Author : Ayjaz Wani

Published on Oct 03, 2023 Updated 0 Hours ago

हालिया समय में जम्मू-कश्मीर में पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, जो इस बात का संकेत है कि घाटी में शांति वापिस लौट रही है.

कश्मीर: आतंक के इतिहास को पीछे छोड़कर पर्यटन के महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में उभरता राज्य!

2023 के पहले सात महीनों में केंद्र शासित प्रदेश, जम्मू और कश्मीर में लगभग 1.3 करोड़ पर्यटक आए थे. साल के अंत तक यह आंकड़ा बढ़कर 2.2 करोड़ तक पहुंच सकता है, जबकि पिछले साल घाटी में 1.8 करोड़ सैलानी आए थे. यानी कि इससे पर्यटन क्षेत्र में हो रही उल्लेखनीय वृद्धि का पता चलता है. भारत की आज़ादी के बाद से किसी भी केंद्र शासित प्रदेश में आने वाले पर्यटकों की यह सर्वाधिक संख्या है. इसी तरह, इस एक साल में घाटी में विदेशी पर्यटकों की संख्या में 700 प्रतिशत का उछाल आया है, जहां 2022 में 4,028 पर्यटकों की तुलना में 2023 में 30,647 पर्यटक घाटी का दौरा कर चुके हैं, जबकि यह इस साल के पहले आठ महीनों का आंकड़ा है.

बढ़ते पर्यटन से सहिष्णुता को बढ़ावा मिल रहा है, दूसरों के अधिकारों की स्वीकार्यता बढ़ रही है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि घाटी की पारंपरिक समन्वयवादी संस्कृति को पुनर्जीवित किया जा रहा है.

क्षेत्र में घरेलू और विदेशी पर्यटकों की बढ़ती संख्या इस बात का सबूत है कि अगस्त 2019 के बाद अब जाकर घाटी में शांति लौट रही है, जिसका श्रेय सुरक्षा के चौकस इंतज़ाम को जाता है. पर्यटक केवल अपने बजट और जगह को देखकर कोई निर्णय नहीं लेते, बल्कि सुरक्षा के पहलू पर भी विचार करते हैं. क्षेत्र में ज़्यादा पर्यटकों के आने से यहां की अर्थव्यवस्था को बल मिला है और इससे सकारात्मकता और शांति को बढ़ावा मिला है. संघर्ष प्रभावित कश्मीर घाटी क्षेत्र में  पर्यटकों का आना कश्मीरियों के लिए मनोवैज्ञानिक रूप से लाभप्रद है क्योंकि इससे उन्हें पाकिस्तान की “बंदूक संस्कृति” (जिसके साए में वे दशकों से जीते आए हैं) के अलावा भी दूसरी संस्कृतियों को क़रीब से देखने का मौका मिल रहा है. बढ़ते पर्यटन से सहिष्णुता को बढ़ावा मिल रहा है, दूसरों के अधिकारों की स्वीकार्यता बढ़ रही है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि घाटी की पारंपरिक समन्वयवादी संस्कृति को पुनर्जीवित किया जा रहा है.

 

G20 की बैठक और पर्यटन क्षेत्र का उभार  

कश्मीर अपनी प्राचीन खूबसूरती और हरी-भरी घाटियों के लिए जाना जाता रहा है, और 1960-80 के दौर में यहां ढेरों घरेलू और विदेशी पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता था. हालांकि, 1989 में, पाकिस्तान और उसकी एजेंसियों ने घाटी में हजारों आतंकवादियों की घुसपैठ कराकर और भोले-भाले कश्मीरियों के एक वर्ग को गुमराह करके क्षेत्र में सशस्त्र संघर्ष और आतंकवाद को बढ़ावा दिया. अगस्त 2019 से कश्मीर घाटी में सुरक्षा स्थिति में सकारात्मक बदलाव आया है. आतंकवादियों की मौजूदगी काफ़ी कम हो गई है, और ख़ासकर 2021 के बाद से पत्थरबाजी और हड़ताल जैसी “हिंसक घटनाएं” लगभग समाप्त हो गई हैं, जो अक्सर पाकिस्तान के उकसावे पर होती थीं. पाकिस्तान और क्षेत्र में आतंक फैलाने की उसकी नीतियों को लेकर कश्मीरी जनता, ख़ासकर युवाओं के नज़रिए में महत्त्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल सकता है. इस साल कश्मीर से केवल 25 युवा आतंकी संगठनों में शामिल हुए हैं, जबकि 2019 में 143 और 2022 में 100 युवा शामिल हुए थे.  

