इस विकसित होते वैश्विक संसार में, दक्षिण पूर्वी एशियायी क्षेत्र में प्रवासी कामगारों की ज़रूरत रॉकेट की गति से बढ़ती जा रही हैं. ये विशेष करके थाईलैंड के लिए सही है. पिछले चंद दशकों में थाईलैंड के आर्थिक विकास के मद्देनज़र, ये इलाका प्रांतीय प्रवासी हब के तौरपर विकसित हो रहा है. पड़ोसी देशों से, खासकर के, म्यांमार के प्रवासी कामगार, और कंबोडिया का चंद विशेष तबका, और लाओ पीपल’स डेमोक्रेटिक, बैंकॉक को अपने आर्थिक विकास की गति को बनाए रखने की अनुमति देता रहा है.
म्यांमार की कुल 10 प्रतिशत श्रमशक्ति जो बाहर के देशों के प्रवासी के तौर पर काम कर रहे हैं, उनमें से 1.5 मिलियन कामगार, थाईलैंड और मलेशिया में कार्यरत हैं. इसलिए, बैंकॉक और नेपीडॉव का अर्थव्यवस्था अपने प्रवासी कामगारों के ऊपर उनके श्रम एवं प्रेषण या रकम के लिए प्रासंगिक तौर पर आश्रित हैं.
आंकड़ों के अनुसार, थाईलैंड में कृषि, मछली पालन, और उत्पादन सेक्टर में कार्यरत 80 प्रतिशत प्रवासी, म्यांमार से हैं. 2022 में थाईलैंड के श्रम मंत्रालय के अनुसार, म्यांमार की कुल 10 प्रतिशत श्रमशक्ति जो बाहर के देशों के प्रवासी के तौर पर काम कर रहे हैं, उनमें से 1.5 मिलियन कामगार, थाईलैंड और मलेशिया में कार्यरत हैं. इसलिए, बैंकॉक और नेपीडॉव का अर्थव्यवस्था अपने प्रवासी कामगारों के ऊपर उनके श्रम एवं प्रेषण या रकम के लिए प्रासंगिक तौर पर आश्रित हैं.
1980 से ही, दोनों देशों के बीच सीमा-पार प्रवास (क्रॉस बॉर्डर माइग्रेशन) की परंपरा बनी रही है. श्रम की कमी की मार झेल रही थाईलैंड के आर्थिक विकास, ने अन्य पड़ोसी देशों से कामगारों को इस देश में रोज़गार हेतु और ज्य़ादा आकर्षित किया. जबकि भौगोलिक समानता, बुरी आर्थिक स्थिति, और म्यांमार में राजनीतिक अस्थिरता भी एक सतत् दबावी कारक साबित हुई जिसने हजारों की संख्या में उसकी आबादी को थाईलैंड जाने के लिये प्रेरित किया है, इस आशा में कि वहाँ उन्हें एक स्थिर और सुरक्षित वातावरण मिल सके.
थाईलैंड, म्याँमार के साथ लगभग 2,202 किलोमीटर तक एक झरझरी सीमा आपस में बांटता है. प्रवासी लोग ज्य़ादातर सीमा क्षेत्र के मोन राज्य, शान राज्य, केयीन राज्य, और तनिनथरई प्रांत के हैं. सभी स्थायी चेकपॉइंट तक सड़क रास्ते के द्वारा पहुंचा जा सकता है, सिवा रानोंग – कवठाउँग चेकपॉइंट तक सिर्फ़ नाव के ज़रिए ही पहुंचा जा सकता है. हालांकि, वहाँ और भी कई अनाधिकारिक सीमा चेक पॉइंट है, खासकर के मेसोत, जहां से काफी मात्रा में अप्रमाणित प्रवास होती है.
म्यांमार के साथ करार
इस वक्त थाईलैंड का म्यांमार शासन के साथ उनके राष्ट्र में कार्य कर रहे प्रवासियों से संबंधित किसी प्रकार की कोई संधि नहीं है. सन् 1992 में, म्यांमार के प्रवासियों को थाईलैंड के मात्र चार प्रांतों में बिना किसी प्रकार के संधि या प्रक्रिया के काम करने की अनुमति मिली थी. अंततः सन् 2003 में, कामगारों के रोज़गार में सहभागिता हेतु एक समझौता ज्ञापन पर म्यांमार सरकार और थाईलैंड ने हस्ताक्षर किए ताकि थाईलैंड में काम कर रहे सभी ग़ैर दक्ष कामगारों को पंजीकृत किया जा सके जो उन्हें ज़्यादा से ज़्यादा प्रांतों में आधिकारिक रूप से दो साल के वर्क परमिट पर काम करने की अनुमति दे सके. ये समझौता ज्ञापन 2009 में प्रकाश में आया और फिर 2016 में एक नए ज्ञापन से उसे रिप्लेस कर दिया गया. नई संविदा अनियमित प्रवासन, प्रत्यावर्तन प्रक्रिया, और प्रवासियों की बहाली पर केंद्रित थी, परंतु उसने बड़ी साहूलियत के साथ मानवाधिकार की स्थिति और प्रवासी कामगारों के सुरक्षा के मुद्दे को दरकिनार कर दिया.
