Author : Hari Bansh Jha

Published on Jun 03, 2022 Updated 0 Hours ago

नेपाल में चुनाव की आहट के साथ, क्या नई सरकार लोगों की विकास को लेकर इच्छाओं की कसौटी पर खरा उतर पाएगी?

नेपाल: भविष्य की रूपरेखा तय करने वाले स्थानीय चुनाव

साल 2020 नेपाल के भविष्य के लिए काफी महत्वपूर्ण रहा, चूंकि सरकार के सभी तीनों स्तरों – यानि स्थानीय, प्रांतीय और राष्ट्रीय स्तरों पर चुनाव सन् 2022 में ही सम्पन्न हुआ है. 13 मई को नेपाल के सभी 753 स्थानीय निकायों, जिसमें ग्रामीण नगरपालिका शहरी नगर पालिका, उप-महानगरीय शहर, और महानगरीय शहरों में सिंगल फेज़ में चुनाव हुए. चुनाव में लगभग 18 मिलियन वोटर्स के मतदान डालने का अनुमान है. 

सरकार के तीनों स्तर पर, स्थानीय लेवल पर कुल 753 सरकारें कार्यरत हैं, प्रांतीय स्तर पर 7 सरकारें, और शेष बची एक सरकार संघीय स्तर पर कार्य कर रही है. इन सभी सरकारों की अपनी स्वतंत्र अथॉरिटी हैं. इसलिए न तो स्थानीय सरकारें प्रांतीय या फिर संघीय सरकार के अधीन काम कर रही हैं, और न ही प्रांतीय सरकारें किसी संघीय सरकार के अंतर्गत कार्य कर रही हैं. 

सन् 2015 के नेपाली संविधान की घोषणा के बाद संभवतः दूसरी बार ऐसा हुआ कि स्थानीय निकायों के लिए चुनाव कराए गए. इससे पहले, स्थानीय निकायों के लिए चुनाव तीन फेज़ में 14 मई, 28 जून और 18 सितंबर 2017 को पहली बार कराए गए थे.

स्थानीय और प्रांतीय सरकार दोनों ही प्रशासन को चलाने के लिए ज़रूरी मानव संसाधन एवं वित्तीय संसाधन के लिए पूरी तरह से संघीय सरकार पर निर्भर रहती हैं. संघीय सरकार के कुल राजस्व का लगभग 7 प्रतिशत राजस्व प्रांतीय सरकार को आवंटित किया जाता है और बाकी बचा 7 प्रतिशत, स्थानीय प्रशासन को. 

सन् 2015 के नेपाली संविधान की घोषणा के बाद संभवतः दूसरी बार ऐसा हुआ कि स्थानीय निकायों के लिए चुनाव कराए गए. इससे पहले, स्थानीय निकायों के लिए चुनाव तीन फेज़ में 14 मई, 28 जून और 18 सितंबर 2017 को पहली बार कराए गए थे. स्थानीय निकाय के आगामी चुनाव में, 35,221 पदों, जिनमे 6747 वार्ड पद हैं, उनके अलावे, 753 मुखिया और उनके सहयोगी, आदि के भाग्य का नतीजा तय हुआ. आर्थिक संसाधन और इन इकाइयों का स्वायत चरित्र के कारण, लोगों की जीवनशैली में कम्युनिटी डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत प्राप्त बढ़त काफी महत्वपूर्ण रहा. 

चुनाव और राजनीतिक पार्टियां

स्थानीय स्तर पर कुल 79 राजनीतिक पार्टियां चुनाव लड़ रही हैं. इस चुनाव में शासन में शामिल पाँच राजनीतिक दल, जिनमें नेपाली काँग्रेस, सीपीएन-माओइस्ट सेंटर, सीपीएन (यूनिफाइड सोशलिस्ट), जनता समाजवादी पार्टी, और राष्ट्रीय जनमोर्चा ने गठबंधन किया हुआ है; जबकि प्रमुख विपक्षी दल, सीपीएन-यूएमएल, ने छोटी-छोटी पार्टियां जिनमे कमल थापा – के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी, एकनाथ ढकाल के नेतृत्व में नेपाल परिवार दल और महंत ठाकुर – के नेतृत्व की लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी शामिल है, उनका गठबंधन खड़ा है. 

चुनाव आयोग ने चुनाव के दौरान किसी भी प्रकार के बाहरी ताकतों के द्वारा चुनाव में किसी भी प्रकार के विघ्न डालने के प्रयास को रोकने के उद्देश्य से नेपाल सरकार को चुनाव से 72 घंटे पहले से ही भारत और चीन से सटी अंतरराष्ट्रीय सीमा को बंद करने का आग्रह किया था.

हालांकि, सत्तारूढ़ साझीदारों ने सभी स्थानीय इकाइयों में चुनावी गठबंधन बनाने की योजना बनायी थी, पर वे 60 से भी कम स्थानीय इकाईयों में ऐसा कर पाये. चुनावी गठबंधन की वजह से, सत्तारूढ़ पार्टी के कई सजग और सक्रिय सदस्य, इस चुनाव में लड़ नहीं सके. इस वजह से, विद्रोही सदस्यों की संख्या ख़ासकर के नेपाली काँग्रेस में अचानक से काफी बढ़ गई. नेपाली काँग्रेस ने उन सभी विद्रोही सदस्यों को पार्टी की सदस्यता से निलंबित कर दिया, जिन्होंने नाम वापिस लेने से इनकार कर दिया और स्वतंत्र एवं निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया था. 

