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बुनियादी ढांचे में निवेश को बढ़ावा देने के लिए बहुपक्षीय सहयोग, भारत के लिए वक़्त की मांग है.
2017 में ग्लोबल इंफ़्रास्ट्रक्चर हब (GIH) ने बुनियादी ढांचे से जुड़े परिदृश्य को लेकर एक पूर्वानुमान पेश किया था. इसके मुताबिक 2016 से 2040 के बीच बुनियादी ढांचे में निवेश के लिए 94 खरब अमेरिकी डॉलर की दरकार है. रिपोर्ट के अनुसार विश्व में बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में होने वाले कुल निवेश में एशिया का हिस्सा 54 फ़ीसदी रह सकता है. ग़ौरतलब है कि साल 2019 में पहली बार दुनिया के 500 सबसे बड़े परिसंपत्ति प्रबंधकों का असेट्स अंडर मैनेजमेंट (AuM) 104.4 खरब अमेरिकी डॉलर के पार पहुंच गया. बहरहाल, बुनियादी ढांचा खड़ा करने की अहमियत बार-बार जताए जाने के बावजूद बुनियादी ढांचों के क्षेत्र में अब भी एक खाई नज़र आती है.
विकासशील देशों में विकास प्रक्रिया को गति देने में बुनियादी ढांचा बेहद अहम रोल अदा करता है. 2012 में लॉस काबोस शिखर सम्मेलन में G20 देशों ने पहली बार इस अहमियत की तस्दीक़ की थी. लॉस काबोस कार्ययोजना में बुनियादी ढांचे में निवेश को मध्यम कालखंड में उत्पादकता और जीवन स्तर में प्रगति के स्रोत के तौर पर पहचाना गया था. इस कड़ी में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, भारत, इंडोनेशिया, मैक्सिको, सऊदी अरब, दक्षिण अफ़्रीका और यूनाइटेड किंगडम (यूके) जैसे देशों में बुनियादी ढांचे से जुड़ी ख़ामियों को दूर करने की ज़रूरत बताई गई. इंफ़्रास्ट्रक्चर के लिए दीर्घकालिक वित्त तैयार करने की बात 2013 में सेंट पीटर्सबर्ग में हुए G20 शिखर सम्मेलन में दोबारा सुर्ख़ियों में आई. इस सिलसिले में दीर्घकालिक निवेश को लेकर वैश्विक पूंजी बाज़ारों से पूंजी प्रवाह का अनुकूल वातावरण तैयार करने के लिए साझा कार्रवाई को अंजाम दिए जाने की ज़रूरत बताई गई. साथ ही बुनियादी ढांचे में निजी निवेश को बढ़ावा देने पर भी ज़ोर दिया गया. 2014 में G20 के ब्रिसबेन शिखर सम्मेलन में भारत समेत तमाम सदस्य देश एक वैश्विक बुनियादी ढांचा कार्यक्रम शुरू करने पर रज़ामंद हुए थे. इसका मक़सद G20 के भीतर गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे में निवेश को बढ़ावा देना है ताकि सदस्य देशों में अंतरराष्ट्रीय विकास बैंकों की कार्यवाहियों और कार्यक्रमों को और आगे बढ़ाया जा सके. इस सम्मेलन में भारत ने ग्लोबल इंफ़्रास्ट्रक्चर हब (GIH) के ज़रिए- “अगली पीढ़ी के बुनियादी ढांचा निर्माण- जिसमें डिजिटल बुनियादी ढांचा, और स्वच्छ और सस्ती ऊर्जा तक पहुंच सुनिश्चित करना शामिल है”- वैश्विक समर्थन हासिल करने की क़वायद सामने रखी थी.
