नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा पर युद्ध की धमकी देने वाला चीन अब बैकफुट पर आ गया है. अमेरिका ने सीनेट की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी को ताइवान की सुरिक्षत यात्रा कराके यह दिखा दिया कि अभी भी वह महाशक्ति है. इसके साथ ताइवान के मामले में चीन की कलई खुल गई है. ताइवान को लेकर अमेरिका को हर रोज धमकी देने वाले चीन की बोलती बंद हो गई है. आइए जानते हैं कि चीन की इस रणनीति के पीछे खेल क्या है. आखिर अमेरिका को युद्ध के लिए ललकारने वाला चीन पीछे क्यों हट गया. क्या चीन किसी बड़ी योजना में जुटा हुआ है.
अमेरिका ने सीनेट की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी को ताइवान की सुरिक्षत यात्रा कराके यह दिखा दिया कि अभी भी वह महाशक्ति है. इसके साथ ताइवान के मामले में चीन की कलई खुल गई है. ताइवान को लेकर अमेरिका को हर रोज धमकी देने वाले चीन की बोलती बंद हो गई है.
1- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि चीन को पहले युद्ध के लिए ललकारना और इसके बाद पीछे हट जाना ड्रैगन की एक कूटनीतिक रणनीति का हिस्सा है. चीन सीधे अमेरिका से युद्ध करने की स्थिति में नहीं है. चीन इस बात को जानता है, वह अमेरिका जैसी महाशक्ति से सीधे पंगा नहीं ले सकता. अलबत्ता चीन ने एक संदेश दिया है कि वह ताइवान के लिए किसी भी हद तक जाकर संघर्ष कर सकता है. यह संदेश देने में चीन कामयाब रहा है. ऐसा करना उसकी कूटनीति का हिस्सा है. इसके लिए उसने अमेरिका तक को सैन्य संघर्ष के लिए तैयार रहने को कहा. चीन का मिशन सिर्फ यही है कि वह ताइवान के मामले को जिंदा रखना चाहता है. वह दुनिया के समक्ष बार-बार एक ही बात दोहरा रहा है कि ताइवान, चीन का एक अभिन्न हिस्सा है.
- प्रो पंत ने कहा कि ऐसा करके चीन ताइवान के मामले को विवादित करने के अपने मिशन में सफल रहा है. वह ताइवान के मामले को दुनिया के सामने लाने में सफल रहा है. उन्होंने कहा कि अगर देखा जाए तो चीन ने अपने इस कदम से बाइडन प्रशासन की भी परीक्षा ले ली. चीन यह भी परखना चाहता है कि बाइडन प्रशासन ताइवान को किस हद तक मदद कर सकता है. फिलहाल, अमेरिका के इस स्टैंड से यह तय हो गया है कि चीन के लिए अभी ताइवान बहुत दूर है. बाइडन प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि ताइवान की मदद के लिए वह किसी हद तक जा सकता है. अमेरिका के लिए ताइवान का महत्त्व अलग है.
- प्रो पंत ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के लिए यह स्टैंड लेना बेहद जरूरी था. उन्होंने कहा कि बाइडन प्रशासन का यह स्टैंड उसके मित्र राष्ट्रों के लिए अच्छा संकेत रहा है. बाइडन प्रशासन अपने मित्र राष्ट्रों को यह संदेश देने में सफल रहा कि वह अपने मित्र राष्ट्रों के मजबूती से स्टैंड करने में सक्षम है. वह चीन के युद्ध की धमकी से कतई भयभीत नहीं है. अफगानिस्तान और यूक्रेन युद्ध के बाद अमेरिका की साख में थोड़ी गिरावट देखी गई थी, लेकिन इस स्टैंड से अमेरिका एक बार फिर अपने मित्र राष्ट्रों को यह विश्वास दिलाने में सफल रहा है. नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा को इस नजरिए से भी देखा जा सकता है.
- ताइवान को भी अमेरिका के साथ दोस्ती को लेकर एक नया विश्वास पैदा हुआ है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से चीन लगातार ताइवान को धमका रहा था. चीन की इस घमकी के बाद ताइवान में ड्रैगन के प्रति भय का वातावरण उत्पन्न हो गया था. नैंसी की ताइवान यात्रा से उसमें एक नया विश्वास पैदा होगा. अमेरिका यह जानता था कि अगर नैंसी ताइवान की यात्रा पर नहीं जा सकी तो इसका एक गलत संदेश जाएगा. इसलिए यह अमेरिका के लिए भी एक बड़ी चुनौती थी.
चीन का मिशन सिर्फ यही है कि वह ताइवान के मामले को जिंदा रखना चाहता है. वह दुनिया के समक्ष बार-बार एक ही बात दोहरा रहा है कि ताइवान, चीन का एक अभिन्न हिस्सा है.
इस यात्रा के मायने क्या हैं?
- गौरतलब है कि पेलोसी की यात्रा 25 वर्षों में संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष द्वारा ताइवान की पहली आधिकारिक यात्रा है. हालांकि इस यात्रा ने चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच तनाव को बढ़ा दिया है. बता दें कि नैंसी पेलोसी के ताइवान पहुंचने की खबर से पहले दुनिया में सबसे अधिक ट्रैक किया जाने वाला विमान अमेरिकी वायु सेना का जेट था. इस जेट ने कुआलालंपुर से उड़ान भरी थी. इंटरनेट यूजर्स ताइवान की यात्रा पर यूएस हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी को ट्रैक करना चाह रहे थे.
- ताइवान की राजधानी ताइपे में पहुंचते ही पेलोसी ने कहा कि हमारी यात्रा इंडो-पैसिफिक यात्रा का हिस्सा है. जिसमें सिंगापुर, मलेशिया, दक्षिण कोरिया और जापान शामिल हैं. ये यात्रा आपसी सुरक्षा, आर्थिक भागीदारी और लोकतांत्रिक शासन पर केन्द्रित है. ताइवान नेतृत्व के साथ हमारी चर्चा हमारे साझेदार के लिए हमारे समर्थन की पुष्टि करने और एक स्वतंत्र और खुले हिन्द-प्रशांत क्षेत्र को आगे बढ़ाने सहित हमारे साझा हितों को बढ़ावा देने पर केन्द्रित होगी. ताइवान के 23 मिलियन लोगों के साथ अमेरिका की एकजुटता आज पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है.
- चीन की धमकी को देखते हुए अमेरिका नौसेना ने चार युद्धपोत व विमानवाहक पोत ताइवान जलडमरूमध्य के पूर्व में उतार दिए हैं. हालांकि अमेरिका ने इसे रूटीन बताया है. इसके साथ ही अमेरिका ने जेट विमान भी भेज दिए हैं. वहीं, चीन ने अमेरिका को परिणाम भुगतने की चेतावनी देते हुए ताइवान जलडमरूमध्य के पास लड़ाकू विमान तैनात कर रखे हैं.
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यह लेख जागरण में प्रकाशित हो चुका है.
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