Published on Sep 27, 2023 Updated 0 Hours ago
MSME, GVC और डिजिटाइज़ेशन: G20 में व्यापार और निवेश पर मंत्रिस्तरीय बैठक के नतीजे

G20 के व्यापार एवं निवेश मंत्रियों की बैठक (TIMM) 25 अगस्त 2023 को जयपुर में ख़त्म हुई. मंत्रियों की बैठक के नतीजों से जुड़े दस्तावेज़ में विकास एवं समृद्धि के लिए व्यापार, WTO सुधार और व्यापार के लिए लॉजिस्टिक समेत सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों पर प्रकाश डाला गया. सबसे ध्यान देने की बात है कि दस्तावेज़ में पांच चीज़ों को आगे बढ़ाने (डिलिवरेबल्स) को उजागर किया गया है. इनमें G20 जेनरिक मैपिंग फ्रेमवर्क फॉर ग्लोबल वैल्यू चेन (GVC), माइक्रो स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइज़ेज़ (MSME) तक सूचना की पहुंच बढ़ाने के उद्देश्य से जयपुर कॉल फॉर एक्शन, व्यापार दस्तावेज़ों के डिजिटलाइज़ेशन पर उच्च-स्तरीय सिद्धांत, प्रोफेशनल सेवाओं के लिए म्यूचुअल रिकॉग्निशन एग्रीमेंट (MRA या पारस्परिक मान्यता समझौतों) पर सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं के एक अध्यक्षीय सारांश (प्रेसिडेंसीज़ कॉम्पेंडियम ) का विकास और 2023 में एक G20 स्टैंडर्ड डायलॉग आयोजित करने की सलाह शामिल हैं.

आपूर्ति शृंखला को सुगम बनाना

कोविड, जिस दौरान महत्वपूर्ण सप्लाई चेन में रुकावट देखी गई, के बाद की दुनिया में G20 जेनरिक मैपिंग फ्रेमवर्क फॉर GVC में भविष्य में वैल्यू चेन की किसी भी रुकावट को सीमित करने के लिए तालमेल और तैयारी का प्रस्ताव दिया गया है. इसका उद्देश्य विश्लेषण, सहयोग, समन्वय, तैयारी, समावेशन और स्थिरता समेत उच्च स्तरीय सिद्धांतों के प्रस्ताव के ज़रिए कमज़ोरियों की पहचान के साथ-साथ ज़्यादा लचीली वैल्यू चेन बनाना है. फ्रेमवर्क के तहत GVC में कम विकसित देशों (LDC) की बढ़ती भागीदारी और अधिक मूल्य सृजन (ग्रेटर वैल्यू जेनरेशन) पर भी ज़ोर दिया गया है. वैसे तो ये फ्रेमवर्क स्वैच्छिक और गैर-बाध्यकारी बना हुआ है लेकिन इसमें अधिक लचीली वैल्यू चेन के निर्माण के उद्देश्य से मिली-जुली कोशिश के लिए मार्गदर्शक सिद्धांतों को तय किया गया है. अक्टूबर 2021 में अलग-अलग कॉरपोरेट CEO ने सप्लाई चेन में उथल-पुथल की पहचान कंपनियों के विकास और देश की अर्थव्यवस्था के लिए “सबसे बड़े ख़तरे” के तौर पर की थी. इस ख़तरे को भू-राजनीतिक अस्थिरता, महामारी और कामगारों की कमी से बड़ा माना गया था. व्यवसायों ने अपनी सप्लाई चेन को सुरक्षित करने के लिए रिस्क मैनेजमेंट की नई पद्धतियों को अपनाया जिनमें ग्रेटर अपस्ट्रीम एंड डाउनस्ट्रीम इंटीग्रेशन (सामानों के आने और जाने का ज़्यादा एकीकरण) के साथ-साथ डायवर्सिफिकेशन (विविधता) शामिल हैं. उदाहरण के लिए, अमेरिका की एक अपैरल कंपनी ने अपैरल रिटेलर को अपनी सप्लाई चेन का अधिक नियंत्रण देने की कोशिश के तहत एक लॉजिस्टिक कंपनी का अधिग्रहण किया. इसी तरह, दूसरी कंपनियों ने अपनी सप्लाई चेन को अधिक लचीला बनाने के लिए डायवर्सिफिकेशन और रिलोकेशन स्ट्रेटजी पर ध्यान दिया. भारत समेत ग्लोबल साउथ की कई अर्थव्यवस्थाएं सप्लाई चेन में इस बदलाव का फायदा उठा रही हैं. GVC में एक विश्वसनीय साझेदार के तौर पर मज़बूत वैल्यू चेन के निर्माण के इर्द-गिर्द चल रही चर्चाओं को आकार देने में भारत और G20 के दूसरे देश अहम भूमिका निभाते हैं. इसलिए मज़बूत सप्लाई चेन बनाने के उद्देश्य से अलग-अलग देशों के लिए अपनी कोशिशों में तालमेल और जानकारी साझा करना महत्वपूर्ण बना हुआ है.