चुनाव करवाने को लेकर सरकार एवं चुनाव आयोग दोनों ने ही सभी ज़रूरी तैयारियों की थी. अंत में, पोलिंग के लिए सरकार ने नेपाल आर्मी के 70,000 सैनिकों के अलावे, आर्म्ड पुलिस फ़ोर्स से 60,000 और नेपाल पुलिस से 30,000 कर्मियों समेत कुल 100,000 अस्थाई पुलिस जुटाई थी. 

चुनाव आयोग का बेहतरीन प्रबंधन 

चुनाव आयोग ने चुनाव के दौरान किसी भी प्रकार के बाहरी ताकतों के द्वारा चुनाव में किसी भी प्रकार के विघ्न डालने के प्रयास को रोकने के उद्देश्य से नेपाल सरकार को चुनाव से 72 घंटे पहले से ही भारत और चीन से सटी अंतरराष्ट्रीय सीमा को बंद करने का आग्रह किया था. चुनाव में भाग लेने के लिए लोगों में भी काफी उत्साह देखा गया था, बावजूद इसके कि कुछ तत्वों ने चुनाव का बहिष्कार करने की घोषणा की थी. 

हालांकि, 79 राजनीतिक दलों ने स्थानीय इकाइयों के लिए आयोजिन इन चुनावों में हिस्सा लिया, मुख्य प्रतिद्वंद्विता दो गठबंधनों के बीच है: सत्तारूढ़ पाँच दलों का गठबंधन एवं चार दलों का विपक्षी गठबंधन. इन दोनों गठबंधनों में से, संभावना है कि नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में पड़ी फूट की वजह से पाँच पार्टियों का गठबंधन इस चुनावों पर भारी पड़ेगा. उसी तरह से, मधेशी बहुल राजनीतिक दलों के भी उनमें पड़ी फूट की वजह से हारने की संभावना ज़्यादा दिख रही थी. 

सालों से, स्थानीय प्रशासन, नीति निर्धारण, योजना और विकास प्रोजेक्ट्स के सफल क्रियान्वयन में कोई पिछला अनुभव नहीं होने की वजह से बेहतर प्रदर्शन कर पाने में असफल रही है. निगरानी की कमी की वजह से, सड़क परियोजना, पेयजल, स्वच्छता, शिक्षा और स्वास्थ्य का निष्पादन बेतरतीब तरीके से हुआ है. राजनीतिक दलों और उनके कार्यकर्ता के सहयोग हेतु, ऐसे कई अनुत्पादक कार्य जैसे मंदिर व मस्जिद का निर्माण, व्यू टॉवर आदि के मरम्मत सरीख़े गतिविधियों में काफी बड़ा फंड ख़र्च किया गया, स्थानीय स्तरों पर तैनात जनप्रतिनिधियों ने अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्र की तुलना में अपने राजनीतिक दलों के प्रति ज़्यादा वफ़ादारी दिखलायी. 

चूंकि, जनप्रतिनिधियों ने अपने तनख्व़ाह़, भत्तों एवं रसद में वृद्धि की सबसे ज़्यादा परवाह की, अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों के प्रति उनका ध्यान बिल्कुल भी नहीं था. कुछ हद तक, स्थानीय लोग भ्रष्टाचार पर लगाम लगा भी सकते थे, परंतु वे भी निष्क्रिय बने रहे. ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने  पाया कि स्थानीय निकाय, प्रांतीय एवं फेडरल सरकारों की तुलना में काफी भ्रष्ट थी. 

एक मूलभूत कारक जिसने स्थानीय प्रतिनिधियों को भ्रष्टाचार में लिप्त होने को विवश किया था वो है महंगी चुनावी प्रक्रिया. कई रिपोर्ट के अनुसार आमतौर पर राजनीतिक पार्टियां, चुनावी टिकट बांटते वक्त़, उम्मीदवारों से मनचाहा धन वसूलती है. चुनाव के वक्त़ में होने वाली कैंपेन, रैली और वोटरों को लुभाने अथवा ख़रीदने की प्रक्रिया में होने वाले ख़र्च, काफी महंगे साबित होते हैं. ऐसे उम्मीदवारों को जो चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करते हैं, उनपर किसी प्रकार का एक्शन अथवा कार्यवाही कर पाने में एक कमज़ोर चुनाव आयोग असमर्थ साबित होता है. 

इसलिए, ये के लोगों के लिये जो सबसे ज़रूरी क़दम है वो ये कि इन कठिन परिस्थितियों में, उनलोगों के पक्ष में वोटिंग करें जो ईमानदार, अनुभवी और वित्तीय मामलों में बिल्कुल पारदर्शी थे. जो भ्रष्टाचारी हो, उन्हे ज़िम्मेदार ठहराया जाना चाहिए. इसके अलावा अब, चुनाव आयोग को मज़बूत करने का भी वक्त़ आ गया है, ताकि वे उन उम्मीदवारों के ऊपर कार्यवाही कर सके जो आचार संहिता का उल्लंघन करने का प्रयास करते हैं. और तो और, स्थानीय स्तरों पर बिना किसी पार्टी को शामिल किये चुनाव कराए जाने चाहिए, जिनके लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता पड़ेगी. अगर ऐसा हो पाता है तो, स्थानीय निकाय, लोगों की विकास और बदलाव को लेकर बनी आकांक्षाओं को प्रभावशाली तरीके से पूर्ण कर पाएंगे. 

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