जून 2017 में, गैर पंजीकृत प्रवासी कामगारों की ज़ब्ती कार्यवाही के लिये थाईलैंड की सरकार ने विदेशी कामगार रोजगार प्रबंधन की घोषणा की. इस समाचार ने लगभग 60,000 कामगारों को म्यांमार वापस लौटने के लिए बाध्य कर दिया. थाई सरकार ने अपनी त्वरित कार्यवाही के अंतर्गत इस नीति को तुरंत से सुधार और इस क़ानून के लागू होने की तिथि को 2018 कर दिया. इस सुधारे गए प्रारूप में कंपनियों को म्यांमार के संग सन् 2003 में सहमतिपत्र पर किए गए हस्ताक्षर के अंतर्गत प्रवासी कामगारों को रंगरूट के तौर पर बुलाना भी था. हालांकि, उसमें कठिन परिस्थिति में कार्य कर रहे हजारों गैर-पंजीकृत कामगारों संबंधी महत्वपूर्ण विषय लापता थी. महामारी और उसके बाद म्यांमार में हुए तख्त़ापलट ने थाईलैंड में, काम एवं शरण की तलाश कर रहे लोगों की संख्या में काफी वृद्धि उत्पन्न कर दी है.
हालांकि, 2020 में महामारी की वजह से रोके गये, थाईलैंड में नियमित प्रवासियों के पलायन को मई 2022 में हुए समझौता ज्ञापन के ज़रिए पुनःशुरू किया गया. तब से लेकर 30 जून तक, कैयीन राज्य के म्यावाडी और तनिनथेरई क्षेत्र के काव ठाउँग स्थित सीमा क्रॉसिंग के रास्ते करीब 2,500 कामगार, थाईलैंड पहुंच गये हैं.
परंतु, म्यांमार के नागरिक, वहां उत्पन्न राजनैतिक अस्थिरता, और तख्त़ापलट के बाद हो रहे लगातार हिंसक वारदातों की वजह से सुरक्षा की दृष्टि से थाईलैंड दाख़िल हो रहे हैं. इस परेशानी भरी स्थिति से निदान पाने के लिए थाईलैंड सरकार कोई उपयुक्त तरीका ढूँढने के लिए व्याकुल है और जिन्हें वो अपने यहाँ भीड़ से खचाखच भरे कैम्पों में जगह नहीं दे पा रही है, उन लोगों के तत्काल प्रत्यावर्तन में लगी हुई है. थाईलैंड 1951 में आयोजित रिफ्यूजी सम्मेलन का अंग नहीं था और इस स्थिति से निपट पाने के लिए उसके पास कोई उचित पॉलिसी नहीं हैं. हालांकि, इस देश ने एंटी-टॉर्चर कानून, जिसे Prevention and Suppression of Torture and Enforced Disappearance Act B.E.2565 (2022) के नाम से जाना जाता है, उसे पास कर दिया है. इस नई धारा के अंतर्गत non-refoulement नियम के सिद्धांतों का भी प्रावधान किया गया है, जिसके तहत उन लोगों को जबरन दूसरे देश वापिस नहीं भेजा जा सकता है जहां उन्हें किसी प्रकार की प्रताड़ना या अन्य प्रकार के बदसलूकी का सामना करना पड़े. इसलिए फिर इस देश को ऐसे बेबस लोगों को एकीकृत करने के रास्ते ढूँढने चाहिए; इनमें से एक तरीका ऐसे लोगों को लेबर (श्रम) की ज़रूरत की ओर मोड दिए जाने का है. अनियमित प्रवासियों को भी शासकीय मैकेनिज़्म के ज़रिए, ‘नियमित प्रवासियों’ के छतरी के अंदर लाने के प्रयास किए जा रहे हैं. हालांकि, कुछ ख़ामियां अब भी हैं.
प्रणालीगत मुद्दे
नेशनल वेरिफिकेशन (एनवी) एंड रजिस्ट्रेशन एण्ड री-रजिस्ट्रेशन के इस काफी थकाऊ प्रकृति की वजह से जो कि काफी जटिल, समय लेने वाली, और अधिक महंगे भी हैं, इस कारण प्रवासियों के लिए बग़ैर पंजीकरण के काम कर पाना सरल हो जाता है. म्यांमार से प्रवासित होने वाले ज़्यादातर लोग बिचौलियों पर ही निर्भर होते हैं, जिनकी मदद से वे उचित चैनल के ज़रिए प्रवासन की प्रक्रिया के लिए आवश्यक दस्तावेज़ों का संयोजन कर सके. इस वजह से ये प्रक्रिया काफी महंगी भी हो जाती है और इसमें किसी प्रकार के फ्रॉड अथवा धोखे की संभावना भी बढ़ जाती है.