भारत समेत ग्लोबल साउथ की कई अर्थव्यवस्थाएं सप्लाई चेन में इस बदलाव का फायदा उठा रही हैं. GVC में एक विश्वसनीय साझेदार के तौर पर मज़बूत वैल्यू चेन के निर्माण के इर्द-गिर्द चल रही चर्चाओं को आकार देने में भारत और G20 के दूसरे देश अहम भूमिका निभाते हैं.

दूसरा, MSME तक सूचना की पहुंच बढ़ाने के उद्देश्य से जयपुर कॉल फॉर एक्शन, व्यापार से जुड़ी सूचनाओं को MSME के लिए अधिक आसान बनाने की बात करता है और इस तरह उन्हें अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से और ज़्यादा जोड़ता है. संयुक्त राष्ट्र (UN) के मुताबिक “कारोबार में MSME का हिस्सा 90 प्रतिशत, रोज़गार में 60 से 70 प्रतिशत और दुनिया भर की GDP में 50 प्रतिशत” है. वैश्विक GDP में अपने योगदान के बावजूद MSME व्यवसाय करने में अभी भी कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. जयपुर कॉल फॉर एक्शन सूचना से जुड़ी परेशानियों में MSME के सामने मौजूद सामान्य चुनौतियों को दर्शाता है. ये परेशानियां अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में उनकी भागीदारी में अड़चन डालती हैं. जयपुर कॉल फॉर एक्शन को इंटरनेशनल ट्रेड सेंटर (ITC), संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन (UNCTAD) और विश्व व्यापार संगठन (WTO) के द्वारा लागू वैश्विक व्यापार हेल्पडेस्क को अपग्रेड करके अमल में लाया जाएगा. इस तरह भागीदार देश वैश्विक व्यापार हेल्पडेस्क को “एक सिंगल पोर्टल पर उपलब्ध MSME के लिए ज़रूरी व्यापार से जुड़ी पूरी उचित जानकारी और/या व्यापार में शामिल MSME के लिए संबंधित सरकारी वेबसाइट से लिंक की व्यापक सूची” मुहैया करा सकते हैं. इसके अलावा 2024 से ITC कॉल फॉर एक्शन के संबंध में की गई कोशिशों को लेकर सालाना प्रगति रिपोर्ट अपने संयुक्त सलाहकार समूह को भी मुहैया कराएगा. संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDG), ख़ास तौर पर ‘उचित काम और आर्थिक विकास’ से जुड़े आठवें लक्ष्य, को हासिल करने में MSME प्रमुख भूमिका निभाते हैं. भारत में कुल व्यवसाय में MSME का हिस्सा 90 प्रतिशत है और ये 12 करोड़ से ज़्यादा लोगों को रोज़गार देते हैं. MSME रोज़गार पैदा करने के इंजन हैं जो आजीविका के अवसर उत्पन्न करते हैं, ख़ास तौर पर कमज़ोर हालात में रहने वाले समूहों के लिए. इस तरह सूचनाओं तक MSME की पहुंच के उद्देश्य से कॉल फॉर एक्शन अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में इन व्यवसायों को और जोड़ेगा और लोगों की आजीविका के साथ-साथ राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं पर भी अपने आप में एक सकारात्मक असर छोड़ सकता है.

