जैव विविधता पर समझौते (CBD) के पक्षकारों के 15वें सम्मेलन (कॉप15) के दौरान सदस्य देशों ने “कुन्मिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता की रूपरेखा” (GBF) को अपनाया जिसमें 2030 तक चार उद्देश्यों और 23 लक्ष्यों को हासिल करना शामिल है. वैसे तो ये समझौता क़ानूनी तौर पर अनिवार्य नहीं है लेकिन सदस्य देशों को राष्ट्रीय और वैश्विक समीक्षा के माध्यम से रूप-रेखा के उद्देश्यों को हासिल करने की तरफ़ प्रगति को दिखाना होगा.
अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) ने संरक्षित क्षेत्रों के लिए वर्गीकरण के दिशा-निर्देश पर जो परिभाषा दी है, उसे क्षेत्रीय एवं वैश्विक रूप-रेखा में व्यापक तौर पर स्वीकार किया गया है. कई तरह के संरक्षित क्षेत्र हैं जो संरक्षण के स्तर के अनुसार अलग-अलग होते हैं.
23 लक्ष्यों में से तीसरा लक्ष्य, जिसे बोल-चाल की भाषा में “30X30” के नाम से जाना जाता है, उसके लिए ये आवश्यक है कि “कम-से-कम 30 प्रतिशत स्थलीय क्षेत्र, अंतर्देशीय जल और तटीय एवं समुद्री क्षेत्र, ख़ासतौर पर जैव विविधता एवं पारिस्थितिकी तंत्र के काम-काज एवं सेवाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र, को प्रभावशाली ढंग से संरक्षित किया जाए. साथ ही पारिस्थितिक प्रतिनिधित्व, अच्छी तरह से जुड़े और संरक्षित क्षेत्रों एवं अन्य प्रभावशाली क्षेत्र आधारित संरक्षण उपायों के ज़रिए समान रूप से शासन प्रणालियां संचालित की जाए.”
जगह आधारित संरक्षण ने आम तौर पर “संरक्षित क्षेत्रों” का रूप ले लिया है जहां मानवीय दखल या कम-से-कम संसाधनों का दोहन सीमित है. अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) ने संरक्षित क्षेत्रों के लिए वर्गीकरण के दिशा-निर्देश पर जो परिभाषा दी है, उसे क्षेत्रीय एवं वैश्विक रूप-रेखा में व्यापक तौर पर स्वीकार किया गया है. कई तरह के संरक्षित क्षेत्र हैं जो संरक्षण के स्तर के अनुसार अलग-अलग होते हैं. संरक्षण का ये स्तर हर देश के सक्षम क़ानून या जुड़े हुए अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के नियमों पर निर्भर है.
वर्तमान में लगभग 17 प्रतिशत स्थलीय और 8 प्रतिशत समुद्री क्षेत्र दस्तावेज़ों में संरक्षित क्षेत्र के भीतर हैं. हालांकि, इन क्षेत्रों की गुणवत्ता जताई गई प्रतिबद्धता से काफ़ी कम हो गई है; 8 प्रतिशत से भी कम भूमि संरक्षित और जुड़ी हुई- दोनों हैं. इस तरह की कमी के सामने 30X30 का उद्देश्य एक महत्वपूर्ण प्रतिबद्धता का प्रतिनिधित्व करता है.
वैसे तो सदस्य देशों को अलग-अलग रूप से 30X30 के उद्देश्य को पूरा करने की आवश्यकता नहीं है लेकिन कोई देश राष्ट्रीय एवं वैश्विक समीक्षा के माध्यम से रूप-रेखा को हासिल करने की तरफ़ कैसे योगदान देता है और प्रगति करता है ये स्पष्ट नहीं है. विशेष रूप से जनसंख्या के मामले में बड़े देशों, दुनिया के घनी आबादी वाले देशों (तालिका 1 देखें) और बेहद ज़्यादा घनत्व वाले छोटे देशों (तालिका 2 देखें) के मामले में ये पूरी तरह अस्पष्ट है. लेकिन एक साफ़ तस्वीर जल्द सामने आनी चाहिए. वैसे पहले का आईची लक्ष्य अभी तक पूरा नहीं हुआ है.