इसके अलावा, कश्मीर घाटी में मारे गए 46 आतंकवादियों में से केवल नौ स्थानीय थे, शेष 37 पाकिस्तानी नागरिक थे. पिछले 33 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है कि स्थानीय आतंकवादियों की तुलना में विदेशी आतंकियों का चार गुना तेजी से सफाया हुआ है. हालांकि, यहां उल्लेख करना ज़रूरी है कि इनमें से 29 आतंकी पाकिस्तान की सीमा से लगे दक्षिण पीर पंजाल क्षेत्र में मारे गए. इससे इस्लामाबाद की हताशा का पता चलता है, साथ ही यह घाटी में सुरक्षा के बदलते माहौल की तरफ़ इशारा करता है.

22 मई को G20 पर्यटन कार्य समूह का तीसरा सम्मेलन कश्मीर घाटी में आयोजित किया गया, जहां पर्यटन क्षेत्र में हरित, लचीले और समावेशी विकास के मुद्दे पर चर्चा हुई.

पर्यटकों की बढ़ती संख्या से ज़मीनी बदलाव का संकेत मिलता है, ख़ासतौर पर आर्थिक और राजनीतिक रूप से नई दिल्ली के प्रति युवाओं की सोच बदल रही है. G20 की अध्यक्षता से मिले अवसर का लाभ उठाते हुए नई दिल्ली ने कई बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के सामने घाटी की पर्यटन क्षमता का प्रदर्शन किया. 22 मई को G20 पर्यटन कार्य समूह का तीसरा सम्मेलन कश्मीर घाटी में आयोजित किया गया, जहां पर्यटन क्षेत्र में हरित, लचीले और समावेशी विकास के मुद्दे पर चर्चा हुई. इस बैठक के ज़रिए प्रशासन को सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में सर्वश्रेष्ठ वैश्विक अभ्यासों के बारे में काफ़ी कुछ सीखने को मिला. इस बैठक के परिणामस्वरूप कई देश क्षेत्र में पर्यटन की स्थिति को लेकर अपने दिशानिर्देशों में कुछ बदलाव करने के लिए मजबूर हुए. घाटी में आने वाले 30,647 विदेशी पर्यटकों में से ज्य़ादातर यूरोप, मध्य पूर्व, मलेशिया और थाईलैंड से थे. विशेष रूप से मुस्लिम देशों से आने वाले पर्यटकों की तादाद बढ़ रही है, जिससे पता चलता है कि कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर पाकिस्तान द्वारा नई दिल्ली पर लगाए गए झूठे आरोपों का मुस्लिम दुनिया में भंडाफोड़ हो गया है. ब्रिटिश-अरब सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर अमजद ताहा ने 4 अगस्त 2023 को कश्मीर का दौरा किया और घाटी के भीतर “भारत के शांति प्रयासों” की उन्होंने सराहना की.

 

सरकारी पहल

पाकिस्तान वर्तमान में कई राजनीतिक और आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है, जबकि कश्मीर देशी और विदेशी पर्यटकों के लिए एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में उभर रहा है, जो स्थानीय कश्मीरी युवाओं को रोज़गार कई अवसर मुहैया करा रहा है. इस केंद्र शासित प्रदेश की जीडीपी का 7-8 प्रतिशत हिस्सा पर्यटन उद्योग का है, जिससे 80 अरब रुपए से ज़्यादा का सालाना राजस्व प्राप्त होता है. इस राजस्व ने स्थानीय अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने का काम किया है, इसके कारण प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लोगों को (विशेष रूप से युवाओं को) रोजगार मिला है. पर्यटन की बढ़ती मांगों और सतत विकास लक्ष्यों (UN) को देखते हुए, सरकार ने होमस्टे परियोजना की शुरुआत की है जहां उसने हर एक इकाई के लिए विशेष सहायता सुविधा का प्रावधान किया है. इस साल, होमस्टे पंजीकरण काफ़ी बढ़ गया है, और सरकार इस परियोजना के तहत 55,000 कमरे तैयार करना चाहती है. उदाहरण के लिए, बारामूला, कुपवाड़ा और बांदीपोरा जिलों में 900 कमरों की क्षमता वाले 250 पंजीकृत होमस्टे हैं.