तीसरा, व्यापार दस्तावेज़ों के डिजिटलाइज़ेशन पर उच्च-स्तरीय सिद्धांत 10 ऐसे गैर-बाध्यकारी सिद्धांत हैं जो अलग-अलग देशों के द्वारा व्यापार दस्तावेज़ों को डिजिटाइज़ करने की दिशा में प्रयासों का मार्गदर्शन करते हैं. इनमें तटस्थता, सुरक्षा, भरोसा, इंटरऑपरेबिलिटी (एक-दूसरे से जुड़ना), डेटा की निजता, विश्वसनीयता, स्वैच्छिक तौर पर डेटा साझा करना, सहयोग, सुराग लगा सकना (ट्रेसेबिलिटी) और मापनीयता (स्केलेबिलिटी) शामिल हैं. डिजिटल की तरफ बदलाव को “एक परिवर्तनकारी अवसर” के रूप में बताया गया है. नतीजों से जुड़े दस्तावेज़ में विशेष रूप से कहा गया है कि “इन सिद्धांतों के तहत आने वाले व्यापार दस्तावेज़ परिवहन, भुगतान, बीमा, स्टोरेज और संबंधित लॉजिस्टिक सेवाओं से सरोकार रखने वाले अंतर्राष्ट्रीय व्यावसायिक लेन-देन से जुड़े हैं; ये सिद्धांत सरकार की तरफ से जारी, नियंत्रित या सीमा पार व्यापार के लिए किसी सरकारी विभाग की तरफ से ज़रूरी दस्तावेज़ों पर आवश्यक रूप से लागू नहीं होते हैं”. नतीजों से जुड़े दस्तावेज़ में इस बात का ज़िक्र है कि G20 देश इन सिद्धांतों को लागू करने की कोशिश करेंगे और दूसरे देशों को भी इन पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे. दस्तावेज़ में उन चुनौतियों को स्वीकार किया गया है जिनका सामना इस बदलाव के दौरान कुछ देशों को करना पड़ सकता है. इन चुनौतियों में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी, सीमित डिजिटल कनेक्टिविटी, डिजिटलाइज़ेशन को अपनाने की ऊंची लागत और डिजिटल स्किल में अंतर, ख़ास तौर पर MSME के बीच, शामिल हैं. वैसे तो ये सिद्धांत बाध्यकारी नहीं हैं लेकिन उम्मीद की जाती है कि डिजिटाइज़ेशन से अर्थव्यवस्थाओं को पैसों का फायदा होगा. एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि “लदान के इलेक्ट्रॉनिक बिल से प्रत्यक्ष लागत में 6.5 अरब डॉलर की बचत हो सकती है और वैश्विक व्यापार में 40 अरब डॉलर का योगदान मिल सकता है”. दुनिया भर में डिजिटलाइज़ेशन को अपनाने में विकास के बावजूद व्यापार प्रक्रियाएं अभी भी कागज़ी दस्तावेज़ों पर निर्भर करती हैं. कागज़ी दस्तावेज़ों में ग़लती होने की आशंका ज़्यादा होती है और मैनुअल प्रोसेसिंग की वजह से ये सामानों के पहुंचने में देरी का कारण बन सकते हैं. इस तरह लॉजिस्टिक लागत बढ़ जाती है. व्यापार दस्तावेज़ों को डिजिटाइज़ करके दुनिया भर के देश अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ा सकते हैं, रेगुलेटरी कम्प्लायन्स को आसान बना सकते हैं और यहां तक कि सप्लाई चेन को भी अधिक लचीला बना सकते हैं. इस तरह व्यापार दस्तावेज़ों के डिजिटलाइज़ेशन पर उच्च-स्तरीय सिद्धांत दुनिया भर के देशों के लिए व्यापार दस्तावेज़ों को डिजिटाइज़ करते समय अपनी कोशिशों के तालमेल के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत के तौर पर काम करते हैं. ये इस बात को सुनिश्चित करेगा कि डिजिटल डॉक्यूमेंट की पारस्परिक मान्यता और इंटरऑपरेबिलिटी होगी. ये सिद्धांत उस समय वैश्विक मानकों को तय करने में भी मदद कर सकते हैं जब अलग-अलग देश दस्तावेज़ों को डिजिटाइज़ करेंगे. भारत ने भी अपने व्यापार दस्तावेज़ों की प्रक्रिया को डिजिटल बनाने पर ध्यान दिया है. भारत की ताज़ा विदेश व्यापार नीति व्यापार दस्तावेज़ों के डिजिटाइज़ेशन और पेपरलेस फाइलिंग पर ज़ोर देती है.

आगे की राह

ऊपर ज़िक्र किए गए डिलिवरेबल्स के अलावा G20 के व्यापार एवं निवेश मंत्रियों ने “प्रोफेशनल सेवाओं के लिए म्युचुअल रिकॉग्निशन एग्रीमेंट (MRA) पर सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं को स्वेच्छा से साझा करने और प्रोफेशनल सेवाओं के लिए MRA पर सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं के एक अध्यक्षीय सारांश (प्रेसिडेंसीज़ कॉम्पेंडियम ) के विकास का समर्थन” करने का स्वागत किया और साथ में “2023 में एक G20 स्टैंडर्ड डायलॉग आयोजित करने की अध्यक्षीय सलाह का स्वागत” भी किया.

G20 में शामिल देशों के साथ-साथ इसके बाहर के देशों को भी G20 के व्यापार एवं निवेश मंत्रियों की बैठक में सहमत डिलिवरेबल्स से बहुत ज़्यादा फायदा होगा. काम-काज पर केंद्रित ये डिलिवरेबल्स व्यापार को आसान बना सकते हैं

G20 में शामिल देशों के साथ-साथ इसके बाहर के देशों को भी G20 के व्यापार एवं निवेश मंत्रियों की बैठक में सहमत डिलिवरेबल्स से बहुत ज़्यादा फायदा होगा. काम-काज पर केंद्रित ये डिलिवरेबल्स व्यापार को आसान बना सकते हैं और अलग-अलग देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ा सकते हैं. ये डिलिवरेबल्स एक सामान्य मानक (कॉमन स्टैंडर्ड) तैयार करने की बुनियाद रखते हैं जिनका पालन अलग-अलग देश घरेलू नीतियों को बनाते समय कर सकते हैं. साथ ही ये अलग-अलग देशों के द्वारा साथ मिलकर काम करने और मिलजुल कर आगे बढ़ने की इच्छा को भी दिखाते हैं.


उर्वी तेम्बे ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में एसोसिएट फेलो हैं.

The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.