Published on Apr 02, 2021 Updated 0 Hours ago

सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में साफ़तौर पर ये कोशिश की गई है कि उनके मीडिया संगठनों के उपयोग को संस्था आधारित फ़ायदों से लोक जागरुकता सेवा में बदल दिया जाए.

मिस्त्र में मीडिया प्रबंधन के ज़रिये विकृत मीडिया को नियंत्रण में लेने की कोशिश

मिस्र में 2018 के लिए मीडिया क़ानून संख्या 180 के ऐलान के बाद मिस्र के मीडिया का स्वरूप ज़बरदस्त रूप से बदलने की उम्मीद है. इस क़ानून का इरादा अनेकता की ज़रूरतों का ध्यान रखना और ऐसा माहौल मुहैया कराना था जहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सुनिश्चित हो. लेकिन मीडिया स्वामित्व और काम-काज के लिए ज़्यादा संशोधित नियामक रूप-रेखा, नये क़ानूनों की बौछार और स्थापित संस्थाओं की ज़िम्मेदारी के बीच कई क्षेत्र ऐसे हैं जो मिस्र के मीडिया विस्तार में हलचल मचा रहे हैं.

इस तरह के आदेश ने मीडिया नियमन के लिए सर्वोच्च परिषद (एससीएमआर) के अस्तित्व को वैध कर दिया जिसकी स्थापना 2016 में क़ानून संख्या 92 के ज़रिए की गई थी. लेकिन ‘मीडिया क़ानून’ पर अमल ने उस वक़्त तक ज़ोर नहीं पकड़ा जब तक कि कार्यकारी नियम जारी नहीं हुआ. उम्मीद की जा रही थी कि क़ानून के ऐलान के तीन महीनों के भीतर प्रधानमंत्री की तरफ़ से कार्यकारी नियम जारी होगा. लेकिन इसे मई 2020 में जारी किया गया- लगभग दो साल की देरी के बाद जिसकी कोई साफ़ वजह नहीं थी.

लेकिन एससीएमआर को मीडिया कंटेंट के नियमन से जुड़ा ज़्यादातर काम सौंपा गया- और उसी के अनुसार सही क़दम उठाने का ज़िम्मा भी- ताकि मिस्र के दर्शकों को मीडिया की वजह से होने वाले किसी भी नुक़सान से बचाया जा सके. ये ऐसा विचार है जो 2014 में सूचना मंत्रालय को भंग करने के बाद फिर से स्थापित करने से टकराता है. क़ानून में बताई गई ज़िम्मेदारियों के अलावा मंत्रालय का काम मिस्र की मीडिया नीति को प्रस्तावित करना और भागीदारों के साथ मिलकर इसके अमल को आगे बढ़ाना, सरकारी और निजी टीवी में सुधार करना, ड्रामा कंटेंट को विकसित करना और अलग-अलग चैनल के बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना है. इसके साथ-साथ निजी मीडिया की स्वतंत्रता का समर्थन करना, कंटेंट के लिए ऑनलाइन मीडिया को पेशेवर समर्थन की पेशकश करना भी है जिससे वो एक तरह से ज़िम्मेदार भी बन सके.

एससीएमआर को मीडिया कंटेंट के नियमन से जुड़ा ज़्यादातर काम सौंपा गया- और उसी के अनुसार सही क़दम उठाने का ज़िम्मा भी- ताकि मिस्र के दर्शकों को मीडिया की वजह से होने वाले किसी भी नुक़सान से बचाया जा सके. 

कार्यकारी नियम में एससीएमआर को विज़ुअल और ऑडियो चैनल, डिजिटल प्लेटफॉर्म को लाइसेंस देने का अधिकार भी दिया गया. साथ ही किसी भी ऐसी मीडिया कंपनी जो मिस्र में रजिस्टर्ड हो या मिस्र के बाहर की मीडिया कंपनी जिसका प्रसारण मिस्र से होता हो- उसको लाइसेंस देने का ज़िम्मा भी एससीएमआर को दिया गया. इसके अलावा सैटेलाइट और इंटरनेट ब्रॉडकास्टिंग डिवाइस की शुरुआत को मंज़ूरी देने का अधिकार भी एससीएमआर को ही सौंपा गया.

साइबर क्राईम पर नकेल

एक और टकराव जिसके बारे में अभी तक पता नहीं है, वो मीडिया क़ानून और 2018 के साइबर अपराध क़ानून संख्या 175 के बीच है जो राष्ट्रीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (एनटीआरए) को ऐसे डिजिटल कंटेंट, वेबसाइट और प्लेटफॉर्म को ब्लॉक करने का अधिकार देता है जो साइबर क्राइम करते हुए पाए गए हैं या राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा हैं. अनुपालन नहीं करने की स्थिति में सर्विस प्रोवाइडर को कम-से-कम एक साल जेल और/या न्यूनतम 5,00,000 से लेकर 10 लाख मिस्री पाउंड का जुर्माना लगेगा. इस बात को मानते हुए मीडिया क़ानून के मुताबिक़ एससीएमआर को कंटेंट नियमों और क़ानूनों का उल्लंघन करने वाले किसी भी संस्थान को ब्लॉक करने का अधिकार है.

