्डा बीआरआई के दायरे से बाहर है क्योंकि मई 2017 में काठमांडू द्वारा बीआरआई के लिए हस्ताक्षर करने से पहले ऋण और अन्य समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए थे.
काठमांडू बीआरआई को परियोजना के नेतृत्व के रूप में परिभाषित करता है और स्पष्ट रूप से कहता है कि नेपाल में कोई बी.आर.आई.परियोजना शुरू नहीं हुई है.
इस मुद्दे की मूल धारणा इस अंतर से साफ ज़ाहिर होता है.नेपाल विस्तार कर दिये गये परिभाषा के आगे झुकने के प्रति सतर्क है, न केवल इसलिए क्योंकि बीआरआई को बीजिंग के भू–राजनीतिक साधन के रूप में देखा जाता है, बल्कि अन्य द्विपक्षीय समझौतों पर इसके प्रभावों के कारण भी. बीआरआई के आधिकारिक दायरे से बाहर की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं–जैसे कि पोखरा और भैरहवा में हवाई अड्डों–को बीजिंग के अधिकारियों द्वारा बीआरआई के रूप में सूचिबद्ध किया गया है, चिंता का एक और कारण ये है, कि भारत ने जिसे दोनों हवाई अड्डों के लिए प्राथमिक बाज़ार के रूप में देखा जाता है – इस वजह से भी बीआरआई में शामिल होने से इनकार कर दिया है, और उसने इस क्षेत्र में कहीं और नेपाल के साथ काम नहीं किया है.
नेपाल में बीआरआई
2022 के एडडेटा द्वारा किए गए अध्ययन से ये पता चला कि, बीआरआई के आरंभ के बाद से, ‘बीजिंग ने विदेशी निवेश में दो बटा एक से अधिक के आधार पर और ब्रसेल्स ने, चार बटा एक से अधिक के आधार पर लंदन ने 8 बटा 1 से अधिक के आधार पर वॉशिंगटन को पीछे छोड़ दिया है. हालांकि, बी.आर.आई.के ऋणों की वित्तीय स्थिति ने जल्दी ही ध्यान आकर्षित किया जब श्रीलंका और ज़ाम्बिया जैसे प्राप्तकर्ता देशों को नुकसान होना शुरू हुआ. अकेले 2019 और 2021 के बीच, चीन को विकासशील देशों को 104 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बचाव ऋण जारी करने पड़े, जो अक्सर उच्च ब्याज दर पर होते थे. चीन को 2020-2023 के बीच ‘खराब ऋण‘ में कम से कम 78 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर फिर से बातचीत करनी पड़ी या लिखना पड़ा.
इस तरह की असफलताओं, विशेष रूप से श्रीलंका और पाकिस्तान में ऋण संकट के बाद के हालातों का नेपाली नीति निर्माताओं पर विपरीत प्रभाव पड़ा है.हालांकि नेपाल का इस क्षेत्र के अन्य देशों की तुलना में चीन पर बहुत कम बकाया कर्ज़ है – अप्रैल 2023 तक चीन के लिए इसका बकाया विदेशी ऋण 259 मिलियन अमेरिकी डॉलर था – जबकि अन्य दक्षिण एशियाई देशों में पैदा हुए आर्थिक संकट किसी के भी नज़र से नहीं बचा था. मार्च 2022 में जब विदेश मंत्री वांग यी ने काठमांडू का दौरा किया, तो नेपाली अधिकारियों ने उन्हें बताया कि नेपाल कोई नया चीनी ऋण नहीं ले सकता है और इसके लिये उन्होंने अनुदान सहायता मांगी थी. नेपाली अधिकारियों ने उधार लेने की नई शर्तों के लिए भी कहा, जैसे कि ब्याज दरें दो प्रतिशत से अधिक नहीं हो और बहुपक्षीय संस्थानों के समान दोबारा भुगतान का समय मिले. नेपाली पक्ष ने ये भी कहा है कि बीआरआई के तहत परियोजनाएं सभी के लिए खुली होनी चाहिए. जिसका अर्थ ये है कि बोली लगाने का अधिकार विशेष रूप से चीनी फर्मों के लिए आरक्षित नहीं किया जा सकता है. नेपाल बीआरआई के तहत दो नई परियोजनाओं को शामिल करने के लिए भी बातचीत कर रहा है .
