Published on Apr 08, 2023 Updated 3 Hours ago

नई दिल्ली को ड्रग्स की तस्करी के ख़िलाफ़ सदस्य देशों के बीच अधिक से अधिक सहयोग सुनिश्चित करने के लिए अपने SCO अध्यक्ष पद का लाभ उठाना चाहिए.

भारत की SCO अध्यक्षता : ड्रग्स पदार्थों की तस्करी के ख़िलाफ़ वैश्विक कार्रवाई का नेतृत्व करना

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्य देश दुनिया के लगभग 80 प्रतिशत अवैध अफीम व्यापार के लिए इंटरनेशनल रूट प्रदान करते हैं जो अफ़ग़ानिस्तान के कई क्षेत्रों से होकर निकलता है. हालांकि SCO अपनी स्थापना के बाद से ही रीजनल एंटी टेरेरिस्ट स्ट्रक्चर (आरएटीएस) के तहत नशीले पदार्थों की तस्करी और आतंकवाद की रोकथाम पर अधिक से अधिक कन्वर्जेंस की अपील करता रहा है लेकिन  SCO क्षेत्र के भीतर मादक पदार्थों के इस्तेमाल करने की बढ़ती प्रवृत्ति और नशीले पदार्थों का व्यापार संगठन की नाकामी की ओर इशारा करता है. SCO क्षेत्र के भीतर अधिकांश नशीले पदार्थों के व्यापार पर किसी का ध्यान नहीं जाता है, जो चरमपंथियों और आतंकवादियों द्वारा राज्य विरोधी गतिविधियों के लिए जुटाने वाले धन का महत्वपूर्ण स्रोत है. नशीले पदार्थों और हथियारों की तस्करी के लिए आतंकवादी संगठनों और विद्रोही समूहों द्वारा नई तकनीक़ों के बढ़ते इस्तेमाल से SCO और पूरे यूरेशियन इलाक़े में इसे लेकर सुरक्षा के सवाल खड़े हो चुके हैं.

1996 में चीन, कज़ाकिस्तान, किर्गिज़ गणराज्य, रूस और ताज़िकिस्तान ने शंघाई फाइव का गठन किया था. उज़्बेकिस्तान के इस समूह में शामिल होने के बाद 2001 में इसका नाम बदलकर SCO कर दिया गया. भारत और पाकिस्तान 2017 में इस क्षेत्रीय मंच में शामिल हुए और इस संगठन में ईरान के 2023 तक स्थायी सदस्यता हासिल करने की उम्मीद है.

SCO और अवैध नशीले पदार्थ

1996 में चीन, कज़ाकिस्तान, किर्गिज़ गणराज्य, रूस और ताज़िकिस्तान ने शंघाई फाइव का गठन किया था. उज़्बेकिस्तान के इस समूह में शामिल होने के बाद 2001 में इसका नाम बदलकर SCO कर दिया गया. भारत और पाकिस्तान 2017 में इस क्षेत्रीय मंच में शामिल हुए और इस संगठन में ईरान के 2023 तक स्थायी सदस्यता हासिल करने की उम्मीद है. 2006 के बाद क्षेत्रीय ड्रग तस्करी से निपटने के लिए SCO सदस्य देश सहमत हुए जो आतंकवाद और अन्य राज्य विरोधी गतिविधियों की फंडिंग के लिए एक ताक़तवर टूल बन गया था. संगठन ने इस मोर्चे पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए अन्य वैश्विक संगठनों के साथ सहयोग को बढ़ाया है. ड्रग्स की तस्करी के ख़िलाफ़ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को और बढ़ाने के लिए बीजिंग में SCO सचिवालय ने 2018 में पेरिस पैक्ट इनिशिएटिव (PPI) की मेज़बानी की थी. पीपीआई 58 देशों और 23 संगठनों का एक व्यापक अंतर्राष्ट्रीय समूह है जो अवैध मादक पदार्थों की तस्करी के ख़िलाफ़ काम कर रहा है. SCO ने ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के ड्रग्स एंड क्राइम (यूएनओडीसी), द सेंट्रल एशियन रीज़नल इन्फॉर्मेशन एंड कोऑर्डिनेशन सेंटर फॉर कॉम्बैटिंग इलिसिट ट्रैफ़िकिंग इन नारकोटिक्स ड्रग्स, साइकोट्रॉपिक पदार्थ और उनके परकर्सस (अग्रदूतों) (CARICO) के साथ साथ कलेक्टिव सिक्योरिटी ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (सीएसटीओ) के साथ मेमोरेंडम और समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए हैं. SCO के तहत बहुपक्षीय और बहु-एजेंसी सहयोग और समन्वय का ही यह नतीजा है कि 2011 और 2017 के बीच 181 टन हेरोइन और 667 टन हशीश ज़ब्त की गई.