(टेबल-1: वे देश जिनकी आबादी कम से कम 10 मिलियन है, और प्रति किमी का घनत्व 400 व्यक्ति है)
(टेबल-2: बहुत ज़्यादा घनत्व वाले छोटे देश और उनकी शहर)
चुनौतियाँ
मुख्य चुनौतियों में से एक होगी मौजूदा और नये क्षेत्रों- दोनों की गुणवत्ता को सुधारना क्योंकि कई संरक्षित क्षेत्रों के भीतर भी जैव विविधता का कम होना लगातार जारी है. प्रजातियों के आवागमन और पारिस्थितिक प्रक्रिया के काम-काज के लिए संरक्षित क्षेत्रों को एक-दूसरे से बेहतर ढंग से जोड़ने की आवश्यकता होगी.
जैसा कि तालिका-1 और 2 से स्पष्ट है, आबादी के मामले में बड़े, ज़्यादा घनत्व वाले देशों और बेहद ज़्यादा घनत्व वाले छोटे देशों के द्वारा महत्वपूर्ण रूप से अतिरिक्त स्थलीय क्षेत्र, अंतर्देशीय जल और तटीय एवं समुद्री क्षेत्रों को संरक्षित क्षेत्र प्रबंधन के भीतर लाने की संभावना कम है.
इससे भी बढ़कर, प्रजातियों की श्रेणी में जलवायु परिवर्तन के असर की वजह से बदलाव होता है और इस बात को ध्यान में रखना होगा. संरक्षित क्षेत्र जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, उनका भी समाधान करना होगा. एक तरफ़ तो संरक्षित क्षेत्र बढ़ते समुद्री स्तर के कारण तटीय क्षेत्र में कमी का अनुभव कर रहे हैं, दूसरी तरफ़ उन्हें मानवीय बस्ती का भी सामना करना पड़ता है.
फसल की बर्बादी अक्सर वन्यजीवों के साथ संघर्ष का कारण बनती है लेकिन ऐसा नहीं भी हो सकता है अगर सुरक्षा उपाय के हिस्से के रूप में सरकार के द्वारा चिन्हित आसपास के क्षेत्र में फसल को वन्यजीव से नुक़सान के ख़िलाफ़ अनिवार्य रूप से बीमाकृत किया जाए.
इन सभी उपायों में प्रभावशाली प्रबंधन एवं समुदायों को शामिल करने के लिए महत्वपूर्ण निवेश की आवश्यकता होगी, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जो बड़े स्तनधारियों को शरण देते हैं. जलवायु एवं जैव विविधता की पहल में वित्तीय समर्थन की प्रतिबद्धता को पूरा करने में अभी तक विकसित देशों का ट्रैक रिकॉर्ड खराब रहा है.
आगे का रास्ता
बेहतर कनेक्टिविटी
सुरक्षित और संरक्षित क्षेत्रों के बीच प्रजातियों- ख़ास तौर पर बड़े स्तनधारियों- के आवागमन के लिए बेहतर कनेक्टिविटी को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से क्षेत्र आधारित नये संरक्षण उपायों पर विचार करना होगा. सुरक्षित क्षेत्रों के इर्द-गिर्द और उनको जोड़ने वाले क्षेत्रों, जिनकी औपचारिक रूप से संरक्षण के लिए व्यवस्था नहीं की गई है, को सुरक्षित करने के लिए विचार करना होगा, उदाहरण के लिए कृषि की ज़मीन.