इससे भी बढ़कर, मिस्र में दो क्रांतियों के बाद और विकृत मीडिया परिदृश्य को नियंत्रित करने की कोशिश में मीडिया क़ानून ने मिस्र से उठने वाली विदेशी आवाज़ों को शांत करने की कोशिश की जिनका एक समय स्वागत किया गया था. इसकी वजह है कि ये साबित हुआ है कि वो आवाज़ें मिस्र के हित के ख़िलाफ़ काम कर रही थीं. मीडिया क़ानून में मिस्र में मीडिया स्वामित्व के लिए शर्तों के बारे में विस्तार से बताया गया है. जो व्यक्ति मिस्र का नागरिक नहीं है वो किसी भी मीडिया संस्थान में इतना बड़ा हिस्सा नहीं रख सकता जिससे उसे संस्थान को चलाने और इस तरह उसके कंटेंट पर नियंत्रण का अधिकार मिल जाए.

मीडिया क़ानून में मिस्र में मीडिया स्वामित्व के लिए शर्तों के बारे में विस्तार से बताया गया है. 

दूसरी तरफ़ एकाधिकार, जिसका मिस्र के मीडिया परिदृश्य पर दबदबा था, से लड़ने और बहुलतावाद को बढ़ावा देने के लिए किसी भी मीडिया संस्थान- मिस्र के नागरिक के स्वामित्व वाला हो ये विदेशी नागरिक के स्वामित्व वाला- को सात से ज़्यादा टेलीविज़न चैनल और एक से ज़्यादा साधारण या न्यूज़ चैनल रखने का अधिकार नहीं है. इस तरह का आदेश ऊपरी तौर पर प्रबंधन नियंत्रण की कमी की वजह से विदेशी निवेश के लिए आकर्षक नहीं लग रहा लेकिन इसका मक़सद घरेलू कंपनियों को बढ़ावा देना है ताकि न्यूज़ कंटेंट के मुख्य स्रोत के तौर पर मिस्र की आवाज़ को आगे बढ़ाया जा सके.

डिजिटल की तरफ कदम

इसके बावजूद कोविड-19 महामारी की शुरुआत के समय से मिस्र ने दुष्प्रचार और फ़ेक न्यूज़ के नकारात्मक असर को देखा. सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों से साफ़तौर पर ये कोशिश की गई है कि उनके मीडिया संगठनों के उपयोग को संस्था आधारित फ़ायदों से लोक जागरुकता सेवा में बदल दिया जाए. ये मिस्र के रेडियो और टेलीविज़न यूनियन के सार्वजनिक चैनल को सुधारने के लिए लाए गए कार्यक्रम से स्पष्ट है. साथ ही जहां कहीं भी मिस्र की मीडिया नीति और आचार संहिता के मानकों का पालन नहीं करने वाले “अनुचित कंटेंट” का प्रसारण हो रहा है, वहां फ़ौरन हस्तक्षेप की मंज़ूरी देता है. ये निर्देश एमसीएमआर द्वारा स्वीकृत अलग-अलग पहल से भी साफ़ है जिसके तहत विभिन्न बातों को लेकर समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए एससीएमआर के द्वारा मीडिया का इस्तेमाल किया जाता है जैसे खेल में चरमपंथ ख़त्म करने के लिए युवा और खेल मंत्रालय के साथ एससीएमआर का सहयोग और मिस्र के सांस्कृतिक विचार को सकारात्मक बनाने में ज़रूरी मीडिया संदेश को फैलाने के लिए अल-अज़हर के साथ सहयोग.

सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों से साफ़तौर पर ये कोशिश की गई है कि उनके मीडिया संगठनों के उपयोग को संस्था आधारित फ़ायदों से लोक जागरुकता सेवा में बदल दिया जाए.

मीडिया क़ानून और साइबर अपराध क़ानून की शुरुआत मीडिया और दूरसंचार के बीच टकराव की पुष्टि करता है. ये मिस्र के लिए अनोखा नहीं है, ख़ासतौर पर 2011 की क्रांति के बाद जब सामान्य तौर पर ऑनलाइन क्षेत्र और विशेष तौर पर सोशल मीडिया ने दुष्प्रचार और विज्ञापन के लिए एक मज़बूत औज़ार को प्रस्तुत किया. असरदार मीडिया चैनल के डिजिटल की तरफ़ बदलाव ने 2020 में मीडिया के परिदृश्य में बदलाव किया है और ये 2021 में भी जारी रहेगा, ख़ासतौर पर ‘वॉच आईटी!’ की शुरुआत के बाद जो मिस्र का पहला स्ट्रीमिंग प्लैटफॉर्म है जिसने डिजिटल ब्रॉडकास्टिंग के लिए नये बिज़नेस मॉडल की शुरुआत की है. ये बिज़नेस मॉडल सब्सक्रिप्शन आधारित है न कि विज्ञापन आधारित मॉडल जिसे कंटेंट वेबसाइट अपनाती हैं. लेकिन तब भी ये सवाल बना रहेगा कि क्या मिस्र अपने ज़्यादातर ऑनलाइन मीडिया के लिए वही कारोबारी रणनीति देखेगा. या फिर वो फ्रीमियम मॉडल (ऐसा मॉडल जहां मूल सेवा मुफ़्त दी जाती है जबकि बड़ी सेवा के लिए पैसे लिए जाते हैं) को चुनेगा?

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