उत्तरी मार्ग और गोल्डन क्रीसेंट के माध्यम से तस्करी में वृद्धि

2021 में अफ़ग़ानिस्तान का दुनिया की 80 प्रतिशत अफीम और हेरोइन की आपूर्ति को पूरा करना दुनिया भर के अफीम बाज़ार पर हावी होना है. अफ़ग़ानिस्तान से नशीले पदार्थों की तस्करी ग्रेटर यूरेशिया, यूरोप और विश्व में बच गए तीन प्राथमिक रास्तों से की जाती है:

  1. उत्तरी मार्ग के ज़रिए मध्य एशिया से होकर रूसी संघ और पूर्वी यूरोप तक ड्रग्स की तस्करी की जाती है.
  2. दक्षिणी मार्ग के ज़रिये पाकिस्तान और ईरान होते हुए खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और दक्षिण एशिया में ड्रग्स पहुंचता है.
  3. बाल्कन मार्ग के माध्यम से इस्लामिक गणराज्य ईरान और तुर्की के ज़रिए मध्य और पश्चिमी यूरोप तक ड्रग्स पहुंचता है.

अफ़ग़ानिस्तान और मध्य एशिया के बीच 2,387 किलोमीटर लंबी सीमा "उत्तरी मार्ग" बनाती है, जो बड़े पैमाने पर नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए हर तरह का मौक़ा प्रदान करती है. मध्य एशिया से मादक पदार्थों की तस्करी रूसी संघ और पूर्वी यूरोप में की जाती है. रूस और उससे आगे के क्षेत्रों में ड्रग्स आपूर्ति का अनुमानित 15 से 20 प्रतिशत इस मार्ग पर ताज़िकिस्तान के माध्यम से तस्करी होती है. 2014 में रूस और पूर्वी यूरोप को आपूर्ति किए गए 80 प्रतिशत से अधिक नशीले पदार्थ ताज़िकिस्तान से होकर पहुंचे, जो इस पिछड़े मध्य एशियाई गणराज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 30 प्रतिशत है. नशीले पदार्थों का व्यापार ताज़िकिस्तान और किर्गिस्तान की सत्ता में बैठे राजनीतिक आकाओं के लिए अप्रत्याशित लाभ कमाने के लिए स्टेट इंफ्रास्ट्रक्चर (राज्य संरचनाओं) का दुरुपयोग करने का विकल्प देता है. ताज़िकिस्तान से नशीले पदार्थ उज़्बेकिस्तान और कज़ाकिस्तान में पहुंचते हैं और वहां से रूस या यूरोप में इसकी सप्लाई होती है. कज़ाकिस्तान में अनुमानित 4,50,000 नशा करने वाले लोग अफ़ग़ानिस्तान से तस्करी कर लाई गई अफीम का 30 प्रतिशत उपभोग करते हैं. बाकी के 70 प्रतिशत नशीले पदार्थ को आगे रूस और यूरोप के देशों में पहुंचाया जाता है. लगभग 6 मिलियन ड्रग एडिक्ट्स वाले रूस में ड्रग से संबंधित मृत्यु दर प्रति 100,000 जनसंख्या पर 10.2 है. रूस में मादक पदार्थों की लत ने भी एचआईवी महामारी को बढ़ावा दिया है जो 1.6 मिलियन लोगों को प्रभावित करता है.

"गोल्डन क्रीसेंट" या दक्षिणी मार्ग दूसरा महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय मादक पदार्थों की तस्करी का रास्ता है जो अफ़ग़ानिस्तान से ईरान और पाकिस्तान के आगे खाड़ी देश, अफ्रीका और दक्षिण एशियाई देशों तक पहुंचता है. दुनिया के सबसे अधिक नशीले पदार्थों से प्रभावित देश पाकिस्तान में 7.6 मिलियन ड्रग एडिक्ट हैं.

"गोल्डन क्रीसेंट" या दक्षिणी मार्ग दूसरा महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय मादक पदार्थों की तस्करी का रास्ता है जो अफ़ग़ानिस्तान से ईरान और पाकिस्तान के आगे खाड़ी देश, अफ्रीका और दक्षिण एशियाई देशों तक पहुंचता है. दुनिया के सबसे अधिक नशीले पदार्थों से प्रभावित देश पाकिस्तान में 7.6 मिलियन ड्रग एडिक्ट हैं. 2019 में ईरान ने 2.8 मिलियन से अधिक ड्रग एब्यूजर्स दर्ज़ किए. अनुमान के मुताबिक़, अफ़ग़ानिस्तान से 40 फ़ीसदी से ज़्यादा मादक पदार्थ भारत और अन्य अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में पहुंचने से पहले पाकिस्तान से होकर गुजरती हैं. पाकिस्तान के साथ अपनी सीमा पर भारत के सुरक्षा ग्रिड को मज़बूत करने के बाद, जिसके बाद सीमा पार से आतंकियों और नशीले पदार्थों की घुसपैठ कम हुई है, नार्को-टेरिस्ट्स समूहों ने भारतीय सीमा के अंदर हथियार और ड्रग्स गिराने के लिए अब ड्रोन का सहारा लेना शुरू कर दिया है. भारत की सीमा सुरक्षा बल के मुताबिक़  2022 में, सीमा पर 17 ड्रोन मार गिराए गए या पकड़े गए, जिससे 26,469 किलोग्राम ड्रग्स ज़ब्त की गई थी.