पोखरा हवाई अड्डा आमतौर पर बीआरआई परियोजना की कल्पना के सबसे करीब है. इसे चीन के एक्ज़िम बैंक द्वारा दिये गए कर्ज़ से तैयार किया गया था और यह चीन के (CAMC) इंजीनियरिंग द्वारा एक इंजीनियरिंग खरीद और निर्माण (EPC) मॉडल के तहत बनाया गया था.
जब नेपाल ने मई 2017 में बीआरआई के लिए हस्ताक्षर किया था,तब यह रुख़,शुरुआती उत्साह से पूरी तरह से अलग था. दोनों देशों के बीच बीआरआई के जिस समझौते पर सहमति बनी, उसमें भी इस बात का ज़िक्र था कि वो नीतिगत आदान–प्रदान के सभी पांच क्षेत्रों में से सभी में सहयोग को सुविधाजनक बनाकर रखेंगे. इसी आधार पर,कानूनी जानकारी वाले एक नेपाली टिप्पणीकार ने नेपाल और चीन के बीच बीआरआई समझौता ज्ञापन के बारे में अपना तर्क देते हुए कहा कि “वह इस लोकप्रिय धारणा का खंडन किया कि बीआरआई केवल बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे के उद्योगों के वित्तपोषण के लिए एक महत्वकांक्षी कार्यक्रम है. चीन का यह बयान कि पोखरा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा बीआरआई के तहत है, उसके कई वैध कारण हैं.”
पोखरा हवाई अड्डा आमतौर पर बीआरआई परियोजना की कल्पना के सबसे करीब है. इसे चीन के एक्ज़िम बैंक द्वारा दिये गए कर्ज़ से तैयार किया गया था और यह चीन के (CAMC) इंजीनियरिंग द्वारा एक इंजीनियरिंग खरीद और निर्माण (EPC) मॉडल के तहत बनाया गया था. हालांकि, नेपाल का यह रुख़ कि हवाई अड्डे को बीआरआई परियोजना नहीं माना जा सकता है, इस कानूनी पहलू पर आधारित है कि समझौतों को पहले के स्थितिनुसार संशोधित नहीं किया जा सकता है. नेपाली अधिकारियों के मुताबिक, “ चीनी दूतावास के द्वारा किया गया दावा, उनकी अपनी व्याख्या है, जिसे नेपाली पक्ष स्वीकार नहीं करता है.”
नेपाल एकमात्र ऐसा देश नहीं है जिसने बी.आर.आई. के तहत किसी परियोजना को अस्वीकार किया हो. 2022 में, बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने भी उन रिपोर्टों का खंडन किया था कि पद्मा नदी पुल एक बीआरआई परियोजना थी. उल्लेखनीय बात यह थी कि ढाका द्वारा अपनी सरकार की ‘नाराज़गी‘ व्यक्त करने के बाद चीनी मिशन ने इसे स्पष्ट किया था.
नेपाल के बुनियादी ढांचे में चीन
21वीं सदी में, चीन और उसकी कंपनियाँ नेपाल में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में बड़े पैमाने पर लगी हुई हैं. हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन,’नेपाल के बुनियादी ढांचे में चीन का उदय (जिसका हिस्सा भी थे),उन्होंने पाया कि कम्युनिस्ट दलों के नेतृत्व वाली सरकारों ने 2008 के बाद से चीन को बड़े–बड़े बुनियादी ढांचे के अनुबंध दिए थे. चीनी कंपनियों ने सरकार से बातचीत करके अनुबंध प्राप्त किए हैं,जैसे पोखरा हवाई अड्डा या काठमांडू रिंग रोड विस्तार परियोजना,जो अनुदान से खर्च की जाती है;या नेपाल सरकार या उसकी एजेंसियों से,जैसे काठमांडू–तराई फास्ट ट्रैक परियोजना,जिसे नेपाल सेना चलाती है. चीनी कंपनियों ने एडीबी जैसे बहुपक्षीय संगठनों से बुनियादी ढांचे के सौदे,जैसे नया भैरहवा हवाई अड्डा और राजमार्ग विस्तार परियोजनाएं,में भी भाग लिया है.