पिछले साल, भूस्खलन एवं अन्य प्राकृतिक समस्याओं के कारण सड़कें बंद होने के कारण फल उत्पादकों और व्यापारियों ने घाटी में व्यापक विरोध प्रदर्शन किया, जिसके परिणामस्वरूप कश्मीर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले सेब उद्योग को 1,500 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ. 

अब समय आ गया है कि जम्मू और कश्मीर प्रशासन वैश्विक स्तर पर, विशेष रूप से मध्य-पूर्व, यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका में कश्मीर की पर्यटन क्षमता का प्रचार करे. लग्ज़री टूरिज्म़ को आकर्षित करने के लिए प्रशासन 75 नए प्राकृतिक स्थलों को पर्यटन स्थलों के रूप में बढ़ावा दे रहा है. हालांकि, पहलगाम, गुलमर्ग और सोनामार्ग को छोड़कर अन्य पर्यटन स्थलों पर बुनियादी पर्यटन सुविधाओं जैसे मोबाइल कनेक्टिविटी, बिजली आपूर्ति और सार्वजनिक शौचालयों को विकसित किए जाने की आवश्यता है. उदाहरण के लिए, श्रीनगर से केवल 125 किमी दूर गुरेज़ घाटी में बुनियादी ढांचे का विकास किए जाने की आवश्यकता है, विशेष रूप से बिजली, सार्वजनिक शौचालयों और सड़कों के निर्माण किए जाने की ज़रूरत है. हालांकि, प्रशासन ने पर्यटन क्षेत्र की क्षमता का पूर्ण दोहन करने के लिए पर्यावरण के लिहाज़ से अनुकूल बुनियादी ढांचा निर्माण के लिए कई नीतिगत हस्तक्षेप किए हैं. लेकिन प्रशासन को अतिरिक्त ढांचागत सुविधाओं का विकास करना होगा.

नई दिल्ली को नए आर्थिक अवसरों को पैदा करने और कनेक्टिविटी परियोजनाओं में तेजी लाने की ज़रूरत है. उदाहरण के लिए, रेलवे नेटवर्क का विस्तार और 295 किमी लंबे और रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्ग सं. 44 को एक फोर-लेन सड़क में परिवर्तन. ये दोनों संपर्क परियोजनाएं रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण हैं और आर्थिक विकास के लिए आवश्यक हैं. ख़ासकर बागवानी और पर्यटन क्षेत्र के लिए ये परियोजनाएं बेहद महत्त्वपूर्ण हैं. पिछले साल, भूस्खलन एवं अन्य प्राकृतिक समस्याओं के कारण सड़कें बंद होने के कारण फल उत्पादकों और व्यापारियों ने घाटी में व्यापक विरोध प्रदर्शन किया, जिसके परिणामस्वरूप कश्मीर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले सेब उद्योग को 1,500 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ. कश्मीर देश में कुल सेब की फसल का लगभग 75 प्रतिशत उत्पादन करता है और सेब उद्योग जम्मू और कश्मीर की जीडीपी में 8.2 प्रतिशत का योगदान देता है. इन महत्वपूर्ण संपर्क परियोजनाओं को जल्द से जल्द पूरा किया जाना इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि इससे पर्यटन के लिहाज़ से व्यस्ततम महीनों में भी हवाई किराए को एक सीमा के भीतर रखने में मदद मिलेगी. इन दोनों परियोजनाओं से पर्यटन और बागवानी क्षेत्र की कायापलट हो जाएगी और आर्थिक एकीकरण का रास्ता खुल जाएगा. इससे वैचारिक एकीकरण को बढ़ावा मिलेगा. ऐसे में, सुरक्षा बलों और कश्मीरी जनता को पाकिस्तान की बेईमान और निराश एजेंसियों और उनकी आतंकपरस्त नीतियों के खिलाफ़ और ज़्यादा सावधान और पहले से तैयार रहने की ज़रूरत है.

The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.