दक्षिण एशिया, खाड़ी और ईरान और पाकिस्तान के माध्यम से अन्य अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों के लिए समुद्री मार्ग से मादक पदार्थों की तस्करों के लिए भी विकल्प मौज़ूद हैं. अनुमान के मुताबिक़, 60 से 70 फ़ीसदी ड्रग्स गोल्डन क्रीसेंट के ज़रिए समुद्र के रास्ते भारत में तस्करी की जाती है. आंकड़े बताते हैं कि 2021 में  गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह पर लगभग 3,000 किलोग्राम ड्रग्स, जो कथित तौर पर अफ़ग़ानिस्तान से लाया गया था, ज़ब्त की गई थी. नवंबर 2022 तक, ज़ब्त की गई 3,017 किलोग्राम हेरोइन में से 55 प्रतिशत समुद्री मार्ग से और 122 किलोग्राम ज़ब्त कोकीन में से 84 प्रतिशत समुद्री मार्गों से तस्करी की गई थी.

भारत को अवैध मादक पदार्थों की तस्करी पर एक संगठित नीति तैयार करने के लिए दृढ़ता से अपील करना चाहिए. अपने बढ़ते आर्थिक दबदबे और पर्याप्त बौद्धिक पूंजी का इस्तेमाल करना चाहिए. जैसा कि SCO के ज़्यादातर सदस्य देश ड्रग संकट का सामना कर रहे हैं..

चीन एकमात्र SCO सदस्य देश है जहां नशीले पदार्थों की तस्करी नियंत्रण में है, हालांकि कोरोना महामारी के बाद से पारंपरिक चैनलों के बजाय डाक सेवाओं और जलमार्गों का अक्सर मादक पदार्थों की तस्करी के लिए उपयोग किया जाता रहा है. नशीले पदार्थों की तस्करी ऑनलाइन और ऑफलाइन अधिक संगठित रूप से जुड़ी हुई है. 2021 में ऑनलाइन ड्रग तस्करी के 5,000 मामले सामने आए थे. नशीले पदार्थों के लेन-देन के लिए अब मुख्यधारा के चैट सिस्टम से परे ख़ास सोशल टूल्स, सेकेंड-हैंड ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म,  गेमिंग वेबसाइट और डार्क नेट का इस्तेमाल किया जा रहा है. चीन में नशीली दवाओं से संबंधित पैसों का लेन-देन ऑनलाइन बैंकिंग सिस्टम से अलग वर्चुअल और गेम करेंसी में फैला हुआ है.

भारत को ज़्यादा कन्वर्जेंस के लिए आगे आना चाहिए

बढ़ते नशीले पदार्थों के व्यापार और आतंकी संगठनों की ज़्यादा भागीदारी के चलते सभी SCO सदस्य देशों के लिए भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं. चीन को छोड़कर, अन्य सभी SCO सदस्य देश अफ़ग़ानिस्तान से लाये गए ड्रग्स और बढ़ती नशीली दवाओं की लत के ख़तरे से जूझ रहे हैं. अफ़ग़ानिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता काफी बढ़ गई है और उत्तरी मार्ग और गोल्डन क्रीसेंट दोनों मार्गों पर नशीले पदार्थों की तस्करी में आतंकवादी समूहों और देश विरोधी ताक़तों की गतिविधियां लगातार बढ़ती जा रही है. नशीली दवाओं की तस्करी आतंकवादी समूहों और चरमपंथियों के लिए राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को जारी रखने के लिए फंड का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन गया है. हालांकि, SCO का लक्ष्य गैर-हस्तक्षेप के मूल सिद्धांत के साथ आतंकवाद विरोधी क्षमताओं को विकसित और मज़बूत करना है. भारत को अवैध मादक पदार्थों की तस्करी पर एक संगठित नीति तैयार करने के लिए दृढ़ता से अपील करना चाहिए. अपने बढ़ते आर्थिक दबदबे और पर्याप्त बौद्धिक पूंजी का इस्तेमाल करना चाहिए. जैसा कि SCO के ज़्यादातर सदस्य देश ड्रग संकट का सामना कर रहे हैं. नई दिल्ली को आरएटीएस के तहत SCO क्षेत्र के भीतर नशीले पदार्थों के डेटा को हर महीने साझा करने के लिए एक बेहतर योजना विकसित करने में अपनी राजनयिक पूंजी निवेश करने पर विचार करना होगा. इसके अलावा, नई तकनीक़ के ज़रिए नशीले पदार्थों के प्रवाह को नियंत्रित करने और SCO के भौगोलिक दायरे में आतंकी समूहों के धन प्रवाह को कम करने के लिए सूचना साझा करने और रणनीति बनाने के लिए नशीले पदार्थों, अपराध विश्लेषण और वित्तीय पोर्टलों की मैपिंग पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए. नई दिल्ली को इस साझा चुनौती को पूरा करने के लिए सदस्य देशों के बीच अधिक सद्भाव सुनिश्चित करने के लिए अपने SCO अध्यक्षता के मौक़े का इस्तेमाल करना चाहिए.

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