इसलिए, एक तरफ जहां नेपाली बुनियादी ढांचे में चीन का जुड़ाव स्तरबद्ध है और सिर्फ़ बोर्ड में है, काठमांडू भी उस चीज़ का हिस्सा नहीं बनना चाहता है जिसके लिए उसने साइन-अप नहीं किया था. बीआरआई पर नेपाल का दबाव संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व वाले मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन (एम.सी.सी) के साथ उसके हालिया अनुभव से भी निकलता है, जिसे हिंद–प्रशांत ढांचे के तहत शामिल करना एमसीसी के सार्वजनिक विरोध के पीछे के प्रमुख कारणों में से एक था. काठमांडू की नई चुप्पी भी बड़े प्रभावों पर बिना सोचे-समझे द्विपक्षीय समझौतों के लिए हस्ताक्षर करने की एक बड़ी प्रवृत्ति की याद दिलाता है, जैसा कि एमसीसी पर व्यापक चर्चा के दौरान देखा गया था.
इसलिए, एक तरफ जहां नेपाली बुनियादी ढांचे में चीन का जुड़ाव स्तरबद्ध है और सिर्फ़ बोर्ड में है, काठमांडू भी उस चीज़ का हिस्सा नहीं बनना चाहता है जिसके लिए उसने साइन-अप नहीं किया था.
फिर भी,इस तरह की असमानता ने बीजिंग और काठमांडू के बीच बढ़ती कनेक्टिविटी को नहीं रोका है,हाल के महीनों में सीसीपी के अंतर्राष्ट्रीय संपर्क विभाग (जिसके अधिकारियों ने नेपाल में सिल्क रोडस्टर कार्यक्रम शुरू किया था) में कई उच्च–स्तरीय यात्राएं की गई हैं. बीजिंग के निरंतर सहयोग से पता चलता है कि नेपाल में उसके आर्थिक या वाणिज्यिक लाभ केवल उसके राजनीतिक लाभ के विस्तार पर निर्भर हैं. इस तर्क को समर्थन मिलता है कि सिल्क रोडस्टर कार्यक्रम स्थानीय सरकार और पार्टी के अधिकारियों की ओर लक्ष्य किया हुआ है, जिसमें “विदेशी राजनीतिक दलों और तकनीक़ी कर्मियों के लिए चीन में अल्पकालिक प्रशिक्षण के अवसर” शामिल हैं. सिल्क रोडस्टर कार्यक्रम को बीआरआई के दायरे में शामिल करना,जो बीआरआई के ‘कठिन‘ बुनियादी ढांचे की तुलना में ‘नरम‘ कूटनीति के समान है,चीन नेपाल में बीआरआई पर कुछ प्रगति देखना चाहेगा,और चीन खुद बीआरआई की परिभाषा को बदल रहा है क्योंकि यह आगे बढ़ रहा है और विकास कर रहा है.
नेपाल में आरआई पर बहस जारी रह सकती है. चीन ने भी ग्लोबल डेवलपमेंट इनिशिएटिव (GDI)और ग्लोबल सिविलाइज़ेशन इनिशिएटिव (GCI)जैसे नवीनतम कार्यक्रम शुरू किए हैं,जो इस समय सबसे अच्छे हैं. नेपाल,जीडीआई का सदस्य है,लेकिन राजदूत चेन सोंग ने पोखरा में ड्रैगन बोट रेस उत्सव को जीसीआई के तहत किया गया एक पहल बताया, लेकिन नेपाल ने अभी तक इस पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. चीन ने नेपाल से जीसीआई और वैश्विक सुरक्षा पहलों में भाग लेने को कहा है,जिसका दूसरा पक्ष नेपाल की उस चिंता से जुड़ा हुआ है जहां वह इन बड़ी ताकतों के द्वारा की जा रही सुरक्षा केंद्रित कूटनीति से सहमा हुआ है. लेकिन इन सबसे बढ़कर,बीजिंग की अस्पष्ट और एक-तरफा घोषणाओं की वजह से नेपाल को बीआरआई और शी-जिनपिंग के अन्य कार्यक्रमों को परिभाषित करने में मुश्किल हो रहा है.
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