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नाटो ने भी पुतिन को ललकारा है. NATO का कहना है कि वह एक इंच जमीन भी रूस के पास नहीं रहने देगा. इसके लिए चाहे जिस स्तर पर जाना पड़ा. ऐसे में सवाल है कि क्या इस युद्ध का रास्ता परमाणु युद्ध की ओर बढ़ रहा है.
रूस-यूक्रेन जंग अब एक नए मोड़ पर पहुंच गया है. यूक्रेन को लेकर रूस और अमेरिका के बीच तनाव और गहराता जा रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि अमेरिका अपने नाटो सहयोगियों के साथ नाटो क्षेत्र की एक-एक इंच जमीन की रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार है. बाइडेन का यह बयान ऐसे समय आया है, जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने क्रेमलिन में आयोजित एक कार्यक्रम में चार यूक्रेनी शहरों को रूस में शामिल करने वाले दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए हैं. इधर, नाटो संगठन ने भी पुतिन को ललकारा है. नाटो संगठन का कहना है कि वह एक इंच जमीन भी रूस के पास नहीं रहने देगा. इसके लिए चाहे जिस स्तर पर जाना पड़ा. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इस युद्ध का रास्ता परमाणु युद्ध की ओर बढ़ रहा है.
सवाल उठता है कि क्या इस युद्ध का रास्ता परमाणु युद्ध की ओर बढ़ रहा है.
1- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि यूक्रेन जंग के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ने सख्त लहजे में रूसी राष्ट्रपति को चेताया है. उन्होंने कहा कि वह नाटो क्षेत्र की एक-एक इंच जमीन की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा ऐसे में संदेह उठता है कि क्या अमेरिका यूक्रेन की सैन्य मदद में आगे आ सकता है. हालांकि, बाइडेन ने रूस के साथ युद्ध की बात खुलकर नहीं कही है, लेकिन उन्होंने नाटो क्षेत्र की रक्षा की बात कही है. बाइडेन रूस पर कूटनीतिक दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं. अभी तक अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं.
2- प्रो पंत ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन की ताइवान और नैंसी पेलोसी के मामले में भी यही नीति देखी गई थी. ताइवान पर उन्होंने खुलकर नहीं कहा कि चीन-ताइवान संघर्ष की स्थिति में अमेरिकी सैनिक युद्ध में शामिल होंगे. ताइवान के मामले में बाइडेन ने अपने पत्ते नहीं खोले. प्रो पंत ने कहा कि अमेरिकी कांग्रेस की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के मामले में भी बाइडेन प्रशासन ने अंत तक अपनी योजना का खुलासा नहीं किया था. उन्होंने कहा कि यूक्रेन जंग के दौरान जब पुतिन ने नाटो क्षेत्र को कब्जाने की रणनीति अपनाई तो बाइडेन को आगे आना पड़ा. बाइडेन ने नाटो क्षेत्र की रक्षा की बात कही है, उन्होंने रूस के साथ जंग करने की बात नहीं कही है.
पश्चिमी देशों को अब यह भय सताने लगा है कि पुतिन जिस तरह से आक्रामक रवैया अपना रहे हैं उसकी आंच पश्चिमी देशों तक आना तय है.
3- प्रो पंत ने कहा कि बाइडेन के बाद नाटो संगठन ने भी रूस के खिलाफ आक्रामक टिप्पणी की है. इससे यह मामला गंभीर हाे जाता है. पश्चिमी देशों को अब यह भय सताने लगा है कि पुतिन जिस तरह से आक्रामक रवैया अपना रहे हैं उसकी आंच पश्चिमी देशों तक आना तय है. नाटो संगठन में कई पश्चिमी देश शामिल हैं, ऐसे में इन मुल्कों को उनकी सुरक्षा का भरोसा दिलाना संगठन और अमेरिका की जिम्मेदारी है. यही कारण है कि यूक्रेन के चार क्षेत्रों पर रूस में शामिल करने के बाद नाटो और अमेरिका मुखर हो गए हैं.
4- प्रो पंत ने कहा कि इस युद्ध में रूस ने काफी कुछ खोया है. जंग में रूस कमजाेर हुआ है. पुतिन अमेरिका और नाटो के इरादे भी भाप चुके हैं. ऐसे में यह तय है कि रूस किसी महायुद्ध के मूड में नहीं होगा. इस युद्ध में पुतिन उन इलाकों में अपना प्रभुत्व चाहते हैं जहां से नाटो संगठन उनके नाक के नीचे तक आ सके. पुतिन ने यूक्रेन के चार क्षेत्राें को रूस में शामिल करके यह संकेत दिया है कि वह रूस की सुरक्षा के लिए कोई भी कदम उठा सकते हैं. यही कारण है मित्र तुर्की के विरोध के बावजूद उन्होंने यूक्रेन के चार इलाकों पर अपना कब्जा बरकरार रखा है.
पुतिन ने यूक्रेन के चार क्षेत्राें को रूस में शामिल करके यह संकेत दिया है कि वह रूस की सुरक्षा के लिए कोई भी कदम उठा सकते हैं. यही कारण है मित्र तुर्की के विरोध के बावजूद उन्होंने यूक्रेन के चार इलाकों पर अपना कब्जा बरकरार रखा है.
रूसी राष्ट्रपति पुतिन की धमकियों का जवाब देते हुए पश्चिमी देशों के सैन्य गठबंधन नाटो ने परमाणु युद्ध की चेतावनी दी है. पुतिन ने यूक्रेन के चार शहरों को रूस में मिलाने वाले दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कर दिए. इसके बाद नाटो की धमकियों से हालात रूसी हमले के बाद से सबसे तनावपूर्ण हो गए हैं. नाटो के प्रमुख जेन्स स्टोल्टेनबर्ग ने कहा कि पुतिन के शर्मनाक कब्जे से नाटो को यूक्रेन को अपना अटूट समर्थन देने से रोका नहीं जा सकेगा. नाटो चीफ ने कहा कि पुतिन के हालिया कदम ने दुनिया को परमाणु तबाही के एक कदम और करीब ला दिया है.
अमेरिका और पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद 24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन पर (Russia Ukraine War) हमला किया था. रूस को उम्मीद थी कि वह यूक्रेन जंग को थोड़े दिनों में समाप्त कर देगा, लेकिन न तो यूक्रेन हार मानता दिख रहा है और न ही रूस पीछे हटता दिख रहा है. 90 लाख से ज्यादा लोग यूक्रेन से जान बचाकर पड़ोसी देशों में शरण ले चुके हैं. इस बीच, गेहूं, क्रूड आयल और गैस सहित कई जरूरी चीजों की आपूर्ति पूरी तरह से प्रभावित हुई है. इस जंग ने कई देशों के रणनीतिक समीकरण को बदल कर रख दिया है.
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यह लेख जागरण में प्रकाशित हो चुका है.
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Professor Harsh V. Pant is Vice President – Studies and Foreign Policy at Observer Research Foundation, New Delhi. He is a Professor of International Relations ...
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