इस सम्मेलन में भारत ने ग्लोबल इंफ़्रास्ट्रक्चर हब (GIH) के ज़रिए- “अगली पीढ़ी के बुनियादी ढांचा निर्माण- जिसमें डिजिटल बुनियादी ढांचा, और स्वच्छ और सस्ती ऊर्जा तक पहुंच सुनिश्चित करना शामिल है”
G20 के सदस्यों ने निवेश के रास्ते की बाधाएं कम करने और निवेश-योग्य परियोजनाओं की मौजूदगी में सुधार की अहमियत पर नए सिरे से ज़ोर दिया है. इसमें ज्ञान-साझा करने वाले संजाल के विकास की क़वायद शामिल है. इससे सदस्य देशों को अंतरराष्ट्रीय संगठनों, विकास बैंकों और सरकारों के बीच विकास परियोजनाओं से जुड़ी सूचनाएं साझा करने की सुविधा मिलेगी. निजी क्षेत्र और सरकार द्वारा बुनियादी ढांचे में किए जा रहे निवेश का अधिकतम सकारात्मक प्रभाव सुनिश्चित करने के लिए G20 के नेताओं ने 2019 के ओसाका शिखर सम्मेलन में GIH के 6 स्वैच्छिक और ग़ैर-बाध्यकारी गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचा निवेश (QII) सिद्धांतों को स्वीकार किया. इसके साथ ही वो गुणवत्तापूर्ण निवेश को बढ़ावा और प्राथमिकता देने के लिए G20 ऋण प्रदाता क्रियाकलापों का प्रभावी रुख़ तैयार करने को भी सहमत हुए. 2021 में GIH द्वारा बुनियादी ढांचा निकायों (I-Bodies) के अंतरराष्ट्रीय मंच ने महामारी के बाद तात्कालिक रूप से लोचदार बुनियादी ढांचा खड़ा करने की ज़रूरत को रेखांकित किया. इसके तहत “बिल्डिंग बैक बेटर” के संदेश को जीवंत करने का प्रयास किया गया.
आर्थिक मामलों के विभाग के इंफ़्रास्ट्रक्चर टास्क फ़ोर्स की रिपोर्ट (2019) से इस दायरे में भारत सरकार के निरंतर जारी प्रोत्साहनकारी रुख का पता चलता है. रिपोर्ट में निजी पूंजी आकर्षित करने, बॉन्ड और क्रेडिट बाज़ारों में नई जान फूंकने और दीर्घकालिक कोषों के संभावित कर्ज़दाताओं के लिए मौजूदा निवेश दिशानिर्देशों की दोबारा पड़ताल किए जाने की अहमियत रेखांकित की गई है. इन संभावित ऋणदाताओं में बीमा कंपनियां और पेंशन फ़ंड्स शामिल हैं. निवेश अवसरों के विस्तार के सिलसिले में भारत के वित्त मंत्रालय ने 2019 में 6835 परियोजनाओं के साथ “राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा पाइपलाइन (NIP)” की शुरुआत की. इनके लिए सरकार और निजी क्षेत्र दोनों की ओर से फ़ंडिंग में भारी बढ़ोतरी की दरकार है. साल दर साल भारत बुनियादी ढांचे के लिए दीर्घकालिक निवेशों के विकल्प तैयार करने में कामयाब होता गया है. इनमें इंफ़्रास्ट्रक्चर डेट फ़ंड्स (IDFs), इंफ़्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट ट्रस्ट (InvITs) और राष्ट्रीय निवेश और बुनियादी ढांचा कोष (NIIF) शामिल हैं. इन उपक्रमों ने 2020 तक 4 अरब अमेरिकी डॉलर की पूंजी प्रतिबद्धताएं सुरक्षित कर ली थीं. बुनियादी ढांचा विकास के लिए भारत के कुछ अहम कार्यक्रमों में–
2021-22 में भारत सरकार के बजट में बुनियादी ढांचे की संभावित ब्राउनफ़ील्ड परिसंपत्तियों के लिए “नेशनल मॉनेटाइज़ेशन पाइपलाइन” की स्थापना का भी ऐलान किया गया था.
भारत में बुनियादी ढांचे के विकास में मौजूद खाई से जुड़े विरोधाभास के मद्देनज़र बुनियादी ढांचे में निवेश को बढ़ावा देने के लिए बहुपक्षीय सहयोग बेहद अहम हो जाता है. लिहाज़ा गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे में निवेश को लेकर G20 के सिद्धांतों से जुड़े कार्यों की पहचान कर उन्हें आगे बढ़ाना, 2023 में G20 की अध्यक्षता से जुड़ी भारतीय क़वायद के लिए अहम होगा.
भारत को बेहतर रूप से तमाम सूचनाओं से लैस नीतिगत फ़ैसलों के लिए डेटा-आधारित जानकारियों की अहमियत पर ज़ोर देना चाहिए. साथ ही G20 के सदस्यों से बुनियादी ढांचा परिसंपत्तियों से जुड़े सुगम और तुलनात्मक डेटा बरक़रार रखने का अनुरोध भी करना चाहिए.
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Shruti Jain was Coordinator for the Think20 India Secretariat and Associate Fellow Geoeconomics Programme at ORF. She holds a Masters degree in Public Policy and ...
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