.म्यांमार से प्रवासित होने वाले ज़्यादातर लोग बिचौलियों पर ही निर्भर होते हैं, जिनकी मदद से वे उचित चैनल के ज़रिए प्रवासन की प्रक्रिया के लिए आवश्यक दस्तावेज़ों का संयोजन कर सके.
ये भी महत्वपूर्ण है कि किसी वर्क परमिट से पंजीकृत होना इस तथ्य से कमज़ोर हो जाता है कि एक प्रवासी का पंजीकरण स्टेटस, नियोक्ता के साथ बग़ैर उसकी रज़ामंदी अथवा चॉइस से संबंधित रहता है. नियोक्ता बदलना काफी मुश्किल होता है. कुछ मामलों में, नियोक्ता प्रवासियों के लिए पंजीकरण शुल्क अदा करते हैं, जो एक प्रकार से कर्ज़ रूपी बाध्यता बन जाती है जो उनको (नियोक्ताओं को) एक प्रकार से इन प्रवासियों के ज़रूरी दस्तावेजों, यात्रा अनुमति (वीज़ा) और वर्क परमिट आदि को अपने कब्ज़े में रखने का अधिकार प्रदान करती है. इन प्रवासियों को कमतर सलूक के साथ-साथ कम पैसे दिए जाते हैं.
थाईलैंड ने इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइज़ेशन के 87 अथवा 98 सम्मेलनों को अपना अनुसमर्थन नहीं दिया है जिस वजह से इन प्रवासी कामगारों को किसी प्रकार का यूनियन बनाने का अधिकार नहीं हैं. थाई सरकार, ऐसे किसी संघीकरण के लिए अपनी आशंका और सोच को सुरक्षित रखता है जहां म्यांमार से आने वाले प्रवासी के संघीकरण से “राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा साबित हो सकता है. हालांकि, नागरिक संगठन इन तथ्यों पर एवं इसके निवारण मैकेनिज़्म पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है, फिर भी थाई शासन मशीनरी द्वारा उन्हें गैरकानूनी समझा जाता है.
वे प्रवासी जो कि पंजीकृत नहीं हैं या फिर सिस्टम से बाहर हो गए हैं, उन्हें अवैध समझा जा सकता है इसलिए, उन्हें किसी समय भी गिरफ्त़ार किया जा सकता है और वापस डिपोर्ट अथवा गृह वापसी के लिये भेजा जा सकता है. इससे भेदन क्षमता बढ़ती है, चूंकि कानूनी प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा उनका साथ बड़ी आसानी से गलत व्यवहार किये जाने की आशंका व्यक्त की जाती है.
अर्थव्यवस्था की मांग और साथ ही प्रवासी आबादी की ज़रूरत के अनुसार, थाई सरकार को चाहिए कि प्रवासी नागरिकों को उनके क्षेत्र में प्रवेश करने और रहने में सहायता करने के लिए एक समग्र और समावेशी प्रवासन नीति बनाए. पॉलिसी फॉर्मूलेशन की प्रक्रिया में प्रवासियों के नज़रिए अथवा हितों को भी शामिल किया जाना चाहिए ताकि एक मज़बूत और समावेशी फ्रेमवर्क की रचना को सुनिश्चित किया जा सके.
औपचारिक और अनौपचारिक सेक्टर दोनों में ही कामगारों के प्रवासन प्रक्रिया को संभालने के क्रम में क्षमता निर्माण काफी अहमियत रखेगी. अधिकारियों में व्याप्त भ्रष्टाचार को संबोधित करने के क्रम में, एक उचित मैकेनिज़्म के ज़रिये अनियमित वित्तीय विवरणों को ध्यान में रखने की ज़रूरत है. अंतर एजेंसी समन्वय की काफी ज़रूरत है. उसके बावजूद, प्रवासी आबादी के लिए ज़रूरी, एक मज़बूत कानूनी मशीनरी, जो सुलभ और निष्पक्ष हो, उसे बना पाना या मुहैय्या कराना काफी हद तक निर्णायक साबित होगा. थाईलैंड और म्यांमार में रह रहे प्रवासियों के बीच श्रम अधिकारों से संबंधित जागरूकता अभियान काफी महत्वपूर्ण होगा ताकि उन्हें बेईमान बिचौलियों से बचाया जा सके.
एक तरफ जहां सरकार नें पंजीकृत और गैर पंजीकृत प्रवासियों का अपने यह रहने की अवधि को 2025 तक के लिए बढ़ा दी हैं, थाईलैंड में दीर्घकालिक आर्थिक विकास हासिल करने के लिए पलायन और श्रम पलायन के मुद्दों को रणनीतिक ढांचे में एकीकृत करना जरूरी है.
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