फसल की बर्बादी अक्सर वन्यजीवों के साथ संघर्ष का कारण बनती है लेकिन ऐसा नहीं भी हो सकता है अगर सुरक्षा उपाय के हिस्से के रूप में सरकार के द्वारा चिन्हित आसपास के क्षेत्र में फसल को वन्यजीव से नुक़सान के ख़िलाफ़ अनिवार्य रूप से बीमाकृत किया जाए. अगर फसल नुक़सान का मुआवज़ा दिया जाए तो स्थानीय समुदायों के द्वारा वन्यजीव की मौजूदगी के ख़िलाफ़ प्रतिकूल प्रतिक्रिया होने की संभावना नहीं है. विकासशील देशों में बीमा और फसल के नुक़सान के बाद जांच-पड़ताल पर सरकार के द्वारा होने वाले अतिरिक्त खर्च को विकसित देशों के द्वारा दी जाने वाली रक़म से पूरा किया जा सकता है. उम्मीद के मुताबिक़ 2025 तक विकसित देश हर साल कम-से-कम 20 अरब अमेरिकी डॉलर जबकि 2030 तक हर साल 30 अरब अमेरिकी डॉलर देंगे. इस उद्देश्य के लिए 2023 तक वैश्विक पर्यावरण सुविधा के तहत एक ट्रस्ट की स्थापना होने की उम्मीद की जा रही है.
संरक्षण के विकास का तौर-तरीक़ा
जलवायु सम्मेलन के तहत स्वच्छ विकास के तौर-तरीक़ों की तरह UNFCCC (संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन रूप-रेखा सम्मेलन) एक कार्बन कम करने की योजना है जो अलग-अलग देशों को दूसरे देशों में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी करने वाली परियोजनाओं के लिए फंड में योगदान की अनुमति देती है और वो कम किए गए उत्सर्जन को लेकर अंतर्राष्ट्रीय उत्सर्जन लक्ष्य को पूरा करने में अपने योगदान के रूप में दावा कर सकते हैं. तालिका 1 और 2 में जो देश बताए गए हैं, विशेष तौर पर आर्थिक रूप से मज़बूत देश, वो तालिका 3 में बताए गए देशों की जैव विविधता संरक्षण परियोजना में निवेश कर सकते हैं.
(टेबल 3: कम घनत्व वाले राज्य)
तालिका-3 में ज़्यादातर देश आर्थिक रूप से मज़बूत हैं. ये देश जैव विविधता के संरक्षण के लिए अपने वैश्विक वित्तीय योगदान के रूप में न केवल अपने दायित्व को पूरा कर सकते हैं बल्कि आर्थिक रूप से कमज़ोर देशों की तरफ़ से भी भुगतान कर सकते हैं.
चलता-फिरता संरक्षित क्षेत्र
जो संरक्षित क्षेत्र एक तरफ़ समुद्र के बढ़ते स्तर और दूसरी तरफ़ मानवीय बस्ती की वजह से तटीय इलाक़ों में कमी का अनुभव कर रहे हैं, उन्हें नये ढंग के प्रबंधन की आवश्यकता होगी. ज़्यादा ऊंचाई और तटीय क्षेत्रों में संरक्षित क्षेत्रों को स्थायी की जगह चलते-फिरते क्षेत्र के रूप में विचार करना होगा. उदाहरण के लिए, मैंग्रोव और अल्पाइन के पारिस्थितिकी तंत्र को क्रमश: ज़मीन और ऊपर की तरफ़ जाने की अनुमति देनी होगी. जिन मुद्दों को संरक्षण के उपायों के हिस्से के रूप में नहीं समझा जाता है, उन्हें संरक्षण की परिधि के भीतर शामिल करना होगा. अगर किसी विशेष प्रजाति और उनके आवास की ज़िद को महत्वपूर्ण समझा जाता है तो सीमा परिवर्तन को ध्यान में रखना होगा और जो जगह वर्तमान में संरक्षित क्षेत्र प्रबंधन के भीतर नहीं हैं उन्हें पूर्वानुमान के आधार पर सुरक्षित करना होगा. इन जगहों को लेकर अलग-अलग दावों पर बातचीत करनी होगी और संरक्षण के प्रयासों के हिस्से के रूप में उनका समाधान करना होगा.
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